सिद्धू 72 दिन के प्रदेश अध्यक्ष, कहा-पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं करूंगा..
देश-विदेश: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।
मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे।
पार्टी की जीत के साथ ही शुरू हुए थे विवाद..
आपको बता दे कि आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई।
लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड एडवेंचर फेस्ट में किया प्रतिभाग..
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर सॉलिटेयर फार्म मालसी, देहरादून में उत्तराखण्ड एडवेंचर फेस्ट में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने पर्यटन पर आधारित लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पर्यटन परियोजनाओं के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक पर्यटन सुविधा एवं निवेश प्रकोष्ठ का निर्माण किया जायेगा।
पर्यटन उद्योगों से संबंधी सभी प्रस्तावों पर विशेष रूप से पर्यटन विभाग द्वारा ही कार्यवाही की जायेगी, न कि उद्योग विभाग के द्वारा। शहरी विकास विभाग और आवास विभाग विशेष रूप से उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों के लिए बहुस्तरीय कार- लिफ्ट स्थान स्थापित करने के लिए एक परियोजना शुरू की जायेगी।
नवंबर, 2021 में कुमाऊं के रामनगर में साहसिक कार्य पर निवेश सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। खेल विभाग की ओर से पंडित नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा। उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को एक स्थायी, पर्यावरण के अनुकूल उद्योग के रूप में विकसित करने के मार्ग तलाशने के लिए पर्यटन मंत्रालय के तहत एक समर्पित ईकोटूरिज्म विंग का गठन किया जाएगा। ईकोटूरिज्म विंग का उद्देश्य दीर्घकालिक विचारों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक सहभागिता व सामाजिक नेतृत्व की भागीदारी के साथ ईकोटूरिज्म का विकास सुनिश्चित करना होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना हैं कि उत्तराखंड प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। हर साल करोड़ों में पर्यटक यहां आते हैं। उनका कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं से उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश – कर्णप्रयाग रेलवे लाइन जैसे निर्माण कार्य आज उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं। राज्य में सड़क, रेल एवं हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। विभिन्न क्षेत्रों में नई पॉलिसी लाई जा रही है एवं उनका सरलीकरण किया जा रहा है।
चारधाम यात्रा: उत्तराखंड शासन ने जारी किया नया आदेश..
उत्तराखंड: नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तराखंड शासन के धर्मस्व विभाग ने चारधाम यात्रा 2021 के लिए तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की है। इसके संबंध में विभाग ने एसओपी जारी किया है। एसओपी के अनुसार श्री बद्रीनाथ धाम हेतु के लिए 1000, श्री केदारनाथ के लिए 800, श्री गंगोत्री के लिए 600 और श्री यमुनोत्री के लिए 400 तीर्थयात्री प्रतिदिन चारों धाम पहुंच सकते हैं।
शासन का कहना है कि 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in में पंजीकृत तीर्थयात्रियों में से प्रतिदिन कम श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इसलिए अब यह संख्या निर्धारित की गई है। नए आदेश में कहा गया हैं कि जो पंजीकृत तीर्थयात्री निर्धारित तिथि को चारधाम यात्रा पर नहीं पहुंच रहे हैं उनके स्थान पर अन्य पंजीकृत तीर्थयात्री चारधाम में दर्शन को जा सकेंगे।
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार, शासन की ओर से चारधाम यात्रा भले ही शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार शासन की ओर से चारधाम में तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से न सिर्फ तीर्थयात्री बल्कि बस और टैक्सी संचालकों के सामने भी मुसीबत खड़ी हो गई है।
स्थिति यह है कि चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं होने से दूसरे राज्यों के तीर्थयात्री न सिर्फ ट्रेन बल्कि ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून से बुक कराई गई टैक्सी और बसों की बुकिंग भी निरस्त करवा रहे। तीर्थयात्रियों के इस कदम ने चारधाम यात्रा के लिए बस और टैक्सी संचालित करने वाले संचालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि सरकार और शासन की ओर से बद्रीनाथ धाम के लिए एक हजार, केदारनाथ धाम के लिए आठ सौ, गंगोत्री के लिए छह सौ और यमुनोत्री धाम के लिए चार सौ तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है।
चारधाम में इतनी कम संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बस और टैक्सी की बुकिंग निरस्त करवा चुके हैं। तीर्थयात्रियों में तमाम ऐसे हैं जो ट्रेन से हरिद्वार, ऋषिकेश को पहुंच गए, लेकिन चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं करा पाने की वजह से उन्होंने बस और टैक्सी की बुकिंग भी निरस्त करा दी ।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
चमोली के नारायणबगड़ में बादल फटने से मची तबाही..
