परिवार पहचान पत्र बनेगा कई तालों की मास्टर चाबी, सरकार करेगी MoU पर हस्ताक्षर..
उत्तराखंड: प्रदेश में परिवार पहचान पत्र योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार अगले हफ्ते समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने जा रही है। इसके लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है। एजेंसी विभागों से योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से लेकर इसकी मॉनिटरिंग तक का काम करेगी। सरकार का मानना है कि परिवार पहचान पत्र योजना के जरिये एकत्रित होने वाले आंकड़ों से सरकार की अन्य योजनाओं, रोजगार, उद्यम, जनगणना, निर्वाचन और शहरी व ग्रामीण घरों के बारे में ताजा जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
यानी परिवार पहचान पत्र योजना की चाबी से सरकार सभी विभागों से जुड़ी वर्तमान और भावी योजनाओं के ताले खोल सकेगी। योजना के तहत दो तरह का परिवार पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। पहला उन परिवारों के लिए जो स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। दूसरा उन लोगों के लिए, जिनका राज्य में आना-जाना लगा रहता है। परिवारों को यूजर आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा, ताकि वे वेबसाइट पर अपने परिवार व सदस्यों के बारे में सूचनाओं को समय-समय पर अपडेट कर सकें।
पोर्टल तैयार, प्रकोष्ठ भी गठित
आपको बता दे कि परिवार पहचान पत्र का जिम्मा नियोजन विभाग को सौंपा गया है। नियोजन विभाग ने पहले चरण में राष्ट्रीय सूचना केंद्र के सहयोग से पोर्टल तैयार कर लिया है। इसी के जरिये योजना का संचालन और मॉनिटरिंग का कार्य होगा। नियोजन विभाग में एक प्रकोष्ठ का गठन कर दिया गया है, जिसमें योजनाकारों और विश्लेषकों को जिम्मेदारी दी गई है।
डुप्लीकेसी खत्म होगी, नहीं हो पाएगा फर्जीवाड़ा
परिवार पहचान पत्र बनने के बाद सरकार के पास प्रत्येक परिवार के बारे में यह जानकारी भी होगी कि वह किस-किस सरकारी योजना का लाभ ले रहा है। इससे योजनाओं में फर्जीवाड़े की आशंका कम होगी और डुप्लीकेसी नहीं हो पाएगी।
योजना से होंगे कई फायदे
1- सरकार के पास यह जानकारी होगी कि राज्य में कितने लोग बेरोजगार हैं।
2- लोगों को वेबसाइट पर यह जानकारी मिल सकेगी कि वे किन-किन योजनाओं के पात्र हैं और किनका लाभ ले रहे हैं।
3- परिवारों के उपलब्ध प्रमाणित आंकड़े जनगणना, निर्वाचन, सहकारिता, कृषि, उद्योग आदि के कार्यों में उपयोगी होंगे।
4- आंकड़े उपलब्ध होने से सर्वे कराने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
परिवार पहचान पत्र योजना के लिए जल्द एक एजेंसी के साथ हम एमओयू करने जा रहे हैं। यह एजेंसी योजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने में सहयोग करेगी। अन्य राज्यों का अध्ययन करने से हमें योजना को और प्रभावी बनाने में मदद मिली है।
सचिवालय और जिला कारागार सुद्धोवाला ईट राईट कैम्पस घोषित, सीएस ने सौंपा प्रमाण पत्र..
उत्तराखंड: भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, भारत सरकार (एफएसएसएआई) ने उत्तराखण्ड सचिवालय एवं जिला कारागार परिसर सुद्धोवाला को ईट राईट कैंपस घोषित किया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिव, सचिवालय प्रशासन एवं महानिरीक्षक जेल को भारत सरकार द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र सौंपते हुए इस पहल को महत्वपूर्ण, सराहनीय एवं कारगर बताया।
उत्तराखंड सचिवालय ईट राईट कैंपस के रूप में प्रमाणीकृत देश के चुनिन्दा सचिवालय परिसरों में शामिल हो गया है। सुरक्षित स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर भोजन उपलब्ध कराने एवं स्वच्छता के मानकों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा राज्य सचिवालय परिसर एवं जिला कारागार परिसर को ईट राईट कैंपस का प्रमाणपत्र निर्गत किया गया है।
मुख्य सचिव ने की सचिवालय प्रशासन की सराहना..
