उत्तराखंड सरकार टिहरी बांध झील को विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में लगातार जुटी हुई है। सरकार की कोशिश है कि इसे नए पर्यटक स्थल के रूप में तैयार कर यहां साल भर पर्यटक गतिविधियां संचालित हों।
इस क्रम में सोमवार को मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में सचिवालय में टिहरी जलाशय के चारों ओर प्रस्तावित रिंग रोड के निर्माण के सम्बन्ध में बैठक हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की घोषणाओं में सम्मिलित एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। उन्होंने इस सम्बन्ध में फीजिबिलिटी स्टडी एवं वायबिलिटी स्टडी शीघ्र करवा कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टिहरी झील को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए सभी सम्बन्धित विभागों को हर सम्भव प्रयास करने होंगे।
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बैठक में सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि टिहरी बाँध जलाशय लगभग 42 वर्ग कि.मी. में विस्तारित है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रिंग रोड की कुल लम्बाई 234.60 कि.मी. है। टिहरी झील को देखने के लिए वर्षभर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। रिंग रोड के निर्माण सहित जलाशय के चारों ओर पर्यटन विकास हेतु आवश्यक मूलभूत ढांचागत सुविधाओं के विकास से इस क्षेत्र के आस-पास के कई गांव तथा आबादी क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। यह रिंग रोड भविष्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में कारगर सिद्ध होगी।
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उल्लेखनीय है, कि वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सरकार टिहरी में फ्लोटिंग मरीना में बैठ कर झील में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित कर चुकी है। बैठक में सरकार ने पर्यटन गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। टिहरी झील के ऊपर कैबिनेट बैठक करने के पीछे प्रदेश सरकार की मंशा इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की थी।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश व पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने शनिवार को केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने शंकराचार्य समाधि, दिव्यशिला से समाधि तक पैसेज मार्ग, एमआई-26 हेलीपैड और सरस्वती व मन्दाकिनी घाट आदि का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कार्यदायी संस्थाओं को कार्य मे तेजी लाने व गुणवत्ता परक कार्य कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हर हाल में तय समय सीमा के भीतर पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण किए जाए। उन्होंने एमआई-26 हेलिपैड पर क्षतिग्रस्त गढ़वाल मंडल विकास निगम के कॉटेज को 10 दिन के भीतर हटाने के निर्देश लोक निर्माण विभाग को दिए। एमआई-26 हेलीपेड वर्तमान में 50×40 आकार का है, जिसका विस्तारीकरण वायु सेना के चिनूक हेलीकाप्टर हेतु 50×100 का किया जाना है। चिनूक हेलीकाप्टर के जरिए केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के लिए भारी सामान पहुंचाया जाना है।
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मुख्य सचिव ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमऐ) द्वारा गरुड़चट्टी तक पहुंचने के लिए बनाये जा रहे पुल का निर्माण भी हर हाल में 31 दिसंबर तक करने के निर्देश दिए। केदारनाथ में जिंदल ग्रुप द्वारा तीर्थ पुरोहितों के 05 भवन निर्माण किये जाने थे, जिसमें से 02 भवनों को पूर्ण कर जिला प्रशासन को सौप दिए गए हैं। उन्होंने अवशेष भवनों को 15 अक्टूबर तक पूर्ण कर जिला प्रशासन को सौंपने के निर्देश दिए। साथ ही ध्यान गुफा के लंबित कार्यों को भी तय समय के भीतर पूर्ण करने को कहा। इस अवसर पर जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग वंदना समेत विभिन विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड में कोरोना अपना कहर दिखा रहा है। बुधवार को रिकॉर्ड 836 पॉजिटिव मामले सामने आए और 11 रोगियों की मृत्यु हो गई। प्रदेश में अब कोरोना