पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता पद्मविभूषण स्व. सुषमा स्वराज की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित वेबिनार सुषमान्जलि में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सुषमा स्वराज सब पर प्यार बरसाने वाली जिंदादिल इंसान थीं।
वेबीनार का आयोजन नेशनल फर्स्ट कलेक्टिव, संस्कार भारती पूर्वोत्तर व संस्कृति गंगा न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस मौके पर जावड़ेकर ने कहा कि वर्ष 1980 में वे युवा मोर्चा में कार्य करते थे। उस दौरान उनका सुषमा स्वराज से पहली बार परिचय हुआ था। तब भी सुषमा जी की छवि एक प्रखर वक्ता के रूप में थी। उन्हें सुषमा जी का बहुत स्नेह मिला है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज की भाषा पर गहरी पकड़ थी। जब वो भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने तो सुषमा जी उनको बताती थीं कि शब्दों का समुचित उपयोग जरूरी है। सुषमा जी कनार्टक के बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ी, तो उन्होंने कन्नड़ भाषा सीख ली। भाषा ग्रहण करना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यसभा, लोकसभा हो या जनसभा, सभी जगह लोग उनके भाषण सुनने के लिए आतुर रहते थे। तेलंगाना राज्य निर्माण के समय सुषमा जी को लोकसभा में भाजपा की ओर से पक्ष रखने को कहा गया था। उन्होंने ऐसी आक्रमकता के साथ अपनी बात रखी कि तेलंगाना के लोगों के दिलों में उनके लिए जगह बन गई। उन्होंने सुषमा स्वराज की ममतामई छवि की चर्चा की और कहा कि विश्वास नहीं होता है कि वे असमय चली गईं। ऐसा लगता है कि वे अभी बोल उठेंगी।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सुषमा स्वराज की सुपुत्री व सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता बांसुरी स्वराज ने कहा कि उनकी मां भगवान श्री कृष्ण की उपासक थीं। वो कहती थीं कि श्री कृष्ण ने जो भी कार्य किए, उसमें वो पूरी ताकत झोंक देते थे। मां ने भी उनका अनुसरण किया। सरकार में जो भी मंत्रालय संभाला, उसमें जनकल्याण के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए।
बांसुरी के इस प्रसंग ने सभी की आंखे नम कर दीं। जब उन्होंने बताया कि वो छोटी थीं और परमिशन जैसे शब्द का अर्थ क्या, बोल भी नहीं पाती थीं। तब भी उनकी मां चुनाव-प्रचार में जाने से पूर्व कहती थीं कि पहले बेटी की परमिशन ले लूं। मगर उनकी अपनी मां से एक शिकायत है कि पिछले वर्ष 6 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी से कोई परमिशन नहीं ली और चली गईं।

भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने उन्हें संवेदनशील व प्रेरणादाई व्यक्तित्व बताया और कहा कि सुषमा जी का कविता के प्रति प्रेम था। यही कारण है कि जीवन के प्रति वो काव्य दृष्टि रखती थीं। यह उनके हावभाव में भी परिलक्षित होता था। जोशी ने इस अवसर पर अपनी एक कविता भी सुनाई, जिसे सुषमा स्वराज पसंद करती थीं।
प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने उन्हें एक ऐसा सम्पूर्ण व्यक्तित्व बताया, जिसने कुशलता के साथ अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन किया। फिल्मकार मधुर भंडारकर ने सुषमा स्वराज से जुड़े अपने संस्मरणों की चर्चा की और कहा कि वे हमेशा प्रोत्साहन देने का काम करती थीं।
फिल्म अभिनेत्री पद्मश्री कंगना राणावत ने कहा कि सुषमा जी महिला सशक्तिकरण की सच्ची मिशाल थीं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने के बावजूद उन्होंने अपने चरम को छुआ।
कार्यक्रम में पद्मभूषण मोहन लाल, पद्मश्री कुलदीप सिंह, भजन गायक अनूप जलोटा समेत साहित्यिक जगत के अनेक वरिष्ठ लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध एंकर हरीश विरमानी ने किया।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बौखलाहट में दिखाई दे रहा है। बोर्ड ने कार्यक्रम से कुछ घंटे पूर्व एक विवादास्पद ट्वीट किया है। ट्वीट में एक तरह से सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल उठाया गया है और धमकी भरे अंदाज़ में कहा गया है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्ज़िद ही रहेगी।
