पीएम मोदी ने शिवमोगा एयरपोर्ट का उद्घाटन किया..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को कर्नाटक के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने यहां सबसे पहले शिवमोगा एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। पीएम ने यहां मंच पर मौजूद कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को जन्मदिन की बधाई दी। इस दौरान पीएम ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया। पीएम इसके बाद बेक्लागवी जिले का दौरा करेंगे। इस दौरान वह जल जीवन मिशन के तहत 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की जल आपूर्ति परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे जिससे दोनों जिलों के 13 लाख से अधिक लोगों को लाभ होगा।
पीएम मोदी आज कर्नाटक में पीएम-किसान के तहत लाभार्थियों को जारी करेंगे 13वीं किस्त..
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को पीएम किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) योजना के तहत लाभार्थी किसानों को 13वीं किस्त जारी करेंगे, इस किस्त के तहत किसानों को 2000 रुपये मिलेंगे। योजना के तहत आठ करोड़ से अधिक किसानों के खातों में सीधे 16,800 करोड़ रुपये जमा किए जाएंगे। भारतीय रेलवे और जल जीवन मिशन के संयोजन में पीएम-किसान की 13वीं किस्त की बहुप्रतीक्षित किस्त कर्नाटक के बेलगावी में जारी की जाएगी।
इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव, मनोज आहूजा उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में पीएम-किसान और जल जीवन मिशन के लाभार्थियों सहित एक लाख से अधिक लोगों की प्रभावशाली उपस्थिति का अनुमान है। योजना के तहत 11वीं और 12वीं किस्त पिछले साल मई और अक्तूबर में दी गई थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने संत तुकाराम शिला मंदिर का लोकार्पण किया..
देश-विदेश: संत तुकाराम शिला मंदिर के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे पहुंच चुके हैं। इस दौरान उन्होंने संत तुकाराम मंदिर में संत तुकाराम महाराज के दर्शन किए। साथ ही, संत तुकाराम शिला मंदिर का लोकार्पण भी किया। बता दें कि पीएम मोदी भारतीय वायुसेना के विमान से पुणे पहुंचे। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने उनकी आगवानी की। इस दौरान भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना हैं कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म में सबसे दुर्लभ संतों का सत्संग है। अगर संतों की अनुभूति हो गई तो ईश्वर की अनुभूति अपने आप हो जाती है। आज इस पवित्र तीर्थ-भूमि पर आकर मुझे ऐसी ही अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा, हमें गर्व है कि हम दुनिया की प्राचीनतम जीवित सभ्यताओं में से एक हैं। इसका श्रेय भारत की संत परंपरा और भारत के ऋषियों व मनीषियों को जाता है। भारत शाश्वत है क्योंकि भारत संतों की धरती है। हर युग में हमारे यहां देश और समाज को दिशा देने के लिए कोई न कोई महान आत्मा अवतरित होती रही है।
350 किमी से अधिक लंबाई के बनेंगे हाईवे
पीएम मोदी ने कहा, कुछ महीनें पहले ही मुझे पालकी मार्ग में दो राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन करने के लिए शिलान्यास का अवसर मिला था। श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में पूरा होगा। वहीं संत तुकाराम पालकी मार्ग का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया इन सभी चरणों में 350 किमी से अधिक लंबाई के हाईवे बनेंगे और इस पर 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने दी पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर बड़े जोखिम की चेतावनी..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट का कार्य अगले एक साल में पूरा होने वाला हैं। लेकिन इसी बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो चल रहे भारी निर्माण से और परेशानी हो सकती हैं। आपको बता दे कि 2013 में भारी बारिश के कारण आई आपदा ने उत्तराखंड में व्यापक तबाही मचाई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र ‘अत्यधिक नाजुक और अस्थिर इलाका’ है और निर्माण कार्य 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर किया जा रहा है।