उत्तराखंड: लगातार हो रही बारिश के कारण उत्तराखंड में तबाही मची हुई हैं। आये दिन यहां पर बादल फटने की खबर सामने आ रही हैं। ऐसी ही खबर उत्तराखंड के चमोली जिले से भी सामने आयी हैं। जहां सोमवार तड़के बादल फटने की घटना से तबाही मच गई है। जिले के नारायणबगड़ में तड़के बादल फटने की घटना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मजदूरों के करीब 15 टेंट मलबे में दब गए।
वहीं मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे भी बंद हो गया है। मार्ग को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह नारायणबगड़ के पंती कस्बे के ऊपरी भाग में करीब 6 बजे बादल फटने से मंगरीगाड़ में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।
गधेरे (बरसाती नाले) के सैलाब से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे के किनारे बीआरओ के मजदूरों के करीब 10 से 15 टेंट मलबे में दब गए। जब मलबा आया मजदूर अपने टेंट के अंदर थे। लेकिन जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। मजदूरों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए सभी बच्चों और महिलाओं को सैलाब से बचा लिया। ये सभी मजदूर नेपाल और झारखंड के रहने वाले हैं। मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे बंद हो गया है, जिसे खोलने के प्रयास जारी हैं।
नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील..
घटना के दौरान वह पर मौजूद लोगों का कहना हैं कि कई दोपहिया वाहन व कार भी मलबे में दबे हुए हैं। प्रशासन मौके पर पहुंच गया है। बचाव व राहत के कार्य शुरू कर दिए गए हैं। मजदूरों और उनके बच्चों को गांव के लोगों ने अपने घरों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। बादल फटने की घटना से पूरे क्षेत्र के लोग खौफजदा हैं। स्थानीय जानकारों का कहना है कि नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील है। जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी के मुताबिक घटना में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है।
चारधाम यात्रा के लिए गाइडलाइन जारी, पढ़िए पूरी खबर..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगी रोक हट गई है। इस फैसले से उन कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे वक्त से चारधाम यात्रा की शुरुआत का इंतजार कर रहे थे। आज यानि शनिवार से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। अगर आप भी शनिवार से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं तो इसके लिए नियमों का भलिभांति समझ लें। कहीं ऐसा न हो कि आप चारधाम यात्रा से वंचित रह जाएं।
परिवहन आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी की ओर से शुक्रवार को यात्रा के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी यात्री वाहन को ग्रीन कार्ड या ट्रिप कार्ड के बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यात्रा करने वाले लोग वाहन की आरसी, फिटनेस प्रमाण पत्र, इंश्योरेंस, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र, परमिट, उत्तरखंड राज्य का मोटर वाहन कर जमा कराने का प्रमाण पत्र, चालक का लाइसेंस, ग्रीन कार्ड, ट्रिपकार्ड, यात्री सूची की वैध मूल प्रमाण की प्रति जरूर साथ रखें।
वाहन की लाइट, डीपर, वाईपर, ब्रेक, स्टेयरिंग, टायर की जांच कर लें। वाहन में लाल, सफेद और पीले रिफ्लेक्टर लगाएं। फर्स्ट एड किट, लकड़ी या लोहे का गुटका और अग्निशमन यंत्र रखें। वाहन में टॉर्च, रस्सी, पंचर किट, हवा भरने का पंप रखें। इसके साथ ही वाहन में कूड़ादान और वोमेटिंग बैग भी रखें। यात्रा के दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर का पालन करना होगा।
चारधाम यात्रा के दौरान रात आठ बजे से सुबह पांच बजे तक वाहनों का संचालन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। वाहन में किसी भी तरह का ज्वलनशील पदार्थ एलपीजी, डीजल, पेट्रोल, कैरोसिन टैंक के अलावा अलग से स्टोर न करें। एक चालक एक दिन में लगातार आठ घंटे से अधिक वाहन न चलाए। चप्पल पहनकर वाहन चलाने पर कार्रवाई हो सकती है। मोटर कैब, मैक्सी कैब में टेपरिकॉर्डर का संचालन नहीं किया जा सकता। टूरिस्ट बसों में इस शर्त पर म्यूजिक सिस्टम चलाने की अनुमति होगी कि उसका संचालन कंडक्टर के हाथ में हो।
देर रात फिर हुए तबादले ,19 पीसीएस अधिकारियों के कार्यभार बदले..