AIMPLB ने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदहारण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन का पुनर्निर्धारण इसे बदल नहीं सकता है। दुःखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है। यह राजनीती है ‘
बोर्ड ने जिस अंदाज में यह ट्वीट किया है, वह कई सवाल खड़ा कर रहा है। बोर्ड ने अप्रत्यक्ष तौर पर सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बोर्ड ने तुर्की की हागिया सोफिया संग्रहालय का उदाहरण दिया है, जो 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।

क्या है हागिया सोफिया का इतिहास
हागिया सोफिया या आयासोफ़िया तुर्की के इस्तांबुल शहर में स्थित एक चर्च था। इसका निर्माण रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम के काल में 532 ईस्वी में हुआ था। उस समय यह संसार के सबसे बड़े चर्चों में एक था। माना जाता है कि इसने स्थापत्यकला के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। सन् 1453 में कुस्तुनतुनिया शहर, जिसे बाद में इस्तांबुल नाम दिया गया, पर उस्मानिया सल्तनत ने कब्जा किया। उस्मानिया सल्तनत ने इस चर्च में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद बना दिया। उस्मानिया साम्राज्य के पतन के बाद वर्ष 1935 में देश की बागडोर मुस्तफा कमाल अतातुर्क के हाथ आई। कमाल अतातुर्क उदारवादी छवि के थे। उन्होंने तुर्की को मुस्लिम कट्टरपंथ से दूर कर आधुनिक व धर्मनिरपेक्ष देश बनाने का प्रयास किया। कमाल अतातुर्क ने हागिया सोफिया को लेकर चर्च व मस्जिद के विवाद को समाप्त करके उसे संग्रहालय बना दिया था। यह संग्रहालय यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है।
यह इमारत इस वर्ष तब फिर चर्चा में आईं जब तुर्की की एक अदालत ने ईसाईयों व अन्य पक्षों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए इसे मस्जिद करार दे दिया। अदालत के आदेश के बाद तुर्की के कट्टरपंथी माने जाने वाले राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने अन्तर्राष्ट्रीय चेतावनी की परवाह किए बगैर विगत 20 जुलाई को संग्रहालय को पुनः मस्जिद बना दिया। यानि, हागीया सोफिया 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।
देशभर में राममंदिर निर्माण को लेकर दिख रहे उत्साह के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी राममय हो गईं। अयोध्या में 5 अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम पर प्रियंका ने ट्विटर पर अपना वक्तव्य जारी किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम व माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर का भूमिपूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व व सांस्कृतिक समागम का अवसर बने। ट्वीटर पर बयान जारी करते ही यूजर्स ने प्रियंका पर सवालों की झड़ी लगा दी।
ट्विटर पर जारी अपने बयान में प्रियंका गांधी ने कहा कि दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाश पुंज की तरह आलोकित है। भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह रामकथा हरिकथा अनंता है।
युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम शबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं, तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजई पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं।भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
5 अगस्त को रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने। अपने बयान के अंत में प्रियंका ने ‘जय सियाराम’ का उदघोष भी लिखा है।
प्रियंका गांधी के इस ट्वीट को लगभग 5600 रीट्वीट मिले हैं। करीब 21 हजार से अधिक लोगों ने लाइक किया है और 7900 से अधिक कॉमेंट्स आए हैं। कॉमेंट्स में यूजर्स ने प्रियंका गांधी पर सवालों की बौछार कर दी।
सनातनी नाम के यूजर्स ने पूछा क्या भगवान राम जी कांग्रेस के भी हैं जो शिलान्यास से पहले उन्हें काल्पनिक कहते थे। अविनाश श्रीवास्तव ने लिखा है – कांग्रेस का असली रूप, इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस ने राम मंदिर पुनर्निर्माण में हरसंभव बाधा डालने का प्रयत्न किया और आज उसी कांग्रेस में क्रेडिट लूटने और डैमेज कंट्रोल की हौड़ लगी हुई है।