तीर्थ क्षेत्र में पुनर्निर्माण कार्यों में लगे उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों और एजेंसियों का कहना है कि मास्टर प्लान का कार्यान्वयन 2022 के अंत तक समाप्त हो जाएगा। कुछ प्रमुख परियोजनाओं के साथ काम आधे रास्ते पर पहुंच गया है. इनमें एक बहु-सुविधा अस्पताल और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शामिल हैं। राज्य के पर्यटन सचिव और केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के नोडल अधिकारी दिलीप जावलकर का कहना हैं कि कार्यों की निगरानी खुद प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
जावलकर ने कहा, ‘हमारे पास सीमित समय है, साल में 6-7 महीने, केदारपुरी में काम करने के लिए मौसम की स्थिति के अलावा, यह वह समय भी है जब चार धाम की यात्रा होती है। इन सभी बाधाओं के बावजूद भी तीर्थ क्षेत्र में मास्टर प्लान निर्माण कार्य 2022 के तीर्थयात्रा सीजन के अंत तक समाप्त हो जाएगा।बता दे कि दीपावली से पहले पहला चरण समाप्त हो गया था, जबकि दूसरे चरण के कार्यों का उद्घाटन 5 नवंबर को केदारनाथ यात्रा पर पीएम ने किया था।
आपको बता दे कि 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की गई जांच और रिपोर्ट का हिस्सा रहे विशेषज्ञों का कहना हैं कि केदारपुरी द्वीप में चल रहे निर्माण कार्यों से भविष्य में स्थिति फिर से उभरने पर और अधिक परेशानी हो सकती है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि यहां तक कि तीन स्तरीय सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी क्योंकि दोनों तरफ नदी के किनारे इतने उथले थे कि बाढ़ के पानी को केदारपुरी की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और ग्लेशियोलॉजिस्ट डी.पी. डोभाल का कहना हैं कि 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर सभी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। केदारपुरी के नाम से जाना जाने वाला मंदिर क्षेत्र एक वी-आकार की घाटी है। यह बेहद नाजुक और अस्थिर इलाका है। मंदिर के ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में स्थित चोराबाड़ी झील के बाद जमा हुए विशाल मलबे पर निर्माण किया जा रहा है, जिससे भारी तबाही हुई है।
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सरकार के कार्यों पर ज्यादा नहीं बोल सकता लेकिन निर्माण कार्यों का सहारा लेने से पहले मलबे को कम से कम 8-10 साल तक बसने देना चाहिए था। डोभाल का कहना हैं कि केदारपुरी के आस-पास मंदाकिनी और सरस्वती दोनों नदियों ने 2013 की आपदा के बाद अपने स्वरुप बदल दिए थे, और परिणामस्वरूप उथले तल हैं। उनका कहना हैं कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी। सुरक्षा दीवारें चट्टान काटने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, न कि केदारनाथ जैसे दलदली और अस्थिर इलाके के लिए।
वाडिया इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना हैं कि 2013 में बारिश की आपदा ने केदारनाथ और घाटी के आसपास के इलाकों में कई भूस्खलन क्षेत्र भी बनाए। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, ‘इसी तरह की रिपोर्ट भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा भी तैयार की गई थी। इससे भविष्य में परेशानी होना तय है। तीर्थ स्थल पर भारी निर्माण कार्य करने की क्या मजबूरी थी? यदि तीर्थयात्रियों को बहुत अधिक समय तक वहां रहने की अनुमति नहीं है तो बड़े निर्माण की आवश्यकता नहीं है।
वाडिया संस्थान की रिपोर्ट
