प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अटल टनल का उदघाटन किया। इस सुरंग के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग टनल है। यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़कर रखेगी। अभी तक यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी।
अटल जी का सपना पूरा
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, अपितु आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। वाजपेयी सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। जिस रफ्तार में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।
20 साल का काम 6 साल में
मोदी ने कहा कि जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है। केंद्र में वर्ष 2014 में उनकी सरकार आने के बाद अटल टनल के काम में भी अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
देरी के कारण तीन गुना बड़ी लागत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2005 में ये आंकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी। मगर लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है। कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती ?
एक नजर अटल टनल की विशेषताओं पर
यह टनल हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर अर्थात 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।
घोड़े की नाल के आकार और डबल लेन टनल
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवर हेड निकासी 5.525 मीटर है।
80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकते वाहन
यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।
कुछ अन्य प्रमुख विशेषताएं
यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडी एनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है। टनल के दोनों प्रवेश द्वार अर्थात पोर्टल पर प्रवेश बैरियर, आपातकालीन संचार के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट तंत्र, प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाली प्रणाली, प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर वायु गुणवत्ता निगरानी, पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली, प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगे हैं।
वाजपेयी सरकार ने लिया था टनल निर्माण का निर्णय
03 जून, 2000 तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भू-वैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अथक परिश्रम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक 24 दिसम्बर 2019 को आयोजितबैठक में इस टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।

विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
बात-बेबात के मुद्दों को लेकर हो-हल्ला मचाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता व स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत भूषण गैंग को गुरुवार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। उच्चतम न्यायालय ने कुछ पूर्व अधिकारियों की तरफ से प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में केंद्र सरकार पर समय रहते लॉकडाउन लागू नहीं किए जाने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के आयोजन के दौरान कोविड-19 के मानकों का ध्यान नहीं रखे जाने के आरोप लगाए गए थे और इसकी जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। यह मुद्दे सार्वजनिक बहस के हो सकते हैं। मगर अदालत की बहस के नहीं। 6 पूर्व अधिकारियों की ओर से दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार कोविड-19 के प्रबन्धन में पूरी तरह असफल रही। सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई योजना नहीं थी। सरकार कोरोना महामारी को रोकने में नाकाम साबित हुई है। अर्थ व्यवस्था चरमरा गई है।
याचिका में कहा गया कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दौरान लाखों लोग एक साथ एकत्र हुए थे। जबकि उससे पहले गृह मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर चुका था कि बड़ी संख्या में लोग एक जगह एकत्र ना हों। याचिका में मांग की गई कि इन मुद्दों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए। मगर न्यायालय प्रशांत भूषण के तर्कों से सहमत नहीं हुआ और याचिका को खारिज कर दिया।
उत्तराखंड में स्कूलों को खोले जाने के संबंध में प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने गुरूवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में तय किया गया कि स्कूलों को खोले जाने के संबंध में कोई भी निर्णय स्कूलों के प्रबंधन, अभिभावकों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद आम राय से लिया जाएगा।
सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में पांडेय ने बताया कि सभी जिलाधिकारी अपने जिलों में कोविड-19 की स्थिति और वहां के स्कूलों की प्रबंधन समितियों व अभिभावकों की राय के लेंगे। इस फीडबैक को जिलाधिकारी एक सप्ताह के भीतर शासन को भेजेंगे। जिलों से प्राप्त फीडबैक के बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ विचार-विमर्श कर आवश्यकतानुसार कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यदि स्कूलों को खोलने के बारे में राय बन जाती है तो तीन चरणों में स्कूलों को खोले जाने का प्रस्ताव किया जाएगा। पहले चरण में कक्षा 9 से 12 तक, दूसरे चरण में कक्षा 6 से 12 तक और तीसरे चरण में सभी कक्षाओं को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। सभी स्कूलों में कोविड-19 के लिए जरूरी सभी प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अभिभावको की अनुमति बिना किसी बच्चे को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री की बैठक के बाद गुरुवार शाम को ही शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जिलाधिकारियों को पत्र भेज कर सभी राजकीय, सहायता प्राप्त व निजी स्कूलों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों व अभिभावकों से सुझाव प्राप्त कर एक सप्ताह के भीतर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दिए गए।