पॉजिटिव की संख्या 21 हजार से ज्यादा हो गई है। राज्य में कोरोना की करामात के कारण लगातार दूसरी बार कैबिनेट की बैठक स्थगित करनी पड़ी है। इधर, राज्य सचिवालय के सभी कार्मिकों का एंटीजन टेस्ट कराने के साथ ही अग्रिम आदेशों तक बाहरी व्यक्तियों का सचिवालय में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में भी 6 सितम्बर तक के लिए आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उत्तराखंड के कोविड-19 कंट्रोल रूम द्वारा बुधवार शाम जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में एक दिन में रिकॉर्ड 836 पॉजिटिव मामले सामने आए। आज पाए गए इन मामलों के साथ राज्य में कोरोना पॉजिटिव रोगियों की संख्या 21,234 हो गई है। इनमें से 14,437 रोगी उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं। इस प्रकार वर्तमान में एक्टिव रोगियों की संख्या 6,442 है। पिछले 7 दिनों में राज्य में रोगियों की संख्या का दोगुना होने की दर 23.47 दिन है। अब तक 291 लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हो चुकी है।
वर्तमान में सक्रिय मामले
प्रदेश में कोरोना मैदान से लेकर पहाड़ तक अपना असर दिखा रहा है। बुधवार तक एक्टिव मामलों की बात की जाए तो, इसमें उधमसिंह नगर जनपद 1619 मामलों के साथ सबसे ऊपर है। देहरादून जिले में 1409, हरिद्वार में 1115, नैनीताल में 741 एक्टिव मामले हैं। पहाड़ी जिलों में टिहरी में सर्वाधिक 395 एक्टिव मामले हैं। उत्तरकाशी में 226, अल्मोड़ा में 216, पौड़ी में 159, पिथौरागढ़ में 152, चंपावत में 124, चमोली में 118, बागेश्वर में 86 व रुद्रप्रयाग में 82 रोगी उपचाराधीन हैं।
कोरोना की स्थिति राज्य में लगातार चिंताजनक होती जा रही है। रोगियों की संख्या बढ़ने के कारण सरकारी अस्पतालों में बेड नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना के रोगियों का उपचार करने की अनुमति प्रदान कर दी है।
कोरोना के प्रभाव का आंकलन इस बात से भी किया जा सकता है कि इसके कारण राज्य कैबिनेट की बैठक बुधवार को लगातार दूसरी बार स्थगित करना पड़ी। दोनों बार मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ में शामिल कार्मिकों के पॉजिटिव मिलने पर बैठक स्थगित की गई है।
सचिवालय में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक
राज्य सचिवालय में भी लगातार पॉजिटिव मामलों के पाए जाने के बाद आज से सचिवालय में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। सचिवालय प्रशासन के प्रभारी सचिव भूपाल सिंह मनराल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सचिवालय में सांसदों, केंद्र व प्रदेश सरकार के मंत्रियों, विधायकों तथा सचिवालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश पूर्णतया वर्जित रहेगा। मीडियाकर्मी भी मात्र सचिवालय परिसर स्थित मीडिया सेंटर में अपराह्न 3 से 5 बजे तक प्रवेश कर सकेंगे। यदि कोई व्यक्ति सचिवालय में किसी प्रकार का प्रार्थना पत्र देना चाहता है तो, वह गेट पर इसे जमा करा सकता है। इस हेतु वहां पर एक अधिकारी की तैनाती की जाएगी।
सचिवालय कर्मियों का एंटीजन टेस्ट
इधर, बुधवार को ही स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी सचिव पंकज पांडेय ने राजधानी देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को पत्र लिख कर सचिवालय में कार्यरत समस्त कार्मिकों का एंटीजन टेस्ट कराने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि कार्मिकों का एंटीजन टेस्ट कराने हेतु 3 टीम बनाकर एंटीजन किट के साथ सचिवालय में भेजी जाएं।
भाजपा मुख्यालय 6 सितम्बर तक बंद
उत्तराखंड भाजपा के मुख्यालय में आवाजाही को 6 सितम्बर तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत आदि समेत कई अन्य के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पार्टी ने पहले 2 सितम्बर तक प्रदेश कार्यालय को बंद कर दिया था। मगर इस बीच कुछ अन्य कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कार्यालय को 6 सितम्बर तक के लिए बंद कर दिया गया है।
