एनसीबी से हटाए गए समीर वानखेड़े, डीआरआई विभाग में फिर से मिली जिम्मेदारी..
देश-विदेश: एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े को एक बहुत बड़ा झटका लगा है। आपको बता दे कि विभाग में बने रहने के लिए उन्हें आगे एक्सटेंशन नहीं मिला है यानी कि अब एनसीबी से उनकी विदाई हो गई है। बता दे कि वानखेड़े का एनसीबी में 4 महीने का एक्सटेंशन 31 दिसंबर 2021 को पूरा हो चुका है।
समीर वानखेड़े आईआरएस अधिकारी हैं जो मुंबई के ड्रग्स केसों की जांच के चलते चर्चा में आए थे। इससे भी अधिक सुर्खियों में वे तब आए थे जब उन्होंने बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया था। इससे पहले कयास लगाया जा रहा था कि केंद्र सरकार उन्हें फिर से एक्सटेंशन दे सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
एक बार फिर से उन्हें राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) विभाग में भेज दिया गया है। आपको बता दें कि समीर वानखेड़े इसी विभाग में थे। डीआरआई विभाग से ही उन्हें मुंबई एनसीबी में लाकर जोनल डायरेक्टर बनाया गया था। अब उन्हें फिर से डीआरआई में भेज दिया गया है।
कौन हैं समीर वानखेड़े..
समीर वानखेड़े 2008 बैच के राजस्व सेवा अधिकारी हैं और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। सेवा ज्वाइन करने के बाद उन्हें सबसे पहली मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर डिप्टी कस्टम कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई। यहां उन्होंने जबरदस्त काम किया जिसकी वजह से उन्हें बाद में आंध्र प्रदेश और फिर दिल्ली भी भेजा गया। बताया जाता है कि वे ड्रग्स से जुड़े मामलों को पकड़ने में माहिर हैं।
दिल्ली के बाद एक बार फिर उन्हें मुंबई में बड़ी जिम्मेदारी देकर भेजी गई। यहां उन्हें एनसीबी का जोनल डायरेक्टर बनाया गया। कार्यभार संभालते ही उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ड्रग्स केस की जांच शुरू की थी। इस दौरान अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके भाई से कड़ी पूछताछ की गई थी। समीर वानखेड़े के नेतृत्व में ही पिछले दो सालों के भीतर करीब 17 हजार करोड़ रुपये के नशे और ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश किया गया।
उत्तराखंड में शुरू हुआ किशोरों का टीकाकरण ,आधार कार्ड या स्कूल आई कार्ड दिखाना होगा.. Nous vous offrons les frais de livraison à partir https://asgg.fr/ de 49 euros d’achat.
उत्तराखंड: प्रदेश में 15 से 18 साल तक के किशोरों का आज से कोविड टीकाकरण शुरू हो गया है। सीएम धामी ने देहरादून के रेसकोर्स स्थित सनातन धर्म इंटर कॉलेज बन्नू स्कूल से किशोरों के कोरोना टीकाकरण अभियान का शुभारंभ कर दिया हैं। सोमवार यानि आज से प्रदेश के इंटरमीडिएट स्कूलों में किशोरों को कोविड टीके की पहली डोज लगाई जा रही है। इसके अलावा पहले से चल रहे टीकाकरण बूथों पर किशोरों के लिए अलग से बूथ बना कर वैक्सीन लगाई जा रही है।
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए किशोरों को वैक्सीन लगने से संक्रमण से सुरक्षा कवच मिलेगा। राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. कुलदीप मर्तोलिया का कहना हैं कि 15 से 18 साल तक के किशोरों का टीकाकरण करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इंटरमीडिएट स्कूलों में किशोरों का टीकाकरण जाएगा। केंद्र सरकार ने 6.28 लाख किशोरों को टीके लगाने का लक्ष्य रखा है।
वही देश के इंटरमीडिएट स्कूलों के अलावा पहले से चल रहे टीकाकरण बूथों पर भी किशोरों को वैक्सीन की डोज लगाई जा रही है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में 6.28 लाख किशोरों को कोविड वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। किशोरों को कोवैक्सीन ही लगाई जा रही है। प्रदेश के पास वर्तमान में किशोरों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त कोवैक्सीन टीके उपलब्ध हैं।
बता दे कि टीका लगवाने के लिए सभी किशोरों को पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड या स्कूल आई कार्ड दिखाना होगा। स्कूल आईकार्ड के साथ मोबाइल साथ में लाना अनिवार्य होगा। टीकाकरण से पूर्व ऑफलाइन और ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा है। टीका लगवाने के लिए cowin.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण किया जा सकता है। साथ ही टीकाकरण केंद्र पर जाकर ऑफलाइन पंजीकरण भी करवाया जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज उप्रेती ने अभिभावकों से अपील की हैं कि अपने 15 से 18 वर्ष आयु के बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवाएं। इसके लिए जनपद के विद्यालयों में कोविड टीकाकरण के शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान का कहना हैं कि जिले में सोमवार को किशोर टीकाकरण के लिए 145 सेशन आयोजित किए जा रहे हैं।
देहरादून में 15 से 18 आयु तक के किशोरों को तीन जनवरी से लगेगी वैक्सीन..