उत्तराखंड: देर रात फिर हुए तबादले उदय राज सिंह को अपर सचिव पेयजल बनाया गया गिरधारी सिंह रावत को निदेशक खेल बनाया गया रंजना से प्रबंध निदेशक तराई बीज विकास निगम वापस लिया गया रोहित मीणा को मुख्य कार्यपालक अधिकारी उत्तराखंड खादी ग्राम उद्योग बोर्ड बनाया गया हरीश चंद्र कांडपाल से अधिशासी निदेशक उत्तराखंड ग्रामीण विकास संस्थान लिया गया वापस विनोद गिरी गोस्वामी से निदेशक प्रशासन और मॉनिटरिंग पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय जीवन सिंह से संभागीय खाद्य नियंत्रक कुमायूं संभाग लिया गया वापस प्रबंध निदेशक तराई बीज विकास निगम बनाया गया।
आरडी पालीवाल को अधिशासी निदेशक उत्तराखंड ग्रामीण विकास संस्थान बनाया गया अशोक कुमार पांडे को अपर जिलाधिकारी नैनीताल बनाया गया अभिषेक त्रिपाठी को अपार स्थानिक आयुक्त उत्तराखंड नई दिल्ली बनाया गया केके मिश्रा को अपर जिलाधिकारी देहरादून और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी देहरादून बनाया गया जगदीश लाल से सचिव सेवा का अधिकार आयोग का पद हटाया गया गिरीश चंद गुणवंत को नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश व सचिव सेवा का अधिकार की दी गई जिम्मेदारी।
हरवीर सिंह को संभागीय खाद्य नियंत्रक कुमाऊं यू संभाग की भी दी गई जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी प्रशासन नैनीताल की जिम्मेदारी ली गई वापस रजा अब्बास को उप सचिव सूचना आयोग का अतिरिक्त पंकज कुमार उपाध्याय को सचिव जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल का अतिरिक्त प्रभार दयानंद सरस्वती ग्रुप कुंभ मेला अधिकारी हरिद्वार का अतिरिक्त प्रभार जयकिशन को संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत की जिम्मेदारी अनुराग आर्य को डिप्टी कलेक्टर रुद्रप्रयाग बनाया गया।
गुरमीत सिंह बने उत्तराखंड के राज्यपाल..
उत्तराखंड: लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया है। आपको बता दे कि उत्तराखंड के राज्यपाल का पद बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हो गया था। गुरमीत सिंह सेना के उप प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
कई पदकों से सम्मानिक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह अपने कार्यकाल में सैन्य अभियानों के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में सैन्य रणनीतिक मुद्दों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। सेना में अपने कार्यकाल के दौरान वह एक दशक से अधिक समय तक कई विशेषज्ञ समूहों, संयुक्त कार्य समूहों और चीन अध्ययन समूह की बैठकों का हिस्सा रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण सैन्य राजनयिक और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर आयोजित होने वाली बैठकों के लिए सात बार चीन का दौरा भी कर चुके हैं। लगभग चार दशकों की सेवा के बाद लेफ्टिनेंट जनरल सिंह फरवरी 2016 में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने सेना में अपनी सेवा के दौरान सेना के उप प्रमुख, सहायक जनरल और कश्मीर में नियंत्रण रेखा की निगरानी करने वाली 15वीं कोर के कोर कमांडर के पद पर काम किया है।
बता दे कि उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया था। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बेबी रानी मौर्य का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है। जानकारी के अनुसार बेबी रानी मौर्य ने व्यक्तिगत कारणों के चलते अपना इस्तीफा दिया था।
सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद को आमजन को किया जाएगा प्रेरित..
