पर्यटकों के लिए खुशखबरी, आसमान से होगा गौरसों बुग्याल का दीदार..
औली से गौरसों बुग्याल तक बनेगा रोपवे..
उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड वासियों और पर्यटकों के लिए अच्छी खबर सामने आयी है। चमोली में औली से गौरसों बुग्याल तक रोपवे बनाया जाएगा। इसके सर्वे के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की 23वीं बोर्ड बैठक में सर्वे के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की 23वीं बोर्ड बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें पर्यटन मंत्री ने औली से गौरसों बुग्याल तक रोपवे बनाने के लिए जल्द सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही बैठक में समूह ‘क’ और ‘ख’ सेवानियमावली-2013 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ है।आपको बता दें कि औली से गौरसों तक प्रस्तावित रोपवे दो किमी लंबाई का है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा विशेष बजट प्रस्तावित है। जनवरी, फरवरी व मार्च में तो गौरसों बर्फ से लबालब रहता है। जिस कारण यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। बर्फ पिघलने के बाद भी यहां पर्यटक आएं इसलिए रोपवे बनाया जाना है। इसके साथ ही यहां पैदल ट्रैक भी बनाए जाने हैं।
सीएम धामी ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में सचिव समिति की बैठक में प्रतिभाग किया। सीएम धामी राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सचिव समिति की बैठक में प्रतिभाग किया। तीन घण्टे तक चली इस बैठक में राज्यहित से जुड़े विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। सीएम धामी का कहना हैं कि राज्य हित से जुडी योजनाओं के नीति-निर्धारण और सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पंहुचाने में सचिवगणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सचिव सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं। शासन और प्रशासन एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। राज्य के हर क्षेत्र में विकास के साथ ही, लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए हम सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे। लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाये बिना राज्य के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।
उनका कहना हैं कि योजनाओं के बेहतर निर्माण के साथ ही उनके सफल क्रियान्वयन के लिए पूरा एक्शन प्लान बनाया जाना चाहिए। सरकार की योजनाओं और निर्णयों का प्रभाव करोड़ों लोगों के जीवन पर पड़ता है। इसलिए योजनाओं और निर्णयों में राष्ट्रहित और जनहित पहली प्राथमिकता में होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सचिवों को निर्देश दिए कि विभागों के रिक्त पदों का अधियाचन शीघ्र आयोगों को भेजे जाएं। सुनिश्चित कार्ययोजना के साथ आगामी दो सालों में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की जाए।
सीएम ने कहा कि कार्यों और योजनाओं के निर्माण में नवाचार पर विशेष ध्यान दिया जाए और आधुनिक तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल किया जाए। जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जनहित से जुड़े कार्यों में सही रास्ता निकालने की सबके मन में भावना होनी चाहिए। जन अपेक्षाओं के अनुसार हम उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अपने कार्यक्षेत्र में क्या विशिष्ट कार्य कर सकते हैं, इस दिशा में सभी अधिकारी पूरे मनोयोग से कार्य करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेंस की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों में जिन इंडिकेटरों में हमें सुधार की आवश्यकता है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। जिन इन्डीकेटर पर राज्य में अच्छा कार्य हुआ है, उनको बनाये रखना हमारे सामने चुनौती भी होगी।
सीएम ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि सचिव समिति की बैठक में राज्यहित से जुड़े विषयों की नियमित समीक्षा की जाए। श्रेष्ठ उत्तराखण्ड के निर्माण के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना है। उन्होंने कहा कि आगामी एक वर्ष के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं का एक रोस्टर प्लान बनाया जाए। जिसमें ऐसी योजनाएं शामिल हों, जो व्यापक जनहित वाली हों। जनपदों के प्रभारी सचिव समय-समय पर जनपदों में जाकर योजनाओं की नियमित समीक्षा करें और विभिन्न व्यवस्थाओं में सहयोग करें।
पर्वतीय जिलों में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उत्साह, कई जगह ग्रिड फुल..
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मांगा बजट..
