चीन ने कोविड से पहले ही आधी दुनिया को गुलाम बनाने की रची थी यह साजिश..
देश-विदेश: चीन ने कोविड से पहले ही आधी दुनिया को गुलाम बनाने की बड़ी साजिश रच ली थी। ताकि गरीब और विकासशील देश आर्थिक रूप से टूट जाएं और उसके गुलाम हो जाएं। आपको बता दे कि चीन ने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ से दुनिया के सभी छोटे और कुछ बड़े देशों को अपने चंगुल में फंसा लिया है। इन देशों को कोविड से पहले चीन ने निवेश के नाम पर इतना कर्ज दिया कि वहां की अब अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। कोविड ने अर्थव्यवस्था चौपट की तो ये कर्जदार देश चीन की ग़ुलामी को बढ़ चले। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश तो चीन किसी कुटिल चाल में फंस कर राजनीतक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि अब चीनी कर्ज से लदे देशों को उसकी कुटिल चाल से बचने के लिए सोचना होगा।
बीआरआई को बनाया हथियार
एशिया की राजनीति को बहुत करीब से समझने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभिषेक सिंह का कहना हैं कि चीन ने कोविड के पहले दुनिया के अलग-अलग छोटे बड़े और विकासशील समेत गरीब मुल्कों मे ऐसी साजिश रची कि आधी दुनिया उसके झांसे में आ गई। वे कहते हैं कि दरअसल चीन में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के माध्यम से ऐसा जाल फेंका। प्रोफेसर अभिषेक के अनुसार चीन ने 2013-14 में पूरी दुनिया में व्यापार को सड़कों और समुद्री मार्गों से सुगम बनाने का खाका तैयार किया। जिसका नाम बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव रखा। इस रोडमैप के के लिए चीन ने जो मॉडल प्रस्तुत किया, उसमें पूरी दुनिया के देशों को एक रास्ते से जोड़ने का पूरा प्लान था। यह बिजनेस कॉरिडोर दुनिया के उन सभी देशों के बीच से होकर गुजरना था, जो इस प्रोग्राम के हिस्सेदार होंगे। छोटे देश और गरीब देश समेत कई विकासशील देश इस योजना के भागीदार बनने को राजी हो गए।
यूरेशियन इकोनॉमिक ट्रेड चेंबर के सलील अरोड़ा कहते हैं कि चीन ने इसी योजना के तहत ऐसे देशों में जमकर निवेश किया। यह निवेश चीन ने इन देशों में बराबर की भागीदारी के तहत क़िया। चीन की इस बराबर भागीदारी का मतलब यह था कि जितना निवेश चीन उस देश में कर रहा है, वह उसे कर्ज के तौर पर माना जाए। जिसे एक तय सीमा के भीतर उस देश को चीन को वापस करना होगा। विदेशी मामलों के जानकार और पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे एसपी सिन्हा कहते हैं कि चीन ने यही दांव खेलकर दुनिया के कई देशों को अपने रोड जाल में फंसा लिया। इसमें फंसने वाले देशों में सबसे बुरा हाल श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ। जबकि एशिया के कई मुल्क अभी भी चीन की इस खतरनाक साजिश के शिकार होने की कगार पर हैं। दरअसल चीन ने एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के माध्यम से दुनिया के कई मुल्कों को इस रोड जाल के माध्यम से कर्ज दिलवाया। इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से संबंधित दस्तावेजों पर दस्तखत भी करवाए। इसमें श्रीलंका, मालदीव, मलेशिया, सिंगापुर समेत दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के देशों समेत अफ्रीकी महाद्वीप के कई देश शामिल हैं।
तेजी से बढ़ रहा हैं ओमिक्रॉन का स्टील्थ वैरिएंट..
