कोरोना काल में कई बार रोगियों को अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री के आपात स्थिति नागरिक सहायता और राहत (PM CARES) फंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कुल 154.19 मीट्रिक टन क्षमता वाले इन सयंत्रों को 32 राज्यों में लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार इस धनराशि में से 137.33 करोड़ रुपये ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की आपूर्ति व कमीशनिंग आदि और 64.25 करोड़ रुपये वार्षिक रखरखाव की मद में खर्च किये जाएंगे। उपकरणों की खरीद का काम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) द्वारा की जाएगी। जिन सरकारी अस्पतालों में ये संयंत्र स्थापित किए जाने हैं, उनका चयन संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बातचीत के बाद कर ली गई है।
इन सयंत्रों की स्थापना से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी और किफायती तरीके से मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। कोविड-19 के औसत और गंभीर मामलों में रोगियों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति आवश्यक है। इसके अलावा कई अन्य रोगियों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर संयंत्रों की स्थापना से न केवल राज्यों के कुल ऑक्सीजन उपलब्धता पूल में वृद्धि होगी, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में रोगियों को समय पर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी।
उत्तराखंड में 7 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा असम 6, मिजोरम 1, मेघालय 3, मणिपुर 3, नागालैंड 3, सिक्किम 1, त्रिपुरा 2, हिमांचल प्रदेश 7, लक्षद्वीप 2, चंडीगढ़ 3, पुदुच्चेरी 6, दिल्ली 8, लद्दाख 3, जम्मू और कश्मीर 6, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 4, मध्य प्रदेश 8, महाराष्ट्र 10, ओडिशा 7, उत्तर प्रदेश 14, पश्चिम बंगाल 5, आंध्र प्रदेश 5, हरियाणा 6, गोवा 2, पंजाब 3, राजस्थान 4, झारखंड 4, गुजरात 8, तेलंगाना 5, केरल 5 व कर्नाटक में 6 सयंत्र स्थापित होंगे।
यदि आपके ड्राइविंग लाइसेंस अथवा वाहन की आरसी, परमिट आदि दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो चुकी है तो यह खबर राहत देने वाली है। कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने डीएल, आरसी, परमिट आदि जैसे वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैधता अगले वर्ष 31 मार्च तक बढ़ा दी है। यानी इस बीच किसी के कोई दस्तावेज की वैधता समाप्त हो रही है तो उन्हें अमान्य नहीं माना जाएगा।
केन्द्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने रविवार को इस संबंध में राज्य सरकारों को एक परामर्शी जारी की है। मंत्रालय के अनुसार इससे पूर्व मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तथा केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता के विस्तार के संबंध में 30 मार्च, 2020, 9 जून, 2020 तथा 24 अगस्त, 2020 को परामर्शी जारी की गई थी। इनमें राज्यों को सुझाव दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकारों के), लाइसेंस, पंजीकरण या किसी और संबंधित दस्तावेज की प्रमाणिकता 31 दिसम्बर, 2020 तक वैध समझी जाए।
मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी परामर्शी में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के प्रसार को रोकने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परामर्श दिया जाता है कि उपरोक्त उल्लेखित सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता 31 मार्च, 2021 तक वैध समझी जाए। इसमें वे सभी दस्तावेज शामिल हैं जिनकी वैधता 1 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गई है या 31 मार्च, 2021 तक समाप्त हो जाएगी।’’
केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से इस परामर्शी को मूल भावना के साथ कार्यान्वित करने का आग्रह किया गया है जिससे कि नागरिक, ट्रांसपोर्टर तथा विभिन्न अन्य संगठन, जो कोविड महामारी के दौरान इस कठिन समय में प्रचालन कर रहे हैं, को कोई परेशानी न हो और उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
देहरादून। कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने क्रिसमस व नए साल पर आयोजित होने वाले सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है।
राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा जारी आदेश के अनुसार 25 दिसंबर को क्रिसमस तथा 31 दिसंबर व 1 जनवरी को नव वर्ष के अवसर पर होटल, बार, रेस्टोरेंट व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक कार्यक्रमों और पार्टी के आयोजन की अनुमति नहीं होगी।
प्रशासन ने इस आदेश का अनुपालन अनिवार्य बताया है और चेतावनी दी है कि आदेश के उल्लघंन की स्थिति में आपदा प्रबन्धन अधिनियम, उत्तराखंड महामारी अधिनियम समेत भारतीय दंड संहिता आदि के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगामी कुम्भ मेले को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को प्रभावी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले के कार्यों के संबंध में सभी आवश्यक स्वीकृतियों, कार्यों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता आदि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कुंभ मेले के संपन्न होने के पश्चात इस संबंध में कोई अनावश्यक विवाद की स्थिति ना उत्पन्न हो।
शनिवार को राजधानी देहरादून में कुम्भ कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत कुंभ मेले के लिए स्पेशल कोविड ऑफिसर तैनात किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यो के लिये मेला अधिकारी को 2 करोड़ तथा आयुक्त गढ़वाल मंडल को 5 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति के अधिकार प्रदान करते हुए आयुक्त के स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों के लिए अनुभवी अभियंताओं एवं वरिष्ठ वित्त अधिकारी की समिति गठित करने को कहा, जो स्वीकृति जारी करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सभी स्थाई निर्माण कार्यों को 31 जनवरी से पूर्व पूर्ण करने तथा अस्थाई निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने को कहा है।उन्होंने कहा कि कुम्भ के दृष्टिगत विभागीय स्तर पर सम्पादित होने वाली व्यवस्थाओं की एसओपी जारी करने के साथ ही डाक्यूमेन्टेशन पर ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को भी शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये।
बैठक में सचिव लोनिवि आर.के.सुधांशु ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य 31 जनवरी से पूर्व कर लिया जायेगा। इसके लिये कार्यदायी संस्थाओं को तेजी से कार्य सम्पन्न करने के निर्देश देने के साथ ही निर्माण कार्यों की निरन्तर निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले में कार्य करने वाले कार्मिकों के वेक्सिनेशन की रूप रेखा भी तय करने की अपेक्षा मेलाधिकारी से की। सचिव नगर विकास शैलेश बगोली ने बताया कि कुम्भ मेले के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के स्तर पर 473 करोड़ लागत के 124 निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जिनका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, कुम्भ मेला श्री संजय गुंज्याल ने बताया कि मेले के लिये सुरक्षा की दृष्टि से 6 जोन, 24 सेक्टर, 21 थाने, 9 पुलिस लाइन, 23 पुलिस चौकी, 25 चैक पोस्ट के साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य व केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती की व्यवस्था की जा रही है।
बैठक में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त सौजन्या, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के साथ ही सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
ई-अदालत परियोजना के तहत देश भर के लगभग 2927 अदालत परिसरों को अभी तक तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जोड़ा जा चुका है। परियोजना के तहत 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति WAN से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसका 97.86 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि विधि विभाग ने BSNL के साथ मिलकर शेष अदालत परिसरों को भी संपर्क मुहैया कराने के काम में संलग्न है।
इन अदालत परिसरों को ऑप्टिक फाइबर केबल (OFC), रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF), वैरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल (V-SAT) इत्यादि से जोड़ा जाना था। मई, 2018 में इन सभी परिसरों को मैनेज्ड एमपीएलएस–वीपीएन सेवा से जोड़ने का कार्य BSNL को सौंपा गया था।
ई-अदालत परियोजना के तहत आने वाले बहुत से अदालत परिसर ऐसे दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं जहां संपर्क उपलब्ध कराने के लिए स्थलीय केबल का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे इलाकों को तकनीकी तौर पर नहीं जुड़ने योग्य (TNF) कहा जाता है। विधि विभाग ने इस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिए इन TNF स्थलों पर RF और V-SAT आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों से संपर्क उपलब्ध कराया।
कोविड-19 महामारी के माहौल में संपर्क का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि अदालतों पर मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करने का बहुत भारी दबाव पड़ रहा है। विधि विभाग ने इसके लिए बीएसएनएल, एनआईसी, ई-कमेटी आदि के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया है, जो इस बदले हुए माहौल में बैंडविड्थ की आवश्यकता की समीक्षा करेगी।
विधि विभाग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ मिलकर डिजिटल अंतरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और न्याय तंत्र में बदलाव तथा आम नागरिक की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