उत्तराखंड: देहरादून में तीन जनवरी से 15 से 18 वर्ष आयु के किशोरों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। कोविड टीकाकरण के अभियान के इस चरण में उन सभी किशोरों को टीका लगाया जाएगा। जिनका जन्म वर्ष 2007 में या 2007 से पहले हुआ हो। टीका लगवाने के लिए सभी किशोरों को पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड अथवा स्कूल आई कार्ड दिखाना होगा। स्कूल आई कार्ड के साथ मोबाइल साथ में लाना अनिवार्य होगा।
आपको बता दे कि 15 से 18 साल के किशोरों को टीका उनके स्कूल में लगाया जाएगा। जो किशोर स्कूल नहीं जा रहे हैं वे जनपद के अन्य कोविड टीकाकरण केंद्रों पर जाकर ऑनस्पॉट पंजीकरण कराकर टीका लगवा सकते हैं। इसके लिए Cowin.gov.in पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण करके स्लॉट भी बुक कर सकते हैं। बता दे कि स्कूलों में टीका लगवाने के लिए अभिभावक अपने बच्चों के स्कूल से संपर्क करें।
कोवॉक्सीन की डोज दी जाएगी..
आपको बता दे कि सरकार के निर्देशानुसार 15 से 18 वर्ष के किशोरों को सिर्फ कोवॉक्सीन का ही टीका लगाया जाएगा। किशोरों के टीकाकरण के लिए अन्य किसी वैक्सीन को अनुमति नहीं है। ऐसे किशोर जो वर्तमान में किसी स्कूल में पंजीकृत नहीं हैं, ऐसे किशोरों को जनपद के अन्य कोविड टीकाकरण केंद्रों पर जाकर ऑन स्पॉट पंजीकरण कराकर टीका लगाने की सुविधा है।
विदेशी नागरिकता वाले किशोरों को भी लगेगा टीका..
इसके साथ ही ऐसे किशोर जो जनपद में रह रहे है, लेकिन वह भारत के अलावा अन्य देश के नागरिक हैं, वे किशोर अपना पासपोर्ट दिखाकर जनपद के कोविड टीकाकरण केंद्रों पर जाकर ऑनस्पॉट पंजीकरण कराकर टीका लगवा सकते हैं। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज उप्रेती ने अपील की है कि सभी अभिभावक अपने 15 से 18 वर्ष आयु के बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवाएं।
उनका कहना हैं कि बच्चों के स्कूल में ही टीकाकरण करवाएं। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान का कहना हैं कि किशोरों के टीकाकरण की पूरी तैयारी कर दी गई है। इस संबंध में शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित किया गया है। साथ ही सभी हेल्थकेयर वर्कर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
देहरादून बना कोरोना का हाटस्पाट..
