स्मार्ट सिटी के कार्यों की शहरी विकास मंत्री ने की समीक्षा..
उत्तराखंड: स्मार्ट सिटी देहरादून को लेकर आज प्रदेश के शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेम चन्द अग्रवाल ने बैठक की। शहरी विकास मंत्री ने विधानसभा स्थित सभागार कक्ष में स्मार्ट सिटी परियोजना और उससे संबंधित विभिन्न निर्माण कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसके ज्यादातर काम पूरा हो चुका है। जिसमें से क्रैश बिल्डिंग, मॉर्डन दून लाइब्रेरी, स्मार्ट वाटर एटीएम, परेड ग्राउण्ड रिनोवेशन, ड्रेन, स्मार्ट रोड सहित 19 कार्य पूर्ण हो चुके हैं जबकि ग्रीन बिल्डिंग का कार्य देर से शुरू होने के कारण अभी तक गतिमान है।
जल्द पूरा कर लिया जाएगा स्मार्ट सिटी का काम..
प्रेमचंद अग्रवाल ने अधिकारियों को स्मार्ट सिटी के शेष कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उनका कहना हैं कि अक्टूबर 2025 तक ग्रीन बिल्डिंग का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि स्मार्ट सिटी के कार्य समयसीमा के अन्तर्गत पूर्ण किए गए हैं और जल्द ही सारे काम पूरे कर लिए जाएंगे। मंत्री ने स्मार्ट सिटी से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को आपसी समन्वय स्थापित कर स्मार्ट सिटी के शेष कार्यों में तत्परता दिखाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शहर के 10 वार्डों में स्मार्ट सिटी के कार्य कराए गए हैं। जबकि 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन 10 वार्डों से बाहर भी निरंतर किया जा रहा है तथा स्मार्ट सिटी द्वारा दी गए कूड़ा गाड़ी भी पूरे नगर निगम क्षेत्र में कार्य कर रही है।
शहर में काम कर रहे हैं 496 सीसीटीवी कैमरे..
मंत्री का कहना हैं कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत एक हजार करोड़ रूपए की धनराशि व्यय की जानी थी। जिसमें से 750 करोड़ रूपये विभिन्न विकास कार्यों में व्यय किए जा चुके हैं। उन्होंने शहर भर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की भी। समीक्षा की जिसमें अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि शहर भर में लगभग 674 कैमरे लगाए गए हैं। जिसमें से लगभग 496 कैमरे सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं जबकि विभिन्न जगहों पर रोड कटिंग तथा अन्य कार्यों की वजह से शेष कैमरे कार्यरत नहीं हैं। जिस पर विभागीय मंत्री ने त्वरित कार्यवाही कर शेष कैमरों को सुचारू करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया।
ऑनलाइन एंट्रेस में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की बनबसा में सेना भर्ती 28 नवंबर से होगी शुरू..
उत्तराखंड: बनबसा स्थित सेना परिसर/मिलिट्री स्टेशन में ऑनलाइन व एंट्रेंस 2024 में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए अग्निवीर सेना भर्ती रैली का आयोजन होने जा रहा हैं। भर्ती रेली के सफल आयोजन को लेकर जिला कार्यालय सभागार चंपावत में जिलाधिकारी नवनीत पांडे की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। सेना भर्ती कार्यालय पिथौरागढ़ से आए भर्ती निदेशक कर्नल राहुल मेलगे का कहना हैं कि इस भर्ती रैली में 28 से 30 नवंबर 2024 को धार्मिक शिक्षक हेतु उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का तथा 01 से 06 दिसंबर 2024 तक अग्निवीर श्रेणी के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का फिजिकल तथा अभिलेखों का सत्यापन होगा। इस भर्ती रैली में केवल सेना के ऑनलाइन एंट्रेंस परीक्षा 2024 में उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही प्रतिभाग कर पाएंगे।
भर्ती रैली के दौरान अभ्यर्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा और समस्याओं का सामना न करना पड़े, इसके लिए विभिन्न विभागों को सेना से समन्वय स्थापित कर समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने अभ्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार की जालसाजी और ठगी ना हो, तथा आने वाले अभ्यार्थियों के रहने व खाने की उचित व्यवस्था के संबंध में संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए। डीएम ने जिला क्रीड़ा अधिकारी को 28 नवंबर से पूर्व सेना के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर ट्रैक का निरीक्षण कर सही करने, मुख्य शिक्षा अधिकारी को अभ्यर्थियों के अभिलेखों/ प्रमाण पत्र की जांच हेतु दो शिफ्ट में कार्मिक/शिक्षकों की तैनाती करने, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भर्ती के दौरान दो एंबुलेंस तथा मेडिकल टीम तैनात करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका टनकपुर को भर्ती रैली के दौरान नियमित साफ सफाई हेतु नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।उनका कहना हैं कि भर्ती रैली के दौरान नगर पालिका टनकपुर द्वारा नियमित साफ सफाई की जाएगी। इसके साथ ही चार मोबाइल टॉयलेट, 10 बड़े डस्टबिन की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जिला पंचायत के माध्यम से साफ सफाई हेतु जटायु वाहन की भी तैनाती भर्ती के दौरान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा जिनके पास ऑनलाइन एडमिट कार्ड होंगे, केवल उन अभ्यर्थियों को ही सेना भर्ती छावनी परिसर में एंट्री मिलेगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि आने वाले अभ्यर्थियों को भर्ती के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या न हो, इस हेतु सादी वर्दी में एलआईयू व पुलिस के जवान तैनात रहेंगे। इसके साथ ही अग्निशमन टीम भी भर्ती स्थल पर तैनात रहेगी। उन्होंने एआरटीओ को निर्देश दिए कि भर्ती के दौरान किसी भी अभ्यर्थी से टैक्सी व बस का अधिक किराया ना लिया जाए। इसके साथ ही विद्युत विभाग को रैली के दौरान विद्युत व्यवस्था, संभागीय परिवहन अधिकारी को अभ्यर्थियों हेतु आवागमन व टैक्सी व्यवस्था, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका टनकपुर, बनबसा को अभ्यर्थियों के रहने हेतु आवास व्यवस्था, सफाई व्यवस्था और मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
विद्युत विभाग को विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस दौरान 15 किलोवाट के जेनरेटर की अतिरिक्त व्यवस्था तथा स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने पुलिस विभाग को भर्ती के दौरान भीड़ नियंत्रण व वाहनों की पार्किंग व्यवस्था हेतु रात से ही तैनात रहने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी टनकपुर को भर्ती रैली के दौरान विभिन्न व्यवथाओं हेतु सेना से समन्वय स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने अभ्यर्थियों को भर्ती के दौरान उचित मूल्य पर भोजन, फल, अंडे सहित अन्य सामान आसानी से उपलब्ध कराए जाने हेतु सम्बन्धितों को निर्देशित किया। डीएम ने उप जिलाधिकारी टनकपुर को भर्ती परिसर के बाहर खाने के स्टॉल लगाने के भी निर्देश दिए।
जंगल की आग रोकने के लिए एप को ढाल बनाएगा वन विभाग, जल्द होगी लॉन्च..
