उत्तराखंड में 157 पदों पर नौकरी का अवसर..
उत्तराखंड: धामी सरकार बेरोजगारों पर मेहरबान है। बुधवार को पांच विभाग में 157 रिक्त पद की विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। इन पदों के लिए 12 अक्टूबर से आनलाइन आवेदन शुरू होंगे और आवेदन शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इसी सप्ताह प्रदेश सरकार ने चार अन्य सरकारी विभागों में रिक्त समूह ‘ग’ के 423 पद के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना हैं कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में कर्मशाला अनुदेशक के 109 पद, कर्मशाला अनुदेशक इलेक्ट्रोनिक्स व कर्मशाला अनुदेशक विद्युत के 16, जनजाति कल्याण विभाग में 15 पद, उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी में लाइनमैन का एक, लघु सिंचाई विभाग में सहायक बोरिंग टेक्नीशियन के 13 व उरेडा में तकनीकी सहायक के तीन पद पर अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं।
राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण काल के कारण अधिकतम आयु वर्ग में एक वर्ष की छूट दी गई है। अभ्यर्थी को किसी भी पद पर आवेदन के लिए वन टाइम रजिस्टे्रशन (ओटीआर) भरना अनिवार्य है। आवेदन करने वाले सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों को शुल्क नहीं देना होगा।
शैक्षणिक योग्यता संबंधी संपूर्ण जानकारी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। लिखित परीक्षा मार्च 2022 में संभावित है। अभ्यर्थी 12 अक्टूबर से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 25 नवंबर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पहली नवरात्र पर देश को दिया प्राणवायु का तोहफा..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहली नवरात्रि के दिन देवभूमि उत्तराखंड के साथ ही देश को 35 ऑक्सीजन प्लांट की सौगात दी। प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को एम्स ऋषिकेश पहुंचे और यहां आयोजित कार्यक्रम में एम्स में ऑक्सीजन प्लांट का लोकार्पण किया। इसके साथ ही रिमोट द्वारा वर्चुअली देशभर के अन्य ऑक्सीजन प्लांट का उद्धाटन भी किया।
इसके बाद पीएम मोदी ने पीएसए ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण भी किया। प्रधानमंत्री ने एम्स से वर्चुअल माध्यम से देशभर के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों में स्थापित करीब 35 ऑक्सीजन प्लांट का लोकार्पण भी किया। प्रधानमंत्री मोदी का कहना हैं कि उत्तराखंड की देवधरा ने मेरे जैसे अनेकों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है।
उत्तराखंड की भूमि मेरे कर्म और मर्म की भूमि है। यहां से मेरा नाता सत्व का भी है और तत्व का भी है। उन्होने कहा कि बीस साल पहले मुझे आज के ही दिन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी मिली थी। जिस धरती ने मुझे स्नेह दिया है यहां आना मेरा सौभाग्य है। यहां आकर एक नई ऊर्जा मिलती है। कहा कि जहां योग और आयुर्वेद की शक्ति से जीवन को आरोग्य बनाने का समाधान हुआ है, आज वहीं से देश भर के ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की जल्द ही शत-प्रतिशत पहली कोरोना डोज का पड़ाव पूरा करने वाला है। उनका कहना हैं कि ऑक्सीजन के निर्माण के साथ उसका ट्रांसपोर्टेशन भी मुश्किल होता है। पूर्वी भारत में सबसे अधिक ऑक्सीजन निर्माण होता है। लेकिन दूसरी लहर के दौरान उत्तर और पश्चिम भारत में ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरूरत थी। आज देश के हर जिले के पास अपना पीएसए ऑक्सीजन प्लांट है।
केदारनाथ में चिनूक हेलीकॉप्टर से पहुंचाई गई आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति..
उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के थोड़ा पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इसी संत ने भारत में चार पावन धामों की स्थापना की थी, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। इस प्रसिद्ध हिंदू दार्शनिक को 32 वर्ष की युवावस्था में निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि शंकराचार्य स्वयं ही धरती में समाहित हो गए थे।
हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहां पर आते हैं, केदारनाथ में शंकराचार्य की समाधि बेहद लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। किंवदंती के अनुसार, शंकराचार्य 8वीं सदी में केदारनाथ आये थे और केदारनाथ मंदिर एवं अपने चार मठों में से एक का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों के लिए गर्म पानी का कुंड बनाया था ताकि वे इलाके के बेहद ठंडे मौसम से बचाव कर सकें।
आपको बता दे कि आदिगुरू शंकराचार्य का समाधि स्थल पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। केदारनाथ धाम में बनाया जा रहा गुरु शंकराचार्य का समाधिस्थल इसी महीने के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। धाम में हो रहे द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्यों में आदि गुरू शंकराचार्य का समाधि स्थल प्रमुख रूप से है।
इस समाधि स्थल का कार्य अपने अंतिम चरण में है और अनुमान है कि अक्टूबर के अंत तक कार्य पूरा हो जाएगा। कर्नाटक से वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से शंकराचार्य की मूर्ति भी केदारनाथ पहुंच चुकी है। धाम के पुनर्निर्माण कार्य के प्रथम चरण में तीर्थ पुरोहितों के लिये घर और घाटों का निर्माण कार्य किया गया है।
निर्माणकार्य के द्वितीय चरण में धाम में शंकराचार्य समाधि स्थल सहित अन्य प्रकार के पुनर्निर्माण कार्य कर पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को अंतिम आकार दिया जा रहा है। शंकराचार्य समाधि स्थल का निर्माण केदारनाथ मंदिर के पीछे लगभग बीस मीटर दूर हो रहा है।
समाधि स्थल में स्थापित होने के लिये शंकराचार्य की मूर्ति चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये केदारनाथ पहुंच चुकी है। इस मूर्ति को 18 भागों में केदारनाथ धाम पहुंचाया गया है। यह मूर्ति कर्नाटक से केदारधाम पहुंची है। 2013 की आपदा में ध्वस्त हुए आदिगुरु शंकराचार्य के समाधिस्थल के पुनर्निर्माण की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तब की थी जब वे केदारनाथ पहुंचे थे।
इस समाधि स्थल को हाईटेक रूप तैयार किया जा रहा है और इसको इस प्रकार से तैयार किया जा रहा है कि भक्त समाधि स्थल की परिक्रमा भी कर पाएंगे। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना हैं कि गुरु शंकराचार्य का समाधिस्थल का कार्य जोरों-शोरों से चल रहा है। यह पीएम मोदी का प्रयास है कि अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज की मास्टिक में पड़ीं दरार..
उत्तराखंड: शुरूआती दौर से ही विवादों में रहे डोबरा-चांठी पुल बनने से दो लाख की आबादी के सपनों को पंख लगेंगे। जनता के संघर्षों से बने पुल से झील बनने के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर वासियों के लिए पुल जीवन रेखा का काम करेगा। प्रतापनगर के लोगों को अब 50-60 किमी अतिरिक्त सफर तय नहीं करना पड़ेगा। ऐसे कुछ सपने प्रतापनगर वासियों ने देखे थे। ये सपने कुछ हद तक सच भी हो गए थे।
पिछले साल नवंबर में ही नई टिहरी के निवासियों को भारत का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा चांठी पुल के रूप में अनमोल सौगात मिली थी। मगर पुल के निर्माण के 11वें महीने में ही यह साबित हो गया है कि जनता के साथ भद्दा मजाक किया गया है। 11 महीने के भीतर ही पुल की सच्चाई सबके सामने आ गई है। अभी इस पुल के उद्घाटन को एक साल भी नहीं हुआ है और डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक के जोड़ों में दरारें पड़ने लगी हैं। जानकारी के के अनुसार 50 से अधिक मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़नी शुरू हो गई है।
लोग निर्माणदाई गुप्ता कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच की मांग कर रहे हैं। 15 साल से इस पुल के निर्माण को लेकर टिहरी की जनता ने लंबी लड़ाई लड़ी है। 15 साल के बाद इस पुल ने आकार लिया है मगर आकार लेते ही यह पुल टूटने की कगार पर है। उद्घाटन के समय भी इस पुल पर दरार पड़ी थी जिसको कंपनी ने उसी समय ठीक करवा दिया था लेकिन एक बार फिर से 50 से अधिक मास्टिक में दरारें पड़ गई हैं जिसके बाद निर्माणदाई गुप्ता कंपनी और उसकी घटिया कार्यप्रणाली की असलियत सामने आ चुकी है।