सरकार ने ई-अदालत परियोजना के पहले चरण के दौरान 14,249 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी थी। ई-अदालत परियोजना का लक्ष्य वादी, वकीलों और न्याय तंत्र को देश भर की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के जरिए न्याय तक उचित पहुंच बनाने के लिए सेवाएं मुहैया कराना था।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर की सभी अदालतों के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के जरिए भविष्य में और अधिक ICT पहुंच बढ़ाने की परिकल्पना के साथ दूसरे चरण को जुलाई, 2015 में मंजूरी दी थी। यह कार्य 1670 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना था और इसके तहत 16845 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट का रुख जारी है। शुक्रवार को कुल सक्रिय मामलों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से घटकर 3,63,749 हो गई। 146 दिनों के बाद यह सबसे कम संख्या है। 18 जुलाई को कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,58,692 थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
वर्तमान सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों के केवल 3.71 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 37,528 मरीज ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या में 8,544 की गिरावट आई है।
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पिछले 24 घंटों के दौरान 30,000 से भी कम दैनिक नये मामले सामने आए हैं। यानी दैनिक नये मामलों की संख्या 29,398 रही है।
कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या अब लगभग 93 लाख (92,90,834) हो गई है। ठीक हुए रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है। आज यह बढ़कर 89 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में यह संख्या 89,27,085 हो गई है। नये मामलों की तुलना में नई रिकवरी अधिक होने से रिकवरी दर बढ़कर 94.84 प्रतिशत हो गई है।
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72.39 प्रतिशत नये मामले दस राज्यों के हैं। केरल में सबसे अधिक दैनिक नये मामले दर्ज हुए हैं। यहां 4,470 दैनिक नये मामलों का पता चला है। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,824 नये मामले सामने आए।
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पिछले 24 घंटों में 414 मरीजों की मौत होने का पता चला है। 79.95 प्रतिशत मौत के नये मामले दस राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 70 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 61 और 49 दैनिक मौत मामले दर्ज हुए हैं।
देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 44,489 नए पुष्ट मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 60.72 प्रतिशत मामले अकेले छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरूवार को जारी आंकड़ों के अनुसार केरल में सबसे अधिक 6,491 नए मामले दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र में 6,159 व दिल्ली में 5,246 नए मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले 24 घंटों में 524 रोगियों की मृत्यु हुई है। मौत के मामलों में भी 60.50 प्रतिशत छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई हैं।
इन छह राज्यों में से महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल वे चार राज्य हैं, जहां प्रतिदिन सबसे ज्यादा नये मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
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मौत के नये मामलों में सबसे ज्यादा 99 दिल्ली में, 65 महाराष्ट्र में और 51 पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए हैं।
देश में वर्तमान सक्रिय मामलों की संख्या (4,52,344) कुल सक्रिय मामलों का 4.88 प्रतिशत है और यह पांच प्रतिशत के स्तर से नीचे बना हुआ है।
भारत में ठीक होने वाले रोगियों की कुल संख्या 86,79,138 है। रोगियों के ठीक होने की दर आज 93.66 प्रतिशत पर आ गई। देश में पिछले 24 घंटों में 36,367 मामलों में रोगी ठीक हुए हैं।
वैश्विक कोरोना महामारी ने न्यायिक सेवा संस्थानों के कामकाज के तरीकों को भी बदल दिया है। कोविड-19 की परिस्थितियों के बीच न्याय तक पहुंच बनाने के लिए न्यायिक सेवा अधिकारियों ने परम्परागत पद्धति को तकनीकी के साथ जोड़ दिया।
न्यायिक सेवा प्राधिकारी नए तरीके अपनाकर लोक अदालत को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ले आए। विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार विगत जून से अक्टूबर तक 15 राज्यों में 27 ई-लोक अदालतें आयोजित की गई, जिनमें 4.83 लाख मामलों की सुनवाई हुई। इनमें 1409 करोड़ रुपये के 2.51 लाख मामलों का निराकरण किया गया।
चालू नवम्बर माह के दौरान अभी तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना में आयोजित ई-लोक अदालतों में 16,651 मामलों की सुनवाई हुई है। इनमें 107.4 करोड़ रुपये के 12,686 विवादों का निपटारा हुआ है।
ऑनलाइन लोक अदालत, यानी ई-लोक अदालत न्यायिक सेवा संस्थानों का एक नवाचार है, जिसमें अधिकतम लाभ के लिए टैक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। यह घर बैठे लोगों को न्याय देने का प्लेटफार्म बन गया है। ई-लोक अदालतों के आयोजनों से खर्च में भी कटौती हुई है।
क्या हैं लोक अदालत
लोक अदालतें विवादों के वैकल्पिक समाधान का तरीका है, जिसमें मुकदमाबाजी से पहले के और अदालतों में लंबित मामलों को मैत्रीपूर्ण आधार पर सुलझाया जाता है। इसमें मुकदमे का खर्च नहीं होता। यह नि:शुल्क है।
मुकदमे से संबंधित पक्षों में सहमति के प्रयास किए जाते हैं। इस कारण दोनों पक्षों को जटिल व खर्चीली न्यायिक प्रक्रिया के बोझ से छुटकारा मिलता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, (पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की गाजियाबाद में चल रही बैठक में पर्यावरण संरक्षण व वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को और अधिक गंभीरता व जिम्मेदारी के साथ कार्य करने का आह्वान किया गया। कहा गया कि सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन को कार्य का आधार बनाना चाहिए। बैठक में संघ कार्य की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के साथ आगामी कार्यक्रमों पर विचार किया गया।
उल्लेखनीय है कि संघ की प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी मंडल की बैठक आयोजित होती है। मगर कोरोना काल को देखते हुए इस वर्ष यह बैठक क्षेत्रीय स्तर पर हो रही है। संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में मेरठ, ब्रज व उत्तरांचल प्रान्त शामिल हैं। गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में चल रही दो दिवसीय बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश जोशी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, डॉ कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, मुकुंद जी, अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र, अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले सहित 3 प्रान्तों के 20 प्रतिनिधि उपस्थित हैं।
बैठक में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना के कारण सामाजिक परिवेश में परिवर्तन आया है। इस बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को अपनी कार्य भूमिका बदलने की आवश्यकता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना के कारण ऑनलाइन व परिवार शाखाओं को अब अपने पूर्व स्वरूप में आना चाहिए। शाखाओं को कोरोना संबंधी सावधानियों के साथ शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए खुले मैदानों में लगाने की बात की गई। राष्ट्रभक्ति, सेवा, संस्कार की भावना मजबूत करने के लिए साप्ताहिक कुटुंब-बैठकें प्रारम्भ करने का आह्वान किया गया। भारत की प्राचीन कुटुम्ब परंपरा में परस्पर स्नेह व सामंजस्य विशेषता रही है।
सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भय्याजी जोशी) के अनुसार पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण संरक्षण का विषय आता है तो जल प्रबंधन, जल के दुरुपयोग की रोकथाम, प्लास्टिक उपयोग पर रोक जैसे जागरूकता अभियान चलाने होंगे। समाज में अधिक से अधिक पौधारोपण की अलख जगानी होगी। सभी प्रान्तों ने अपने यहां चल रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों व अभियानों की जानकारी बैठक में दी।
बैठक में स्वदेशी निर्मित सामान के उपयोग से भारत को आर्थिक रूप से सशक्त करने की अवधारणा को साकार करने पर जोर दिया गया। इसके लिए छोटे उद्योग, ग्रामीण कुटीर उद्योग का सहयोग करने की बात कही गई। बैठक में कोविड-19 के दौर में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की चर्चा-समीक्षा भी हुई। (विश्व संवाद केंद्र)
दो दिन तक गिरावट के बाद देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर बढ़ें हैं। हालांकि, नए मामलों की तुलना में प्रतिदिन ठीक होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने का ट्रेंड जारी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कोविड-19 के 38,617 नए मामले सामने आए हैं। इससे पूर्व लगातार दो दिन तक नए मामलों की संख्या प्रतिदिन 30 हजार से नीचे थी।
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पिछले 24 घंटों के दौरान 44,739 मरीज ठीक हुए हैं। इससे सक्रिय मामलों की संख्या में 6,122 कमी आ गई, जिससे अब देश में सक्रिय मामले 4,46,805 रह गए हैं। यानी सक्रिय मामलों का प्रतिशत 5.01 रह गया है।
कोरोना से ठीक होने वाले कुल मामले 83,35,109 हैं। इससे रिकवरी दर 93.52 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
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रिकवरी के नए मामलों में से 74.98 प्रतिशत मामले दस राज्यों के हैं। केरल में कोविड से सबसे अधिक 6,620 व्यक्ति ठीक हुए हैं। महाराष्ट्र ने 5,123, दिल्ली ने 4,421 व पश्चिम बंगाल ने 4388 नई रिकवरी दर्ज की गई है।
नए मामलों में दिल्ली में पिछले 24 घंटों में 6,396 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। केरल में 5,792, पश्चिम बंगाल में 3,654, महाराष्ट्र में 2732, हरियाणा में 2450, राजस्थान में 2194 नए मामले दर्ज किए गए।
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पिछले 24 घंटों में 474 मौतें हुई हैं। इनमें 20.89 प्रतिशत मौतें दिल्ली से हुई हैं। यहां 99 मौतें हुई हैं। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 68 और 52 नई मौतें हुई हैं। पंजाब में 30, केरल में 27 व हरियाणा में 25 कोरोना पॉजिटिव को जान से हाथ धोना पड़ा।