मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा की। उन्होंने उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्रोथ सेंटर, बिक्री और मुनाफे का लक्ष्य निर्धारित कर काम करें। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे ग्रोथ सेंटरों में स्वयं जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। उन्होंने उत्पादों की ऑनलाईन मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों का स्किल डेवलपमेंट हो
मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा करते हुए कहा कि देहरादून के थानो व नैनीताल के कोटाबाग के एलईडी ग्रोथ सेंटरों को क्वालिटी डिजायनर उपलब्घ कराए जाएं। हरिद्वार में प्रसाद निर्माण से जुड़े सेंटर आगामी कुम्भ को देखते हुए अपनी तैयारियां करें। सभी ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों के स्किल डेवलपमेंट की भी व्यवस्था की जाए।
नियमित बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों की सीजनल ही नहीं, बल्कि नियमित बिक्री सुनिश्चित की जाए। आसपास के कुछ ग्रोथ सेंटरों को मिलाकर एक पिकअप वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे यातायात लागत कम होगी।
ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण
त्रिवेंद्र ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों विशेष तौर पर महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। इस आत्मविश्वास को और बढ़ाना है। जिलाधिकारी ग्रोथ सेंटरों में खुद जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण हैं।
उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाया जाए। इसके अंतर्गत अन्य ब्रांड भी चलते रहेंगे। इसके लिए दक्ष विशेषज्ञों की सहायता ली जाए। इसके लिए उत्तराखण्ड के उत्पादों की विशेषता, सम्भावित मार्केट आदि का पूरा अध्ययन किया जाए। ब्रांड का नाम इस प्रकार हो जिसमें उत्तराखण्ड की फीलिंग आए। उद्योग विभाग इसे क्रियान्वित करेगा।
ग्रोथ सेंटरों ने मुख्यमंत्री को दिया फीडबैक
मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न ग्रोथ सेंटरों के संचालक स्वयं सहायता समूहों से बात की और उनसे फीडबैक लिया। बताया गया कि ग्रोथ सेंटर प्रारम्भ होने से उनसे जुड़े ग्रामीणों और महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है। धीरे-धीरे उत्पादों को बाजार भी मिलता जा रहा है। स्थानीय लोग ग्रोथ सेंटरों से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। लोहाघाट के स्वयं सहायता समूह द्वारा बताया गया कि मशीने मिलने के बाद लोहे की कढ़ाई के निर्माण में काफी वृद्धि हुई है। इससे उनकी आय भी बढ़ी है। चमोली के उर्गम के स्वयं सहायता समूह ने बताया कि बदरी गाय के दूध व घी की अच्छी कीमत मिल रही है। दर्जनों ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को ग्रोथ सेंटर योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए ग्रेाथ सेंटरों की कार्यविधि की जानकारी दी।
अभी तक 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत, 72 क्रियाशील
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि अभी तक कुल 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 72 क्रियाशील हो चुके हैं। अन्य भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे। इन ग्रोथ सेंटरों से लगभग 30 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। स्वीकृत किए गए ग्रोथ सेंटरों में एग्री बिजनेस आधारित 38, बेकरी आधारित 04, डेयरी व दुग्ध उत्पाद आधारित 05, मत्स्य 11, आर्गेनिक ऊन 10, प्रसाद 05, मसाला 04, फल प्रसंस्करण 05, शहद व मौन पालन 04, एलईडी 02, शिल्प आधारित 05, आईटी 02, पर्यटन 02, हथकरघा व क्विल्ट आधारित 02, पशुआहार 01 और एरोमा आधारित 04 ग्रोथ सेंटर हैं। बताया गया कि सितम्बर 2020 तक क्रियाशील ग्रोथ सेंटरों की कुल बिक्री धनराशि 6 करोड़ 09 लाख रूपए रही जबकि लाभ की राशि 60 लाख रूपए से अधिक रही। ग्रोथ सेंटरों के टर्नओवर और मुनाफे में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रोथ सेंटरों की ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए वेबसाईट बनाई जा रही है। इनका थर्ड पार्टी मूल्यांकन भी कराया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास और पलायन आयेाग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के सलाहकार आलोक भट्ट, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, राधिका झा, हरबंस सिंह चुघ, डा.रणजीत सिन्हा, एसए मुरूगेशन, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में सामाजिक कार्यों में जुटे हंस फाउंडेशन की प्रेरक माता मंगला के जन्मदिन पर उत्तराखंड को 105 करोड़ की योजनाओं की सौगात मिली है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने सरकारी आवास में हंस फाउंडेशन की इन विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
हंस फाउंडेशन द्वारा माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर शुरू की गई इन योजनाओं में ‘हंस जल धारा’ के तहत लगभग 200 गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना प्रमुख है। जिसकी लागत लगभग 50 करोड़ रूपये है। इस योजना को दो से तीन साल में पूरा किया जाना है।
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कोविड-19 संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी पहाड़ लौटे हैं। इन लोगों के लिए हंस फाउंडेशन द्वारा 25 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से पहाड़ लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में मदद की जाएगी। इसी के साथ राज्य में लगभग 200 गांव में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया जाना है। जिनकी लागत लगभग 30 करोड़ रूपये है।
मुख्यमंत्री ने की सुदीर्घ जीवन की कामना
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माता मंगला के सुदीर्घ जीवन की कामना की। उन्होंने कहा कि माता मंगला के जीवन संघर्ष और उनकी सेवा भाव की विचारधारा हम सभी को प्रेरित करती है। उनका जीवन गरीबों की निस्वार्थ सेवा में समर्पित है। राज्य सरकार को भी हमेशा उनका सहयोग मिला है। माता मंगला व भोले महाराज समाज सेवा की भारतीय संस्कृति की महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिससे लाखों लोगों के जीवन में रोशनी फैल रही है।