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को ताबड़तोड़ तरीके से लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री ने जहां एक ओर लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक अधिशासी अभियन्ता, विद्युत विभाग के एक उपखंड अधिकारी, एक सहायक अभियंता, एक अवर अभियंता व दो लाइनमैन निलंबित किए, वहीं दूसरी तरफ लम्बे समय से अनुपस्थित चल रहे 81 डॉक्टरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
आदेशों की अवहेलना पर PWD के अधिशासी अभियन्ता निलम्बित
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने PWD के अधिशासी अभियन्ता अनुपम सक्सेना को आदेशों की अवहेलना का दोषी पाये जाने पर निलम्बित करने के निर्देश दिए हैं। सक्सेना को PWD के प्रान्तीय खण्ड, पौड़ी से PWD के विश्व बैंक खण्ड, अस्कोट स्थांतरित किया गया था। मगर अभियंता ने आदेश का अनुपालन नहीं किया और बिना अवकाश स्वीकृत कराए कार्यालय से गैर हाजिर हैं। मुख्यमंत्री ने PWD के प्रमुख अभियन्ता की संस्तुति पर सक्सेना को स्वेच्छाचारी प्रवृत्ति शासकीय, आदेशों का अनुपालन न करने, बिना अवकाश गैर हाजिर रहने तथा उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में उन्हें निलम्बित करने के निर्देश दिए।
हाईटेंशन लाइन से मौत मामले में विद्युत विभाग के 5 कार्मिक निलंबित
मुख्यमंत्री ने विगत दिनों हल्द्वानी में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से एक साईकिल सवार युवक की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा निगम के सहायक अभियंता और उपखंड अधिकारी समेत 5 कार्मिकों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने हाईटेंशन तार गिरने से युवक की मौत के मामले को काफी गंभीरता से लिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने पूरे मामले की जांच सीनियर स्तर के अधिकारी से कराई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीओ विद्युत वितरण उपखंड (प्रथम) सुभाषनगर हल्द्वानी नीरज चंद्र पांडे, सहायक अभियंता (मापक) विद्युत परीक्षण शाला हल्द्वानी रोहिताषु पांडे, अवर अभियंता मो.शकेब, टीजी -1 लाइन चांद मोहम्मद और लाइनमैन नंदन सिंह भंडारी को निलंबित किया गया है। इसके अलावा क्षेत्र के एसएसओ को सेवा से हटा दिया गया है। वह उपनल से भर्ती थे।
लम्बे समय से अनुपस्थित चिकित्सकों की सेवा समाप्ति के निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश के प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित 81 चिकित्साधिकारियों की सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित इन चिकित्सकों की विभाग में अनुपस्थिति की तिथि से सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को सहमति हेतु लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है।
उत्तराखंड सरकार ने प्राइवेट पैथोलॉजी लैब की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को कोविड-१९ के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टैस्टिंग के लिए अधिकतम दर तय कर दी है। अब NABH व NABL से प्रमाणित निजी लैब कोरोना वायरस के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए अधिकतम सात सौ उन्नीस रूपये से ज्यादा नहीं वसूल सकेंगे।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी किये गए हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण के प्रभावी रोकथाम हेतु इसके टेस्ट बढ़ाये जाने और व्यापक जनहित के मद्देनजर रैपिड एंटीजन टेस्ट की दर तय की गई है। आदेश में कहा गया है कि निजी लैब टेस्ट के उपरांत रिपोर्ट को ICMR के पोर्टल पर दर्ज करने के अलावा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी और स्टेट सर्विलांस अधिकारी को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे।
आदेश में चेतावनी दी गई है कि इन निर्देशों का उल्लंघन महामारी अधिनियम-1897 और उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 विनियमावली,2020 के संगत प्राविधानों की अवहेलना मानी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि निजी लैबों पर कोरोना टेस्ट के नाम पर रैपिड एंटीजन टेस्ट के मनमाने तरीके से पैसे वसूले जाने के आरोप लगातार लग रहे थे। यह भी शिकायत मिल रही थी कि निजी लैब कोरोना टेस्ट करने के बाद टेस्ट रिपोर्ट और पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधान सभा चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह की तरफ से बुधवार को जारी एक पत्र में कहा गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देवेंद्र फडणवीस को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव हेतु चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।
प्रभारी के रूप में घोषणा होने से पूर्व फडणवीस बिहार का दौरा कर चुके थे और पार्टी कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। तभी से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पार्टी उन्हें प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपेगी।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट के बीच चुनाव आयोग ने 25 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा की। बिहार विधान सभा के लिए 28 अक्टूबर को प्रथम चरण, 3 नवम्बर को दूसरे चरण और 7 नवम्बर को अंतिम चरण का मतदान होगा। चुनाव परिणामों की घोषणा 10 नवंबर को होगी।
भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ के रुख और बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अतिश्योक्तिपूर्ण और सच्चाई से परे बताया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि संगठन द्वारा मानवीय कार्य और सत्य की ताकत को लेकर की जा रही बयानबाजी सिर्फ अपनी गतिविधियों से ध्यान हटाने की चाल है। मंत्रालय ने कहा कि संगठन स्पष्ट रूप से भारतीय कानूनों की अवहेलना में लिप्त रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बरती गईं अनियमितताओं और अवैध कार्यों की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। ऐसे बयान देकर वह जांच को प्रभावित करने के प्रयास भी कर रहा है।
घरेलू मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार शाम को बयान जारी कर कहा कि संगठन भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जिस तरह से अन्य संगठन कर रहे हैं। भारत के कानून विदेशी चंदे से वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देते हैं। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और इसी तरह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।
कई बार आवेदन के बावजूद FCRA की अनुमति नहीं
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act, FCRA) के अंतर्गत सिर्फ एक बार और वह भी 20 साल पहले दिसंबर, 2000 में स्वीकृति दी गई थी। तब से अभी तक एमनेस्टी इंटरनेशनल के कई बार आवेदन करने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा FCRA स्वीकृति से इनकार किया जाता रहा है, क्योंकि कानून के तहत वह इस स्वीकृति को हासिल करने के लिए पात्र नहीं है। एमनेस्टी के प्रति अलग-अलग सरकारों का यह कानूनी दृष्टिकोण स्पष्ट करता है कि अपने कामकाज के लिए पैंसा हासिल करने की उसकी प्रक्रिया संदिग्ध है।
गैर कानूनी तरीके से हासिल किया विदेशी फंड
केंद्र सरकार के अनुसार FCRA नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी यूके ने भारत में पंजीकृत चार संस्थाओं को बड़ी मात्रा में धनराशि भेजी और इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में दिखाया गया। इसके अलावा एमनेस्टी इंडिया को FCRA के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना बड़ी मात्रा में विदेशी धन प्रेषित किया गया। गलत रास्ते से धन भेज कर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
केंद्र सरकार के प्रति अभूतपूर्व भरोसा
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत मुक्त प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और जीवंत घरेलू बहस के साथ संपन्न और बहुलतावादी लोकतांत्रिक संस्कृति वाला देश है। भारत के लोगों ने वर्तमान सरकार में अभूतपूर्व भरोसा दिखाया है। गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कानूनों के पालन करने में विफल रहने के बाद एमनेस्टी को भारत के लोकतांत्रिक और बहुलतावादी स्वभाव पर टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में बंद किया कामकाज
इससे पहले, एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत स्थित इकाई ने मंगलवार सुबह अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी कर बताया कि उसने देश में अपना कामकाज रोक दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि भारत सरकार द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी जानकारी 10 सितंबर 2020 को हुई। इससे संगठन द्वारा किए जा रहे सभी काम पूरी तरह से ठप हो गए हैं। एमनेस्टी ने इसे सरकार की ओर बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि सरकार उसके पीछे पड़ गई है। उसने दावा किया कि उसके द्वारा सरकार के काम-काज में पारदर्शिता के लिए आवाज उठाई गई। लिहाजा, सरकार उसे प्रताड़ित कर रही है।
क्या है एमनेस्टी इंटरनेशनल
एमनेस्टी इंटरनेशनल लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है। यह विश्व भर में मानवधिकारों के लिए काम करता है। संगठन के घोषित उद्देश्यों में इसे मानवधिकारों पर अनुसंधान करने और उन लोगों के लिए न्याय की मांग करने वाला बताया गया है, जिनके अधिकारों का हनन किया जा रहा हो। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल का पंजीकृत कार्यालय बंगलुरु में स्थित है।
विवादों से नाता
एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में कई बार विवादों के घेरे में रहा है। जैसा कि गृह मंत्रालय के बयान में भी संगठन पर अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहने की बात कही गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल तब काफी चर्चाओं में रहा था, जब वर्ष 2019 में उसने अमरीका की विदेश मामलों की एक समिति के सामने दक्षिण एशिया ख़ास कर जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित अपनी एक रिपोर्ट को रखा था। तब उस पर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था। कश्मीर में धारा-370 की समाप्ति के बाद संगठन ने वहां मानवधिकारों के हनन की बात कही। यही नहीं इस वर्ष फरवरी में CAA के विरोध में दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों को लेकर भी एमनेस्टी की रिपोर्ट विवादों में रही।
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी हुई कार्रवाई
विदेशी फंडिंग हासिल करने के मामले में इस संगठन के विरुद्ध केंद्र सरकार की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। वर्ष 2009 में डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी संगठन पर कार्रवाई हुई थी। तब भी उसने अपना कामकाज बंद कर दिया था। एमनेस्टी पर जब भी सरकार कोई कार्रवाई करती है तो वह सरकार पर आरोप लगाती है। उसका आरोप होता है कि सरकार मानवधिकारों की आवाज को कुचलना चाहती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।

जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।