साल भर के भीतर ही सस्पेंशन ब्रिज के ऊपर मास्टिक के जोड़ों में दरारें पड़ने से जनता के अंदर आक्रोश साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। लोगों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल लिया है और मुख्यमंत्री धामी से गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं। ब्रिज पर पड़ीं दरारें यह सबूत हैं कि निर्माणदाई कंपनी ने घटिया माल के साथ पुल का निर्माण किया है और यही कारण है कि यह पुल साल भर भी टिक नहीं पाया और इसमें 50 दरारें पड़ चुकी हैं।
प्रताप नगर के लोगों ने मांग की है कि गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच होनी चाहिए। प्रतापनगर की जनता का कहना है कि अगर पुल पर घटिया तरीके से मास्टिक बिछाने वाले गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करते हुए सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है तो जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी। पुल के उपर बिछाई गई मास्टिक पर 4 बार दरार पड़ गई हैं। गुप्ता कंपनी मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर लीपापोती कर देती है
जानकारी के अनुसार 2 दिन पहले भी मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर कच्चा काम किया था। अब तक 50 मास्टिकों में दरारे पड़ चुकी हैं। प्रताप नगर के लोगों ने अब इस पुल के मामले में थर्ड पार्टी से जांच करवाने की मांग की है। बीते 8 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से एक दिन पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुल का उद्घाटन किया था। इसी के साथ पुल लोगों की आवाजाही के लिए खुल गया।
लेकिन अब देश के सबसे लंबे सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज के निर्माण में गुणवत्ता में लापरवाही का मामला सामने आया है, जिससे जनता में आक्रोश है। आपको बता दे कि डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2005 में शुरू किया गया था। इसको बनाने के लिए पूरे 15 साल का समय लगा। 8 नवंबर 2020 को इसका उद्घाटन किया गया। डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे पहला झूला पुल है, जिसकी लंबाई 725 मीटर है और जो भारी वाहन चलाने लायक बना है। समुद्रतल से 850 मीटर की ऊंचाई पर पुल बना है। टिहरी झील को अधिकतम आरएल 830 मीटर तक भरा जा सकता है। पुल की चौड़ाई सात मीटर है।
केदारनाथ धाम गर्भ गृह में प्रवेश कर सकेंगे श्रद्धालु..
उत्तराखंड: हाईकोर्ट से चारधाम आने वाले यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने भी राहत दी है। अब श्रद्धालुओं को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर भी पंजीकरण नहीं कराना होगा। बल्कि राज्य में प्रवेश के लिए सिर्फ स्मार्ट सिटी की साइट पर ही पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही श्री केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में भी श्रद्धालु प्रवेश कर सकेंगे। इसके बाद पर्यटक और श्रद्धालु कहीं भी घूम सकेंगे।
आपको बता दे कि अभी तक चार धाम यात्रा में आने वालों के लिए संख्या तय थी। प्रत्येक दिन केदारनाथ में 800 , बद्रीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600, यमुनोत्री में कुल 400 श्रद्धालुओ को जाने की अनुमति हाईकोर्ट ने दी थी। केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में श्रद्धालु प्रवेश कर करेंगे, हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार जलाभिषेक नहीं होगा। भगवान केदारनाथ के ज्योर्तिलिंग का लेपन भी नहीं होगा।
मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाएगा। श्रद्धालु गर्भ गृह में केवल एक बार परिक्रमा कर सकेंगे। दूसरी ओर बद्रीनाथ में सामाजिक दूरी के तहत ही दर्शन होंगे। श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए निशुल्क मैनुअल टोकन मिलेंगे। ताकि तीर्थ यात्रियों को दर्शन हेतु निर्धारित समय दिया जा सकेगा।
इससे तीर्थयात्रियों को लंबे समय तक दर्शन को लाईन में नहीं लगना होगा। इससे यात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे यात्रा सरल व सुगम बन सकेगी। चारधाम यात्रा को उत्तराखंड से बाहर के श्रद्धालुओं को देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल http://smartcitydehradun.uk.gov.in में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