राज्य सचिवालय स्थित सभागार में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में इस सम्बन्ध में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर मुख्य सचिव द्वारा भारत सरकार की ओर से निर्गत ईट राईट कैम्पस प्रमाण पत्र को सचिवालय प्रशासन के सचिव दीपेन्द्र चौधरी एवं उपमहानिरीक्षक जेल को प्रदान किया गया। इस महत्वपूर्ण एवं कारगर पहल के लिए मुख्य सचिव ने सचिवालय प्रशासन की सराहना की और कार्यक्रम में मौजूद महानिरीक्षक जेल की ओर से ईट राईट कैंपस प्रमाणीकरण के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा की।
राधा रतूड़ी ने इस उपलब्धि के लिए सचिवालय परिसर में कार्यशील विभिन्न खान-पान सेवाओं, इंदिरा अम्मा भोजनालय, जी.एम.वी.एन कैन्टीन के फूड सुपरवाइजर को अपनी ओर से शुभकामनाएं दी। उनका कहना हैं कि उन्हें सुरक्षित एवं स्वच्छ खाद्य पदार्थ के मानक अनुसार अपनी सेवाऐं बनाए रखने की कसौटी पर प्रतिदिन खरा उतरना चाहिए।
ज्योतिर्मठ आपदा को लेकर बीकेटीसी अध्यक्ष ने की बैठक..
आपदा सचिव और कमिश्नर अक्टूबर में जाएंगे ज्योतिर्मठ..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के साथ बैठक कर ज्योतिर्मठ आपदा को लेकर विचार विमर्श किया। सचिव ने कहा कि ज्योतिर्मठ की सुरक्षा के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। सचिवालय में हुई बैठक में अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि ज्योतिर्मठ क्षेत्र का दौरा कर आपदा प्रभावितों व स्थानीय लोगाें के साथ बैठक कर समस्याओं को सुना जाए। कहा, भू-धंसाव क्षेत्र में सुरक्षात्मक कार्यों और प्रभावितों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है।
सचिव आपदा प्रबंधन का कहना हैं कि अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय, चमोली डीएम और अन्य अफसरों संग ज्योतिर्मठ का भ्रमण कर लोगों से बैठक करेंगे। ज्योतिर्मठ नगर की सुरक्षा के लिए शासन गंभीर है। विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर भी लोगों से वार्ता कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। बैठक में बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर सिंह पंवार भी मौजूद थे।
जस्टिस नरेंद्र जी होंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश..
10 अक्टूबर को रिटायर हो रही हैं चीफ जस्टिस रितु बाहरी..
उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्र जी को उत्तराखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट की वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी 10 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी की नियुक्ति 10 अक्टूबर से प्रभावी मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मंगलवार 24 सितम्बर को यह सिफारिश की है। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी का पैतृक हाईकोर्ट कर्नाटक है और वे कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश रहे हैं। उनकी नियुक्ति 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई और 10 अक्टूबर 2023 को आंध्र प्रदेश स्थान्तरित हुए थे। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले, उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकालत की। वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायिक और प्रशासनिक पक्षों में काफी अनुभवी न्यायाधीश हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने की सिफारिश..
कॉलेजियम ने माना है कि वर्तमान में कर्नाटक उच्च न्यायालय का उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं। इसलिये 10 अक्टूबर 2024 को उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति नरेंद्र जी को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी का जन्म 10 जनवरी 1964 को हुआ है। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 23 अगस्त, 1989 को बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। 1989 से 1992 तक मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। वर्ष 1993 में उन्होंने अपना पंजीयन कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल में स्थानांतरित किया।
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए दून से कर्णप्रयाग के बीच स्पीड तय..