कुंवर अजयप्रताप सिंह ने लिखा है कोर्ट में एफिडेविट देकर भगवान श्री राम को काल्पनिक बताने वाले आज रामभक्त बनकर घूम रहे हैं और लोग पूछते हैं कि अच्छे दिन कब आएंगे। वाकई मोदी है तो मुमकिन है। बिष्णु प्रसाद त्रिपाठी ने व्यंग किया है – लगता है किसी राम भक्त ने प्रियंका वाड्रा जी का एकाउंट हैक करके यह ट्वीट कर दिया है, क्योंकि श्रीराम को काल्पनिक कहने वाले रामभक्त कभी नही हो सकते।
गौवत्स पंडित सरस भारद्वाज नाम के यूजर्स ने लिखा है – राम के अस्तित्व को नकारने वाले, राम को काल्पनिक कहने वाले, रामसेतु को कल्पना मात्र कहने वाले आज यह बता रहे हैं। धन्य है प्रभु तेरी लीला। राम को काल्पनिक कहते – कहते जिनकी जिव्हा नहीं थकती थी, वो आज राम जप रहे। वाह रे मोदी जी इनके मुख से भी जय श्री राम बुलवा दिया।
भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन ( Permanent Commission) देने के लिए रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति के बाद सेना मुख्यालय ने महिला अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए एक विशेष चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सेना मुख्यालय ने स्थायी कमीशन के लिए पात्र महिला अधिकारियों से आवेदन करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ताकि बोर्ड उनके आवेदन पर विचार कर सके।
सेना के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल अमन आनंद ने एक विज्ञप्ति में बताया कि महिला विशेष प्रवेश योजना (Women Special Entry Scheme – WSES) और अल्प सेवा कमीशन महिला (Short Service Commission Women – SSCW) के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए उनसे 31 अगस्त तक सेना मुख्यालय में अपना आवेदन पत्र सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ जमा कराने को कहा गया है। आवेदन पत्र की प्राप्ति और उनके सत्यापन के तुरंत बाद चयन बोर्ड का गठन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि विगत माह 23 जुलाई को रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए स्वीकृति प्रदान की थी । इस स्वीकृति के बाद सेना में महिला अधिकारियों को बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए रास्ता साफ़ हो गया है। अभी तक सेना की जज एवं एडवोकेट जनरल (JAG) व आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स (AEC) शाखा में ही महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन था।
मोदी सरकार के इस आदेश के बाद भारतीय सेना के सभी दस वर्गों अर्थात आर्मी एयर डिफेंस (AAD), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी ऐवियेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (ASC), आर्मी आर्डनेंस कॉर्प्स (AOC) और इंटेलीजेंट कॉर्प्स में शॉर्ट सर्विस कमीशंड महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन की स्वीकृति मिल गयी है।
अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवा दे चुके पुरुष अधिकारियों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था। महिला अधिकारी इससे वंचित थीं। स्थायी कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर पाएंगी। शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत महिला अधिकारियों को चौदह साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद महिला अधिकारियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता। इसके अलावा भी कई ऐसी सुविधाएं हैं जो इन्हें नहीं मिलती है। हालांकि, वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से ही स्थायी कमीशन मिल रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के शुभारंभ के अवसर पर भगवान के श्रृंगार में हरे रंग के वस्त्रों पर खड़े किए जा रहे विवाद को औचित्यहीन बताया है। ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि देव विग्रह के वस्त्रों का निर्धारण परम्पराओं के अनुरूप किया जा रहा है। ट्रस्ट के अनुसार शुभारंभ समारोह में 135 संतों व विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार कुछ लोग 5 अगस्त के दिन भगवान के श्रृंगार में हरे रंग के वस्त्रों का उपयोग किए जाने पर विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात का प्रधानमंत्री कार्यालय अथवा ट्रस्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह विषय पूरी तरह से मुख्य पुजारी और परंपराओं से जुड़ा है। इसका निर्णय मुख्य पुजारी स्थापित परम्पराओं के अनुरूप करते हैं। यह सर्वविदित है कि देव विग्रह के वस्त्रों का निर्धारण प्रत्येक दिन के स्वामी ग्रह और उससे सम्बन्धित रंग के आधार पर किया जाता है। 5 अगस्त को बुधवार है। बुध ग्रह का सम्बन्ध हरे रंग से है। इस परंपरा का पालन पूर्व से चला आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस इस मामले को तूल देना पूर्वाग्रह का परिचायक है।
ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि राम मंदिर के भूमि पूजन और निर्माण कार्य के शुभारंभ का मुख्य कार्यक्रम 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि श्रीराम जन्मभूमि पर पूजन कार्यक्रम का सिलसिला 108 दिन पूर्व 18 अप्रैल से शुरू हो गया था। तब से वहां पर प्रतिदिन तमाम तरह के पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि किए जाते रहे हैैं, ताकि संपूर्ण क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत रहे।
चंपतराय ने बताया कि ट्रस्ट इस आयोजन में व्यापक स्तर पर रामभक्तों की उपस्तिथि चाहता था। मगर कोरोना काल को देखते हुए इसे सीमित करना पड़ा है। भूमि पूजन कार्यक्रम में मात्र 135 संतों व विशिष्ट अतिथियों को आमन्त्रित किया गया है। विभिन्न 36 परम्पराओं से जुड़े प्रमुख संत आमंत्रितों में शामिल हैं।
इनमें दशनामी परंपरा, रामानंद वैष्णव, रामानुज, नाथ, निंबार्क, माध्वाचार्य, वल्लभाचार्य, रामसनेही, कृष्णप्रणामी, उदासीन, निर्मल संत, कबीर पंथी, चिन्मय मिशन, रामकृष्ण मिशन, लिंगायत, वाल्मीकि संत, रविदास परंपरा, आर्य समाजी, सिक्ख परंपरा, बौद्ध, जैन, संत कैवल्य ज्ञान, सतपंथ, इस्कॉन, स्वामीनारायण, वारकरी, एकनाथ, बंजारा, सिंधी व अखाड़ा परिषद से जुड़े संत शामिल हैं। नेपाल से भी संत इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण कार्य के लिए अभी तक देशभर से लगभग 1500 से अधिक पवित्र व ऐतिहासिक स्थानों से मिट्टी अयोध्या पहुंच गई है। इसके साथ ही 2000 से भी अधिक पवित्र नदियों व कुंडों का जल भी अयोध्या पहुंच गया है। इनका उपयोग मंदिर निर्माण के दौरान किया जाएगा।


केंद्र सरकार ने कोरोना के रोगियों को अस्पताल में मोबाइल फोन अथवा टेबलेट रखने की अनुमति दे दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (DGHS) डॉ राजीव गर्ग द्वारा इस संबंध में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए गए हैं।
DGHS डॉ गर्ग द्वारा 29 जुलाई को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के निदेशकों को पत्र भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि प्रशासनिक व चिकित्सकीय टीमों को अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड व ICU में भर्ती रोगियों की मनोवैज्ञानिक जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए।

पत्र में डॉ गर्ग ने कहा है कि समाज से संपर्क मरीज को शांत रख सकता है और उसे चिकित्सा दे रहे दल के मनोवैज्ञानिक सहयोग को भी बढ़ा सकता है। लिहाजा, रोगी क्षेत्र में स्मार्टफोन और टैबलेट रखने की अनुमति दें, ताकि मरीज अपने परिवार और दोस्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर सकें।
पत्र में यह भी कहा गया है कि मोबाइल अथवा टेबलेट को संक्रमण मुक्त करने और मरीज को परिवार के साथ संपर्क करने के लिए समय सीमा निर्धारण करने हेतु अस्पताल उचित नियम बना सकते हैं। DGHS ने कोरोना महामारी से निबटने में राज्यों के प्रयासों की सराहना भी की है।
उत्तराखंड सरकार ने रक्षा बंधन के अवसर को देखते हुए बहनों के लिए विशेष प्राविधान किए हैं। सरकार ने रक्षा बंधन के अवसर पर यात्रा करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही प्रत्येक आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्री के खाते में एक-एक हजार रूपए की सम्मान राशि दिये जाने की घोषणा की। इससे लगभग 50 हजार आंगनबाङी और आशा कार्यकत्री लाभान्वित होंगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए ये घोषणाएं की। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन हमारी भावनाओं से जुड़ा हुआ त्यौहार है। हम प्रतिवर्ष इस त्यौहार को बड़ी खुशी व आत्मीयता के साथ मनाते आ रहे हैं। इस दिन सभी को अपनी बहनों का इंतजार रहता है।