उत्तराखंड: प्रदेश के पर्वतीय जिलों में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने को जबर्दस्त उत्साह नजर आ रहा है। उत्तरकाशी, टिहरी और अल्मोड़ा में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट लग रहे हैं। उत्तरकाशी व कई जगहों पर तो यूपीसीएल की क्षमता के हिसाब से ग्रिड फुल हो गई है। अब निगम ने सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए बजट की मांग की है। सरकार ने सौर ऊर्जा की नई नीति जारी की थी। इसके तहत 200 किलोवाट तक के सोलर प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं। पर्वतीय जिलों में सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। महिला के नाम से प्रोजेक्ट होने पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलती है। इस योजना के तहत 20, 25, 50, 100 और 200 किलोवाट के सोलर प्लांट लगा सकते हैं।
पात्र व्यक्ति अपनी निजी भूमि या लीज पर जमीन लेकर सोलर प्लांट लगा सकते हैं। योजना के तहत केवल राज्य के स्थायी निवासी ही आवेदन कर सकते हैं। उनकी आयु 18 साल से अधिक होनी चाहिए। योजना के तहत 50 किलोवाट के सोलर प्लांट के लिए 750-1000 वर्ग मीटर, 100 किलोवाट के लिए 1500-2000, 200 किलोवाट के लिए 3000-4000 वर्गमीटर जमीन जरूरी होगी।
पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा..
आपको बता दे कि योजना पर 50 हजार प्रति किलोवाट का खर्च अनुमानित होगा। 50 किलोवाट से 76000 यूनिट, 100 किलोवाट से 152000 और 200 किलोवाट से 304000 यूनिट बिजली सालाना पैदा होगी। योजना के तहत यूपीसीएल 25 साल के लिए बिजली खरीदेगा। जो भी बिजली यूपीसीएल के पास आएगी, उसका पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा। इसका असर नजर आ रहा है। आलम ये है कि उत्तरकाशी में तो अब नए प्रोजेक्ट की गुंजाइश ही नहीं बची है।
यहां यूपीसीएल की ग्रिड क्षमता के हिसाब से प्रोजेक्ट आवंटन पूरा हो गया है। टिहरी व अल्मोड़ा में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है। यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य का कहना है कि पर्वतीय जिलों में भारी उत्साह के बीच अब हमें इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की जरूरत है। लिहाजा शासन को पत्र भेजकर इसके लिए बजट की मांग की गई है।
बता दे कि अगर आप 50 किलोवाट का प्रोजेक्ट लगाते हैं तो इस पर कुल खर्च 25 लाख का होगा। इससे सालाना 76 हजार यूनिट बिजली पैदा होगी। कुल 17 लाख 50 हजार रुपये का लोन मिलेगा। एमएसएमई योजना के तहत 7 लाख 50 हजार की सब्सिडी मिलेगी। बिजली वर्तमान 4.49 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेचने पर सालाना 3 लाख 41 हजार 240 की कमाई होगी। सालाना 35 हजार का खर्च मेंटिनेंस का होगा। माहवार किश्त 9,557 रुपये और कमाई 15,963 रुपये होगी। लोन खत्म होने के बाद माहवार कमाई 25,520 रुपये हो जाएगी।
सोशल मीडिया के इंपैनल के लिए बनाई जाएगी योजना, तहसील स्तर पर भी मिलेगी पत्रकारों को मान्यता..
उत्तराखंड: सीएम धामी की अध्यक्षता में सोमवार को सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग की समीक्षा बैठक हुई। विभाग के कार्यों की समीक्षा से सीएम धामी संतुष्ट हुए। प्रदेश में सोशल मीडिया के इंपैनल के लिए योजना बनाई जाएगी। इसके साथ ही अब तहसील स्तर पर भी पत्रकारों को मान्यता मिल सकेगी। उत्तराखंड में अब सोशल मीडिया के इंपैनल के लिए योजना बनाई जा रही है। सोशल मीडिया यानी फेसबुक, यूट्यूब , ट्विटर आदि को इंपैनल के लिए योजना बनाई जाएगी। सोमवार को सीएम धामी ने सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने पत्रकार कल्याण के कार्यों के लिए विभागीय कार्यों को सराहा। इसके साथ ही बैठक में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से सम्बंधित कार्यों पर गहन मंथन हुआ।