उत्तराखंड: सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए देहरादून से कर्णप्रयाग के बीच सड़क पर वाहनों की गतिसीमा तय कर दी गई है। सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) फरीदाबाद ने सड़क का सर्वे कर परिवहन मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपी है। अब इसी आधार पर प्रदेश की अन्य सड़कों पर भी गति सीमा तय की जाएगी। हादसों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन मुख्यालय ने आईआरटीई फरीदाबाद को ट्रायल के तौर पर सड़क के अध्ययन और गति सीमा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान के विशेषज्ञों ने सड़क पर ट्रैफिक दबाव, सड़क की चौड़ाई, ढलान, सुरक्षा उपायों, पूर्व के हादसों पर अध्ययन किया।
पूरी सड़क पर वाहनों की गतिसीमा 25 से 50 किमी प्रति घंटा तय की गई है। दून से ऋषिकेश के बीच अधिकतम 50 की गतिसीमा है, जबकि पर्वतीय क्षेत्र में कई जगहों पर 25 की गतिसीमा भी रखी गई है। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह का कहना हैं कि आईआरटीई ने इस अध्ययन में पूरी सड़क को 22 हिस्सों में बांटकर उन पर यातायात दबाव व अन्य पहलुओं को देखते हुए यह गतिसीमा तय की है।
हर आधे किमी पर लगेंगे बोर्ड..
रिपोर्ट में ये भी सिफारिश की गई कि सड़क पर हर दाएं या बाएं मोड से पहले ही साइन बोर्ड लगाया जाएगा। हर आधे किलोमीटर पर ऐसे ही करीब 200 बोर्ड लगाए जाएंगे, ताकि दिन या रात में वाहन चलाने वालों को किसी तरह की असुविधा न हो। वह पहाड़ के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर भी आसानी से सुरक्षित वाहन संचालन कर सकें।
अब अन्य सड़कों पर तय होगी गतिसीमा..
आईआरटीई की ओर से राज्य के परिवहन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़कों पर गति सीमा तय करने के सभी मानक समझाए गए हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी ही सभी मानकों के हिसाब से वाहनों की गति सीमा तय करेंगे। मुख्यालय के स्तर से गति सीमा में बदलाव का नियम तत्काल प्रभाव से लागू किया या है। कुछ सड़कों पर गति सीमा भविष्य के आयोजनों को देखते हुए भी तय की जाएगी।सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत का कहना हैं कि गति सीमा को लेकर रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। इसका अनुपालन किया जा रहा है। अन्य सड़कों पर भी इसी पैटर्न पर वाहनों की गतिसीमा निर्धारित की जाएगी।
चारधाम यात्रा ने जोर पकड़ा, 22 दिन में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में 1.45 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन..
उत्तराखंड: सीजन के दूसरे चरण में चारधाम यात्रा धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह के 22 दिन में ही गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में 1.45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, इस साल यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा छह लाख के पार पहुंच चुका है। जबकि गंगोत्री धाम में भी 6.80 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।मानसून सीजन में अतिवृष्टि के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई थी। लेकिन अब बरसात थमते ही यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह 22 सितंबर तक दोनों धामों में अच्छी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना जता रहा है। जानकीचट्टी व फूलचट्टी के मध्य में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त सड़क के स्थान पर नवनिर्मित वैकल्पिक मार्ग पर यातायात शुरू कर दिया गया है।
दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड है बना सकती..
जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को कपाट खुलने के बाद 136 दिन की यात्रा में यमुनोत्री धाम में कुल 602364 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं गंगोत्री धाम में यह संख्या 680950 हो गई है। अभी यात्रा काल के लिए डेढ़ माह का समय शेष है, ऐसे में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है। डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों को यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने एवं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तय एसओपी के अनुसार ही आवागमन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा से वंचित दिव्यांग बच्चों की होगी गणना, प्रबंधकीय पदों पर कितनी महिलाएं, होगा सर्वे..