उत्तराखंड: वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए तकनीकी मदद ले रहा हैं। इस दौरान नए प्रयोगों के जरिए वनाग्नि रोकथाम के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इस कड़ी में सूचना प्रबंधन प्रणाली को डिजिटलाइज करते हुए विभाग ने फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया। जिसे संचालित करने के लिए राज्य भर में वन कर्मियों को प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है। उत्तराखंड में जंगलों की आग पर रोकथाम के लिए रिस्पांस टाइम को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग ने हाल ही में फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया है। इस एप के माध्यम से विभाग का दावा है कि वनाग्नि के दौरान रिस्पांस टाइम में बेहद कमी लाई जा सकेगी। फिलहाल विभाग के अधिकारी मोबाइल एप के बेहतर प्रयोग को वन विभाग के कर्मचारियों तक पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं।
आपको बता दे कि उत्तराखंड वन विभाग फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप को संचालित करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने जा रहा है। इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग के कार्यक्रम भी तय किए गए हैं। इसके तहत हरिद्वार के डीएफओ वैभव कुमार मोबाइल एप के संचालन हेतु मास्टर कंट्रोल रूम ऑपरेटर/मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण देंगे। राज्य में प्रत्येक वन प्रभाग से दो मास्टर ट्रेनर, एक कंप्यूटर ऑपरेटर और एक मास्टर कंट्रोल रूम कर्मचारी को नामित किया गया है।
गढ़वाल और भागीरथी वृत के अंतर्गत कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसी तरह शिवालिक वृत्त में 14 नवंबर, उत्तरी कुमाऊं वृत में 16 नवंबर, दक्षिणी कुमाऊं वृत में 18 नवंबर, पश्चिम वृत में 19 नवंबर और 20 नवंबर को कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान रिस्पांस टाइम को देखने के लिए भी दो वाहनों में जीपीएस लगाकर फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप के जरिए ट्रैक किया जाएगा। ताकि मोबाइल ऐप के माध्यम से घटना के बाद रिस्पांस टाइम की स्थिति को देखा जा सके। इसके साथ ही जंगलों में आग के अलर्ट जल्द से जल्द मिल सके, इसके लिए मिशन मोबाइल पर अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही ग्राम प्रधानों, पंचायत सरपंचों के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी एफएसआई द्वारा विकसित फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।
पहाड़ों पर सुबह की सैर के लिए निकले सीएम, लोगों से की बात, लिया कार्यों का फीडबैक और सुझाव..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी दो दिवसीय गैरसैंण दौरे पर हैं। गुरुवार को वह मॉर्निंग वॉक पर निकले। और इस दौरान लोगों से मिलकर उन्होंने विकास कार्योंं का फीडबैक लिया। सीएम ने विधानसभा, भराड़ीसैंण में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों को कार्यों में तेज़ी लाने और गुणवत्तापूर्ण कार्य पर विशेष ध्यान देने हेतु निर्देश दिए। सीएम धामी का कहना हैं कि विधानसभा, भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में हमारी सरकार सड़क और हवाई कनेक्टिविटी के माध्यम से इस संपूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इस दौरान स्थानीय लोगों से भेंट कर प्रशासन द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों का फीडबैक एवं सुझाव भी लिए। बुधवार को शासन के उच्चाधिकारियों की टीम के साथ सीएम ने भराड़ीसैंण विस में पलायन और भू-कानून पर मंथन किया। चर्चा में सीएम ने कहा कि राज्य सरकार भू-कानून को लेकर अत्यंत गंभीर है। प्रदेश में लागू होने वाले भू-कानून को जन भावनाओं के अनुरूप बनाए जाने की दिशा में सरकार काम कर रही है।
एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर भी भू-कानून को लेकर जनता से सुझाव लिए जाएंगे। इसके साथ ही सीएम ने कहा कि एक सशक्त भू-कानून का ड्राफ्ट स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं और विकास के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। सीएम ने राज्यस्तरीय ग्रामीण उद्यमिता विकास कार्यशाला में भाग लिया। पहली बार सरकार सशक्त भू-कानून के ड्राफ्ट पर भराड़ीसैंण विधानसभा में मंथन करने पहुंची। सीएम की घोषणा के अनुसार भराड़ीसैंण में ही बजट सत्र के दौरान सरकार यहां विधानसभा में सशक्त भू-कानून का विधेयक पेश करेगी।
पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए विधानसभा परिसर में हुई पलायन निवारण आयोग की बैठक में सीएम ने कहा कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए अल्प, लघु और दीर्घकालिक योजनाएं बनेंगी। राज्य सरकार पलायन की समस्या को लेकर गंभीर है और इसे रोकने के लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रही है। उन्होंने पलायन से खाली हो रहे गांवों को गोद लेने के संकेत भी दिए। बैठक में बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पहाड़ों पर योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन करने पर जोर दिया गया। सीएम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निरंतर कार्य हो रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। पलायन निवारण आयोग की ओर से दिए जा रहे सुझावों को अमल में लाने के लिए संबंधित विभागों के माध्यम से ठोस कार्ययोजना बनाई जा रही है।
UPCL ने उपभोक्ताओं को दी बड़ी राहत, 324 करोड़ की दी छूट..
