त्रिस्तरीय पंचायतों को लेकर शासन ने जिलाधिकारियों जारी किया ये आदेश..
उत्तराखंड: त्रिस्तरीय पंचायतों में हरिद्वार जिले को छोड़कर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रधान और क्षेत्र प्रमुख सरकारी और विभागीय बैठकें नहीं कर सकते। प्रशासक नियुक्त होने के बाद वह बिना सरकार की अनुमति के कोई नया निर्माण कार्य नहीं करा सकते। शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। शासन ने प्रदेश की जिला पंचायतों, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में निवर्तमान प्रधान और अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। प्रशासक बनाए जाने के बाद से ही उनके वित्तीय अधिकारों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।
जिस पर शासन ने आदेश जारी कर स्थिति स्पष्ट की है। निदेशक पंचायती राज व सभी जिलाधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रशासक नियुक्ति की अधिसूचना से पूर्व स्वीकृत, अनुमोदित व चालू कार्यों का भौतिक व तकनीकी मूल्यांकन किया जा सकता है तथा पूर्व की भांति भुगतान किया जा सकता है, लेकिन प्रशासक नियुक्ति की अधिसूचना के बाद शासन की अनुमति के बिना कोई भी नया निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकेगा। प्रशासक कोई भी सरकारी व विभागीय बैठक भी नहीं कर सकेंगे। उन्हें बैठक आयोजित करने का अधिकार नहीं है।
त्रिस्तरीय पंचायतों में निवर्तमान प्रधान, जिला पंचायत और क्षेत्र प्रमुखों को प्रशासक बनाए जाने से सवाल उठ रहा है कि अगर उन्हें नए निर्माण कार्य करने की अनुमति दी गई तो त्रिस्तरीय पंचायत से पहले वे किसी खास क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करके निर्माण कार्य करवा सकते हैं। वहीं उनके वित्तीय अधिकारों को लेकर यह बात सामने आ रही थी कि वे न तो निर्वाचित हैं और न ही चयनित। वे मनोनीत हैं, उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए जा सकते।