देहरादून एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में एयरपोर्ट के पास पांच नॉटिकल मील (करीब 9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जिसमें प्रति घंटे केवल सात विमानों की लैंडिंग संभव है। एयर स्पेस बढ़ने पर प्रति घंटे 12 विमानों की लैंडिंग की सुविधा मिल सकेगी। इस मुद्दे को हाल ही में सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया, जहां एयरपोर्ट निदेशक ने इस पर विस्तार से चर्चा की। अब समिति इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष पेश करेगी।
एयर स्पेस बढ़ने से मिलेगी सुविधा
देहरादून एयरपोर्ट का एयर स्पेस वायु सेना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यदि वायु सेना से अधिक एयर स्पेस की अनुमति मिलती है, तो एयरपोर्ट की रनवे क्षमता में वृद्धि होगी। इससे अधिक विमानों की लैंडिंग और उड़ानें संभव होंगी, जिससे हवाई यातायात प्रबंधन भी सुगम होगा। नए टर्मिनल के बनने के बाद एयरपोर्ट की कुल जगह बढ़कर 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। लेकिन सीमित एयर स्पेस के कारण प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग में दिक्कत हो रही है।
एयर स्पेस का महत्व
एयर स्पेस वह क्षेत्र होता है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है। सीमित एयर स्पेस होने के कारण विमानों को लैंडिंग के लिए इंतजार करना पड़ता है और कई बार उन्हें आसमान में चक्कर लगाने पड़ते हैं।
तीन प्रमुख समस्याएं
देहरादून एयरपोर्ट को फिलहाल तीन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
1. एयर स्पेस की कमी – सीमित एयर स्पेस के कारण अधिक विमानों की लैंडिंग में समस्या हो रही है।
2. रनवे विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता – एयरपोर्ट को रनवे विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए 140.5 एकड़ भूमि की जरूरत है।
3.वन्य जीवों की गतिविधि – एयरपोर्ट के आसपास वन्य जीवों की आवाजाही से उड़ानों के संचालन में बाधा आ रही है।
उड़ानों की संख्या में होगा इजाफा
वर्तमान में देहरादून एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 बजे से शाम 7:15 बजे तक प्रतिदिन 18 से 20 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है। एयर स्पेस बढ़ने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रति घंटे 12 उड़ानों तक हो सकती है। इससे देहरादून एयरपोर्ट पर हवाई यातायात प्रबंधन बेहतर होगा और यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
सरकार से मंजूरी का इंतजार
एयर स्पेस विस्तार का प्रस्ताव अब भारत सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद देहरादून एयरपोर्ट पर प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग संभव होगी, जिससे यात्रियों को कम प्रतीक्षा समय और अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर बन रहे चार एयरोब्रिज..
विमान से सीधे टर्मिनल तक आवाजाही कर सकेंगे यात्री..
उत्तराखंड: देहरादून से हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिलने वाली है। दरअसल एयरपोर्ट पर चार एयरोब्रिज बनाए जा रहे हैं। जिसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि दिसंबर तक चारों एयरब्रिज बनकर तैयार हो जाएंगे। इससे यात्री बिना परेशानी विमान से टर्मिनल तक आवाजाही कर सकेंगे। आपको बता दे कि वर्तमान में जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर एक भी एयरोब्रिज नहीं है।
ऐसे में यात्रियों को विमान से टर्मिनल तक आने-जाने के लिए बस या पैदल ही आवाजाही करनी पड़ती है। इससे धूप और बारिश में यात्रियों को काफी परेशानी होती है। जिसे देखते हुए जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर एक साथ चार एयरोब्रिज बनने का काम शुरू हुआ था। इनके तैयार होने के बाद यात्रियों की यह परेशानी दूर हो जाएगी।
इन दिनों एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का कार्य जोरों पर है। इस के तहत 460 करोड़ की लागत से कुल 42776 वर्ग मीटर जगह में एयरपोर्ट का नया टर्मिनल बनाया जा रहा है। इसका काफी काम पूरा हो चुका है और 28729 वर्ग मीटर हिस्से पर ऑपरेशन भी शुरू किया जा चुके हैं। वहीं टर्मिनल के साथ ही चारों एयरोब्रिज बनाने का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा एयरपोर्ट पर दस छोटे व दस बड़े विमानों की पार्किंग बनाने का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है।
कैसे काम करता है एयरोब्रिज..