पहाड़ों की रानी मसूरी और उसके आसपास के इलाकों में भू- स्खलन का खतरा मंडरा रहा है। एक अध्ययन में पता चला है कि क्षेत्र के 15 प्रतिशत हिस्से में भूस्खलन का सर्वाधिक खतरा है। अधिकतर पहाड़ी इलाकों की तरह ही उत्तराखंड के पर्यटन स्थल मसूरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी भूस्खलन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। क्षेत्र में ऐसी प्राकृतिक आपदा के बढ़ते खतरों ने वैज्ञानिकों को मसूरी और उसके आसपास के क्षेत्रों की भूस्खलन के प्रति संवेदनशीलता का मानचित्रण करने के लिए प्रेरित किया।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि मंत्रालय के अधीन संचालित स्वायत्तशासी संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों ने निचले हिमालयी क्षेत्र में मसूरी और उसके आसपास के 84 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि भूस्खलन वाले अतिसंवेदनशील क्षेत्र का बड़ा हिस्सा बाटाघाट, जॉर्ज एवरेस्ट, केम्प्टी फॉल, खट्टापानी, लाइब्रेरी रोड, गलोगीधार और हाथीपांव जैसे बसावट वाले क्षेत्रों के अंतर्गत आता है, जो 60 डिग्री से अधिक ढलान वाले अत्यधिक खंडित क्रोल चूना पत्थर से आच्छादित हैं।
भूस्खलन संवदेनशीलता मानचित्रण पर जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में दिखाया गया है कि क्षेत्र का 29 प्रतिशत हिस्सा हल्के भूस्खलन और 56 प्रतिशत हिस्सा बहुत बड़े स्तर पर भूस्खलन वाले अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है।
WIHG के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और उपग्रह से प्राप्त हाई-रिज़ॉल्यूशन चित्रों का उपयोग करते हुए द्विभाजक सांख्यिकीय यूल गुणांक (वाईसी) विधि का उपयोग किया।
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वैज्ञानिकों के अनुसार अध्ययन करते समय क्षेत्र में भूस्खलन के विभिन्न संभावित कारकों में लिथोलॉजी, लैंड्यूज-लैंडकवर (एलयूएलसी), ढलान, पहलू, वक्रता, ऊंचाई, सड़क-कटान जल निकासी और लाइनामेंट आदि को शामिल किया गया। अध्ययन टीम ने भूस्खलन के कारणों के एक विशेष वर्ग का पता लगाने के लिए लैंडस्लाइड ऑक्युवेशन फेवरोबिलिटी स्कोर (एलओएफएस) के आंकड़े एकत्र किए और बाद में जीआईएस प्लेटफॉर्म में लैंडस्लाइड सुसाइड इंडेक्स (एलएसआई) बनाने के लिए भूस्खलन के प्रत्येक कारक के प्रभावों की अलग अलग गणना की। एलएसआई को प्राकृतिक मानकों के आधार पर पांच क्षेत्रों में पुनर्वर्गीकृत किया गया है।
इस मानचित्र की सटीकता को सक्सेस रेट कर्व (एसआरसी) और प्रिडिक्शन रेट कर्व (पीआरसी) का उपयोग करके सत्यापित किया गया, जो एसआरसी के लिए एरिया अंडर कर्व (एयूसी) को 0.75 के रूप में और पीआरसी को 0.70 के रूप में दिखाता है। यह भूस्खलन वाले विभिन्न तरह के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों और भूस्खलन की घटना वाले क्षेत्रों के बीच परस्पर संबंधों को दर्शाता है।
मंत्रालय के अनुसार इस अध्ययन से भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर होने वाले भूस्खलन, इसके जोखिम और इस बारे में पर्वतीय कस्बों की संवेदनशीलता का मूल्यांकन करने में काफी मदद मिल सकती है।
निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों की समयबद्ध पदोन्नति ना किये जाने के मामले में प्रदेश सरकार ने सख्त रूख दिखाया है। सरकार ने समयबद्ध तरीके से पदोन्नति की कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जताते हुए इसे अनुचित करार दिया है। शासन की ओर से सोमवार को कर्मचारियों की पदोन्नति के सम्बन्ध में शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिएअनुस्मारक जारी किया है।
प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा राज्याधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में पदोन्नति के संबंध में जारी किये गए अनुस्मारक पत्र में शासन के इस वर्ष 18 मार्च व 20 मई को जारी शासनादेशों का हवाला दिया गया है, जिसके तहत समस्त विभागों में पदोन्नति के रिक्त पदों पर प्रत्येक दशा में एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। अनुस्मारक पत्र में कहा गया है कि विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा शासन के संज्ञान में लाया गया है कि अभी तक कई विभागों में पदोन्नतियां लंबित हैं और विभागों द्वारा समयबद्ध रूप से कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सवाल – आखिर क्यों नहीं होती समयबद्ध पदोन्नति ?