उत्तराखंड: सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रदेश में शिक्षा से वंचित दिव्यांग बच्चों की गणना करने के अफसरों को निर्देश दिए। कहा कि स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था की जाए। इसके लिए राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान (एनआईवीएच) सहित देश के चार प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों की मदद लेने के भी निर्देश दिए। उनका कहना हैं कि प्रसव पूर्व देखभाल के लिए तैनात एएनएम के भ्रमण की ट्रैकिंग की जाए।
राज्य सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में उन्होंने टोल फ्री नंबर 104 से ट्रैकिंग प्रणाली को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया। हरिद्वार एवं ऊधम सिंह नगर में मातृ मृत्यु दर को कम करने पर विशेष प्रयास होने चाहिए। इन दोनों जिलों की रैंकिंग में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को प्रदेशभर में गर्भवती महिलाओं की ट्रैकिंग, एएनसी, एनीमिया की स्थिति पर गैर सरकारी स्वास्थ्य संगठनों के साथ कार्य करने के लिए जल्द एक एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए। बैठक में सचिव आर मीनाक्षी सुंदर, डॉ. आर राजेश कुमार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
निजी क्षेत्र में प्रबंधकीय पदों पर कितनी महिलाएं, होगा सर्वे..
मुख्य सचिव ने श्रम विभाग को निर्देश दिए कि वह निजी क्षेत्र में प्रबंधकीय पदों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लक्ष्य के संबंध में सर्वेक्षण और डेटा एकत्रित करें। विभाग को इसके लिए नोडल बनाया गया। महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के मामलों पर उन्होंने पुलिस विभाग को महिला हेल्प डेस्क पर आने वाली प्रताड़ित महिलाओं को सेफ हाउस में रखने और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
आयुवार आत्महत्या के आंकड़े जुटाएगी पुलिस..
मुख्य सचिव ने राज्य में आत्महत्या के मामलों के संबंध में पुलिस विभाग को आयु के अनुसार आत्महत्या के आंकड़ों की जानकारी एकत्रित करने के निर्देश दिए। ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जा सकेगी। उन्होंने एससी व्यक्ति के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की प्रभावी जांच एवं ससमय क्षतिपूर्ति वितरण के निर्देश दिए।
चारधाम यात्रा के सौ दिन पूरे होने पर एसडीसी फाउंडेशन ने मुख्य सचिव को सौंपी रिपोर्ट..
उत्तराखंड: एसडीसी फाउंडेशन ने मुख्य सचिव को अपनी ‘डाटा एनालिसिस ऑफ 100 डेज- उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2024 मिड टर्म रिपोर्ट सौंपी है। फाउंडेशन ने ये रिपोर्ट चारधाम यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर जारी की थी। फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात कर ये रिपोर्ट सौंपी। मुख्य सचिव ने चार धाम रिपोर्ट को पर्यटन विभाग को प्रेषित करने का आश्वासन दिया। एसडीसी फाउंडेशन ने चारधाम यात्रा के सौ दिन पूरे होने पर जारी की गई रिपोर्ट को मुख्य सचिव को सौंपा है। बता दें कि उत्तराखंड के चार धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। 10 मई को केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुले थे। 12 मई को बद्रीनाथ और 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिये गये थे। 17 अगस्त को यात्रा ने अपने 100 दिन पूरे किये थे। इस मौके पर एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र और विभिन्न जिलों में स्थित यात्रा कन्ट्रोल रूम द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई थी।
चारधाम यात्रा के सौ दिन पूरे होने पर जारी की गई थी रिपोर्ट..
रिपोर्ट के अनुसार पहले 100 दिन में 32,61,095 तीर्थयात्री चारों धामों और हेमकुंड साहिब आ चुके थे। पहले 30 दिनों में 60 प्रतिशत यानी 19,56,269 तीर्थयात्री आयेे। बाकी के 70 दिनों में 40 प्रतिशत यानी 13,04,826 तीर्थयात्री आये थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि पहले सौ दिन में सबसे ज्यादा 10,92,284 तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचे। बद्रीनाथ में इस दौरान 9,05,954 , गंगोत्री में 5,98,723, यमुनोत्री में 5,14,472 तीर्थयात्री पहुंचे। हेमकुंड साहिब में 1,49,662 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए।
100 दिनों में कुल 183 तीर्थयात्रियों की हुई मौत..