2013 की आपदा के बाद केदारनाथ पर अध्ययन रिपोर्टों ने केदारनाथ में निर्माण का कड़ा विरोध किया है। सितंबर 2013 में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान द्वारा उत्तराखंड को प्रस्तुत केदारनाथ तबाही पर एक तकनीकी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पूरा केदारनाथ शहर क्षतिग्रस्त हो गया है और इस अचानक बाढ़ के कारण बड़ी संख्या में नए विकसित भूस्खलन के कारण नाजुक हो गया है। इसलिए यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि भविष्य में मंदिर के आसपास किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाए।
नए जमा किए गए हिमनद-तरल सामग्री को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इस विशाल मलबे को हटाने और डंप करने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त जगह या मशीनरी नहीं है, राज्य सरकार इसे एक रॉक पार्क बनाने के बारे में सोच सकती है जो न केवल शहर को ऐसी भविष्य की आपदाओं से बचाएगा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जन जागरूकता के लिए इस तबाही की यादें भी रखेगा।
प्रथम व द्वितीय चरण का कार्य
केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के पहले चरण में मंदिर को सीधे केदारपुरी उपनगर के शुरुआती बिंदु से जोड़ने वाली 70 फीट चौड़ी और 840 फीट लंबी कंक्रीट सड़क शामिल थी। केदारपुरी मंदाकिनी और सरस्वती नदियों से घिरा हुआ है, जो 2013 की बाढ़ का मुख्य कारण था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 5,000 मौतें हुईं, सरस्वती के साथ लगभग 850 फीट लंबी तीन-स्तरीय रिटेनिंग वॉक का निर्माण और मंदाकिनी नदी के किनारे 350 फीट की सुरक्षा कवर पहले चरण के कार्यों की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं थीं।
सरस्वती और मंदाकिनी के संगम पर निर्मित एक गोलाकार आगमन प्लाजा और केदारनाथ मंदिर के सामने एक मंदिर प्लाजा पहले चरण में पूरी की गई दो अन्य बड़ी संरचनाएं थीं। आगमन प्लाजा केदारपुरी के प्रवेश बिंदु को चिह्नित करता है, जहां से मंदिर की सड़क निकलती है, जो मंदिर प्लाजा की ओर बढ़ती है। संगम पर तीर्थयात्रियों के लिए एक घाट और तीर्थ पुरोहितों (तीर्थ पुरोहितों) के लिए कुछ घरों को भी पुनर्निर्माण के पहले चरण में पूरा किया गया था। दूसरे चरण के कार्यों में एक ऑपरेशन थियेटर, एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, एक नया पुल और संगम पर तीर्थयात्रियों के घाट सहित आधुनिक सुविधाओं वाला एक बड़ा अस्पताल भी शामिल है।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की हुई शुरुआत..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद रहे। वहीं इस मौके पर पीएम मोदी ने जनता को भी संबोधित किया और इस मिशन के बारे में जानकारी दी। उनका कहना हैं कि कि 21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए भारत के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बीते 7 वर्षों से देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का जो अभियान चल रहा है, वो आज से एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
आपको बता दे कि आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरु किया जा रहा है। ये मिशन देश के गरीब और मध्यम वर्ग के इलाज में जो दिक्कतें आती हैं, उन्हें दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। तीन साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पंडित जी को समर्पित आयुष्मान भारत योजना पूरे देश में शुरू हुई थी। जिसके बाद आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरू किया जा रहा है।
पीएम मोदी का कहना हैं कि बीते तीन वर्षों में आयुष्मान भारत पर जो हजारों करोड़ रुपये सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा।
पुराने रिकॉर्ड भी किए जा सकेंगे चेक- पीएम मोदी..
पीएम मोदी ने जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को जरूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। इसमें डॉ, नर्स, पैरा मेडिक जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं ये सभी भी रजिस्टर होंगी।
जानिए क्या है इस मिशन का लक्ष्य..
