इस बार मैदानी जिलों में ओबीसी की सीटें बढ़ेंगी, पर्वतीय में घटेंगी..
उत्तराखंड: इस बार के निकाय चुनाव में मैदानी जिलों में ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत बढ़ेगा तो पर्वतीय जिलों में घटेगा। एकल सदस्यीय ओबीसी आयोग के पास आई रिपोर्ट, जनसुनवाई के बाद ये तथ्य सामने आ रहे हैं। आयोग को 99 निकायों की ओबीसी सर्वेक्षण रिपोर्ट मिल चुकी है। करीब एक माह में आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा, जिसके बाद निकाय चुनाव की स्थिति साफ होगी। प्रदेश के निकायों में अभी तक ओबीसी को कुल 14 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। एससी का 19 प्रतिशत और एसटी का चार प्रतिशत है। ओबीसी सर्वेक्षण के बाद इसकी सूरत बदलने वाली है।
प्रथम दृष्टया सामने आए तथ्यों पर गौर करें तो पौड़ी, चमोली जैसे पर्वतीय जिलों में ओबीसी का आरक्षण घटकर चार से पांच प्रतिशत तक आ सकता है, जबकि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जिलों के कई निकायों में आरक्षण 27 प्रतिशत तक जा सकता है। जिन जिलों में ओबीसी की आबादी ज्यादा है, वहां ज्यादा आरक्षण मिलेगा।
आयोग 99 निकायों की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहा, जिसमें हर निकाय में सभासद, पार्षदों के ओबीसी पदों का आरक्षण साफ होगा। इसके साथ ही आयोग एक रिपोर्ट राज्यस्तरीय भी देगा, जिसमें निकायों में मेयर, चेयरमैन के पदों में ओबीसी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होगी। इस रिपोर्ट पर ही राज्य में निकाय चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। निकायों में अभी तक एससी, एसटी, ओबीसी का कुल आरक्षण 37 प्रतिशत है। ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के बाद कुल आरक्षण 50 प्रतिशत तक हो जाएगा। इससे अधिक आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
लोकसभा तक टल सकते हैं निकाय चुनाव..
अभी तक की प्रक्रिया को देखें तो निर्वाचन आयोग मतदाता सूची अपडेशन का काम 14 नवंबर से शुरू करने जा रहा है। आयोग फरवरी में अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा। इसके बाद निकायों में आरक्षित सीटों का ब्योरा भी जारी होगा। फरवरी में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो सकती है। लिहाजा, लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव होने के आसार हैं।