श्रद्धालुओं की संख्या तय किए जाने का विरोध किया जा रहा था। सरकार और देवस्थानम बोर्ड की ओर से सही तरीके से अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रखा जा रहा था। अगर सही तरीके से पहले ही पक्ष रखा जाता, तो पहले ही मंजूरी मिल गई होती। पहले समय सुप्रीम कोर्ट में जाकर खराब किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में सही तरीके से पैरवी नहीं की गई। नहीं तो श्रद्धालुओं की संख्या में लगी रोक पहले ही हट जाती।अब श्रद्धालुओं की संख्या के आने पर कोई रोक नहीं है। ऐसे में अब देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण का कोई औचित्य नहीं है। अब लोग सीधे स्मार्ट सिटी की साइट पर पंजीकरण करा कर चारों धामों में दर्शन कर सकेंगे। लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘मैं उत्तराखण्ड की जनता का ऋणी हूं, सभी का स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिल रहा है। लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है। तीन माह के कार्यकाल में मैंने प्रयास किया कि उत्तराखण्ड के सूदूरवर्ती हर क्षेत्रों में रहने वाले माताएं, बहनें, बुजुर्ग, नौजवानों, बच्चों एवं गरीब जनता के लिए कुछ न कुछ देने का प्रयास करूं।’ उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए और तेज गति और ऊर्जा से जन-जन के कल्याण के लिए कार्य करने के लिये वे संकल्पबद्ध हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून में जीटीसी हैलीपेड पर मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष लगाव है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तेजी से कार्य हुए यह सबके सामने प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री मोदी फिर उत्तराखण्ड की धरती पर आ रहे हैं। उनका देवभूमि उत्तराखण्ड आना हमारे लिए शुभ क्षण है, जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मीडिया द्वारा यह कहे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा प्रदेश के विकास के लिए आपके कार्यों की सराहना की गई, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री का आभारी हैं। वे हमारे प्रेरणास्रोत हैं। उनका इस प्रकार से कहना हमें और अधिक दायित्ववान ओर जिम्मेदार बनाता है, कि हम और मजबूती से कार्य कर जन-जन का कल्याण करें।
उत्तराखंड में UKSSSC में निकली बंपर भर्तियां..
उत्तराखंड: सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं को चुनावी साल में धामी सरकार कई सौगातें दे रही है। सरकार ने बेरोजगारों के लिए नौकरियों का पिटारा खोल दिया है। इसी कड़ी में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने समूह-ग के 423 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला है। उक्त पदों के लिए पांच अक्टूबर से आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी। भर्ती के माध्यम से पशुपालन, कृषि, उद्यान, डेयरी विकास विभाग में खाली पदों को भरा जाएगा।
आयोग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार पशुपालन विभाग में चारा सहायक ग्रुप, उद्यान विभाग में खाद्य प्रसंस्करण शाखा, डेरी विकास विभाग में वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक, कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी, उद्यान विभाग में उद्यान विकास शाखा, सहायक मशरूम विकास अधिकारी, सहायक पौध सुरक्षा अधिकारी, मधु विकास निरीक्षक, सहायक प्रशिक्षण अधिकारी, प्रयोगशाला सहायक और औद्योगिक विकास शाखा में पर्यवेक्षक के खाली पद भरे जाने हैं।
कुल 423 खाली पदों पर भर्ती होनी है। आवेदन की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू होगी। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 18 नवंबर है। इसके बाद 20 नवंबर तक ऑनलाइन माध्यम से ही फीस जमा की जा सकती है। आयोग के सचिव संतोष बडोनी की ओर से शुक्रवार शाम को विज्ञापन जारी किया गया।
सचिव संतोष बडोनी का कहना हैं कि आवेदन के लिए अभ्यर्थियों को पूर्व में आयोग के पास रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसलिए जिन अभ्यर्थियों ने अब तक अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तो वो इस प्रक्रिया को जरूर पूरा कर लें।
आर्थिक आधार पर आरक्षण वाले अभ्यर्थियों को आवेदन से पूर्व तिथि तक का आय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। इन पदों के लिए परीक्षा मार्च में हो सकती है। सरकार के फैसले के अनुसार अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में एक साल की छूट दी गई है।
पीएम मोदी ने उत्तराखंड की महिलाओं से की बात..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती पर देश की पांच ग्राम सभाओं के साथ जल-जीवन मिशन योजना के तहत वर्चुअल संवाद किया। इस दौरान उन्होंने मसूरी के निकटवर्ती गांव क्यारकुली की ग्राम प्रधान कौशल्या रावत से संवाद किया। उनका कहना हैं कि पहाड़ पर पानी की समस्या और उसके हल पर विस्तार से बात की।