गौरतलब है, कि प्रदेश में विभिन्न विभागों में लम्बे समय से पदोन्नतियां लटकी पड़ी हैं। विभागाध्यक्ष अथवा शासन स्तर पर कर्मचारियों की पदोन्नति के मामले में अधिकारी रूचि नहीं लेते हैं। इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि जहाँ एक ओर अधिकारियों के पदोन्नति के प्रकरणों में एक दिन की भी देरी नहीं होती है, वहीं कर्मचारियों के प्रकरण में वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं होती है। कार्मिकों की पदोन्नति की फाइलें विभागों व सचिवालय की अंधेरी गलियों में गुम होकर रह जाती हैं और कई कार्मिक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। यहाँ इस तथ्य का उल्लेख करना भी जरुरी होगा, कि अधिकांश मामलों में कर्मचारियों की पदोन्नति के फलस्वरूप सरकार पर किसी प्रकार से राजस्व का अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ता है। अधिकांश कार्मिक वरिष्ठता के कारण पदोन्नत होने वाले पद के समतुल्य अथवा उससे अधिक वेतन पा रहे होते हैं। इन कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ वरिष्ठ पद के सम्मान से जुड़ा होता है। मगर उच्च अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते कर्मचारी पदोन्नति से वंचित ही नहीं होते हैं, अपितु उनके मनोबल व कार्यक्षमता पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। नतीजन, कर्मचारी संगठनों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ता है।
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यदि आप मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में हाथ आजमाना चाहते हैं और इसके उत्पादन के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपके पास एक अच्छा अवसर है। आप घर बैठे ऑनलाइन मशरूम की खेती का प्रशिक्षण ले सकते हैं।
उत्तराखंड के पंतनगर स्थित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा मशरूम की खेती पर 9 से 11 सितम्बर तक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बटन, ढिंगरी पुआल मशरूम व दूधिया मशरूम की खेती की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक अभ्यर्थियों को पांच सौ रूपये बतौर पंजीकरण शुल्क 5 सितम्बर तक जमा करना होगा।
शुल्क भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा में जमा कराया जा सकता है। शुल्क नियंत्रक, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के इस खाता संख्या में जमा कराएं – 30081736247, जिसका IFSC code है – SBIN0001133
शुल्क जमा करने के बाद जमा रशीद अथवा ट्रांजेक्शन की डिटेल इस e-mail: totmrtcpant@gmail.com एवं WhatsApp No.- 9389017092 पर भेजनी अनिवार्य है। प्रशिक्षण का आयोजन Google Meet पर किया जायेगा। पंजीकृत अभ्यर्थियों को Google Meet का लिंक उनके व्हाट्सएप्प नंबर पर भेजा जायेगा।
ये है विश्वविद्यालय की वेबसाइट
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अलग राज्य निर्माण के आंदोलन से लेकर राज्य के विकास तक में हमारी मातृ शक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि महिला शक्ति की भागीदारी के बिना राज्य की आर्थिकी में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती। मातृ शक्ति के सहयोग से ही आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की परिकल्पना सम्भव है।
यह वक्तव्य मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उत्तराखण्ड के विकास में महिला शक्ति की भूमिका विषय पर आयोजित वेबनार में दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, महिला कल्याण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह बेहतरीन काम कर रहे हैं। राज्य में स्थापित किये गये ग्रोथ सेंटरों में भी महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के दौरान आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, महिला स्वास्थ्य कर्मियों व महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका की विशेष सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-ऑफिस, ई-कैबिनेट, सीएम डैशबोर्ड, सीएम हेल्पलाईन सुशासन की दिशा में बड़ा कदम है। स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज प्रारंभ की गई है। टेलीमेडिसीन, टेलीरेडियोलाजी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। हर गांव को इंटरनेट से जोड़ने पर काम चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के केन्द्र के रूप मे उभर कर सामने आया है। राज्य को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