उत्तराखंड: पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने पिछले तीन सालों में अपनी वित्तीय स्थिति और उपभोक्ताओं को दी गई राहत के बारे में आज प्रेसवार्ता कर जानकारी साझा की हैं। यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव ने प्रेसवार्ता का कहना हैं कि कंपनी ने हाल ही में उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में कुल 324 करोड़ रुपए की छूट दी है। इसके साथ ही इस महीने सभी उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 88 पैसे प्रति यूनिट की कमी आएगी, जो कि उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है।
एमडी अनिल यादव ने कहा कि पिछले तीन सालों में यूपीसीएल ने लगातार रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त किया है। प्रति वर्ष औसतन 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2024 में यूपीसीएल ने कुल नौ हजार 905 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया है, जो प्रदेश में विद्युत क्षेत्र में लगातार हो रहे सुधार और बढ़ती मांग का संकेत है। एमडी अनिल यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि यूपीसीएल की योजनाओं के तहत अब केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए दोनों स्थानों पर सब स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। केदारनाथ और बद्रीनाथ में अब करीब 23 घंटे निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
सुरक्षा जवान और सुपरवाइजर के पदों पर होने जा रही भर्ती..
उत्तराखंड: जिला सेवायोजन विभाग चंपावत में रोजगार मेला लगाने जा रहा है, जिसके तहत एसएससीआई सिक्योरिटी (एसआई इंडिया लिमिटेड ) देहरादून द्वारा सुरक्षा जवान एवं सुरक्षा सुपरवाइजर के रिक्त पदों के लिए भर्ती होनी हैं। मेले में पहुंचने वाले सभी बेरोजगार युवकों को अपने शैक्षिक प्रमाण पत्र के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है।
इस संबंध में जिला सेवायोजन अधिकारी आरके पंत का कहना हैं कि विकासखंडों व पंचायत क्षेत्रों के इच्छुक बेरोजगार युवकों जिनकी योग्यता सुरक्षा गार्ड हेतु न्यूनतम 10वीं पास तथा सुरक्षा सुपरवाइजर हेतु 12वीं पास रखी गई है। जबकि आयु 19 से 40 वर्ष निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि भर्ती विकासखंड स्तर पर आयोजित की जाएगी। जहां रोजगार मेला 16 नवंबर 2024 को विकासखंड कार्यालय पाटी में, 18 व 19 नवंबर को विकासखंड कार्यालय लोहाघाट में, 20 व 21 नवंबर खंड विकास कार्यालय बाराकोट में 22 व 23 नवंबर 2024 को जिला सेवायोजन कार्यालय, चंपावत में प्रातः 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक आयोजित की जाएगी।
जिला सेवायोजन अधिकारी ने इच्छुक अभ्यर्थियों को आयोजित होने वाले रोजगार मेले का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की है। जिला सेवायोजन अधिकारी आरके पंत ने कहा कि भर्ती के लिए कंपनी के अधिकारी पहुंचेंगे युवाओं के साक्षात्कार के आधार पर भर्ती की जाएगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में चंपावत में भी रोजगार मिले लगाए जाएंगे। जहां कंपनियों से वार्ता चल रही है। स्थानीय युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके, इसको देखते हुए आगे भी रोजगार मेला का आयोजन किया जाएगा। मेले में पहुंचने वाले सभी बेरोजगार युवक अपनी शैक्षिक प्रमाण पत्र के साथ उपस्थित होंगे।
उत्तराखंड सरकार ने 124 डॉक्टरों को दी वेतन बढ़ोतरी की सौगात, आदेश जारी..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ने इगास पर्व पर 124 डॉक्टरों को वेतन बढ़ोतरी की सौगात दी है। पर्वतीय व दुर्गम क्षेत्रों में निर्धारित सेवा पूरी करने वाले डॉक्टरों को स्पेशल डायनमिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (एसडीएसीपी) का लाभ दिया गया। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी किए। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार का कहना हैं कि सरकार सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीर है। हर न्यायोचित मांग का समाधान किया जाएगा। एसडीएसीपी का लाभ प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के उन डॉक्टरों को मिलेगा, जिन्होंने पर्वतीय व दुर्गम क्षेत्रों में अपनी निर्धारित सेवा अवधि पूरी कर ली है। कई साल से डॉक्टर एसडीएसीपी की मांग कर रहे थे। स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 124 डॉक्टरों को वेतन बढ़ोतरी का लाभ दिया गया।
सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि हाल में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग की मांग पर अपर निदेशक व संयुक्त निदेशक के पदों पर प्रमोशन के आदेश जारी किए गए। डाक्टरों की अन्य मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया कि पूरे मनोयोग व निष्ठा के साथ कार्य करें। उनकी मांगों का समाधान और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।
इनको मिलेगा लाभ
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि चार वर्ष की कुल सेवा व दो वर्ष की दुर्गम सेवा पूर्ण करने वाले 73 डॉक्टरों को पे मैट्रिक्स लेवल-11 वेतनमान का लाभ दिया गया। नौ वर्ष की कुल सेवा व पांच वर्ष दुर्गम सेवा पूरी करने वाले तीन डॉक्टर, 13 वर्ष की कुल सेवा व सात वर्ष की दुर्गम सेवा पूर्ण करने वाले तीन डॉक्टर, 20 वर्ष की कुल सेवा व नौ वर्ष की दुर्गम सेवा पूरी करने वाले 45 डॉक्टरों को एसडीएसीपी का लाभ दिया गया।
उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में शिक्षक,उठाए कई सवाल..
उत्तराखंड: शिक्षक उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं। शिक्षकों का कहना है कि विभाग ने अधिकरण के फैसले को लागू किया तो कुछ प्रधानाचार्य पदावनत हो जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि वरिष्ठता का यह मामला पहले से हाईकोर्ट में है। शिक्षा विभाग में 2005-06 एवं 2006-07 में उत्तराखंड लोकसेवा आयोग से चयनित प्रवक्ताओं की वरिष्ठता का विवाद बना है। कुछ शिक्षक मामले को लेकर पहले ही हाईकोर्ट जा चुके हैं। जबकि अधिकरण ने अलग-अलग भर्ती वर्ष में लोक सेवा आयोग से नियुक्त इन प्रवक्ताओं को संयुक्त वरिष्ठता देने की बात कही है। प्रवक्ता कल्याण समिति से जुड़े शिक्षकों के अनुसार अधिकरण के इस फैसले के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह है कि क्या विभाग 2006-07 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2005-06 से वरिष्ठता देगा या 2005 -06 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2006-07 से वरिष्ठता देगा।
शिक्षक यह भी उठा रहे सवाल
-वरिष्ठता सूची को एक करना कितना व्यावहारिक होगा एवं अंतिम रूप से (संशोधित) सूची 2009 में जारी हुई थी तो क्या सभी चयनित प्रवक्ताओं को 2009 से वरिष्ठता मिलेगी।
-महिला संवर्ग में नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों की संयुक्त सूची आयोग ने 2005 से अब तक जारी ही नहीं की है तो उनकी वरिष्ठता कैसे तय होगी।
-विभागीय वरिष्ठता सूची से जो प्रवक्ता एक दशक से पहले पदोन्नति पाकर प्रधानाचार्य बन चुके हैं क्या उन्हें विभाग पदावनत करेगा।
38वें राष्ट्रीय खेल- सिर्फ 77 दिन शेष, छोटा सा संशोधन, लेकिन बात नहीं रही बन..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों की तारीख तय किए पूरा एक महीना बीत गया, अब सिर्फ 77 दिन बाकी हैं, लेकिन अभी तक खिलाड़ियों के कैंप शुरू नहीं हो सके हैं। कैंप लगाने की बार-बार घोषणाएं तो हुई हैं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ है। फिलहाल देरी की वजह एक शासनादेश में संशोधन है, जिसका इंतजार पल-पल बढ़ने से मेजबानों में खींचतान के आसार बनने लगे हैं। खेल निदेशालय के अधिकारी पिछले कुछ दिन से उम्मीद जता रहे हैं कि किसी भी समय संशोधित शासनादेश आ सकता है। शुक्रवार को तय माना जा रहा था कि शाम तक आदेश जारी हो जाएंगे। शाम बीती तो शनिवार सुबह की आस और मजबूत हुई। इसके मद्देनजर खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक संघ की महत्वपूर्ण बैठक भी रख ली गई, जिसमें कैंप की तारीख तय करना महत्वपूर्ण एजेंडा था। सुबह बैठक हुई, लेकिन शासनादेश न आने से कैंप के मुद्दे पर बेनतीजा रही।