पत्रकारों का अंशदान कोटा 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ किया गया है। सीएम धामी ने विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की की सराहना की। विभाग के हर प्रभाग का खुद सीएम धामी ने निरीक्षण किया। पत्रकारों के मान्यता प्राप्त कोटा को भी बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही अब तहसीलदार स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हो सकेगी।
उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं का सितंबर में सस्ता आएगा बिल, 60 पैसे तक घटे यूनिट
उत्तराखंड: अगले महीने बिजली का बिल सस्ता आएगा। यूपीसीएल ने अगस्त माह की फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) दरें घोषित कर दी हैं। इसके तहत बिजली बिल में 15 पैसे लेकर 60 पैसे प्रति यूनिट तक की कमी हो गई है। सितंबर के बिल में प्रति यूनिट यह छूट मिलेगी। यूपीसीएल हर महीने आपूर्ति के लिए बाजार से बिजली खरीदता है। बाजार से महंगी या सस्ती बिजली का असर बिल में नजर आता है। अगर निर्धारित से अधिक दरों पर बिजली खरीदी तो उसी अनुपात में बिल में प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाती है। सस्ती खरीद होने पर प्रति यूनिट उतनी ही कमी कर दी जाती है। यूपीसीएल प्रबंधन ने अगस्त माह में एफपीपीसीए दरों की घोषणा कर दी है। निगम प्रबंधन का कहना है कि सितंबर माह के बिजली बिल में इसी हिसाब से छूट दी जाएगी। केंद्र सरकार ने राज्य को गैर आवंटित कोटे से मिल रही 100 मेगावाट बिजली की अवधि सितंबर तक बढ़ा दी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर पहले यह बिजली 31 जुलाई तक मिली थी। सीएम धामी ने इसे आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद केंद्र के गैर आवंटित कोटे से 30 सितंबर तक 100 मेगावाट बिजली राज्य को मिलती रहेगी।
केदारघाटी के सुरेंद्र और सतपाल ने घोड़े की लगाम और गमछे के सहारे बचाई 1000 से ज्यादा यात्रियों की जान..
उत्तराखंड: केदारनाथ में पांच दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। लगातार लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। रेस्क्यू के दौरान केदारघाटी के ही रहने वाले और घोड़ा-खच्चर का संचालन करने वाले सुरेंद्र और सतपाल केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए देवदूत बन गए। सुरेंद्र और सतपाल ने घोड़े की लगाम और गमछे की सहायता से एक हजार लोगों की जान बचाई है। 31 जुलाई को केदारघाटी में बादल फटने के कारण भारी तबाही मची। केदारनाथ पैदल मार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया तो कई स्थानों पर वॉशआउट हो गया। जिस कारण हजारों यात्री रास्तों में ही फंस गए। एक अगस्त की सुबह से लेकर शाम तक केदराघाटी के रहने वाले सुरेंद्र और सतपाल ने घोड़े की लगाम और गमछे की मदद से एक हजार से भी ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया है। सेक्टर मजिस्ट्रेट ने दोनों युवाओं की तारीफ की है।
बारिश रूकते ही शुरू कर दिया था रेस्क्यू..
31 जुलाई को जैसे ही बारिश रूकी दुकान और घोड़े-खच्चरों का संचालन करने वाले दो युवाओंं सुरेंद्र और सतपाल ने रेस्क्यू शुरू कर दिया। दोनों ने मिलकर विपत्ति में फंसे लोगों को सुरक्षित बचाने की ठानी और कोशिश की। उनकी कोशिश रंग लाई। जैसे ही बारिश रूकी और मंदाकिनी नदी का प्रवाह थोड़ कम हुआ तो सुरेंद्र और सतपाल केदारनाथ मुख्य पैदल मार्ग पर पहुंचे। उन्होंने यहां फंसे हुए 50 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद मोबाइल फोन की रोशनी में दोनों युवा दो किमी आगे बढ़े और रामाबाड़ा पहुंचे। जहां उन्होंने 100 से ज्यादा यात्रियों को अलग-अलग स्थानों से रेस्क्यू किया। सभी यात्रियों को उन्होंने हाथ पकड़कर और एक-दूसरे का सहारा बनाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
एक अगस्त को लिंचोली से लोगों को किया रेस्क्यू..