उत्तराखंड: प्रदेश में हो रहे सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर रोज कही न कहीं से सड़क हादसे की खबर सामने आ रही हैं। जिसमे लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कभी तेज रफ्तार तो कभी खराब सड़कें लोगों के लिए मौत का सबब बानी हुई हैं। सड़क दुर्घटनाओं और इसमें होने वाली मौत की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब आमजन को दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए प्रेरित करने की तैयारी है।
इस कड़ी में शासन ने पुलिस को किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित को मदद देने वालों को पुरस्कृत करने को कहा है। इसके लिए पुलिस को सड़क सुरक्षा राहत कोष से एक लाख रुपये भी जारी किए जाएंगे।
प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में इस वर्ष जुलाई अंत तक 773 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 468 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। दुर्घटनाओं में हुई मौत में यह जानकारी सामने आई कि इनमें से तकरीबन 70 फीसद व्यक्तियों की मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई थी। यह बताया गया कि समय से अस्पताल पहुंचाने पर मौत का यह आंकड़ा थोड़ा कम हो सकता था।
यह बात भी सामने आई कि दुर्घटना के दौरान घायलों की मदद के लिए आमजन के हाथ जल्दी आगे नहीं आए। पुलिस के आने के बाद ही अधिकांश दुर्घटनाओं में घायलों को अस्पताल तक पहुंचाया गया। दुर्घटना में घायलों की मदद करने से आमजन के पीछे हटने का कारण कानूनी झमेलों में फंसने की आशंका भी रहा, जबकि यह नियम बन चुका है कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराने वाले से पुलिस अनावश्यक पूछताछ नहीं करेगी। राज्य सड़क सुरक्षा समिति ने इन सब मामलों को देखते हुए आमजन को इसके प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया है।
इसी कडी में घायलों की मदद करने वालों को पुरस्कृत करने का भी निर्णय लिया गया है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा के दौरान घायलों की मदद करने वालों को पुलिस के जरिये पुरस्कृत कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को सार्वजनिक समारोह में पुरस्कृत व सम्मानित किया जाए ताकि अन्य भी दुर्घटना में घायलों के सहयोग को आगे आएं। उन्होंने इसके लिए सड़क सुरक्षा कोष से पुलिस को एक लाख रुपये जारी करने के भी निर्देश दिए हैं।
जानिए क्या हट जाएगा अब चारों धामों से प्रतिबंध..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगा ग्रहण शायद अब हट जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले श्रीनगर में इस बात के संकेत दिए हैं। उनका कहना हैं कि मामला हाईकोर्ट में है, लेकिन सरकार इस दिशा में विचार कर रही है। कोरोना महामारी के कारण उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारों तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के दो सीजन बर्बाद हो गए।
जिसका खामियाजा अब तक यात्रा से जुड़े तमाम वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं। हरिद्वार से लेकर चारों धामों तक जिनकी आजीविका इस यात्रा पर निर्भर है वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। साल 2020 में तो सरकार ने 1 जुलाई से कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा को खोल दिया था। लेकिन इस साल शुरूआत से ही इस पर रोक है। केवल स्थानीय लोगों को ही वहां जाने की सीमित अनुमति मिली है। उसमें भी वह लोग मंदिरों में दर्शनों के लिए प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से खासकर बद्रीनाथ और केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी, पंडा समाज और व्यापारी वर्ग आंदोलित है। चार दिन पहले ही बद्रीनाथ में संत धर्मराज भारती ‘मौनी बाबा’ ने यात्रा और मंदिर में प्रवेश से रोक हटाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का श्रीनगर में दिया गया बयान आम लोगों के लिए सुकून भरा है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जन आशीर्वाद रैली के दौरान कहा कि चारधाम यात्रा के रुकने से इन क्षेत्रों का जनजीवन प्रभावित है। मामला कोर्ट में होने से फैसला नहीं हो पा रहा है। लेकिन अब सरकार जल्द ही इसका रास्ता निकालेगी। जिसके बाद अब लोगों में चारधाम यात्रा को लेकर कुछ उम्मीद जगी है।