मगर कोरोना महामारी के कारण हम इकट्ठा नहीं हो पा रहे हैं। सामूहिक रूप से अपने त्यौहार नहीं मना पा रहे हैं। ऐसे में भी, हमारी हजारों आंगनवाड़ी व आशा बहनें फ्रंट लाइन में रह कर हमें कोरोना से बचने व बचाने के लिए अपने आप को जोखिम में डालकर काम में जुटी हुई हैं। हमें सतर्क करने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरी उन सभी बहनों के लिए बहुत ही शुभकामनाएं हैं। वो सब स्वंय भी स्वस्थ रहें तभी वे औरों के स्वास्थ्य का ख्याल रख सकती हैं। मुख्यमंत्री ने आज आंगनवाड़ी व आशा कार्यकत्रियों को 1-1 हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की। इससे पूर्व भी प्रदेश सरकार द्वारा कोविड -19 में उनकी भूमिका देखते हुए 1-1 हजार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निवास पर विगत वर्षों तक बड़ी संख्या में बहनें रक्षासूत्र बांधने आती थीं और अपना आशीर्वाद व अपनी शुभकामनाएं मुझे प्रदान करती थीं। मगर इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण परिस्थितियां बदली हैं। सैकड़ों बहनों की राखियां मुझे पहुंची हैं। निश्चित रूप से उनका आशीर्वाद राखियों के साथ मुझे प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सभी बहनों का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और इस अवसर पर उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करता हूं। उन्होंने कहा कि सभी बहनों की सुविधा के लिये रक्षाबंधन के अवसर पर उन्हें उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी अनेक बहनें बद्रीनाथ, केदारनाथ, जागेश्वर धाम, गर्जिया मन्दिर, चंडी देवी मंदिर के साथ ही अन्य तमाम मंदिरों में प्रसाद बनाकर अपनी आजीविका चला रही हैं। सरकार ने उन्हें मौका दिया है कि हमारे स्थानीय उत्पादों से तैयार प्रसाद का श्रद्धालु भगवान को भोग चढ़ाएं। सरकार उन्हें हर संभव मदद कर रही है। इसके साथ ही राज्य की महिलाओं और महिला समूहों के लिए 05 लाख रूपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है, ताकि बहनें अपने पैरों में खड़ी हो सकें और छोटी-मोटी मदद के लिए उनको किसी की आवश्यकता ना पड़े।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि जब हम महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो बहुत जरूरी है, कि हमारी बहनें व बेटियां शिक्षित हों और वह आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि सरकार की नीतियों में इसकी छाप दिखे।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने कोरोना के दृष्टिगत सभी से आवश्यक सावधानियाँ बरतते हुए रक्षाबंधन त्यौहार मनाने की अपील की है।
गृहमंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जिसके बाद डॉक्टर्स की सलाह पर उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी है।
अपने ट्विटर हैंडल पर उन्होंने लिखा, ‘कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखने पर मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरी तबीयत ठीक है परन्तु डॉक्टर्स की सलाह पर अस्पताल में भर्ती हो रहा हूं। मेरा अनुरोध है कि आप में से जो भी लोग गत कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आयें हैं, कृपया स्वयं को आइसोलेट कर अपनी जांच करवाएं।’
गृह मंत्री के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर मिलते ही तमाम नेताओं ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, अल्प संख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत तमाम नेताओं ने शाह के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
देश में कोविड-19 की शुरुआत से ही शाह लगातार मॉनिटरिंग में लगे थे। राजधानी दिल्ली की स्थिति को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मॉनिटर किया। उन्होंने दिल्ली में कई कोविड केयर सेंटर्स और अस्पतालों का दौरा किया था। वह गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों साथ लगातार बैठक कर कोविड-19 की ताजा स्थिति पर अपडेट लेते थे। लॉकडाउन के बाद देश में अनलॉक की प्रक्रिया को लेकर गाइडलाइंस तैयार करवाने में भी शाह की अहम भूमिका रही है।
शाह के संपर्क में आए केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो हुए क्वारंटीन