इस मिशन का लक्ष्य देश के प्रत्येक नागरिक का का यूनिक हेल्थ कार्ड बनाना है। यह कार्ड पूरी तरह से डिजिटल होगा जो देखने में आधार कार्ड की तरह ही होगा। इस कार्ड पर आपको एक यूनिक नंबर मिलेगा, जैसा कि आधार कार्ड में होता है। इस नंबर के द्वारा व्यक्ति की पहचान कर ली जाएगी जिससे स्वास्थ सेवा में और आसानी हो जाएगी। इस नंबर के जरिए डॉक्टर के पास भी लोगों का पूरा रिकॉर्ड रहेगा।
कुछ लोगों के लिए सुशासन की बात एक राजनीतिक नारा मात्र हो सकती है। मगर यह स्पष्ट देखा और अनुभव किया जा सकता है कि केंद्र व प्रदेशों में जब भी सरकारों का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी ने किया, उसने सुशासन के सिद्धांत को न केवल आत्मसात किया, अपितु इसके प्रति अपना दृढ़ संकल्प भी प्रदर्शित किया है। भाजपा सरकारों ने अपनी नीतियों, योजनाओं व व्यवहार से सुशासन को मूर्त रूप देना का प्रयास किया है। सीधे शब्दों में कहा जा सकता है कि सुशासन सदैव भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का केंद्र बिंदु रहा है।
पहले चर्चा करते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के राजनैतिक काल की। अटल जी की राजनीतिक यात्रा का सूक्ष्म विश्लेषण करें तो उनके जीवन में ऐसे अनेक मौके आए जहां कोई अन्य व्यक्ति होता तो शायद निजी हित को ही ऊपर रखता। मगर ये अटल जी के आदर्श ही थे, जिससे उन्होंने राजनीतिक शुचिता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया। फिर चाहे वह एक वोट से अपनी सरकार को गिरने देना हो अथवा विपक्ष में होते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरी जोरदारी से भारत का पक्ष रखना। हर एक परिस्थिति में उनके द्वारा अपनाए गए मानदंड भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट परम्परा की यशस्वी गाथा कहते हैं जो भविष्य की पीढ़ियों को सतत प्रेरित करते रहेंगे। वाजपेयी सरकार ने अपने कार्यकाल में देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण में नए आयाम स्थापित किए। टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार हों, अर्थव्यवस्था में लाया गया अनुशासन हो अथवा तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन, इन सबके द्वारा वे सरकार को जन के नजदीक ले गए। पोखरण परमाणु परीक्षण के माध्यम से उन्होंने भारत की शक्ति का अहसास दुनिया को कराया।
फिर आया वर्ष 2014। इस वर्ष हुए लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनमानस ने अटल जी की ही परंपरा से निकले नरेंद्र मोदी पर विश्वास व्यक्त किया। मोदी सरकार द्वारा उज्जवला योजना के माध्यम से करोड़ों महिलाओं के जीवन में लाया गया सुधार हो, आयुष्मान योजना द्वारा परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना हो अथवा 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य हों, ये सभी उनके सुशासन के प्रति समर्पण को ही दर्शाते हैं। ये सभी निर्णय सुनिश्चित करते हैं कि गरीब से गरीब व्यक्ति को मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े।
मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र के साथ काम कर रही है जो पं. दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय का ही एक मूर्त रूप है। भाजपा के मूलभूत सिद्धांत इसी विचारधारा पर आधारित हैं जिनका अनुसरण करते हुए मोदी सरकार जन कल्याण के कार्य कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। आज की तारीख में हो रहे बहुत से छोटे-छोटे परिवर्तन शायद नगण्य प्रतीत होते हों, परन्तु उनके दूरगामी सुखद परिणाम होंगे। उदाहरणस्वरूप, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन कर्मयोगी- जो सरकार में कार्यरत अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है।