कौशल्या रावत ने जल-जीवन मिशन के तहत किए गए कार्यों के बारे में बताया। संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘पहाड़ का पानी और जवानी कभी भी पहाड़ के काम नहीं आती है, लेकिन आज पहाड़ का पानी और जवानी पहाड़ के ही काम आ रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कौशल्या रावत से गांव में संचालित हो रहे होम स्टे व गांव में आने वाले पर्यटकों के बारे में भी जानकारी ली। देशभर के गांवों के साथ क्यारकुली गांव के लोगों से भी प्रधानमंत्री ने वर्चुअल संवाद किया। प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारी गांव पहुंचे और कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने पहाड़ की महिलाओं से जल संरक्षण और वैक्सीनेशन अभियान की प्रगति के बारे में जाना। महिलाओं ने बताया कि उनके गांव में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं।
इसके लिए गांव में 10 कैंप लगाए गए थे। प्रधानमंत्री ने अभियान की सफलता को सराहा। साथ ही कहा कि युवा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में सभी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि योजनाएं तभी सफल होती हैं, जब जन भागीदारी होती है। चाहे कोरोना टीकाकरण हो या फिर जल-जीवन मिशन।
उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आपने पानी की ताकत को समझा है। पेड़ भी लगाए। होम स्टे भी किया। पानी के जरिए गांव में क्रांति ले आए। इसके लिए आपको बधाई देता हूं। आपके गांव ने पलायन को भी पीछे छोड़ दिया है। एक वक्त था जब गांव में लोग ठहरते नहीं थे, यहां से चले जाते थे, अब वे लोग वापस आने लगे हैं।
आज पर्यटक भी गांव आने के लिए प्रेरित हो रहा है। इस तरह पानी सिर्फ जीवन ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी बदलने की ताकत रखता है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2019 में जल-जीवन मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य हर घर में पानी की सप्लाई पहुंचाना है। वर्तमान में सिर्फ ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 17 प्रतिशत लोगों के पास ही पानी की सप्लाई है।
सीएम धामी ने राज्य आंदोलनकारियों के लिए की ये घोषणा..
उत्तराखंड: राज्य आंदोलन के रामपुर तिराहा कांड बरसी पर शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुजफ्फनगर शहीद स्थल पर जाकर शहीदों को श्रद्धाजंलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएगी। जनता, सरकार के भाव को समझे।
मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों के लिए कई घोषणाएं भी की, जिनमें राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने व विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आंदोलनकारियों को हटाए जाने सम्बंधी मामले में ठोस पैरवी करना शामिल रहा।
मुख्यमंत्री का कहना हैं कि मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिनके सर्वोच्च बलिदान की वजह से हमें अलग राज्य मिला है। राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान खटीमा, मसूरी व मुजफ्फरनगर में लाखों आंदोलनकारियों ने भाग लिया, जिसमें से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उनका कहना हैं कि 1 सितम्बर 2021 को घोषणा की गई थी कि राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी, उसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी मिलेगी पेंशन..
उत्तराखंड: प्रदेश में अब चिह्नित राज्य आंदोलनकारी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित (पति अथवा पत्नी) को भी 3100 रुपये की पेंशन मिलेगी। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी पेंशन देने की घोषणा की थी।
आपको बता दे कि प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों की एक श्रेणी ऐसी है, जिन्हें 3100 सौ रुपये पेंशन दी जा रही है। इस श्रेणी में वे आंदोलनकारी शामिल हैं, जिनका चिह्नीकरण सामान्य आंदोलनकारी के रूप में हुआ है।
इस श्रेणी के आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन देने का प्रविधान नहीं था। राज्य आंदोलनकारियों ने कुछ समय पहले इसका प्रकरण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष रखा था। मुख्यमंत्री ने इसके बाद मसूरी में गत दो सितंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की। अब शासन ने इसका आदेश जारी कर दिया है।
जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि राज्य आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित पति की मृत्यु होती है, तो यह पेंशन पत्नी को दी जाएगी और यदि आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित पत्नी की मृत्यु होती है, तो फिर यह पेंशन पति को दी जाएगी।