एयरोब्रिज द्वारा हवाई यात्री बिना ग्राउंड पर जाए टर्मिनल से सीधे विमान के अंदर जा सकेंगे और विमान से सीधे टर्मिनल तक आ सकेंगे। एक साथ चार एयरोब्रिज बनने के बाद एयरपोर्ट पर खड़े चार विमानों से यात्री सीधे टर्मिनल के बीच आवाजाही कर सकेंगे। इससे समय की भी बचत होगी और यात्रियों को धूप या बारिश की परेशानी भी नहीं होगी।
एयरोब्रिज सिर्फ बोइंग या एयरबस (बड़े विमानों) तक आवाजाही सुनिश्चत करेगा। एटीआर (छोटे विमानों) के लिए एयरोब्रिज कार्य नहीं करेगा। ऐसे में इनके लिए पहले जैसी व्यवस्था रहेगी। देश के चुनिंदा एयरपोर्ट पर ही एयरोब्रिज की सुविधा है।
भूमि अधिग्रहण के बाद लगेगी कैट-वन एप्रोच लाइट..
एयरपोर्ट पर कैट वन एप्रोच लाइट लगाने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। इसके लिए चोर पुलिया की तरफ से अठूरवाला और जौलीग्रांट की 1.9780 हेक्टयर जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस जमीन के 0.0800 हेक्टयर पर जौलीग्रांट के लोगों को रास्ता दिया जाएगा।
शेष जमीन पर कैट वन एप्रोच लाइट लगाई जाएंगी। इन लाइटों के लगने के बाद कम दृश्यता और खराब मौसम में भी विमान आसानी से लैंड कर सकेंगे। फिलहाल इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस), पॉथ इंडिकेटर और दूसरे उपकरणों की मदद से प्लेन लैंड हो रहे हैं।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर लैंड नहीं कर पाई जयपुर से आ रही फ्लाइट..
उत्तराखंड: घने कोहरे के कारण जयपुर से आ रही फ्लाइट जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर लैंड नहीं कर पाई। फ्लाइट को डायवर्ट कर दिल्ली भेजा गया। एयरपोर्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर नितिन कादियान ने बताया बृहस्पतिवार की शाम करीब 6:30 जौलीग्रांट एयरपोर्ट के आसपास घना कोहरा छा गया था। इस दौरान जयपुर से देहरादून आ रही इंडिगो की फ्लाइट लैंड नहीं कर सकी। जिसे दिल्ली डायवर्ट कर दिया गया बाद में फ्लाइट रद्द हो गई। पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी से मैदानी भागों में भी ठंड बढ़ रही है। सुबह 10 बजे तक कोहरा छाए रहने से लोगों की परेशानियां बढ़ गई। हल्की धूप निकलने के बाद ही लोग घरों से बाहर निकले।
ऋषिकेश में गुरुवार को सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय के साथ ही घरों में दिनभर ठंड को दूर भगाने के लिए लोगों ने हीटर का सहारा लिया। गंगा घाट, तट, आंतरिक मार्गों पर लोग अलाव जलाते हुए दिखाई दिए। मुनि की रेती, तपोवन, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश मुख्य बाजार, त्रिवेणी घाट, आस्था पथ आदि स्थानों पर देशी, विदेशी पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोग गर्म कपड़ों में पैक रहे। शाम को शीतलहर चलते के कारण लोग अपने घरों के अंदर कैद हो गए। बाजार की सड़कों पर कामकाजी लोग ही नजर आए। पहाड़ों में ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात और मैदान में कोहरा छाने से शीतलहर चल रही है।
देहरादून से जौलीग्रांट एयरपोर्ट के बीच अब चलेंगी इलेक्ट्रिक बस
उत्तराखंड: देहरादून वासियो के लिए जल्द ही स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून के बीच स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आर राजेश कुमार ने इस बात की पुष्टि की है। आपको बता दे कि देहरादून में अलग-अलग रूटों पर 10 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है।
इसमें एक रूट आईएसबीटी देहरादून से राजपुर तक का है। वहीं, दूसरा रूट रायपुर से सेलाकुई तक का है। केवल इन दोनों ही रूटों पर पिछले 1 साल से स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का सफल संचालन जारी है। तीसरे रूट पर प्रशासन इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने का विचार कर रहा है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के सीईओ डॉ. आर राजेश कुमार का कहना हैं कि स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट अथॉरिटी से हुई वार्ता में सहमति बन चुकी है। इस रूट के लिए अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह या नवंबर माह की शुरुआत से इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध हो जाएंगी और इस रूट पर बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।
इस साल के अंत तक स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन जौली ग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून के सहस्त्रधारा रूट पर शुरू कर दिया जाएगा। जिसके बाद देहरादून में 3 रूटों पर इलेक्ट्रिक बसें दौड़ेंगी। शुरुआत में जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून वाले नए रूट पर दो स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। धीरे-धीरे बसों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी। पिछले साल से देहरादून शहर में स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है जिसको लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं।