उत्तराखंड में 27112 कैंसर रोगियों को मिला निशुल्क इलाज का ‘आयुष्मान..
उत्तराखंड: प्रदेश में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को निशुल्क इलाज का ‘आयुष्मान’ मिला है। अटल आयुष्मान योजना में अब तक 27112 कैंसर मरीजों को मुफ्त उपचार की सुविधा मिली है। जिस पर सरकार ने 50 करोड़ की राशि व्यय की है। अटल आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में अब तक 44 लाख लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बने हैं।
जिसमें 3.38 लाख को पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। इसमें 27112 कैंसर ग्रसित मरीजों को इलाज कराया गया। इसके अलावा 1.33 लाख मरीजों की डायलिसिस की गई। कैंसर के इलाज पर 50 करोड़ की राशि सरकार ने व्यय की है।
आपको बता दे कि आयुष्मान योजना कैंसर रोगियों के लिए वरदान साबित हुई है। कैंसर का इलाज महंगा होने के बाद आम मरीज के लिए उपचार करना संभव नहीं हो पाता था। लेकिन आयुष्मान योजना में कैंसर का इलाज करना आसान हुआ है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया का कहना है कि आयुष्मान योजना में 3.38 लाख से अधिक मरीजों का पंजीकृत अस्पतालों में इलाज कराया गया। जिस पर 497 करोड़ की खर्च की गई। इसमें कैंसर, डायलिसिस का उपचार लेने वाले मरीजों की संख्या अधिक है।
आयुष्मान में इलाज कराने वाले मरीज..
उपचार मरीज
डायलिसिस 133015
कैंसर 27112
सीटी स्कैन, एमआरआई 10043
मोतियाबिंद ऑपरेशन 9346
फेफड़ों का इलाज 5277
गुर्दों की बीमारी का इलाज 5426
उत्तराखंड में आयुष्मान भारत एवं अटल आयुष्मान योजना के निःशुल्क कार्ड बनाने के लिये राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा अब न्याय पंचायत स्तर पर शिविरों के माध्यम से पात्र लाभार्थियों के कार्ड बनाये जाएंगे।
अभियान को सफल बनाने के लिए शनिवार को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष दिलीप कुमार कोटिया ने राज्य के 600 ग्राम प्रधानों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। कोटिया ने प्रधानों से कहा कि आयुष्मान कार्ड बनवाने में प्रधानों की विशेष भूमिका है।
ज्ञातव्य है कि आयुष्मान कार्ड के लिये अभी तक 30 रूपये का शुल्क लिया जा रहा था। मगर भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार द्वारा निःशुल्क कार्ड बनाए जाने के निर्णय उपरान्त राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा न्याय पंचायत स्तर पर जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से शिविर आयोजित कर सभी के कार्ड बनाये जाने के लिए विशेष रणनीति अमल में लायी जा रही है।
अभी तक 30 रूपये शुल्क देकर 43 लाख कार्ड बन गये हैं और लगभग 35 लाख कार्ड बनाए जाने शेष हैं। कोटिया ने बताया कि यह शिविर राज्य के 662 न्याय पंचायतों में दो चरणों कमशः 23 से 27 मार्च 2021 तथा 30 मार्च से 5 अप्रैल 2021 के दौरान लगाए जाएंगे। कार्ड बनाये जाने के लिये पंचायती राज तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारियों द्वारा सहयोग किया जाएगा और उनके स्तर से आयुष्मान कार्ड बनाये जाने के लिये पात्र लाभार्थियों को प्रेरित भी किया जाएगा।
वीडियो कांफ्रेंस के दौरान जानकारी दी गई कि आयुष्मान कार्ड बनाए जाने के दौरान प्रत्येक विकास खण्ड के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली प्रथम तीन ग्राम पंचायतों को विशेष रूप से पुरस्कृत किया जाएगा और पूरे जिले के अंतर्गत सबसे उत्तम कार्य करने वाली ग्राम पंचायत को राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा विशेष सम्मान व पुरस्कार दिया जाएगा।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा उन सभी लोगों की सूची जन सेवा केन्द्रों को उपलब्ध करा दी गयी है जिनके कार्ड बन गए हैं और इस सूची के आधार पर छूटे हुए लोगो के कार्ड बनाये जाने का विवरण ग्राम प्रधानों को उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उन्हें चिन्हित करते हुए कार्ड बनाए जा सके।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के साढ़े तीन वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से पत्रकारों से बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों को विस्तार से गिनाया और कहा कि सरकार ने जनता से किये गए 85 फीसदी वादे पूरे किए हैं। उन्होंने कहा की सुशासन और जीरो टाॅलरेंस आन करप्शन सरकार की प्राथमिकता में शामिल रहा है।
वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम कर रही है। इसमें 4 वानर रेस्क्यू सेंटरों की स्थापना, 125 किमी जंगली सूअर रोधी दीवार, 50 किमी सोलर फेंसिंग, 13 किमी हाथी रोधी दीवार, 250 किमी हाथी रोधी खाईयों का निर्माण शामिल है।
महिला पौधालय व इको क्लब
महिला पौधालयों की स्थापना पर भी काम किया जा रहा है, जिसमें कि लगभग 20 हजार महिलाओं को रोजगार सम्भावित है। एक वैश्विक स्तर का साईंस काॅलेज और प्रदेश के 5 हजार स्कूलों में हिमालय इको क्लबों की स्थापना की कार्ययोजना भी बनाई गई है।
रोजगार
मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 तक सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में कुल 7 लाख 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इनमें से नियमित रोजगार लगभग 16 हजार, आउटसोर्स व अनुबंधात्मक रोजगार लगभग 1 लाख 15 हजार और स्वयं उद्यमिता/प्राईवेट निवेश से प्रदान और निर्माणाधीन परियोजनाओं से रोजगार लगभग 5 लाख 80 हजार है। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2014 से 2017 तक कुल 08 परीक्षाएं आयेाजित की गईं, जिनमें 801 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 59 परीक्षाएं आयोजित की गईं जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 7200 पदों पर अधियाचन/भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।
मनरेगा व कैम्पा
मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रूपए अतिरिक्त व्यय किए गए हैं। आगामी तीन माह में कैम्पा के अंतर्गत 40 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
युवाओं और प्रदेश में लौटे प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई। एमएसएमई के तहत इसमें ऋण और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें लगभग 150 प्रकार के काम शामिल किए गए हैं।
गैरसैंण, उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। इसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब गैरसैण में राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
चारधाम देवस्थानम बोर्ड
भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है।
अटल आयुष्मान योजना
अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रूपए वार्षिक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखण्ड, देश का पहला राज्य है। अभी 2 लाख 5 हजार मरीजों को योजना में निशुल्क उपचार मिला है। जिस पर 180 करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं।
कार्यसंस्कृति में सुधार
ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाईन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस सरकार की प्रमुख नीति है।
इन्वेस्टर्स समिट
इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 25 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। अगले डेढ़ वर्ष में इसे 40 हजार करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
रिवर्स पलायन पर सुनियोजित प्रयास
पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखण्ड में पहली बार किसी सरकार ने रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है। एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है।
ग्रोथ सेंटर
सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है।
बिना ब्याज के ऋण
किसानों को तीन लाख रूपए और महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के गन्ना किसानों को अवशेष गन्ना मूल्य का शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया गया है।
नए पर्यटन केंद्रों का विकास
13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। विभिन्न रोपवे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।
जलसंरक्षण और जलसंवर्धन
जलसंरक्षण और जलसंवर्धन पर काफी काम किया गया है। प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक जनअभियान शुरू किया गया है।
डबल इंजन का असर
डबल इंजन का असर साफ-साफ देखा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं। बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना़, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियोजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, भारत नेट फेज -2 परियोजना, एयर कनेक्टीवीटी पर किया जा रहा काम मुख्य है। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां उड़ान योजना में हेली सेवा प्रारम्भ की गई है। श्री बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाया गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
पिछले लगभग साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखण्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। नीति आयोग द्वारा जारी ‘‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’’ में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखण्ड सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल है। राज्य को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं। ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान में ऊधमसिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया। उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया। जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले। मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है।
लोक कल्याणकारी सरकार
आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आंगनबाड़ी सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री के मानदेय में बढ़ोतरी की गई है। वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांगजन पेंशन की राशि को 1000 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 1200 रूपए प्रतिमाह किया गया। ग्राम प्रहरियों का मानदेय रूपए 2000 हजार प्रतिमाह किया गया। दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया। उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जहां अनाथ बच्चों की चिंता करते हुए उनके लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। दुर्घटना राहत राशि को मृत्यु पर 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख, गम्भीर घायल होने पर 20 हजार से बढ़ाकर 40 हजार और साधारण घायल होने पर 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया है। शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दी जा रही है। विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की है।
कोविड-19 से लड़ाई, हेल्थ सिस्टम को मजबूती
उत्तराखण्ड में सभी के सहयोग से कोविड-19 से लड़ाई लड़ी जा रही है। परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं। सर्विलांस, सेम्पलिंग, टेस्टिंग पर फोकस किया जा रहा है। राज्य में हेल्थ सिस्टम को मजबूत किया गया है। पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। राज्य के सभी जनपदों में आई0सी0यू0 स्थापित किए जा चुके हैं। मार्च में राज्य में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग सुविधा नहीं थी। वर्तमान में 5 सरकारी और विभिन्न प्राईवेट लेब में कोविड-19 के सेम्पल की जांच की जा रही है। वर्तमान में 481 आईसीयू बेड, 543 वेंटिलेटर, 1846 आक्सीजन सपोर्ट बेड, 30500 आईसोलेशन बेड उपलब्ध हैं। रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। पिछले लगभग तीन साल में पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या में पहले से लगभग ढाई गुना वृद्धि की गई है। टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी लाभदायक साबित हो रही हैं।