देश-विदेश: भारत समेत दुनिया भर में कोरोना वायरस के नए केसों में लगातार गिरावट का दौर जारी है। इसके चलते उम्मीद की जा रही थी कि जल्दी ही देश को कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन अब यह उम्मीद कमजोर पड़ती दिख रही है। इसकी वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट का एक नया सब वैरिएंट डिवेलप होना है, जिसका नाम स्टील्थ रखा गया है। चीन में इसके मामले तेजी से मिल रहे हैं। इसके अलावा इजरायल ने भी इसके दो मामले मिलने की पुष्टि की है। इस नए वैरिएंट के चलते दुनिया में कोरोना वायरस की चौथी लहर आने का डर सताने लगा है।
आपको बता दे कि स्टील्थ सब वैरिएंट इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसे डिटेक्ट करना मुश्किल है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट से काफी अलग है। यह ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स से मिलकर बना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह सब-वैरिएंट भी ओमिक्रॉन के ही जितना खतरनाक है। वही WHO का कहना कि इस वैरिएंट पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि यह टेस्टिंग में कम मिलता है। इसके अलावा दुनिया भर में घटते केसों को लेकर भी संस्था ने कहा कि टेस्टिंग कम हुई है और इसके चलते भी मामले कम देखने को मिल रहे हैं।
क्या हैं कोरोना वायरस के स्टील्थ वैरिएंट के लक्षण..
आपको बता दे कि स्टील्थ वैरिएंट से संक्रमित लोगों में चक्कर आने, कमजोरी और थकान के लक्षण देखने को मिलते हैं। वायरस से संक्रमित होने के दो से तीन दिन बाद ये लक्षण पाए जाते हैं। इसके अलावा बुखार, खांसी, गला में खिंचाव होना, मांसपेशियों में दर्द, सर्दी लगना और दिल की धड़कनें तेज होना भी इसके लक्षण हैं। चीन में इस वैरिएंट के चलते तेजी से केसों में इजाफा हुआ है। वुहान में ही तीसरी बार कोरोना के केस 5,000 के पार पहुंच गए हैं। इसके अलावा इजरायल ने भी दो केसों की पुष्टि की है। भारत में 22 जून तक कोरोना की चौथी लहर शुरू हो सकती है, जो अगस्त के मध्य तक पीक पर होगी।
साल 2008-10 के बीच जन्मे बच्चे को आज से लग रही वैक्सीन..
देश-विदेश: 12 से 14 साल तक के बच्चों के लिए आज से कोरोना टीकाकरण शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के मौके पर की गई। बता दे कि 12 से 14 आयु वर्ग के लाभार्थियों को केवल हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल-ई द्वारा विकसित कोर्बेवैक्स का टीका ही लगाया जाएगा। लाभार्थी ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा सीधे टीकाकरण केंद्र पर जाकर भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। देश में इस आयु वर्ग के 4,74,73,000 बच्चों को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण में शामिल नहीं किया जा सकता है। टीका देने से पहले उक्त केंद्र के मुख्य अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि उम्र संबंधी दस्तावेज की जांच करने के बाद ही बच्चे का टीकाकरण किया जाए। मार्च 2022 तक इनकी आयु 12 से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यानि, 2008 से 2010 के बीच जन्मे बच्चों को ही यह वैक्सीन लगाई जाएगी।
28 दिन के अंतराल पर लेनी होंगी दो खुराक..
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों के साथ एक सूची भी साझा की है जिसके अनुसार देश में 12 से 13 साल के बीच 1,21,43,000 लड़के और 1,13,27,000 लड़कियां हैं। इसी तरह 13 से 14 साल के 1,22,50,000 लड़के और 1,14,23,000 लड़कियां हैं जिन्हें कोर्बेवैक्स की दो खुराक 28 दिन के अंतराल में देनी अनिवार्य है।
स्वास्थ्य सचिव का कहना हैं कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को एहतियाती डोज लगाए जा रहे हैं। इसमें उन लोगों को प्राथमिकता दी जाए, जिन्हें दूसरी खुराक लिए नौ माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है। अब तक करीब एक करोड़ 87 लाख लोगों को पहली और करीब डेढ़ करोड़ को दूसरी डोज दी जा चुकी है। ऐसे में जिन लोगों के दूसरी डोज का समय नौ माह हो चुका है उन्हें एहतियाती डोज दी जाएगी। एहतियाती डोज उसी कंपनी की दी जाएगी, जिसके दोनों डोज पहले दिए जा चुके हैं।
उत्तराखंड में कोविड को लेकर नई गाइडलाइन जारी..