एक समूह को यह सरकार का अनावश्यक व्यय प्रतीत हो सकता है, परन्तु सुशासन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सरकारी कर्मचारियों को नए ज़माने के अनुरूप तकनीकी एवं मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में पुनः प्रशिक्षित करना मील का पत्थर साबित होगा। इसी प्रकार जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने हर घर तक शौचालय पहुंचाने की बात कही तो एक वर्ग ने इसे नकारात्मक रूप में लिया। हालांकि इस योजना के दूरगामी परिणामों के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस प्रयास की सराहना की। इन योजनाओं का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू एक गरीब व्यक्ति के जीवन में आया परिवर्तन, समाज में उसकी स्थिति में आया सुखद बदलाव है जो शायद समाज के एक वर्ग के लिए समझना मुश्किल हो।
राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ जब कोई पार्टी अथवा व्यक्ति चुनाव जीत कर सरकार बनाता है तब यही भावना सरकार के निर्णयों में सुशासन के रूप में परिलक्षित होती हैं। भाजपा आज देश के अनेकों राज्यों में एक मजबूत नेतृत्व के साथ सुशासन के लिए प्रतिबद्ध सरकारें चला रही है। केंद्र सरकार के सुशासन का ही परिणाम है कि आज तक जिन राज्यों में भाजपा गौण स्थिति में थी, उन राज्यों में भी एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरी है। भाजपा जैसे विचारधारा आधारित संगठन से जनता की अत्यधिक अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है।
आज 18 करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुकी भाजपा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इस दल की विचारधारा अपने साधारण से साधारण कार्यकर्ता को अपने नेतृत्व क्षमता में सुशासन को समाहित करना सिखाती है। ताकि जब उसे किसी भी प्रकार का दायित्व मिले तब उसके मनो मस्तिष्क में सदैव यह विचार गूंजता रहे कि वह किस प्रकार सुशासन के माध्यम से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सके। समाज के विभिन्न तबकों एवं वर्गों से आने वाले करोड़ों कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित एक दल जब सुशासन के सिद्धांतों पर संचालित होता है तो यह विचार देश के नागरिकों को एक बेहतर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
पंजाब में विजयादशमी पर कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किए जाने पर भाजपा खासे गुस्से में है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को सिलसिलेवार एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कांग्रेस व राहुल गांधी पर ताबड़तोड़ वार किए। उन्होंने कहा बेटा घृणा, क्रोध, झूठ और आक्रामकता की राजनीति का जीवंत प्रदर्शन करता है, तो वहीं माता दिखावे की शालीनता का प्रदर्शन और लोकतंत्र पर खोखली बयानबाजी कर इसका पूरक बनती है।
नड्डा ने कहा कि पंजाब में जो कुछ भी हो रहा है वह राहुल गांधी के इशारों पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का पुतला जलाने का शर्मनाक ड्रामा राहुल गांधी के द्वारा निर्देशित है, लेकिन यह अनपेक्षित नहीं है। कांग्रेस से यही उम्मीद की जा सकती है। नेहरु-गांधी खानदान ने कभी भी प्रधानमंत्री पद और प्रधानमंत्री के कार्यालय की गरिमा का सम्मान नहीं किया है। 2004-2014 के बीच भी ऐसा ही देखने को मिला था, जब कांग्रेस की यूपीए सरकार के शासनकाल में प्रधानमंत्री पद को संस्थागत तरीके से कमजोर किया गया था।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि निराशा और बेशर्मी का गठजोड़ काफी खतरनाक होता है। कांग्रेस के पास ये दोनों ही है। जहां पार्टी में बेटा घृणा, क्रोध, झूठ और आक्रामकता की राजनीति का जीवंत प्रदर्शन करता है, तो वहीं माता दिखावे की शालीनता का प्रदर्शन और लोकतंत्र पर खोखली बयानबाजी कर इसका पूरक बनती है। यह पार्टी के दोयम दर्जे और दोहरे रवैये को दिखाता है।
उन्होंने आगे कहा, यदि देश में कोई एक पार्टी है जिसका आचरण घृणा और नफरत का है तो वह केवल और केवल कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस शासित राजस्थान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दलितों, पिछड़ों, शोषितों और वंचितों पर अत्याचार सबसे चरम पर है। राजस्थान के साथ-साथ पंजाब में भी महिलाएं असुरक्षित हैं। पंजाब में मंत्री छात्रवृत्ति घोटाले कर रहे हैं।