आज राज्य को माता मंगला के जन्मदिवस पर 105 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात मिली है। यह निश्चित तौर पर हमारे राज्य को विकास के पथ पर लेकर जाएगा। इससे पहले हंस फाउंडेशन राज्य को भोले जी महाराज के जन्मदिवस पर 100 करोड़ रूपये की योजनाओं का तोहफा दे चुका है।
रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय को एंबुलेंस दी
माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर हंस फाउंडेशन ने रूद्रप्रयाग के जिला अस्पताल को एम्बुलेंस (टाटा विंगर), सक्शन मशीन, नेबुलिज़र मशीन, लाइफ सपोर्ट डिवाइस डिफाइब्रिलेटर मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,एक्स रे मशीन एवं ईसीजी मशीन प्रदान की है।
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हरिद्वार में भी आयोजित हुआ कार्यक्रम
उधर, हरिद्वार में भारत माता मंदिर में भी आध्यात्म और सेवा की प्रतिमूर्ति माता मंगला का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत ललिता नंद गिरि महाराज ने कहा कि माता मंगला आध्यात्मिक विभूति हैं और निरंतर सेवा भाव से मानव मात्र की सेवा कर रही है। उनका आशीर्वाद एवं उनकी प्रेरणा हम सभी को निरंतर मिलती रहे, यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। अनेक वर्षों से पूरे देश में भोले जी महाराज व माता मंगला की प्रेरणा से हंस फाउंडेशन जनसेवा का कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर जोर दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और उन्हें कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जिलाधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कारवाई के निर्देश दिए।
त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना, सौर ऊर्जा व पिरूल ऊर्जा नीति से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। एलईडी ग्राम लाईट योजना के तहत जिन स्थानों पर प्रोडक्शन का कार्य शुरु हो चुका है, उन स्थानों पर जिलों के मुख्य विकास अधिकारी एवं सबंधित विभागीय अधिकारी जाकर महिला स्वयं सहायता समूहों से उनको कार्य करने में आ रही समस्याओं की जानकारी लें। इससे उनकी समस्याओं का शीघ्रता से निवारण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि एलईडी ग्राम लाईट योजना के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को उचित प्रशिक्षण, राॅ मेटिरियल एवं सप्लाई चेन की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए राज्य में कुछ क्षेत्र हब के रूप में विकसित करने होंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों की आय में वृद्धि के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य किए जाएं। त्योहारों के सीजन के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर निर्मित सामग्री की मार्केंटिंग के लिए स्वयं सहायता समूहों को सहयोग दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिरूल नीति से 40 हजार से अधिक लोगों के आय के संसाधन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारियों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे बिजली उत्पादन के साथ ही अनेक पर्यावरणीय लाभ भी हैं। पिरूल एकत्रीकरण से स्थानीय स्तर पर महिलाओं के आय के संसाधन बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विद्युत विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और निर्देश दिए कि दोषियों पर सख्त कारवाई की जाए। साथ ही इसमें विद्युत विभाग के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना बनाने को भी कहा और निर्देश दिए कि विद्युत लाईनों की नियमित जांच तथा आवश्यकतानुसार अंडर ग्राउण्ड केबलिंग की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर निर्धारित मानकों के अनुरूप क्षतिपूर्ति एक सप्ताह के अन्दर देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बरदाश्त नहीं की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि दुर्घटना के कारणों की जांच रिपोर्ट सबंधित क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिकारियों से शीघ्र उपलब्ध हो। बिजली के बिल की रशीद लोगों तक नियमित रूप से पहुंचे।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि विभागों को की-परफार्मेंस इंडिकेटर दिए जाने से ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। विद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता की स्थिति बहुत अच्छी है। इस अवसर पर एमडी यूपीसीएल डाॅ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव कैप्टन आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न है। स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं।
यह विचार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए युवा उद्यमियों के साथ व्यक्त किए। त्रिवेंद्र ने बताया कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोड़ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है।
उन्होंने कहा कि राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किए गए हैं। प्रदेश के 27 प्रतिशत वन क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष होते हैं। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्या बनी रहती है। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों का सदुपयोग कर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर उलब्ध कराने में यह योजना कारगर साबित होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है।
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उन्होंने बताया उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किए जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यामियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादक प्रीति भंडारी, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट के क्षेत्र में कार्यरत हर्षपाल चौधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर रही नूपुर अग्रवाल, होम स्टे संचालिका निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही प्रेक्षा कपरवाण आदि से बात की।