सुरेंद्र और सतपाल को जानकारी मिली की लिंचोली में भी कई श्रद्धालु फंसे हुए हैं। उन्होंने रात बीतने का इंतजार किया और सुबह तड़के ही पांच बजे लिंचोली के लिए निकल गए। दोनों घोड़ा-खच्चरों की लगाम, प्लास्टिक पाइप और गमछे लेकर लिंचोली पहुंचे थे। लिंचोली में हिमखंड जोन में पूरा रास्ता ध्वस्त हो गया था और यहां गहरी खाई बन गई थी। इस खाई को पार करना आसान नहीं था। खाई के उस पार करीब आठ सौ लोग फंसे हुए थे। जो कि केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहे थे जिनमें बच्चे महिलाएं और बुजुर्गों की संख्या ज्यादा थी।
सुरेंद्र और सतपाल ने हार नहीं मानी और मुख्य रास्ते के ऊपर से एक फीट चौड़ा व बीस मीटर लंबा अस्थायी रास्ता बनाया। इसके बाद घोड़े की लगाम, गमछों और प्लास्टिक की पाइप की सहायता से एक रस्सी बनाई जिसे उन्होंने पेड़ पर बांधा। जिसके बाद दोनों नीचे उतरे और एक-एक कर यात्रियों को सकुशल ऊपर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया। दोनों युवा बिना किसी मदद के दोपहर 12 बजे तक लोगों को निकालते रहे। 12 बजे बाद सुरक्षा जवान मौके पर पहुंचे और उनकी मदद की। उनके इस काम की हर ओर तारीफ हो रही है। सुरेंद्र और सतपाल का कहना है कि बाबा केदार के आशीर्वाद से ही उन्होंने लोगों को रेस्क्यू किया।
पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को घर के रखरखाव के लिए मिलेंगे एक लाख रुपये- CS..
उत्तराखंड: प्रदेश के पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को घर के रखरखाव के लिए एक लाख रुपये मिलेंगे। यह धनराशि 15 साल में एक बार मिलेंगी। सचिवालय में हुई उत्तराखंड सैनिक पुनर्वास संस्था की कार्यकारिणी समिति की बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं बैठक में देश के लिए बलिदान देने वाले प्रदेश के सैनिकों के आश्रितों को 10 लाख का अनुदान देने पर सहमति बनी। बैठक में बालकों की तुलना में बालिकाओं की छात्रवृत्ति बढ़ाने की भी सिफारिश की गई, जिसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा।
उत्तराखंड सैनिक पुनर्वास संस्था की कार्यकारिणी समिति की बैठक में पूर्व सैनिकों की मृत्यु पर आश्रितों को संस्था की ओर से अंतिम संस्कार के लिए 10,000 रुपये अनुदान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग के साथ अब कानून की शिक्षा के लिए 50,000 की छात्रवृत्ति, नॉन पेंशनभोगी पूर्व सैनिकों, उनकी विधवाओं को आकस्मिकता अनुदान 25,000 रुपये हर साल, पूर्ण रूप से दिव्यांग पूर्व सैनिकों को दो लाख रुपये हर साल आर्थिक मदद देने पर सहमति बनी। जेसीओ रैंक तक के पूर्व सैनिक और सैनिक विधवाओं के आश्रितों को यह अनुदान राशि दी जाएगी। प्रदेश के पूर्व सैनिक आश्रितों के सेना, अर्द्धसैनिक बल एवं राज्य पुलिस में चयन पर 40,000 रुपये अनुदान देने पर सहमति बनी है। पहले भर्ती पूर्व प्रशिक्षण केंद्रों से प्रशिक्षण लेने वाले पूर्व सैनिक आश्रितों के भर्ती होने पर 20,000 रुपये का अनुदान दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 40,000 रुपये देने पर सहमति बनी है।
अनाथ एवं सैनिक विधवाओं के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति..
कक्षा एक से आठवीं तक बालकों को हर साल 12,000 रुपये व बालिकाओं को 15,000 रुपये, आठवीं से स्नातकोत्तर तक बालकों को हर साल 20,000 रुपये एवं बालिकाओं को 25,000 रुपये देने पर सहमति बनी। बैठक में सचिव दीपेंद्र चौधरी, समिति के सदस्य मेजर जनरल जीएस रावत (सेनि) आदि मौजूद रहे।
परिवहन विभाग के कर्मियों ने दोबारा शुरू किया कार्य बहिष्कार,सीएम के निर्देश पर किया था निलंबित..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग में हुए बड़े सड़क हादसे के बाद ऋषिकेश के तपोवन में ड्यूटी कर रहे चार कर्मचारियों को सीएम धामी के निर्देश पर निलंबित कर दिया था। जिसके बाद प्रवर्तन कर्मचारी संगठन परिवहन विभाग उत्तराखंड के कर्मचारियों ने आज रूडकी आरटीओ कार्यालय के बाहर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक कार्य बहिष्कार किया.परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने सरकार से चारों निलंबित अधिकारियों को बहाल करने की मांग की है। हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि पहले तो सभी कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर अपना विरोध जताया था। जिसके बाद उन्हें सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने प्रदर्शन को स्थगित कर दिया था।