नड्डा ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर कांग्रेस कभी भी दूसरों पर दबाव नहीं बना सकती। कांग्रेस का आवाज दबाने का दशकों से इतिहास रहा है। इसे हमने आपातकाल के दौरान भी देखा। इसके बाद राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने भी प्रेस की आजादी को कमजोर करने का प्रयास किया। स्वतंत्र मीडिया सदैव ही कांग्रेस को चुभती है। अगर कोई क्रूर राज्य शक्ति के इस्तेमाल की प्रयोगशाला को देखना चाहता है, तो वह कांग्रेस के आशीर्वाद से चलने वाली महाराष्ट्र सरकार को देखे, जहां विपक्ष को परेशान किया जा रहा और बोलने की आजादी पर अंकुश लगाया जा रहा है। राज्य चलाना छोड़कर महाराष्ट्र सरकार सब कुछ कर रही है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि गरीबी में जन्म लेने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले महान शख्सियत के प्रति एक खानदान और वंश की गहरी नफरत जितना ऐतिहासिक है, उतना ही ऐतिहासिक है भारत के लोगों का प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपार प्यार, समर्थन और आशीर्वाद। जितना ही कांग्रेस झूठ बोलेगी और जितनी ही इनकी नफरत बढ़ेगी, उतना ही और अधिक लोग प्रधानमंत्री मोदी को चाहेंगे और उनका समर्थन करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।
जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
अमेरिकी पत्रिका ‘टाइम’ ने बुधवार को विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की। इस सूची से टाइम पत्रिका फिर विवादों में आ गई है। टाइम की सूची से हिन्दुओं के प्रति उसकी पक्षपाती व विद्वेषपूर्ण भावना एक बार फिर उजागर हुई है। साथ ही पत्रिका ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के जनमानस ने भले ही नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत के साथ दुबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया हो। मगर उसके लिए इन बातों का जरा भी महत्व नहीं है और अपने वह अपने मोदी विरोधी एजेंडें से बाज नहीं आ सकती है।
टाइम ने वर्ष 2020 के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में विश्व भर के लगभग दो दर्जन नेताओं को स्थान दिया है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल जैसे शक्तिशाली नेताओं के नाम शामिल हैं। पत्रिका ने मोदी का नाम प्रभावशाली राजनेताओं वाली श्रेणी में शामिल तो कर दिया। मगर उसके साथ जो टिप्पणी लिखी, वो बेहद ही असयंमित व पूर्वाग्रहों से ग्रसित है। टिप्पणी देख कर यह लगता है कि पत्रिका ने मोदी का नाम इस सूची में केवल और केवल अपनी साख बचाने के उद्देश्य से शामिल किया है।
यह तथ्य तो टाइम भी जानती है कि मोदी वास्तव में विश्व के सर्वाधिक चर्चित व प्रभावी राजनेता हैं। लोकप्रियता के मामलों में वे विश्व के कई शक्तिशाली देशों के राजनेताओं से बहुत आगे दिखते हैं। भारत जैसे विविधताओं वाले देश में आजादी के बाद मोदी पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जो प्रचंड बहुमत के साथ दूसरी बार सत्ता में आए हैं। मोदी ने अपनी कार्यप्रणाली और व्यक्तित्व के बल पर आम जनमानस में सरकार के प्रति एक विश्वास की भावना कायम की है और भारतीय राजनीति को विकासवादी सोच दी है।
लिहाजा, टाइम पत्रिका इन तथ्यों की अनदेखी नहीं कर सकती थी और अपनी सूची में मोदी का नाम शामिल न कर पाना उसके लिए नामुमकिन था। मगर मजबूरी में सही मोदी का नाम सूची में शामिल करने के बावजूद पत्रिका अपने छद्म एजेंडे अथवा सीधे शब्दों में कहे तो धूर्तता को छिपा नहीं सकी। पत्रिका ने मोदी पर निशाना साधने के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र का भी मजाक उड़ाने का प्रयास किया है।
मोदी के बारे में विवरण देते हुए टाइम मैगजीन के एडिटर कार्ल विक ने लिखा है कि – लोकतंत्र के लिए सबसे जरूरी स्वतंत्र चुनाव नहीं है। इसमें केवल यह पता चलता है कि किसे सबसे अधिक वोट मिला है। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण उन लोगों का अधिकार है, जिन्होंने विजेता के लिए वोट नहीं दिया। भारत 7 दशकों से अधिक समय से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र रहा है। भारत की 130 करोड़ की आबादी में ईसाई, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के लोग शामिल हैं। भारत में सभी मिल जुलकर रहते हैं, जिसकी तारीफ दलाई लामा ने सद्भाव और स्थिरता के उदाहरण के रूप में की थी।
कार्ल विक ने आगे लिखा है कि – नरेंद्र मोदी ने इन सभी को संदेह में ला दिया है। भारत के ज्यादातर प्रधानमंत्री करीब 80 फीसदी आबादी वाले हिंदू समुदाय से आए हैं। मगर केवल मोदी ही ऐसे हैं, जिन्होंने ऐसे शासन किया जैसे उनके लिए बाकियों की परवाह नहीं। नरेंद्र मोदी सशक्तिकरण के लोकप्रिय वादे के साथ सत्ता में आए। उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल उत्कृष्टता को, बल्कि बहुलतावाद को भी खारिज कर दिया। विशेष तौर पर भारत के मुसलमानों को टारगेट किया गया।
अपने को मानवधिकारों का प्रवक्ता बताने वाली टाइम पत्रिका के इरादे बेनकाब करने के लिए उसके संपादक की यह टिप्पणी पर्याप्त है, जिसमें वह कहते हैं कि – महामारी का संकट अहसमति का गला घोंटने का बहाना बन गया और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र गहरे अंधेरे में घिर गया है। संपादक की इस टिप्पणी का अर्थ समझने में शायद ही किसी को कोई कठिनाई होगी। टाइम पत्रिका का संकेत नागरिकता संशोधन कानून (CAA ) के विरोध में शाहीन बाग में चलने वाले आंदोलन की ओर था, जिसे कोरोना महामारी के चलते जैसे-तैसे समाप्त कराया गया। टाइम पत्रिका के अर्थों में कहा जाए तो कोरोना महामारी के कारण समाप्त कराये गए इस आंदोलन से लोकतंत्र का गला घोंटा गया।
प्रधानमंत्री मोदी को लेकर की गई टिप्पणी के पीछे छिपी टाइम की कुत्सित मानसिकता उसकी इसी सूची ने उजागर करके रख दी। टाइम ने जहां एक ओर राजनेताओं की श्रेणी में मोदी को शामिल किया, तो दूसरी तरफ उसने आइकॉन की श्रेणी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में हुए आंदोलन से जुड़ी रहीं 82 साल की बिल्किस बानो को रखा है। शायद टाइम की संपादकीय टीम को यह अनुमान नहीं रहा होगा कि इससे उनकी चालाकी पकड़ी जाएगी और उनकी वास्तविकता उजागर हो जाएगी।
टाइम पत्रिका ने अपने नकारात्मक एजेंडे को आंख मूंद कर आगे बढ़ाया। उसने बिल्किस बानो के बारे में विवरण लिखने की जिम्मेदारी महिला पत्रकार राणा अय्यूब को दी। राणा अय्यूब पत्रकारिता और ट्वीटर पर हिन्दू विरोधी प्रोपेगेंडा चलाने के लिए कुख्यात है। बिल्किस के विवरण में राणा लिखती हैं – वो एक ऐसे देश में प्रतिरोध का प्रतीक बन गईं, जहां मोदी शासन में बहुमत की राजनीति द्वारा महिलाओं और अल्पसंख्यकों की आवाज़ों को व्यवस्थित रूप से बाहर किया जा रहा था। बिल्किस ने उन कार्यकर्ताओं और छात्र नेताओं को आशा और शक्ति दी, जो अलोकप्रिय सत्य के लिए देश भर में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध को प्रेरित थे।
अब इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि टाइम पत्रिका किस दुर्भावना से ग्रसित है। पत्रिका उस शाहीन बाग की एक आंदोलनकारी को आइकॉन बता रहा है, जिस जगह देश के लोकतंत्र को गिरवी रख दिया गया था। जहां टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे और भारत विरोधी साजिश रच रहे थे। टाइम उन आंदोलनकारियों को प्रतिष्ठा देने का दुष्प्रयास कर रही है, जिन्होंने आंदोलन के नाम पर दिल्ली के एक इलाके पर कई महीनों तक कब्जा किए रखा। पत्रिका उन आंदोलनकारियों के महिमा-मंडन में जुटी हुई है, जिन्होंने सुनियोजित तरीके से दिल्ली को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंक दिया था और कई निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
बहरहाल, इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है कि टाइम ने प्रधानमंत्री मोदी के संबंध में क्या टिप्पणी की है ? टाइम एक बार पहले मोदी के विरुद्ध कवर स्टोरी छाप चुका है, जिसे लन्दन में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के एक पत्रकार ने लिखा था। बावजूद इसके मोदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रभावशाली राजनेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। यही कारण है कि टाइम मैगजीन को मोदी विरोधी एजेंडा चलाने के बाद भी कई बार विश्व के प्रभावशाली लोगों की सूची में उनको शामिल करना पड़ा है।
राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पारित करने के दौरान विपक्षी सांसदों के व्यवहार से क्षुब्ध उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति को भावुक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि ‘राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया।’ उन्होंने घोषणा की है कि वह इसे लेकर एक दिन के उपवास पर रहेंगे।
उच्च सदन की मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई
उन्होंने लिखा है कि ‘सदन के माननीय सदस्यों द्वारा लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गयी।’ उन्होंने आगे लिखा कि लोग आएंगे- जायेंगे। ‘ समय और काल के सन्दर्भ में न उनकी स्मृति होगी न गणना। पर लोकतंत्र का यह मंदिर ‘ सदन’ हमेशा समाज और देश के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं मानता हूँ कि मेरा निजी कोई महत्व नहीं है। पर इस पद का है।’
हरिवंश ने कहा कि ‘मुझे लगा कि उच्च सदन के मर्यादित पीठ पर मेरे साथ जो अपमानजनक व्यवहार हुआ, उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास करना चाहिए। शायद मेरे उपवास से सदन में इस तरह के आचरण करने वाले माननीय सदस्यों के भीतर आत्मशुद्धि का भाव जागृत हो।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा सभी देशवासी पत्र जरूर पढ़ें
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सभा के सभापति हरिवंश द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र की सराहना करते हुए एक ट्वीट किया है। ट्वीट में मोदी ने कहा है, ‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।’
उत्तराखंड भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70 वें जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस क्रम में बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों, सांसदों, मंत्रियों, विधायकों, सरकार में विभिन्न निगमों-बोर्डों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों और संगठन के जिलाध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद स्थापित किया।
राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीति में एक नये युग की शुरुआत की है। मोदी ने विकासपरक राजनीति की अवधारणा को जन्म दिया है और राजनीति को समाज सेवा से जोड़ कर उसमें गुणात्मक परिवर्तन करके दिखाया है।
उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री मोदी का 70 वां जन्मदिवस है। उनके जन्मदिवस को देखते हुए भाजपा ने 14 से 20 सितंबर तक सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान प्रदेश से लेकर जिला, मंडल व बूथ स्तर तक कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित करने हैं।
उन्होंने कहा कि सेवा सप्ताह के प्रथम दिन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग वितरण, दूसरे दिन गरीबों व अस्पतालों में मरीजों को फल वितरण, तीसरे दिन भाजपा युवा मोर्चा की ओर से रक्तदान व प्लाज्मा डोनेशन कैम्प लगाकर कोरोना की लड़ाई में सहभाग करने का कार्यक्रम आयोजित करने को कहा। सप्ताह के चौथे दिन वृक्षारोपण, पांचवे दिन प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण, छठे दिन स्वच्छता कार्यक्रम और अंतिम दिन मोदी सरकार की उपलब्धियों का सोशल मीडिया के माध्यम से जनता में व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए योजना बनाकर क्रियान्वित करने को कहा।
इसके साथ उन्होंने 25 सितम्बर को एकात्म मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को बूथ स्तर पर तक आयोजित किए जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि पार्टी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितम्बर से महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर तक आत्मनिर्भर भारत सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्होंने कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाकर प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इन सभी कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं से लेकर विधायक,सांसद व मंत्रियों तक की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित होनी चाहिए ।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की और सभी कार्यकर्ताओं से कार्यक्रमों की सफलता के लिए जुटने की अपील की।