रिपोर्ट में इस दौरान धामों में मरने वालों की संख्या को भी जगह दी गई है। पहले 100 दिनों में कुल 183 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई। सबसे ज्यादा 89 तीर्थयात्रियों की मौत केदारनाथ में हुई थी। इनमें 6 की मौत प्राकृतिक आपदा के कारण और बाकी 83 की मौत स्वास्थ्य कारणों से हुई थी। बद्रीनाथ में 44, यमुनोत्री में 31, गंगोत्री में 15 और हेमकुंड साहिब में 4 लोगों की मौत स्वास्थ्य कारणों से हुई।
इस बार भी चारधाम यात्रा रही बेहद अव्यवस्थित..
अनूप नौटियाल के अनुसार इस बार भी चारधाम यात्रा बेहद अव्यवस्थित रही। इसके साथ ही चारों धामों की कैरिंग कैपेसिटी पर भी ध्यान नहीं दिया गया। इन्हीं चिंताओं के चलते एसडीसी फाउंडेशन ने ये रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट को मुख्य सचिव को सौंपने का उद्देश्य भी यही था कि इन अव्यवस्थाओं की तरफ ध्यान दिलाया जा सके और भविष्य में चार धाम यात्रा के बेहतर प्रबंधन पर काम किया जा सके। उनका कहना हैं कि मुख्य सचिव से उन्होंने मुख्य रूप से चारों धामों की कैरिंग कैपेसिटी को लेकर बात की और अनुरोध किया कि कैरिंग कैपेसिटी का आकलन करके ही चारों धामों और हेमकुंड साहिब में प्रतिदिन तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की जाए। इसके साथ ही उन्होंने इस वर्ष की यात्रा समापन के उपरांत समस्त स्टेकहोल्डर्स के साथ विमर्श कर भविष्य में चारधाम यात्रा के बेहतर संचालन पर भी अपनी बात रखी।
रोमांच के शौकीनों का इंतजार खत्म, आज से उठाएं गंगा में राफ्टिंग का लुत्फ..
उत्तराखंड: आज से पर्यटक गंगा में रिवर राफ्टिंग का आनंद ले सकेंगे। पर्यटक ब्रह्मपुरी और मरीन ड्राइव से राफ्टिंग करेंगे। बरसात के कारण 30 जून को गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग का संचालन बंद हो गया था। साहसिक खेल विभाग ने संयुक्त निरीक्षण टीम की रिपोर्ट पर गंगा में रिवर राफ्टिंग की अनुमति दी है। रिवर राफ्टिंग का संचालन शुरू होने पर राफ्टिंग व्यवसायी अपने राफ्ट और अन्य उपकरणों को व्यवस्थित करने में जुट गए हैं। दिल्ली, हरियाणा, मुंबई, राजस्थान, कलकत्ता समेत कई प्रांतों के पर्यटक मुनि की रेती, शिवपुरी, लक्ष्मणझूला, तपोवन, स्वर्गाश्रम आदि क्षेत्रों में रिवर राफ्टिंग के लिए पहुंचते हैं।
रोजाना सैकड़ों की तादाद में पर्यटक शिवपुरी, ब्रह्मपुरी और क्लब हाउस राफ्टिंग प्वाइंटों से राफ्टिंग का लुत्फ उठाते हैं। राफ्टिंग संचालन की अनुमति मिलने पर राफ्ट व्यावसायियों के चेहरे खिले हैं। राफ्टिंग कारोबारी जीतपाल सिंह, राज सिंह, हुकुम सिंह रावत, विनोद थपलियाल, विजय बहादुर, विजय भारद्वाज, भगवान रावत, अनुभव पयाल और सुमित पाल का कहना हैं कि करीब ढाई महीने बाद राफ्टिंग का संचालन शुरू हो रहा है।
इससे व्यावसायियों और गाइडों में उत्साह है। ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग आनी शुरू हो गई है। राफ्टिंग का संचालन शुरू होने से क्षेत्रीय होटल, धर्मशाला, यातायात के रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। इस बाबत साहसिक खेल अधिकारी जसपाल चौहान का कहना हैं कि नदी का जलस्तर बढ़ा होने से अभी मरीन ड्राइव से शिवपुरी और ब्रह्मपुरी से रामझूला, नीमबीच तक ही राफ्टिंग का संचालन होगा। उनका कहना हैं कि जैसे-जैसे पानी का जलस्तर कम होगा, वैसे ही क्लब हाउस, कौडियाला समेत अन्य राफ्टिंग प्वाइंटों को भी खोल दिया जाएगा।
उत्तराखंड में औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की नई किस्म तैयार की जाएगी, जानिए कहां-कहां होता है इस्तेमाल..