शाह के संपर्क में आए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मंत्री बाबुल सुप्रियो ने खुद को क्वारंटीन कर लिया है। हाल ही में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
सुप्रियो ने ट्वीट कर शाह के कोरोना से संक्रमित पाये जाने पर चिंता जतायी। उन्होंने लिखा है कि शाह खुद को सदैव काम में व्यस्त रखने वाले व्यक्ति हैं। इस महामारी से मुकाबले में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। सुप्रियो ने गृह मंत्री के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
बाबुल सुप्रियो ने ट्विटर पर लिखा, हाल ही में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शाह के कोरोना से संक्रमित पाये जाने के बाद मैंने अपने डॉक्टर से सलाह ली। डॉक्टर ने मुझे क्वारंटीन रहने की सलाह दी है। डॉक्टर की सलाह के बाद जांच करवाएंगे।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 5 अगस्त को अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण कार्य के शुभारंभ को ऐतिहासिक अवसर बताया है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे रामायण में जिस धर्म या मर्यादित सदाचार का वर्णन है उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और उसके सार्वभौमिक संदेश का प्रचार-प्रसार करें।
आज ‘वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ फेसबुक पेज पर 17 भाषाओं में लिखी गई “श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण और उन आदर्शों की स्थापना” शीर्षक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने 5 अगस्त से प्रस्तावित राम मंदिर के पुनर्निर्माण को स्वतः स्फूर्त उत्सव सा अवसर बताया है। उन्होंने लिखा है कि यदि हम रामायण को सही परिपेक्ष्य में देखें तो यह अवसर समाज के आध्यात्मिक अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह ग्रंथ धर्म और सदाचरण के भारतीय जीवन दर्शन का विस्तार समग्रता में दिखाता है।
उन्होंने लिखा कि रामायण एक कालजई रचना है, जो हमारे समाज की साझा चेतना का अभिन्न अंग है। श्री राम मर्यादा पुरुष हैं। वे उन मूल्यों के साक्षात मूर्त स्वरूप हैं, जो किसी भी न्यायपूर्ण और संतुलित सामाजिक व्यवस्था का आधार हैं। दो सहस्त्राब्दी पूर्व लिखे गए इस महाकाव्य की महिमा के विषय में लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा है कि रामायण के आदर्श सार्वभौमिक हैं, जिन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक समाजों पर अमिट सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा है।
वेद और संस्कृत के विद्वान आर्थर एंटनी मैक्डोनल्ड को उद्दृत करते हुए वे लिखते हैं कि भारतीय ग्रंथों में जिन राम का वर्णन है, वो मूलतः पंथ निरपेक्ष हैं और उन्होंने विगत ढाई सहस्त्राब्दी में जन सामान्य के जीवन और विचारों पर अमिट प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने लिखा है कि राम कथा देश-विदेश के कलाकारों, कथाकारों, लोक कला, संगीत, काव्य, नृत्य के लिए अनुकरणीय कथानक रहा है। इस क्रम में उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के बाली, मलाया, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में रामकथा पर आधारित विभिन्न कला विधाओं का उल्लेख किया है, जो राम कथा की सार्वभौमिक लोकप्रियता का परिचायक है।
इस महाकाव्य का अलेक्जेंडर बारानिकोव द्वारा रूसी भाषा में अनुवाद किया गया। रूसी थिएटर कलाकार गेनेडी पेंचनिकोव ने इसका मंचन किया। कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर राम कथा को उकेरा गया है। इंडोनेशिया के प्रंबनान मंदिर की राम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रसिद्ध है। ये सभी विश्व के सांस्कृतिक पटल पर रामायण के प्रभाव को दर्शाते हैं।
उन्होंने लिखा है कि बौद्ध, जैन और सिक्ख परम्पराओं में भी राम कथा का समावेश किया गया है। विभिन्न भाषाओं में इस महाकाव्य के इतने सारे संस्करण होना, यह साबित करता है कि इस कथानक में ऐसा कुछ तो है जो उसे आज भी लोगों में लोकप्रिय तथा समाज के लिए प्रासंगिक बनाता है। श्री राम उन मर्यादाओं और गुणों के साक्षात मूर्ति हैं, जिनके लिए हर व्यक्ति प्रयास करता है। हर समाज अपेक्षा करता है।
