धर्मनगरी हरिद्वार में श्री गंगा सभा की देव दीपावली आज, जलाए जाएंगे 11 हजार दीए..
उत्तराखंड: कार्तिक के पवित्र माह में आयोजित होने वाला देव दीपावली का पर्व आज गुरुवार को धर्मनगरी हरिद्वार में आयोजित किया जाएगा। यह पर्व श्री गंगा सभा के तत्वावधान में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना हैं कि ब्रह्मकुंड हरकी पैड़ी पर हजारों दीए प्रज्ज्वलित कर भगवान विष्णु और समस्त देवताओं का पूजन किया जाएगा।
प्रज्ज्वलित किए जाएंगे ग्यारह हजार दीये..
प्रतिवर्ष तीर्थ पुरोहित हरकी पैड़ी पर हजारों दीए प्रज्ज्वलित कर देव दीपावली का उत्सव मनाते हैं। इस वर्ष ग्यारह हजार दीये प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी भी तीर्थ पुरोहितों के साथ आयोजन में मुख्य रूप से उपस्थित रहेंगे।
आपको बता दे कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष (निरंजनी) श्रीमहंत रविंद्र पुरी और श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने इस मौके पर स्थानीय निवासियों और धर्मनगरी आए श्रद्धालुओं से नजदीक के सभी गंगाघाटों पर पांच-पांच दीपक जलाने का आह्वान किया है। महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना हैं कि ब्रह्मकुंड हरकी पैड़ी पर यह आयोजन गुरुवार की शाम धूमधाम से किया जाएगा।
महाकुंभ के दौरान आयोजित हो रही विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय
मार्गदर्शक मंडल की बैठक में प्रमुख साधू-संतों के अलावा विहिप
के केंद्रीय पदाधिकारी भाग लेंगे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
महाकुंभ के आयोजन के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार 9 अप्रैल को हरिद्वार में होगी। प्रात: 10 बजे से सायं 6 बजे तक चलने वाली यह बैठक भोपतवाला स्थित अखंड परमधाम आश्रम में होगी।
मार्गदर्शक मंडल की इस बैठक में देशभर के वरिष्ठ साधू-संतों के अतिरिक्त विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय, विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे, केन्द्रीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र सहित अनेक केंद्रीय पदाधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
बैठक में श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान तथा मंदिर निर्माण, हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता व सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, धर्मांतरण व लव जिहाद जैसे अनेक सम-सामयिक विषयों पर चर्चा की संभावना है। विहिप हिन्दू मंदिरों की स्वायत्तता की पक्षधर है और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखना चाहती है।
हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए घोषित अपने संकल्प पत्र में भाजपा ने जब धर्मांतरण का विरोध और मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने की बात कही, तो विहिप ने भाजपा की इस घोषणा का बयान जारी कर स्वागत किया था।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत लगभग 50 से अधिक मंदिरों को अधिग्रहित कर बनाए गए उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहित समाज और स्थानीय हक-हकूकधारी नाराज हैं। विहिप की मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के अभियान से देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे लोगों के पक्ष को मजबूती मिलेगी।
कोरोना महामारी को देखते हुए हरिद्वार कुंभ में ड्यूटी पर तैनात कार्मिकों का शत-प्रतिशत वैक्सिनेशन सुनिश्चित किया जाएगा। गर्भवती एवं धात्री महिला सहित कोन्ट्राइन्डिकेशन (किसी प्रकार के विपरीत संकेत) वाले मामलों को छोड़कर अन्य किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी ने टीका लगाने से इनकार किया तो उन पर सख्त कार्रवाई होगी। ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों कुंभ क्षेत्र में नहीं रखा जाएगा और उनका स्थानांतरण किया जाएगा।
यह निर्देश उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरुवार को सचिवालय में कोविड-19 वैक्सिनेशन हेतु आयोजित स्पेशल टास्क फोर्स की बैठक में दिए। मुख्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को सख्त निर्देश दिए कि कुंभ ड्यूटी में लगे लोगों का 100 प्रतिशत वैक्सिनेशन करवाना सुनिश्चित करें।
उन्होंने गर्भवती एवं धात्री महिला सहित कोन्ट्राइन्डिकेशन के मामलों को छोड़कर अन्य रिफ्यूजल पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा जो अधिकारी कर्मचारी वैक्सिनेशन नहीं करवा रहे हैं, उन्हें हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र में न रखा जाए। उनका स्थानान्तरण किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले पुलिस और पैरा मिलिट्री कार्मिकों का भी तुरंत वैक्सिनेशन किया जाना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उन्होंने हरिद्वार में अन्य जनपदों से आने वाले कार्मिकों के वैक्सिनेशन स्टेटस का पता कर उनका वैक्सिनेशन करने के निर्देश दिए।
उत्तर प्रदेश से आएगा 100 चिकित्सकों का दल
मुख्य सचिव ने बताया कि 15 मार्च तक उत्तर प्रदेश से भी 100 डॉक्टर्स एवं 148 पैरामेडिकल स्टाफ पहुंच जाएगा। उन्होंने उनके रहने की व्यवस्था अस्पतालों के आसपास सुनिश्चित करने को कहा।
इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, पंकज कुमार पाण्डेय, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ पूरी तरह से ’बेदाग’ होगा। देश और दुनिया से जो श्रद्धालु यहां आएंगे हमारी सरकार उनकी हर अपेक्षा और आशंका पर पूर्ण रूप से खरी उतरेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री ने लालतप्पड़ फ्लाई ओवर के साथ ही कुंभ मेला क्षेत्र में विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि सभी कार्य सुव्यवस्थित तरीके से किए जा रहे हैं और अपूर्ण कार्यों को समय पर पूरे करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र, मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अन्य अधिकारियों के साथ सड़क मार्ग से हरिद्वार पहुंचे। रास्ते में उन्होंने विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। हरिद्वार में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ मेला क्षेत्र में कुल 86 निर्माण कार्य स्वीकृत थे जिनमें से दो बाद में निरस्त किये गए थे। शेष 84 में से अधिकांश कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। सभी कार्य बढ़िया और व्यवस्थित तरीके से किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। कोरोना अब नए स्ट्रेन में संक्रमित हो रहा है। ऐसे में कुम्भ को दिव्य और भव्य के साथ सुरक्षित बनाना भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिये केंद्र सरकार ने गाइडलाइन (SOP) जारी की है। एसओपी के मुताबिक ही कोरोना से बचाव के अनुकूल कुंभ की व्यवस्थाएं होंगी। कुंभ में श्रद्धालुओं को स्वच्छता, आस्था, धार्मिक परम्पराएं व लोक संस्कृति देखने को मिलेंगी। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुंभ का आयोजन पूरे उत्साह और उमंग के साथ किया जाएगा।
मकर संक्रांति के पर्व पर गुरूवार को हरिद्वार में श्रद्धालुओं को रैला उमड़ पड़ा। लगभग 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्यलाभ अर्जित किया। कोरोना काल में यह पहला अवसर था, जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु किसी पर्व पर एकत्र हुए।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार बुधवार रात्रि 12 बजे के बाद से ही हरिद्वार में हर की पैड़ी एवं अन्य घाटों पर स्नानार्थियों का आवागमन शुरू हो गया। सूर्योदय के साथ ही होटल, धर्मशाला, लॉज, आश्रम आदि में ठहरे हुए श्रद्धालु गंगा स्नान के लिये घाटों पर पहुंचने लगे।
सुबह कोहरे व कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। दिन चढ़ने के साथ कोहरा छंटा तो तमाम घाटों पर भीड़ बढ़ गई। स्नान का क्रम शाम तक चलता रहा। हरिद्वार के वीआईपी घाट पर लगभग २०० लोगों ने स्नान किया। इनमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, दिल्ली से सांसद व भोजपुरी गायक मनोज तिवारी समेत कई जज, वरिष्ठ अधिकारी आदि शामिल थे।
घाटों, गलियों तथा पैदल मार्ग पर लगे पुलिस बल द्वारा पैदल यातायात व्यवस्था का पालन सुनिश्चित कराते हुए स्नानार्थियों को स्नान घाटों तक पहुंचने में सहायता की गई। इस दौरान कोविड सम्बंधित गाइड लाइन का पालन न करने वाले लगभग 974 लोगों का चालान भी किया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। सीसीटीवी कैमरों, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्यॉड के अलावा भारी पुलिस बल सुरक्षा में तैनात किया गया था। लाखों लोगों की उपस्थिति के बाद भी स्नान शांतिपूर्वक निपटने पर प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।
जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
हरिद्वार स्थित ब्रह्मऋषि दूधाधारी बर्फानी अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान ने उसके द्वारा विकसित होम्योपैथी दवा को कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर होने का दावा किया है। संस्थान ने होम्योपैथी पर आधारित इस शोध प्रस्ताव का सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया। केंद्रीय मंत्री ने शोध के दावों के मूल्यांकन और पुष्टिकरण के लिए इसे आयुष मंत्रालय को भेज दिया है।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड-19 से बचाव और इलाज को लेकर दुनिया भर में अनेक शोध एवं अध्ययन हो रहे हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारी से लड़ने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में भारत की सभी चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी, योग व नेचुरोपैथी के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि नरेन्द्र मोदी ने जब से प्रधानमंत्री के रूप में देश की सत्ता संभाली है, उनका प्रयास रहा है कि चिकित्सा प्रबंधन में स्वदेशी तंत्र को अधिक से अधिक महत्व दिया जाए। अपने इन प्रयासों के चलते वे चिकित्सा जगत में स्वदेशी को केंद्र में लाने में सफल रहे हैं। मोदी के प्रयासों का परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने सर्वसम्मति से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास किया और आज वर्चुअल माध्यम से योग दुनिया के प्रत्येक घर तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी व्यवस्था को महत्वपूर्ण मानते हुए ही चिकित्सा प्रबंधन के वैकल्पिक तंत्र को विकसित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया है। इसका श्रेय भी प्रधानमंत्री मोदी को जाता है।