केदारनाथ-बद्रीनाथ में हुई बारिश, ऊंचे पहाड़ी इलाकों में हिमपात..
उत्तराखंड: रविवार की देर शाम केदारनाथ में मौसम ने करवट ली और हल्की बारिश शुरू हो गई, जबकि ऊंची पहाड़ियों पर इस सीजन का पहला हिमपात दर्ज किया गया, जिससे केदारपुरी में ठंडक बढ़ गई। सुबह से ही धाम का मौसम बेहद सुहावना था और जैसे-जैसे दिन चढ़ा, तेज धूप ने यात्रा के उत्साह को और भी बढ़ा दिया। वही बद्रीनाथ धाम में करीब डेढ़ घंटे तक बारिश हुई, जिससे मौसम ठंडा हो गया और हिमालय की पहाड़ियों पर घना कोहरा छा गया। शाम छह बजे के बाद केदारनाथ में हल्की बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो लगभग आधे घंटे तक जारी रहा। इस दौरान चोराबाड़ी, वासुकीताल और दुग्ध गंगा की ऊपरी पहाड़ियों पर भारी हिमपात हुआ, जिससे क्षेत्र की सुंदरता में और भी निखार आ गया।
25 मई से गौचर से बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए शुरू होगी हेली सेवा..
उत्तराखंड: तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए इस बार गौचर से बद्रीनाथ और हेमकुंड साहेब के लिए हेली सेवा की सुविधा मिलेगी। आगामी 25 मई से गौचर हवाई पट्टी से सेवा के शुरू होने की उम्मीद है। सरकार की उड़ान योजना के तहत देहरादून से गौचर तक हवाई सेवा संचालित हो रही है, जिससे यात्री गौचर आ सकते हैं। 25 मई से यहां से बद्रीनाथ और हेमकुंड साहेब के लिए हेली सेवा शुरू होगी। गुरुद्वारा हेमकुंड साहेब ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा का कहना हैं कि 25 मई को हेमकुंड साहेब की यात्रा शुरू होने पर सरकार ने यहां हेली सेवा शुरू करने का निर्णय लिया है। यात्री दिन में हेलीकॉप्टर से गौचर से गोविंदघाट, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब आ जा सकेंगे।
पहली बार एक दिन में बद्रीनाथ पहुंचे 28 हजार श्रद्धालु..
एक लाख पार हुई दर्शनार्थियों की संख्या..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम की यात्रा ने अब रफ्तार पकड़ ली है। रविवार को बद्रीनाथ धाम में 28 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। यात्रा के इतिहास में यह पहली बार है जब धाम में एक दिन में इतने अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। वहीं बद्रीनाथ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख के पार हो गई है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा 12 मई से शुरू हुई थी। शुरू के चार दिन यात्रा की रफ्तार धीमी रही, लेकिन अब यात्रा नए रिकॉर्ड बना रही है। शनिवार और रविवार को धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आलम यह रहा कि दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की करीब ढाई किमी लंबी लाइन लगी हुई थी। बद्रीनाथ मंदिर से इंद्रधारा तक (माणा की ओर) श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही। सुबह लगी लाइन देर शाम तक खत्म नहीं हो पाई थी। धाम में रविवार को 28,055 श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे। वहीं अब तक धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 1,20,757 हो गई है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ का कहना हैं कि रविवार को बद्रीनाथ धाम में 28 हजार श्रद्धालु पहुंचे। धाम में एक दिन में आने वाले श्रद्धालुओं की यह अभी तक की सबसे अधिक संख्या है। धाम में अब तक एक लाख 20 हजार तक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
पीएम मोदी आ रहे हैं उत्तराखंड..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बद्रीनाथ के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर सीमांत जनपद चमोली में काफी उत्साह देखा जा रहा है। प्रशासन और पुलिस महकमा भी प्रधानमंत्री के इस संभावित दौरे को लेकर व्यस्त है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 अक्टूबर को बद्रीनाथ आयेंगे। अभी तक प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार वे 21 तारीख की रात बद्रीनाथ में ही रहेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा भी जाता है कि भगवान के दर्शन के बाद एक रात धाम में विश्राम से पुण्य लाभ मिलता है। पंडित विश्वेश्वर प्रसाद खंडूरी और दीपक नौटियाल का कहना हैं कि यात्रा में धाम पर रात्रि विश्राम एक साधना ही है। यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बद्रीनाथ में रात्रि विश्राम करेंगे तो वर्षों बाद वे ऐसे प्रधानमंत्री होंगे, जो रात्रि निवास बद्रीनाथ में करेंगे।
हालांकि अभी तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बद्रीनाथ दौरे का आधिकारिक और समयबद्ध कार्यक्रम प्रशासन के पास नहीं आया है। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान की पूजा अर्चना अभिषेक, आरती करेंगे। प्रधानमंत्री के बद्री विशाल के दर्शन कार्यक्रम को देखते हुए मंदिर को खूब सजाया जा रहा है। दिवाली प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार 22 अक्तूबर को ज्योति पर्व की पूर्व बेला पर प्रधानमंत्री सेना के जवानों के बीच दीवाली मनायेंगे। इसको लेकर सेना में भी खूब उत्साह है।
पीएम मोदी के सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने बद्रीनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों का लिया जायजा..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भाष्कर खुल्बे आज बदरीनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर पूजा अर्चना की। इसके साथ ही उन्होंने बद्रीनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने उनका स्वागत किया। उनके साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगलेश घिल्ड़ियाल भी मौजूद रहे।
बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 13 लाख के पार पहुंच गया है। सोमवार तक धाम में 13,05636 श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर चुके हैं। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ का कहना हैं कि इन दिनों धाम में बड़ी संख्या में यात्री पहुंच रहे हैं। यात्रा के लिए सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य किया है। बद्रीनाथ , केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के लिए तीर्थयात्री और श्रद्धालु पर्यटन विभाग की वेबसाइट http://registrationandtouristcare.uk.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण करें। वहीं, केदारनाथ हेली सेवा के लिए https://heliservices.uk.gov.inपर ऑनलाइन बुकिंग करें।
पीएम मोदी के सपने के अनुरूप बद्रीनाथ धाम भी सवंरेगा..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप नए कलेवर में निखर रही केदारपुरी के बाद अब बद्रीशपुरी भी संवरेगी। शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ से जिस तरह देवभूमि की ब्रांडिंग की, उससे अब देश के चारधामों में से एक बद्रीनाथ पर राज्य सरकार ध्यान केंद्रित करने जा रही है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर ही बद्रीनाथ धाम के लिए चार सौ करोड़ से अधिक लागत की महायोजना तैयार की गई है। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी तीन चरणों में सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा। अब सरकार की मंशा बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करने की है।
प्रधानमंत्री के निर्देश पर बद्रीनाथ धाम के लिए चार सौ करोड़ से ज्यादा की लागत की महायोजना तैयार की गई है। शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ यात्रा के दौरान देवभूमि की जमकर ब्रांडिंग की। इससे प्रभावित होकर राज्य सरकार अब बद्रीनाथ पर भी ध्यान केंद्रित करने जा रही है। केदारनाथ की तरह यहां भी तीन चरणों में सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करने की योजना है। केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा के दौरान पीएम मोदी ने बद्रीनाथ धाम के लिए भी महायोजना बनाने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार का मास्टर प्लान बनकर तैयार है। पीएम कार्यालय में इसका प्रजेंटेशन हो चुका है। धाम में सुविधाएं विकसित करने के लिए विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड से दो सौ करोड़ से अधिक की राशि जुटाई जा चुकी है। प्रस्तावित कामों को धरातल पर उतारने के लिए प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट की तैनाती कर दी गई है।
प्रोजेक्ट के तहत धाम में केदारनाथ की तरह ही मंदिर के चारों तरफ जगह खुली रखी जाएगी। यात्रियों के लिए वन-वे सिस्टम बनेगा। बद्री व शेषनेत्र झील का सौंदर्यीकरण, अस्पताल का विस्तारीकरण, रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, मंदिर व घाट का सौंदर्यीकरण, स्ट्रीट स्कैपिंग और पार्किंग जैसे काम मास्टर प्लान का हिस्सा हैं। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर का कहना हैं कि बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए प्रथम चरण के कार्य निर्धारित कर दिए गए हैं।
20 नवंबर को बंद होंगे श्री बद्रीनाथ के कपाट..
उत्तराखंड: विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि आज शुक्रवार विजयदशमी के दिन विधि-विधान पंचाग गणना के पश्चात तय हुआ कि बद्रीनाथ के कपाट 20 नवम्बर को साय 6:45 पर बंद होंगे।
आपको बता दे कि शीतकाल हेतु श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि प्रत्येक यात्रा वर्ष विजय दशमी के दिन तय की जाती है। आज विजय दशमी को श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा के अलावा पंच पूजाओं का कार्यक्रम,श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी के पांडुकेश्वर आगमन तथा श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ आने का कार्यक्रम भी घोषित हुआ साथ ही आगामी यात्राकाल 2022 के लिए हक हकूकधारियों को पगड़ी भेंट की गई।
वही द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु सोमवार 22 नवंबर को प्रात: साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो जायेंगे। जबकि श्री मद्महेश्वर मेला बृहस्पतिवार 25 नवंबर को आयोजित होगा। जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट शनिवार 30 अक्टूबर को दिन 1 बजे अपराह्न शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
आज पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पुजारी-आचार्यगणों एवं पंचगाई हक-हकूकधारियों तथा देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों- कर्मचारियों की उपस्थिति में विधि-विधान पूर्वक पंचाग गणना के पश्चात कपाट बंद होने की तिथि तय की गयी। तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तय हुई है। कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी।
25 नवंबर को चल विग्रह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी 25 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जायेगा। श्री तुंगनाथ जी की चलविग्रह डोली 30 अक्टूबर को चोपता,31 अक्टूबर को भनकुंड तथा 1 नवंबर को गद्दीस्थल श्री मार्कंडेय मंदिर में विराजमान होंगी इसी के साथ गद्दीस्थलों में शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेंगी।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर हक-हकूकधारियों ने किया बद्रीनाथ कूच..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर उत्तराखंड के चारों धाम में का आंदोलन जारी है। इसी क्रम में आज सोमवार को हक-हकूकधारियों ने बद्रीनाथ धाम कूच किया। जिसे देखते हुए बद्रीनाथ पुल के समीप पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई है। इस दौरान बद्रीनाथ धाम कूच कर रहे हक-हकूकधारियों को पुलिस ने बद्रीनाथ पुल पर रोक दिया। यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई।
बैरिकेडिंग होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाए हक-हकूकधारी..
हक-हकूकधारी हाथ में बद्रीनाथ धाम के प्रसाद के साथ साकेत तिराहे से बद्रीनाथ धाम के लिए निकले, लेकिन पुल पर पुलिस की बैरिकेडिंग होने के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए। प्रसाद की थाली के साथ अभी भी आंदोलनकारी वहीं जमे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने एलान किया कि जब तक यात्रा का संचालन शुरू नहीं किया जाता आंदोलन जारी रखा जाएगा। इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। चारधाम यात्रा का संचालन न होने से यात्रा पड़ावों से लेकर धामों तक लोगों की आजीविका ठप पड़ गई है। सभी पर्यटन स्थल खोल दिए गए हैं, लेकिन चारधाम यात्रा का संचालन रोका गया हैं।