वेबिनार में इनकी रही भागीदारी
वेबिनार में हंस फाउंडेशन की प्रमुख माता मंगला, विधायक ऋतु खण्डूड़ी, प्रसिद्ध लेखिका व फिल्म स्क्रिप्ट राइटर अद्वैता काला, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव सौजन्या, पेटीएम की सीनियर वाईस प्रेसीडेंट रेणु सती, क्रिकेटर एकता बिष्ट, पत्रकार श्रेया ढौंडियाल सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिभाग किया और अपने विचार रखे।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के उत्तराखंड व दिल्ली प्रदेश के प्रभारी श्याम ज़ाजू का कहना है कि आम आदमी पार्टी (आप) को सपने देखने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि आप नेताओं को बड़े-बड़े दावे करने की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि अगले विधान सभा चुनावों में उत्तराखंड में फिर से भाजपा की सरकार बनेगी
विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने देहरादून पहुंचे श्याम जाजू ने मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में यह वक्तव्य दिया। पत्रकारों ने उनसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उत्तराखंड की सभी 70 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा पर सवाल पूछा था। केजरीवाल ने कुछ मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कारों में दावा किया है कि उनकी पार्टी ने 2022 में होने वाले उत्तराखंड विधान सभा चुनावों को लेकर कराए सर्वेक्षण में 62 प्रतिशत लोगों ने आप के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।
केजरीवाल के इस दावे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जाजू ने कहा कि जहां तक उत्तराखंड का सवाल है, अगले विधानसभा चुनाव में यहां भारी बहुमत से पुनः भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। प्रदेश सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं को संचालित किया है।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं और चुनाव लड़ना या पार्टी का विस्तार करने का सबको अधिकार है। लेकिन जहां तक आप पार्टी द्वारा उत्तराखंड को लेकर किए गए दावों का सवाल है तो आप के नेताओं द्वारा बड़ी-बड़ी बातें व दावे करना उनकी पुरानी आदत है। इसी आम आदमी पार्टी के नेता पंजाब, गोवा, हरियाणा व महाराष्ट्र को लेकर बड़े दावे करते थे, पर क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तीसरी शक्ति के उभरने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। यहां भाजपा व कांग्रेस ही मुख्य दल हैं और अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी सरकार के कार्यों के आधार पर पुनः भारी बहुमत से जीतेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की मदद से उत्तराखंड में बड़े-बड़े कार्य चल रहे हैं। उत्तराखंड के लोग राष्ट्रवादी हैं और उनका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पूरा विश्वास है।
आगामी चुनावों में मीडिया व सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका
इधर, भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी के मीडिया व सोशल मीडिया टीम के साथ बैठक में श्याम जाजू ने कहा कि आने वाले चुनाव में मीडिया व सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। जिसके लिए अभी से रणनीति बनाकर एक टीम वर्क के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रैली करने वाला भाजपा पहला राजनीतिक दल है। भाजपा ने बिहार चुनाव में सबसे पहले डिजिटल रैली का आयोजन कर 27 लाख लोगों को एक साथ संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में आने वाले समय में डिजिटल माध्यम ही संवाद का सशक्त रूप लेगा।