उत्तराखंड: प्रदेश में प्राकृतिक और घरेलू उपयोग के लिए उगाई जाने वाली भांग के बीज से नई किस्म तैयार की जा रही है। सगंध पौध केंद्र (कैप) सेलाकुई इस पर शोध कर रहा है। प्रदेश भर से भांग बीज के एक हजार सैंपल एकत्रित किए। जिनमें ट्रेटा हाइड्रो कैनाबिनाॅल (टीएचसी) की मात्रा का पता लगाया गया। जिन बीज में टीएचसी की मात्रा 0.3 से कम है। उन बीज से नई किस्म तैयार की जा रही है। जिसके तने से फाइबर और बीज का इस्तेमाल मसाले, चटनी, बेकरी व अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में किया सकेगा।
राज्य में कई सालों से स्थानीय लोग भांग के बीज और रेशे का पारंपरिक उपयोग करते हैं। इसकी उपयोगिता को देखते हुए 40 से अधिक देशों में भांग की किस्म औद्योगिक हैंप की व्यावसायिक खेती होती है। त्रिवेंद्र सरकार के समय उत्तराखंड ने भी औद्योगिक हैंप की व्यावसायिक खेती की शुरुआत के लिए कदम बढ़ाए थे।
आपको बता दे कि ट्रायल के तौर पर कई लोगों को औद्योगिक हैंप की खेती के लिए लाइसेंस भी दिए थे। दुरुपयोग रोकने के लिए नियमावली बनाने का काम किया। लेकिन अभी तक राज्य में बड़े स्तर पर औद्योगिक हैंप की खेती शुरू नहीं हो पाई। औद्योगिक हैंप की उपयोगिता और मांग को देखते हुए सगंध पौध केंद्र के सेलाकुई फार्म में नई किस्म तैयार की जा रही है। जिसके बाद नई किस्म में टीएचसी मात्रा की जांच व अन्य मानकों को परखा जाएगा।
40 देशों में भांग की खेती और व्यापार..
बता दे कि उत्तराखंड की जलवायु औद्योगिक भांग की खेती के अनुकूल है। लेकिन अभी हैंप को प्रदेश में व्यावसायिक रूप नहीं मिला है। विश्व के 40 देशों में हैंप की खेती और व्यापार किया जा रहा है। इसमें प्रमुख देश अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, डेनमार्क, चीन, थाईलैंड, ब्राजील शामिल हैं।
हैंप के फाइबर का ऑटोमोबाइल व फर्नीचर में होता है इस्तेमाल..
औद्योगिक हैंप के तने से फाइबर तैयार किया जाता है। जिसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, टैक्सटाइल व पेपर बनाने में किय जाता है। इसके साथ ही बीज से स्नैक्स फूड, सूप, चटनी, मसाला, बेकरी, पास्ता, चॉकलेट, पेय पदार्थ, एनर्जी ड्रिंक, जूस बनाने में किया जाता है।
उत्तराखंड में 36 लोगों को खेती के लिए लाइसेंस..
उत्तराखंड में औद्योगिक हैंप की खेती के लिए देहरादून, पौड़ी, बागेश्वर, चंपावत, चमोली, अल्मोड़ा जिले में आबकारी विभाग के माध्यम से 36 को लाइसेंस दिए गए हैं। पहली बार उत्तराखंड में औद्योगिक हैंप की नई किस्म तैयार करने पर शोध किया जा रहा है। प्रदेश भर से एकत्रित किए बीज से पौधे तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें टीएचसी की मात्रा 0.3 से कम होगी। जल्द ही सगंध पौध केंद्र को इसमें कामयाबी मिलेगी।