खेल कराने का दायित्व भारतीय ओलंपिक संघ, उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन और राज्य सरकार का है। एक तरफ सरकार और खेल निदेशालय बार-बार कह रहे हैं कि कैंपों का आयोजन उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन को करना है। सरकार की जिम्मेदारी उसके लिए वित्त और संसाधन उपलब्ध कराने की है।
दूसरी ओर उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन का कहना है कि जब तक कैंपों के आयोजन से संबंधित पिछले शासनादेश में संशोधन नहीं होता, तब तक कैंप लगाने की तारीख तय नहीं हो रही। इस पर खेल अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन भी तुरंत कैंप नहीं करवा सकती, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी देश से बाहर दूसरी प्रतियोगिताओं में व्यस्त हैं, कई अपने-अपने राज्यों में नौकरी कर रहे हैं। सभी को उत्तराखंड बुलाने में समय लगेगा। एसोसिएशन जब तक अपनी तैयारी पूरी करेगी, शासनादेश संशोधित होकर आ जाएगा।
राष्ट्रीय खेलों की तारीख नौ अक्टूबर को घोषित हुई थी, जिसके साथ दावा था कि तुरंत कैंप शुरू किए जाएंगे, जिसमें प्रतिभागी खिलाड़ी तैयार होंगे। इसके बाद 26 अक्तूबर से कैंप लगाने की घोषणा हुई, वह टली तो दीपावली के तुरंत बाद कैंप लगाने की अगली घोषणा हुई। बता दें कि पिछले शासनादेश के तहत कैंपों का आयोजन के लिए एक समय सीमा तय है, चूंकि राष्ट्रीय खेलों के लिए समय कम बचा है, इसलिए उसमें संशोधन किया जा रहा है।
प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन में फिल्म और संस्कृति के विकास पर चर्चा का मंच, CEO तिवारी ने बताया क्यों उत्तराखंड में हो फिल्मो की शूटिंग..
उत्तराखंड: दून विश्वविद्यालय में प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के दौरान उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, कला, एवं फिल्मों को बढ़ावा देने पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड को फिल्म शूटिंग के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन में फिल्म व संस्कृति के विकास पर चर्चा हुई। उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद के CEO और महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने इस दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य में कई आकर्षक फिल्म शूटिंग स्थल हैं। जो देश और दुनिया के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित कर सकते हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों को मिलेगी 50% तक सब्सिडी..
बंशीधर तिवारी का कहना हैं कि हाल ही में जारी की गई उत्तराखंड फ़िल्म नीति 2024 के अंतर्गत क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के प्रोडक्शन में किए गए व्यय का 50% तक या अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। जबकि हिंदी और अन्य 8वीं अनुसूची की भाषाओं के लिए ये अनुदान 30% या अधिकतम 3 करोड़ रुपए तक का होगा। इस नई नीति के तहत अब शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, ओटीटी और वेब सीरीज़ को भी सब्सिडी की श्रेणी में शामिल किया गया है। साथ ही, राज्य में फिल्म सिटी और फिल्म संस्थान स्थापित करने के लिए भी अनुदान की व्यवस्था की गई है। तिवारी का कहना हैं कि फिल्में हमारे इतिहास, सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में संजोए रखने का कार्य करती हैं। फूलदेई जैसे त्यौहार, पौराणिक मेले और स्थानीय भाषाएं फिल्मों के माध्यम से सुरक्षित और प्रसारित की जा सकती हैं। सम्मेलन में आदि कैलाश, चकराता, माणा जैसे स्थानों का भी उल्लेख किया गया जो फिल्मों के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं। प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, फिल्म अभिनेता सुधीर पाण्डेय, हेमन्त पाण्डेय, वरूण बडोला और फिल्म निर्माता सन्तोष सिंह रावत ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उत्तराखंड में फिल्म निर्माण के संभावनाओं पर चर्चा की गई।