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय दुगनी करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर कृषि योजना कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार द्वारा कृषि विकास के सम्बन्ध में हाल ही में किए गए प्रयासों के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की। इस मोके पर उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र द्वारा इसके लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकारों ने भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कृषि अवसंरचनाओं के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को गांवों और खेतों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है। कृषि अवसंरचनाओं के विकास में एक लाख करोड़ का यह पैकेज एक बड़ा कदम साबित होगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम को गति देने के लिए राज्यों को एक सेमिनार का आयोजन करना चाहिए, जिसमें कृषि अवसंरचनाओं के विकास और संभावनाओं पर चर्चा की जाए। एक सर्वेक्षण करा कर कृषि क्षेत्र में गैप्स ढूंढ कर उनके लिए योजनाएं बनायी जानी चाहिए। किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि किसान अपने उत्पाद को लंबे समय तक एवं उचित मूल्य मिलने तक सुरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि हमने 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) बनाने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए शुरू की गयी आत्मनिर्भर कृषि योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में यह योजना मील के पत्थर की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा केंद्र द्वारा प्रत्येक जनपद में दो-दो एफपीओ बनाए जाने हेतु दिए गए लक्ष्य को हम समय पूरा कर लेंगे। अन्य मैदानी राज्यों की तुलना में हमारे पर्वतीय राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है। जहां पर अलग-अलग प्रकार की क्लाइमेट कंडीशन है। उन्होंने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से नीति बनाई जाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड मैं बेमौसमी फल-सब्जियों की अपार संभावना है। इनके उत्पादन में फोकस करके किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जड़ी बूटियों की अत्यधिक संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को रू. 3 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को भी रू. A bonus may be marked as: new bonuses, waiting bonuses, http://vozhispananews.com/super-mario-bros-2-slot-machine-trick/ active bonuses, and accepted bonuses. 5 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने दी 238 करोड़ की पेयजल योजनाओं को मंजूरी
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आज जनपद देहरादून की विभिन्न पेयजल योजनाओं के लिये लगभग 238 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। जिन पेयजल योजनाओं के लिये मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है, उनमें जनपद देहरादून की विश्व बैंक पोषित गुमानीवाला पेयजल योजना निर्माण हेतु रूपये 16.50 करोड़ एवं संचालन व रखरखाव हेतु रूपये 4.81 करोड़, जीवनगढ़ पेयजल योजना के निर्माण कार्य हेतु रूपये 48. By the way, wagering means https://www.fontdload.com/la-rotonde-casino-le-lyon-vert-la-tour-de-salvagny/ depositing money and spending it on games. 90 करोड़ एवं संचालन व रख रखाव हेतु रूपये 15.30 करोड़, ऋषिकेश देहात पेयजल योजना के निर्माण कार्यों हेतु रूपये 67. Clicking on any link may result in the webmaster earning income. https://nikel.co.id/chef-richard-burr-of-the-akwesasne-mohawk-casino/ 25 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15. Deposit https://www.fontdload.com/el-sorro-de-la-casina-new-mexico/ casino 10 euros however, like the offers from Play SugarHouse. 00 करोड़, नत्थनपुर पेयजल योजना के निर्माण कार्यों के लिये रूपये 54. The jackpot size on these pokies increases each time someone places https://tpashop.com/downstream-casino-hotel-check-in-time/ a bet. 77 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15.85 करोड़ की धनराशि शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में लम्बे समय से पेयजल समस्या के समाधान हेतु मांग उठाई जाती रही है, अब इन योजनाओं की स्वीकृति से इन क्षेत्रों से पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
गुरुवार को जारी स्वच्छ सर्वेक्षण -2020 के परिणाम उत्तराखण्ड के लिए सुखद रहे हैं। उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर तीन श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त किए। जिन राज्यों में 100 से कम शहरी निकाय हैं, उस श्रेणी में बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट में तीसरा स्थान प्राप्त किया। एक लाख से कम आबादी वाली देशभर की निकायों में नंदप्रयाग की नगर पंचायत ने सिटिजन फीड बैक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। छावनी क्षेत्र श्रेणी में अल्मोड़ा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 के परिणामों तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2021 का टूलकिट जारी करते हुए केन्द्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पुरस्कार वितरित किए। कोविड -19 संक्रमण के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में इस आयोजन को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ऑनलाईन आयोजित किया गया। उत्तराखंड के हिस्से में आए पुरस्कार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने प्राप्त किये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले निकायों को बधाई देते हुए कहा कि निकायों को इसी मनोयोग से आगे कार्य करना होगा। स्वच्छता के क्षेत्र में अभी बहुत सुधार की गुंजाईश है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों एवं निकायों की रैंकिंग में अच्छा सुधार हुआ है। इसमें और बेहतर प्रदर्शन किये जाने पर उन्होंने बल दिया। मुख्यमंत्री कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वच्छता के बल पर हम अनेक बीमारियों से बचाव सकते हैं।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में राज्य सरकार नगरीय क्षेत्रों हेतु अत्यधिक गंभीरता से कार्य कर रही है। नगर निकायों को और भी अधिकार सम्पन्न बनाने एवं उनकी आय अर्जन के नए स्रोतों के विकास हेतु राज्य में लगातार प्रयास किए गए हैं। हमने निकायों को कहा कि स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कार्य किए जाएं। यहां तक कि 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत निकायों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान को भी सबसे पहले स्वच्छता कार्यों हेतु उपलब्ध करवाने संबंधी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसका सीधा असर स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे प्रदर्शन पर पड़ा है।
रैंकिंग में लगातार सुधार
एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में उत्तराखण्ड का स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है। वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में देहरादून का स्थान 384, रूड़की का 281, काशीपुर का 304, हल्द्वानी का 350, हरिद्वार का 376 एवं रूद्रपुर का 403वां स्थान था। जबकि 2020 में देहरादून का 124वां, रूड़की का 131वां, काशीपुर का 139, हल्द्वानी का 229, हरिद्वार का 244 एवं रूद्रपुर का 316 स्थान आया है। 50 हजार से अधिक एवं एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरों में रामनगर का नार्थ जोन के शहरों में 18वां, जसपुर का 56वां एवं पिथौरागढ़ का 58वां स्थान आया है। 25 हजार से 50 हजार से तक की जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में नार्थ जोन में नैनीताल का 68वां एवं सितारगंज को 106वां स्थान प्राप्त हुआ है। 25 हजार से कम जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में मुनि कि रेती का 12वां, उखीमठ का 41वां, भीमताल का 50वां एवं नरेन्द्रनगर का 58वां स्थान आया है। देश भर के कुल 92 गंगा निकायों में उत्तराखण्ड से गौचर ने तीसरा, जोशीमठ ने चौथा, रूद्रप्रयाग ने पांचवा, श्रीनगर ने छठवां गोपेश्वर ने आठवां, मुनि कि रेती ने 11 वां, बड़कोट ने 12वां , कर्णप्रयाग ने 13 वां, कीर्तिनगर ने 18वां, देवप्रयाग ने 20 वां, नन्दप्रयाग ने 22वां व टिहरी ने 28 वां स्थान प्राप्त किया।
राज्यस्तरीय PMU टीम भी सम्मानित
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने राज्य की निकायों को बेहतर मार्गदर्शन करने तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 में उत्कृष्ट कार्य करने वाली राज्य स्तरीय PMU टीम को भी पुरस्कार प्रदान किया। अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पाण्डे, संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता, अधीक्षण अभियंता रवि पाण्डेय, राज्य मिशन प्रबंधक रवि शंकर बिष्ट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं IEC विशेषज्ञ कमल भट्ट, MIS विशेषज्ञ राकेश कुमार, कनिष्ठ सहायक उपेन्द्र सिंह तड़ियाल एवं अनुज गुलाटी को यह पुरस्कार प्रदान किए गए।