कार्यक्रम की मॉडरेटर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत थीं। कार्यक्रम में ऊर्जा सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।
सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में योजना की औपचारिक शुरुआत की। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू- परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेाजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा की कोर कमेटी की रविवार को आयोजित बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और सरकार व संगठन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राजधानी देहरादून के बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित कोर कमेटी की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार समेत कोर कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित थे।
बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों व मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा अगले तीन दिन के भीतर कर दी जाएगी। पार्टी ने 16 अक्टूबर को जिला स्तर पर गठित होने वाली समन्यव समितियों के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण देहरादून में तय किया है। इन समितियों में सम्बंधित जिले के अध्यक्ष, महामंत्री, एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता, सम्बंधित विधायक व सांसद सदस्य होंगे। यह समितियां जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय के लिए गठित की गई हैं।
भाजपा द्वारा राजधानी में मसूरी रिंग रोड पर नए प्रदेश कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। पार्टी नवरात्रि में 17 अक्टूबर को इसका भूमि पूजन व शिलान्यास करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस कार्यक्रम की वर्चुअल माध्यम से औपचारिक शुरुआत करेंगे।
भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों के सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि बैठक में यह साफ़ निर्देश दिए गए हैं कि मंत्री, विधायक या पदाधिकारी कोई भी मामला होने पर उसे पहले पार्टी फ़ोरम पर कहेंगे न कि किसी अन्य स्थान पर। यदि इस बात का उल्लंघन किया जाता है तो वह अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। विधायक पूरण फर्त्याल के प्रकरण में भगत ने कहा कि सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा उनसे बात करेंगे ।
भगत ने यह भी बताया कि जिलों के प्रभारी मंत्रियों से कहा गया है कि वे माह में कम से कम एक बार अपने प्रभार के जिलों का दौरा करें और वहां रात्रि विश्राम करें। साथ ही जिला समन्वय कमेटी की बैठकों में भाग लें। कार्यकर्ताओं से मिलें। इसके बाद वे प्रशासनिक बैठक करें।
कोर कमेटी की बैठक में सांसद अजय भट्ट, महारानी राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, तीरथ सिंह रावत, प्रदेश सरकार के मंत्री मदन कौशिक, डॉ धन सिंह रावत, महामंत्री राजेंद्र भंडारी, कुलदीप कुमार, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।
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माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोविड -19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आने वाले कुछ माह और चुनौतीपूर्ण होंगे। उन्होंने अधिकारियों को इस चुनौती से निपटने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह में प्रदेश में कोविड पॉजिटिव केस कम आए हैं। मगर ऐसे समय में और सतर्कता बरतने की जरूरत है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का सभी जगह पूर्ण रूप से पालन हो, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 की समीक्षा बैठक के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह निर्देश सभी जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग की जाए। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के उप जिलाधिकारी एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो। किसी क्षेत्र की शिकायत आने पर सबंधित क्षेत्र के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर
उन्होंने कहा कि कोविड से बचाव के लिए आम जन के व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। कोविड के सबंध में सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कारवाई हो। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विभिन्न माध्यमों से जन जागरूकता अभियान चलाने की जरुरत पर भी जोर दिया। जन जागरूकता के लिए उन्होंने प्रमुख हस्तियों एवं गणमान्य व्यक्तियों के वीडियो एवं ऑडियो संदेश बनाकर प्रचारित व प्रसारित करने को कहा।
पर्यटकों से शालीनतापूर्ण व्यवहार
त्रिवेंद्र ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए जागरुकता पैदा करने हेतु ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता, कार्टून प्रतियोगिता आदि गतिविधियां आयोजित हों और इन प्रतियोगिताओं के लिए जनपद व राज्य स्तर पर पुरस्कार भी दिये जाय। धार्मिक स्थलों, भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कोविड से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपायों के लिए स्थाई होर्डिंग का प्रावधान करें। उन्होंने कहा कि अब अनेक गतिविधियों के लिए छूट मिल चुकी है। राज्य में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह सुनिश्चित किया जाय कि पर्यटकों के साथ सबका शालीनता पूर्वक व्यवहार हो। पर्यटक स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्टिंग के लिए बूथ बने।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, सचिव आयुष डी सेंथिल पांडियन, सचिव डाॅ. पंकज पाण्डेय, दिलीप जावलकर, शैलेष बगोली, एस.ए. मुरूगेशन, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुंज्याल, अपर सचिव युगल किशोर पंत, स्वास्थ्य महानिदेशक डाॅ.अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।
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विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।