उत्तराखंड: कोरोना वायरस की रफ्तार फिर बढ़ने लगी है। दिसबंर के दूसरे पखवाड़े में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। जिससे आमजन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। माह के शुरुआती 15 दिन के मुकाबले द्वितीय पखवाड़े में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है।
दिसंबर की शुरुआत में राज्य में कोरोना के 258 मामले आए थे। जबकि, 16 से 30 दिसंबर के बीच यह संख्या बढ़कर 493 पहुंच गई है। दिसंबर की शुरुआत में हर दिन औसतन 17 मामले आ रहे थे। अब यह औसत 32 मरीज प्रतिदिन का है।
आपको बता दे कि राज्य में कोरोना का पहला मामला दून में आया था। बीते साल 15 मार्च को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के एक प्रशिक्षु में कोरोना की पुष्टि हुई थी। तब से अब तक दून लगातार चिंता का सबब बना रहा है। कोरोना चरम पर रहा तब भी और ढलान पर रहा तब भी, यहां मामलों में एक तरह की निरंतरता रही है।
दिसंबर में राज्य में कोरोना के 751 मामले आए, जिनमें 273 देहरादून जनपद में आए हैं। इस लिहाज से प्रदेश में आए कुल मामलों में 36 प्रतिशत दून में मिले। यही कारण है कि सक्रिय मामले भी सबसे ज्यादा दून में ही हैं। केवल देहरादून ही एकमात्र जिला है, जहां सक्रिय मामले 100 से ज्यादा हैं।
बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के देहरादून में एंट्री बंद, डीएम ने जारी किए आदेश..
उत्तराखंड: राजधानी देहरादून में दूसरे राज्यों से प्रवेश करने वाले लोगों के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य होगी। जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। उनका कहना है कि कोरोना टीके की दोनों डोज लगा चुके लोगों को इससे राहत रहेगी। लेकिन जिन्होंने अब तक दोनों डोज नहीं लगाई है, उन्हें हर हाल में 72 घंटे की निगेटिव रिपोर्ट लानी ही होगी।
जिलाधिकारी डा.आर राजेश कुमार का कहना हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) घोषित किया है। जिले में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आरटीपीसीआर टेस्टिंग को बढ़ाया जाना अतिआवश्यक है।
इसके साथ ही वर्तमान में जिले की सीमाओं आशारोड़ी, कुल्हान, रायवाला, आईएसबीटी, बस स्टेशन, जौलीग्रांट एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर रेंडम सैंपलिंग की जा रही है। जिसके चलते मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने राज्य में आने वाले सभी लोगों की अधिकतम 72 घंटे पहले की आरटी पीसीआर, ट्रू नेट, सीबीएनएएटी, आरएटी कोविड निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर ही जिले में प्रवेश देने की सिफारिश की है।
जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार का कहना हैं कि जिलाधिकारी की आख्या व सिफारिश के आधार पर 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर जांच की अनिवार्यता की गई है। जन सुरक्षाहित में बाहरी राज्यों व जिलों से आने वाले सभी लोगों को इसे लाने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। इसके साथ ही जो लोग कोविड टीके की दोनों डोज लगा चुके हैं, उन्हें रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता नहीं होगी। आपको बता दे कि लिखित आदेश में जिलाधिकारी ने इसका कोई जिक्र नहीं किया है।
देहरादून जिले में कोविड संक्रमितों के मिलने के बाद कई माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि सभी जोन में आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए संबंधित विभागों को आदेश दिए गए हैं। वहां पर बैरिकेडिंग से लेकर खाने-पीने की व्यवस्था तक के लिए अलग-अलग विभागों को कहा गया है। उनका कहना हैं कि जोन से बाहर जाने या जोन में प्रवेश करने पर पूरी तरह रोक रहेगी।
आपको बता दे कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसरत तेज कर दी है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.तृप्ति बहुगुणा ने प्रदेश के बाल रोग विशेषज्ञों की संस्था इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिशियन के साथ तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों पर चर्चा की। उनका कहना हैं कि अगर किसी परिवार के दो लोगों को खांसी-जुकाम है तो परिवार के सभी सदस्यों की कोविड जांच कराई जाए।
ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव को लेकर उत्तराखंड सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन..