उत्तराखंड: प्रदेश में कोविड केसों के बीच सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। बता दे कि कोरोना केसों में कमी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने नाइट कर्फ्यू हटा दिया है। नई गाइडलाइन के तहत, विवाह, सांस्कृतिक समारोह भी अब पूरी क्षमता के साथ हो सकेंगे। इसके साथ ही जिम, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हाल, सैलून को पूरी क्षमता के साथ संचालन करने की अनुमति दे दी गई है। मुख्य सचिव एसएस संधू की ओर से बुधवार को नई गाइडलाइन जारी की है।
उत्तराखंड में कोरोनो केसों की रफ्तार में कमी जरूर हुई है, लेकिन सरकार अभी कोई ज्यादा ढिलाई देने के मूड में नहीं दिख रही है। चुनावी प्रचार खत्म होने के बावजूद भी सरकार ने सख्ती बनाई रखी है। प्रदेश में राजनैतिक रैलियों सहित धरना प्रदर्शन पर फिलहाल अभी 28 फरवरी तक रोक जारी रहेगी। सरकार की नई एसओपी के अनुसार, प्रदेशभर में आंगनबाड़ी केंद्र एक मार्च से खुल सकेंगे।
आपको बता दे कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को सचिवालय में अधिकारियों के साथ कोविड की वर्तमान स्थिति की समीक्षा बैठक की। धामी का कहना हैं कि राज्य में कोविड माहमारी की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन इसके वाबजूद संक्रमण को हल्के में न लिया जाए।
रुद्रप्रयाग में “ओमिक्राॅन“ वैरिएंट के नियंत्रण को लेकर गाइडलाइन जारी..
रुद्रप्रयाग। कोविड-19 के दृष्टिगत जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी मनुज गोयल ने जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कोविड-19 के नए वैरिएंट “ओमिक्राॅन“ के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन किया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार जनपद के अंतर्गत रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक कोविड कफ्र्यू प्रभावी रहेगा। इनमें कोविड से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्तियों, दुकानों, कार्यालयों आदि को छूट दी गई है। इसी तरह समस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक ही खुले रह सकेंगे। जनपद में स्थापित खेल संस्थान, स्टेडियम व खेल के मैदान खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जाएंगे।
16 जनवरी तक सभी तरह की राजनैतिक रैली, धरना प्रदर्शन आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि अन्य राज्यों से जनपद में आने वाले व्यक्तियों को आरटीपीसीआर कोविड नैगेटिव टेस्ट रिपोर्ट के बाद ही प्रवेश की अनुमति मिल सकेगी। वहीं सार्वजनिक स्थलों में सामाजिक दूरी व मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करने के साथ ही सार्वजनिक स्थलों में थूकने व पान, गुटखा, तंबाकू आदि के सेवन को भी प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जारी दिशा-निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करने के लिए निर्देशित करते हुए कहा कि उल्लंघन करने पर कार्यवाही अमल में लाई जाए।
उत्तराखंड में 24 घंटे में 814 नए मामले आये सामने..
उत्तराखंड: प्रदेश में कोरोना तेजी से हावी होने लगा है। आये दिन कोरोना के नए आंकड़े डरा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना हैं कि राज्य में संक्रमण दर बढ़कर 5.59 प्रतिशत पहुंच गई है, जबकि रिकवरी दर 95.40 प्रतिशत है। प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या 2022 पहुंच गई है। वहीं हल्द्वानी के एक कॉलेज में भी कोरोना विस्फोट हो गया। यहां 93 छात्र एक साथ पॉजिटिव मिलने से हड़कंप मच गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शुक्रवार को कोरोना से कोई मौत नहीं हुई है। 147 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं 2022 प्रदेश में सक्रिय मामले हैं। दूसरी ओर कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक न्यायिक कार्य वर्चुअल मोड में करने का आदेश दिया है।
आपको बता दे कि पाल नर्सिंग कॉलेज हल्द्वानी के 93 विद्यार्थी कोरोना पॉजिटिव मिलने से हड़कंप मच गया। शुक्रवार को जांच रिपोर्ट आने के बाद सभी संक्रमितों को सूचित करते हुए होम आइसोलेट कर दिया गया। उनके सम्पर्क में आए लोगों की सैंपलिंग की तैयारी की जा रही है। वहीं कॉलेज को माइक्रो कंटेनमेंट जोन में बदल दिया गया है। एसीएमओ डॉ. रश्मि पंत का कहना हैं कि बीते बुधवार को कॉलेज के करीब 450 विद्यार्थियों के सैंपल आरटीपीसीआर जांच को लिए गए थे।
शुक्रवार शाम रिपोर्ट आने पर सभी संक्रमितों को सूचित कर दिया गया है। उनका कहना हैं कि किसी भी छात्र में कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं हैं। कॉलेज के प्रशासक सुंदरम भंडारी का कहना हैं कि दो-तीन विद्यार्थियों ने जुकाम और बुखार की शिकायत बताई थी। जिसके बाद सभी विद्यार्थियों की जांच करवाई गई। उसके बाद कॉलेज में शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया। अभी सभी विद्यार्थियों की रिपोर्ट नहीं मिली है। जो छात्र हॉस्टल में हैं, उन्हें वहीं पर आइसोलेट कर दिया गया है।
देश में तेजी से बढ़ रही है कोरोना के नए मामलों की संख्या..
देश-विदेश: कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन के सामने आने के साथ देश में संक्रमण के मामलों में एक बार फिर खतरनाक तेजी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना के 90,928 नए मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण के मामलों की संख्या भी 2620 हो गई है। इनमें से 995 मरीज ठीक हो चुके हैं।
महामारी की दूसरी लहर की तरह ही इस बार भी इस वायरस से महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित होते दिख रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन से संक्रमण के 797 मामले सामने आए हैं वहीं दिल्ली में इनकी संख्या 465 है। राजस्थान में 236, केरल में 234, कर्नाटक में 226, गुजरात में 204 और तमिलनाडु में ओमिक्रॉन संक्रमण के 121 मामलों की पुष्टि हुई है।
महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 26,538 नए मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना हैं कि प्रदेश में अब तक कुल 260 रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। स्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार मे कुछ प्रतिबंध लागू किए हैं लेकिन सरकार पूर्ण लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं है। मुंबई में भी संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है।
कोविड-19 को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की तैयारियां..
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर चुनाव आयोग के अधिकारियों को जानकारी देने के लिए चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंचे। इसके अलावा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला देश में कोरोना के बढ़ते मामलों पर आज शाम समीक्षा बैठक करेंगे। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई हैं। उन्होंने खुद ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है।
24 घंटे में उत्तराखंड में मिले 505 नए कोरोना संक्रमित..
उत्तराखंड: प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 505 नए संक्रमित मिले हैं। वहीं एक भी संक्रमित की मौत नहीं हुई है। प्रदेश में अब तक 346468 लोग संक्रमित हो चुके हैं। आज 119 लोग ठीक हुए हैं। राज्य में अब एक्टिव केस 1000 हो गए हैं। आपको बता दे कि बुधवार को देहरादून जिले में 253 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। हरिद्वार में 64, नैनीताल में 55, पौड़ी में 60, टिहरी, अल्मोड़ा व चमोली में पांच, बागेश्वर में नौ, चंपावत में तीन, ऊधमसिंह नगर में 37, पिथौरागढ़ में छह, रुद्रप्रयाग में एक, उत्तरकाशी जिले में दो संक्रमित मिले हैं।
बता दे कि राजधानी देहरादून समेत जिले भर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिलाधिकारी ने बिना मास्क के घूमने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। जिलाधिकारी डॉ. आर राजेश कुमार ने पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अपने क्षेत्रों में सघन जांच अभियान चलाएं और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जो बिना मास्क के सड़कों पर घूम रहे हैं।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों से कहा हैं कि भीड़-भाड़ भरे बाजारों और सार्वजनिक स्थानों में भी सघन जांच की जाए और जो भी लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके लिए जिलाधिकारी ने सख्त निर्देश के आदेश दिए है कोरोना गाइडलाइन का कड़ाई से पालन कराया जाए। सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोरोना गाइडलाइन के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करें। यदि कोई व्यक्ति बिना मास्क के घूमता पाया गया उसके खिलाफ मौके पर ही कार्रवाई की जाएगी और निर्धारित जुर्माना वसूला जाएगा।
कोरोना की बूस्टर खुराक पर बैठक करेगी विशेषज्ञ समिति..
देश-विदेश: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के तहत विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) शुक्रवार को कोविड -19 बूस्टर खुराक के संबंध में पहली बैठक करेगी। इसकी जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को दी थी।
आपको बता दे कि हाल ही में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड की बूस्टर खुराक की मंजूरी के संबंध में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के पास एक आवेदन दायर किया हैं। शुक्रवार यानि आज होनी वाली बैठक को लेकर अहम निर्णय लेने की उम्मीद हैं। सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि देश में अभी कोविड वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक है और नए कोरोना वायरस वेरिएंट ओमिक्रॉन के उभरने के कारण बूस्टर शॉट की मांग हैं। यही कारण है लोगों को तेजी से कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट भारत की पहली वैक्सीन निर्माण कंपनी है, जिसने बूस्टर डोज के रूप में कोविशील्ड के अनुमोदन के लिए आवेदन किया हैं। इस संबंध में एसईसी की बैठक शुक्रवार दोपहर 12 बजे शुरू हो गयी हैं । कई विशेषज्ञों ने भारत में विशेष रूप से नए अत्यधिक संक्रामक कोविड -19 प्रकार ओमिक्राॅन के आने के बाद बूस्टर खुराक की सिफारिश की है। लेकिन सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
आपको बता दे कि हाल ही में भारतीय सीरम संस्थान (एसआईआई) ने देश के औषधि नियामक से कोरोना संक्रमण के खिलाफ कोविशील्ड को बूस्टर डोज के तौर पर देने के लिए अनुमति मांगी थी। संस्थान के सरकारी एवं नियामकीय मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई को इस संबंध में आवेदन भेज कर इसके लिए अनुमति मांगी थी। इस आवेदन में सिंह का कहना है कि यूनाइटेड किंगडम के औषधि नियामक ने इस टीके की बूस्टर डोज के लिए पहले ही अनुमति दे दी है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि देश में कोविशील्ड टीकों की कोई कमी नहीं है और महामारी के नए स्ट्रेन (ओमिक्रॉन) के सामने आने के बाद इसकी दोनों खुराकें ले चुके लोग इसकी बूस्टर खुराक के लिए मांग कर रहे हैं।
131 करोड़ लोगों को लग चुकी है भारत में वैक्सीन..
भारतीय सीरम संस्थान ने इस साल जनवरी से कोविशील्ड वैक्सीन की शिपिंग शुरू कर दी है और नवंबर के अंतिम सप्ताह में एक बिलियन डोज लैंडमार्क को पार कर लिया है। कुल देश में अब तक 114.78 करोड़ कोविशील्ड टीके लग चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में टीकाकरण की संख्या गुरुवार को 131 करोड़ मील का पत्थर पार कर गई है। गुरूवार शाम सात बजे तक 67 लाख से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी हैं।
कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन नहीं है खतरनाक,दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर ने की घोषणा..
देश-विदेश: भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को देखकर सरकार सहित आम लोग भी चिंतित हैं। भारत में अब तक ओमिक्रोन के 24 केस सामने आ चुके हैं और लगातार हर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। एक तरफ इस नए वायरस को लेकर जहां लोग डरे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका की एक डॉक्टर ने राहत देने वाली बात कही है।
दक्षिण अफ्रीका के डॉ. कोएत्ज़ी उन डॉक्टरों की टीम में से एक हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए रूप ओ मिक्रोन की खोज की थी। डॉ. एंजेलिक कोएत्ज़ी का कहना हैं कि,”कोरोना का ओमेक्रोन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से अधिक खतरनाक नहीं है। ओमिक्रोन वेरिएंट से पीड़ित मरीज में डेल्टा से पीड़ित मरीज की तुलना में हल्के लक्षण वाले होते हैं।
डॉ. एंजेलिक कोएत्ज़ी साउथ अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं। कोएत्ज़ी की टीम ने सबसे पहले कोरोना के इस नए रूप की खोज की थी। वह उस देश में वैक्सीन अनुसंधान पर सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं। इस समय ओमाइक्रोन कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर दुनिया भर में दहशत है। यह दक्षिण अफ्रीका से दुनिया के कई देशों में फैल चुका है। भारत के कुछ राज्यों में ओमाइक्रोन के मरीज भी मिले हैं। इसलिए देश इस नए वेरिएंट को लेकर सतर्क है।
कोरोना के अल्फा, बीटा, डेल्टा वेरिएंट को दुनिया अब तक देख चुकी है। जिसमें से डेल्टा संस्करण सबसे अधिक खतरनाक था, इसी वायरस ने भारत में तबाही मचाई थी। अब जबकि दुनिया भर में टीकाकरण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है तो इसी दौरान ओमिक्रोन भी लगातार अपने पैर पसार रहा है और फिर से दुनिया के लिए एक चुनौती पेश कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना हैं कि ओमाइक्रोन डेल्टा से ज्यादा घातक नहीं है। हालांकि, यह अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैलता है। इसलिए जरूरी है कि कोरोना के नियमों का पालन करें, टीका लगवाएं और सतर्क रहें