लेकिन अभी तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गई है। जिसके चलते सभी कर्मचारियों ने तीन अगस्त से एक बार फिर दो घंटे के लिए कार्य बहिष्कार का फैसला किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर कर्मचारियों को बहाल नहीं किया जाता तो कल से वह पूरे दिन हड़ताल में बैठेंगे। बता दें 15 जून को रुद्रप्रयाग में हुए सड़क हादसे के मामले में प्रशासन ने लापरवाही मानते हुए चार परिवहन विभाग के कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद से पूरे मिनिस्ट्रियल संघ में आक्रोश है। रुद्रप्रयाग के रैंतोली के पास हुए हादसे में 15 यात्रियों की मौत हुई थी। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की निलंबित कर्मियों के बहाली की मांग की है।
पेरिस ओलंपिक में शानदार उपलब्धि के लिए सीएम धामी ने सरबजोत सिंह को दी शुभकामनाएं..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पेरिस ओलंपिक-2024 की 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्सड टीम स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक अर्जित करने वाले देश के सपूत सरबजोत सिंह से फोन पर बात कर उन्हें इस शानदार उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दी। गौरतलब हो कि सरबजोत सिंह ने एशियन गेम्स-2022 में पुरुष टीम इवेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इन्हीं खेलों में वह मिक्स्ड टीम इवेंट में सिल्वर मेडल जीतने में भी सफल रहे थे। पिछले साल कोरिया में खेली गई एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता था और इसी के साथ पेरिस ओलंपिक का कोटा भी हासिल कर लिया था। पिछले साल ही भोपाल में आयोजित किए गए वर्ल्ड कप में उन्होंने इंडीविजुअल इवेंट में गोल्ड जीता था।
केदारनाथ में बचाव अभियान पांचवें दिन भी जारी..
सीएम धामी ने मदद के लिए स्थानीय लोगों का जताया आभार..
उत्तराखंड: प्रदेश में भारी बारिश और बादल फटने की वजह से केदारनाथ धाम के रामबाड़ा से भीमबली क्षेत्र में फंसे हुए लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर सर्च अभियान पांचवें दिन भी जारी है। लोगों को खोजने के लिए स्निफर डॉग की मदद ली जा रही है।
लिनचोली से रामबाड़ा क्षेत्र तक सर्च अभियान पूरा किया जा चुका है। जिसमें अब तक किसी व्यक्ति के मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। सोमवार सुबह को डीडीएमओ नंदन सिंह रजवार के नेतृत्व में रामबाड़ा से भीमबली क्षेत्र में सर्च अभियान शुरू किया गया। श्री केदारनाथ धाम से 100 लोगों को सुरक्षाबलों की निगरानी में लिनचोली हेलीपैड रवाना किया गया है।
वहीं एनडीआरएफ की टीमें जंगल एवं मंदाकिनी नदी के आसपास भी लगातार सर्च अभियान चला रही हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट कर अपडेट दिया है। उन्होंने लिखा कि यही तो है देवभूमि की ‘अतिथि देवो भवः’ की संस्कृति। केदारनाथ क्षेत्र में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन को स्थानीय लोगों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है।
पोस्ट में कुछ लोगों का नाम लिखते हुए सीएम ने कहा कि ग्रामीण बढ़ चढ़कर स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव कार्यों में जुटे हैं। सभी लोगों के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि अतिवृष्टि की वजह से होने वाले बड़े नुकसान को रोका जा सका है। आप सभी का हृदय की गहराइयों से आभार। पुष्कर सिंह धामी ने दूसरे पोस्ट में लिखा कि केदारघाटी में राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं अन्य बचाव दलों द्वारा किए गए बेहतरीन कार्य के फलस्वरूप हजारों तीर्थयात्रियों को सुरक्षित तरीके से आपदा प्रभावित क्षेत्रों से निकाल लिया गया है। ध्वस्त पड़े रास्तों और पैदल पुलों को ठीक करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
बता दे कि एमआई17 और एएलएच हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी से काम कर रहे हैं, जबकि चिनूक गौचर हेलीपैड से काम कर रहा है और केदार घाटी से फंसे लोगों को निकालने के लिए कई उड़ानें भर रहा है। इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने बचाए जा रहे लोगों की सहायता के लिए गौचर में एक चिकित्सा शिविर भी स्थापित किया है। इसके साथ ही उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर जाकर स्थानीय लोगों को प्रशासन को मदद प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।