इस बार बद्रीनाथ धाम में दिखेगा बदलाव, श्रद्धालुओं को दिखेगा नया रूप..
उत्तराखंड: इस बार बद्रीनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए पहले से कहीं अधिक खुले और व्यवस्थित रूप में नजर आएगा। बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत जो पुनर्विकास कार्य किए जा रहे हैं, उनका उद्देश्य धाम को आध्यात्मिक गरिमा के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से भी युक्त बनाना है। मंदिर क्षेत्र से अव्यवस्थित भवनों और अतिक्रमण को हटाया गया है, जिससे मंदिर अब खुला और भव्य नजर आता है। वही बद्रीनाथ बाजार क्षेत्र में निर्माण और सौंदर्यीकरण कार्य तेजी से चल रहे हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पार्किंग, वॉशरूम, विश्राम गृह, और पैदल मार्गों को बेहतर बनाया जा रहा है। बद्रीनाथ महायोजना मास्टर प्लान के तहत धाम में युद्धस्तर पर निर्माण और भवनों के ध्वस्तीकरण का काम चल रहा है। ताकि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
धाम में मास्टर प्लान के दूसरे चरण के कार्य चल रहे हैं। अराइवल प्लाजा का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पर नक्काशीदार पत्थर और लकड़ी लगाकर आकर्षक रूप दिया जा रहा है। बदरीश झील और शेषनेत्र झील के किनारे आकर्षक पत्थर बिछाए गए हैं और आकर्षक लाइट लगा दी गई है। बद्रीनाथ मंदिर के करीब 75 मीटर हिस्से में भवनों का ध्वस्तीकरण कार्य भी तेजी से चल रहा है। दूर से ही मंदिर खाली-खाली नजर आ रहा है। दर्शनों की लाइन के दोनों ओर के सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। बदरीनाथ के शुरुआत देव दर्शनी में तीर्थयात्रियों के लिए व्यू प्वाइंट बनाया जा रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे..
यहां से यात्री दूर से ही बद्रीनाथ मंदिर और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे। यहां एक विशाल गेट भी बनाया जा रहा है। लोनिवि पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल ने कहा कि मास्टर प्लान के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। बरसात से पहले अधिकांश काम पूर्ण कर लिए जाएंगे। बद्रीनाथ क्षेत्र में अलकनंदा के दोनों ओर से रिवर फ्रंट का काम भी तेजी से चल रहा है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग पीआईयू बरसात से पहले यहां अधिक से अधिक कार्यों को पूरा करने पर जोर दे रही है। इसके लिए यहां करीब 400 मजदूर लगाए गए हैं। रिवर फ्रंट के कार्यों से अलकनंद अस्त-व्यस्त नजर आ रही है। नदी में जगह-जगह मलबे के ढेर पड़े हैं। मलबे के कारण नदी का रुख गांधी घाट और ब्रह्मकपाल की ओर ओर हो गया है। यदि मलबे का जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो बरसात में नदी का पानी ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड तक घुस जाएगा।