राम कथा के बारे में नायडू ने लिखा है कि यह वन गमन के दौरान राम के जीवन में हुई घटनाओं में गुंथी हुई उनकी मर्यादाओं की कथा है, जिसमें सत्य, शांति, सहयोग, समावेश, करुणा, सहानुभूति, न्याय, भक्ति, त्याग जैसे सार्वकालिक, सार्वभौमिक गुणों के दर्शन होते हैं और यह भारतीय जीवन दर्शन का आधार हैं।
नायडू ने लिखा है कि इन्हीं कारणों से रामायण आज भी प्रासंगिक है। महात्मा गांधी ने राम राज्य को ऐसी जन केंद्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था के मानदंड के रूप में देखा, जो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, समावेशी सद्भाव तथा जन सामान्य के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहती है। उनका मानना था कि राम कथा समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए हमारी राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासकीय व्यव्स्था के लिए एक अनुकरणीय मानदंड है।
The Union Finance and Corporate Affairs Minister Nirmala Sitharaman said that the government is working closely with RBI on the debt restructuring demand of the industry keeping in mind the adverse effects caused by Kovid – 19. Addressing the National Executive Committee Meeting (NECM ) of the Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI) , Sitharaman said , ‘The focus is on rescheduling. The Finance Ministry is actively working with the RBI on this. Theoretically, the idea that rescheduling may be necessary is being considered. ‘
Regarding the comprehensive deliberations on the reform measures being announced by the government, Mrs Sitharaman said , ‘ Every step being announced is taken only after extensive consultation with the stakeholders and within the government , so that it To ensure that any step does not fail simply because we have not made the necessary related changes. We have taken all these steps to ensure that its impact is seen at the ground level. ‘
Addressing the concerns expressed by the members of FICCI on the difficulties faced by MSMEs in availing loans under the ‘Emergency Credit Guarantee Scheme’ announced by the Government , Sitharaman said , ‘Loans to MSMEs falling under the Bank Emergency Credit Facility Can not refuse to give. If refused , he should be informed of such cases. I will look into it. ‘
On FICCI’s suggestion to set up a ‘Development Finance Institute’ to meet the credit related demands being made by the industry , the Finance Minister said , ‘ Development Finance Institute is under progress. The format would be like , in this regard, we will know soon. Stressing the need for reciprocity in trade deals, Sitharaman said , ‘ We are being asked to make reciprocity arrangements with the countries with which we have opened our markets. Reciprocity is a very important point or issue in our trade negotiations. The Finance Minister said that the decision to reduce GST rates on healthcare and other products will be taken by the GST Council.
Sitharaman said that the Finance Ministry is working closely with the RBI on the demand for extension or rescheduling of the hospitality sector . He said , ‘I understand the demand for extension or rescheduling of the hospitality sector very well. We are working closely with the RBI on this. ‘
FICCI Chairperson Dr. Sangeeta Reddy praised the government’s proactive approach in dealing with this situation. Dr. Reddy said , “Though there are signs of improvement or improvement, but to maintain this improvement in the operational parameters of the business people, constant support from the government will be required. Cooperation is needed especially to strengthen the market demand and to increase the general demand. ‘
Uday Shankar, Senior Vice President, FICCI, proposed the vote of thanks and said that his Chamber will work closely with the Government to reduce the challenges facing the industry.