उत्तराखंड विधानसभा ने रचा इतिहास, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल..
उत्तराखंड: आजादी के बाद देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 विधानसभा में पास हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। इस बिल के आने के बाद क्या कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यहां आसान भाषा में समझें।
UCC बिल पास कर उत्तराखंड ने रचा इतिहास
दो दिन लंबी चर्चा, बहस और तर्कों के बाद बुधवार की शाम सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 ध्वनिमत से पास हो गया। जहां एक ओर उत्तराखंड में अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी तो वहीं प्रदेश में विवाह का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस बिल के प्रवाधान कुछ इस प्रकार है।
1- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी।
2- शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे
5 – उत्तराधिकार में लड़कियों को भी अब लड़कों के बराबर का हक मिलेगा। इसके साथ ही संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी अब जैविक संतान माना जाएगा।
6- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा। यानी लिव इन रिलेशनशिप की जानकारी परिजनों को देनी होगी। इसके साथ ही लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ही माना जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।
7- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी दूसरी शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
8- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो तो उनके भरण पोषण के जिम्मेदारी पति की होगी।
9- सभी को अब गोद लेने का अधिकार मिलेगा।मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
10- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
11- अगर पति-पत्नी के बीच झगड़े की स्थिति होती है तो ऐसे में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स यानी उने दादा-दादी को दी जा सकती है।