उत्तराखंड: प्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ने से रोकने के लिए जिलाधिकारियों को सख्त कदम उठाने के निर्देश दे दिए गए हैं। कोविड के मामले बढ़े तो शादी व अन्य सार्वजनिक समारोह या अंत्येष्टि में शामिल होने वालों की संख्या को सीमित किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन बनेंगे और भीड़भाड़ वाले इलाकों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत बंदिशें भी लागू होंगी।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने सभी जिलाधिकारियों को ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव को लेकर निर्देश दिए हैं। राज्य सचिवालय में समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने बचाव एवं सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए जाने के निर्देश जारी दिए हैं। उन्होंने सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के जारी निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारियों को रोकथाम के उपाय एवं प्रतिबंधों का अनुपालन करने को कहा।
उनका कहना हैं कि सभी जिलों में कोविड के मामलों पर लगातार नजर बनाए रखें। जनसंख्या और इसके घनत्व के अनुरूप ओमिक्रॉन को फैलने से रोकने के लिए कंटेनमेंट जोन और प्रतिबंधों लगाए जाएं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को कंटेनमेंट स्ट्रैटेजी, टेस्टिंग, ट्रेकिंग, आइसोलेशन, सर्विलांस, पर्याप्त क्लीनिकल प्रबंधन, टीकाकरण और कोविड अनुकूल व्यवहार के अनुपालन की कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही उन्होंने कोविड मामलों के बढ़ने पर नाइट कर्फ्यू, अधिक भीड़ एकत्र होने पर प्रतिबंध, विवाह और अंत्येष्टि में संख्या कम करना, कार्यालयों, उद्योगों और सार्वजनिक परिवहन में संख्या सीमित करने जैसे कदम उठाए जाने के निर्देश दिए हैं।
विदेश से आए यात्रियों पर खास निगरानी रखी जाएगी। मुख्य सचिवका कहना हैं कि ऐसी यात्रियों की सैंपलिंग और मॉनिटरिंग को प्राथमिकता के साथ किया जाए। उन्होंने कोविड पॉजिटिव लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुरूप टेस्टिंग कराए जाने के निर्देश दिए।
नाइट कर्फ्यू के बाद दिन के खतरे पर कब तक होगा फैसला?
देश-विदेश: देश में कोरोना महामारी फिर से पैर पसार रही है, ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों ने राज्यों को नाइट कर्फ़्यू लगाने पर मजबूर कर दिया है, जिसके मद्देनज़र तमाम पाबंदिया भी लगा दी गई हैं, लेकिन सवाल यह है कि रैलियों में इकट्ठा होती भीड़ में क्या कोरोना नहीं पनप सकता? कोरोना के नए वैरियंट की रफ्तार ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है, जिसको देखते हुए लगभग सभी राज्य सरकारों ने अपने अपने राज्यों में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ़्यू लगाने का फ़ैसला लिया है।
भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। देश में ओमिक्रॉन के केस मिलने का रिकॉर्ड टूट गया है। दिल्ली से लेकर देहरादून तक, हरियाणा से लेकर कर्नाटक तक, सिर्फ एक जैसी बात। एक जैसा सवाल। दिल्ली में कोरोना के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और पिछले 24 घंटों में 496 संक्रमित मिले। दिल्ली में साढ़े 6 महीने बाद सबसे ज्यादा नए केस
और 1 दिन में कोरोना के नए केस में 50% बढ़ोतरी हो गई। वही मुंबई में कोरोना के नए मामलों में बड़ा उछाल दर्ज आया है।
ये सारे सवाल इसलिए हैं क्योंकि दिन के वक्त अभी ज्यादा पाबंदी नहीं है। रैली में नेताओं के भाषण सुनने लोग आते हैं तो क्या कोरोना वहां नहीं है। बाजार में सुबह शाम पैर रखने की जगह नहीं। क्या तब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं। जबकि सबसे ज्यादा भीड़ तो नेताओं की रैलियों में देखने को मिल रही हैं। क्या तब कोरोना का खतरा नहीं हैं। बावजूद इसके भी अभी तक दिन के खतरे पर कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ।
कोरोना के केस बढ़ते हैं तो सरकार के पास सबसे पहला और सरल ऑप्शन नाइट कर्फ्यू का होता है। इसलिए रात की पाबंदी शुरू हो जाती है। मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर ये वो राज्य हैं जहां फिलहाल नाइट कर्फ्यू लगा है। आने वाले वक्त में ये लिस्ट और लंबी हो सकती हैं।
आपको बता दे कि नाइट कर्फ्यू में रात 8 बजे, 10 बजे या 11 बजे से सुबह 5 या 6 बजे तक लोगों के बाहर जाने पर पाबंदी होती है। जिसका कारण ये है कि बेवजह भीड़ इकट्टी ना हो। सरकारों को लगता है कि इससे कोरोना केसेस की संख्या में कमी आ सकती है।लेकिन जब इससे हालात काबू नहीं हो पाते तो फिर लॉकडाउन लगाना पड़ता हैं। हालांकि इस बार भी यही पैटर्न फॉलो हो रहा है, लेकिन दिन में भीड़ दिखाई दे रही है।
रैली में लोग जुट रहे हैं तो इस पर भी कुछ लोग अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि सरकार सिचुएशन के हिसाब से फैसला कर रही है। कहने को तो केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कोरोना को लेकर गंभीर दिख रही हैं, लेकिन चुनावीं रैलियों में दिख रहा लोगों का हुजूम सभी नियमों पर सरकारी गंभीरता की धज्जियां उड़ा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हों या फिर अन्य नेताओ की रैली सभी रैलियों में जनता बिना मास्क लगाए दिख ही जाती हैं,
उत्तराखंड में नई एसओपी जारी,ओमिक्रॉन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की..
उत्तराखंड: प्रदेश में कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे से निपटने के लिए केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश में राज्य सरकार की ओर से नई एसओपी जारी की गई है। इसके तहत राज्य में सामाजिक दूरी के साथ तमाम नियमों का सख्ती के साथ पालन करने को कहा गया है।आपको बता दे कि मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधूू की ओर से जारी नई एसओपी में कहा गया है कि कोविड-19 के का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की है।
यह बहुत तेजी से फैलने वाला संक्रमण है। देशभर में ओमिक्रॉन के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों को अलर्ट किया जाता है कि वह कोविड गाइड लाइन का सख्ती के साथ पालन कराएं।
बचाव के लिए प्रत्येक जिले में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जायेगा। इसके साथ ही नियमों का पालन न करने वाले लोगों के साथ सख्ती से निपटा जायेगा। इसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई किए जाने का भी प्राविधान है, जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी।
एसओपी में सार्वजनिक स्थानों पर अनिवार्य रूप से मास्क पहनने, सामाजिक दूरी का पालन करने, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने, गुटखा, तंबाकू इत्यादि का इस्तेमाल करने पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, गर्भवती और स्तनपाल कराने वाली महिलाओं और दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड समेत देश के तमाम राज्यों में कोरोना के ओमिक्रॉन व डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण बढ़ने के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए जहां तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों में चार हजार ऑक्सीजनयुक्त बेड की व्यवस्था कर ली गई है। वहीं स्वास्थ्य महानिदेशालय के निर्देश पर जिला अस्पताल के अलावा सभी उपजिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अगले तीन माह के लिए दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
सीएमओ डॉ. मनोज उप्रेती का कहना हैं कि अब जबकि एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है और डेल्टा वैरिएंट के साथ ओमिक्रॉन भी लोगों को संक्रमित कर रहा है तो इसके मद्देनजर तमाम एहतियाती कदम उठा लिए गए हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए पूरे जिले में चार हजार ऑक्सीजनयुक्त बेड की व्यवस्था कर ली गई है।
देश में 10 प्रतिशत ऊपर पहुंची कोरोना संक्रमण दर..
देश-विदेश: दुनिया में कोरोना संक्रमण एक बार फिर से बेकाबू हो रहा है। जिसका आलम यह है कि 10 राज्यों के 27 दिलों में पिछले दो सप्ताह में संक्रमण दर में एकाएक उछाल आया है। कई जिले तो ऐसे हैं जहां पर संक्रमण दर 10 प्रतिशत के भी ऊपर पहुंच गई है, वहीं अन्य जिलों में यह पांच से दस प्रतिशत के बीच है। ऐसे में केंद्र ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर चेतावनी जारी की है, साथ ही अधिक संक्रमण दर वाले 27 जिलों पर नजर बनाए रखने को कहा है।
राज्यों को यह पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की ओर से लिखा गया है। इस पत्र में केंद्र की ओर से कई दिशा निर्देश दिए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि जिन जिलों में संक्रमण दर बेकाबू हो रही है, उन इलाकों को चयनित कर वहां पर कोरोना से बचाव के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्कता है। जरूरत पड़ने पर रात्रि कर्फ्यू, लोगों के इकट्ठा होने पर रोक, शादी या अन्य समारोह में भीड़ पर पाबंदी लगाने को भी कहा गया है।
केंद्र की रिर्पोट के अनुसार तीन राज्यों मिजोरम, केरल और सिक्कम के के आठ जिलों में संक्रमण दर 10 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है। वहीं सात राज्यों के 19 जिलों में यह पांच से दस प्रतिशत के बीच है। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार मिजोरम के हन्नाथियाल और सेरछिप जिले में संक्रमण दर क्रमश: 22.37 और 19.29 फीसदी है। इसके साथ ही यहां के तीन अन्य जिलों में भी 10 प्रतिशत के ऊपर संक्रमण दर पहुंच गई। साथ ही केरल के दो तो सिक्कम के एक जिले में 10 प्रतिशत के ऊपर कोरोना संक्रमण दर है।
राज्यों को यह दिए निर्देश..
आरटी पीसीआर जांच बढ़ाने पर ध्यान दें
विदेश से आने वालों की निगरानी में कोई लापरवाही न बरतें
संक्रमित मरीजों व उनके संपर्क में आने वालों की जांच व निगरानी की जाए
कोविड सतर्कता नियमों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश जारी करें सभी राज्य
देश में कोरोना के नए वैरिएंट की एंट्री, कर्नाटक में मिले दो मामले..
देश-विदेश: दुनिया के कई देशों में सामने आ रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन दहशत मचा दी है। अब देश में भी ओमिक्रॉन की एंट्री हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटे में देश में ओमिक्रॉन के दो मामले सामने आए हैं। दोनों मामले कर्नाटक मे मिले हैं। इनमें एक संक्रमित की उम्र 66 और दूसरे की 46 साल है।
जिसकी रिपोर्ट बुधवार को देर रात मिली। दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना हैं कि हमें डर या भय का माहौल नहीं बनाना है। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैक्सीन को अपनाना है। सरकार हालत पर नजर बनाए हुए है। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल का कहना हैं कि लगभग 29 देशों में अब तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के 373 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके पांच गुना और संक्रामक होने की आशंका है।
यूरोप में कोरोना के सबसे अधिक मामले..
दुनिया भर में समग्र रूप से देखे जा रहे मामलों में सबसे अधिक वृद्धि यूरोप में हुई है। यहां पिछले एक सप्ताह में दुनिया के 70 फीसदी मामले सामने आए हैं। 28 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यूरोपीय क्षेत्र में लगभग 2.75 लाख नए मामले और 31,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। इसकी तुलना में दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र जिसमें भारत और 11 अन्य देश शामिल हैं, वहां पिछले एक सप्ताह में केवल 1.2 लाख मामले दर्ज किए गए। दुनिया के कुल मामलों का केवल 3.1 फीसदी है। दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में मामलों में कमी दर्ज की जा रही है।
लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। हालांकि दो राज्यों में अभी भी संक्रमण के आंकड़े अधिक हैं। केरल और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं जहां 10,000 से अधिक सक्रिय मामले हैं। देश के 55 फीसदी मामले इन दो राज्यों में दर्ज किए गए हैं। लव अग्रवाल का कहना हैं कि टीकाकरण की दूसरी खुराक में वृद्धि हुई है। देश भर में टीकाकरण की संख्या बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। यूरोप क्षेत्र में बढ़ रहे कोरोना वायरस मामलों की संख्या, वैश्विक कोविड 19 मामलों के 70 फीसदी इसी क्षेत्र में दर्ज किए गए हैं।