उत्तराखंड के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को मंगलवार 18 अगस्त से 20 अगस्त तक भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा आज इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। पत्र के अनुसार मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आज अपराह्न 1 बजे जारी पूर्वानुमान में 18-19 अगस्त को प्रदेश के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों के कुछ स्थानों में भारी से बहुत भारी वर्षा व कहीं-कहीं अत्यधिक भारी वर्षा के साथ ही आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने 20 अगस्त को पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जनपदों में कहीं-कहीं तीव्र दौर के साथ भारी से बहुत भारी वर्षा होने और कहीं-कहीं आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जताई है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए आपातकालीन परिचालन केंद्र ने लोगों को कहा है कि प्रत्येक स्तर पर तत्परता के साथ सावधानी, सुरक्षा और इधर-उधर आने जाने में नियंत्रण रखें।
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आदेश में कहा गया है कि इस दौरान आपदा प्रबन्धन आईआरएस प्रणाली के नामित समस्त अधिकारी हाई अलर्ट में रहेंगे। किसी मोटर मार्ग के बाधित होने पर सम्बन्धित विभाग उसे तत्काल खुलवाना सुनिश्चित करेंगे। राजस्व उप निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत अधिकारी अपने क्षेत्रों में उपस्थित रहेंगे। समस्त चौकी व थाने आपदा संबंधी उपकरणों व वायरलेस सेट के साथ अलर्ट रहेंगे।
यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस दौरान किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के मोबाइल फोन स्विच ऑफ नहीं रहेंगे।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की आपदा की सूचना राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के फोन नंबरों पर देना सुनिश्चित करें।
0135 – 2710334
फैक्स 0135 – 2710335
टोल फ्री नंबर – 1077
9557444486
8266055523
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बावजूद तीन हफ्तों से भी कम समय में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जौलजीबी सेक्टर में 180 फुट के बेली ब्रिज का निर्माण किया है। रक्षा मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है।
उल्लेखनीय है कि विगत 27 जुलाई को बादल फटने की घटना से आई बाढ़ और नदी-नालों के उफनने से यहां पहले से बना 50 मीटर लम्बा कंक्रीट का पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। क्षेत्र में भूस्खलन की घटना की वजह से भी कई लोग भी हताहत हुए थे और सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट गया था।
BRO ने तुरंत इस क्षेत्र में पुल बनाने के लिए अपने संसाधन जुटाए। लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बीच जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से पुल निर्माण के लिए आवश्यक सामग्रियों को इस दूरस्थ क्षेत्र तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद BRO ने चुनौतियों को स्वीकार कर पुल निर्माण का काम रविवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। पुल बन जाने से बाढ़ प्रभावित गाँवों तक संपर्क सुविधा उपलब्ध हो गई और जौलजीबी फिर से मुनस्यारी से जुड़ गया।
इस पुल के निर्माण से पिथौरागढ़ जिले के 20 गांवों के लगभग 15 हजार से अधिक की आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। पुल बनने के बाद सीमांत जौलजीबी से मुनस्यारी तक 66 किलोमीटर लम्बी सड़क पर यातायात फिर से शुरू हो गया है।
स्थानीय सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने पुल टूटने के बाद क्षेत्र में संपर्क सुविधा के ध्वस्त होने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। नया बना यह पुल इस इलाके में भू -स्खलन से प्रभावित गांवों में पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने में भी मददगार साबित होगा।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर ऐतिहासिक पहल कर चुके उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलते दिखाई दे रहे हैं। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम कर ली। त्रिवेंद्र ने आज गैरसैंण को लेकर की गईं घोषणाओं और वहां ध्वजारोहण कर राजधानी के मुद्दे को लेकर अपने इरादों को भी साफ़ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पहले से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग उठती रही है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के समय भी गैरसैंण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधानी माना गया। गैरसैंण को तब अधिक महत्व मिला, जब वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार गठित हुई और कल्याण सरकार ने गैरसैंण में अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय का उद्घाटन किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह सरकार ने ही उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा में संकल्प प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।
अलग राज्य निर्माण को लेकर उत्तराखंड के साथ कई अजीब विडंबना भी जुड़ी रही हैं। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार ने प्रस्तावित राज्य की राजधानी निर्माण के मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। इस समिति ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में अपनी संस्तुति दी। मुलायम सरकार ने एक ओर जहां राज्य निर्माण के बिना ही राजधानी मामले में अपनी सक्रियता प्रदर्शित की, वहीं दूसरी तरफ राज्य निर्माण की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों के साथ मुजफरनगर में जघन्य व घृणित कांड को अंजाम दिया।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद उत्तराखंड राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। 9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली। केंद्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे पर जन भावनाओं और आधारभूत ढांचे को ध्यान में रखकर देहरादून को अस्थाई राजधानी के रूप में घोषित किया। मगर राज्य निर्माण के बाद गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग विभिन्न स्तरों पर उठती रही।
वर्ष 2001 में उत्तराखंड की नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के मुद्दे को लेकर एक आयोग का गठन किया। अगले वर्ष प्रदेश में पहली बार विधान सभा चुनाव हुए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार गठित हुई। कांग्रेस सरकार के पूरे पांच साल के दौरान आयोग विस्तार पाता रहा और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। एक सदस्यीय दीक्षित आयोग ने राजधानी पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी, जिसे 17 अगस्त 2008 को विधानसभा में पेश किया गया। दीक्षित आयोग ने देहरादून तथा काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया था।
मगर जन भावनाओं के चलते दीक्षित आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्षधर यह मानते हैं कि पहाड़ी राज्य की राजधानी अगर पहाड़ में स्थित होगी तो वहां के विकास को नयी गति मिलेगी। गैरसैंण भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही राजनीतिक रंग भी लेता रहा। वर्ष 2012 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में एक कैबिनेट बैठक का आयोजन किया। इसके बाद बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण से लगभग 12 किमी दूर स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यास किया। विधान सभा आदि के निर्माण के बावजूद गैरसैंण को लेकर असमंजस बरक़रार रहा। इस बीच वहां विधान सभा के सत्र भी आयोजित होते रहे।
गैरसैंण के इतिहास में इस वर्ष 4 मार्च का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उसे राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित कर दिया। गैरसैंण में ही आयोजित हुए बजट सत्र में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है”। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप विगत 8 जून को प्रदेश सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के साथ- साथ इसे ई-राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई है, ताकि गैरसैंण में विधान सभा सत्र के आयोजन के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ढोना पढ़े।
इस बीच कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों के चलते प्रदेश सरकार गैरसैंण को लेकर अपनी योजनाओं को गति नहीं दे सकी, तो कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए मुद्दे को लपकने की कोशिश की। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण की यात्रा कर भाजपा सरकार पर सवाल दागे। मगर तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने अंदाज में उनसे यही सवाल किया कि जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजधानी के विषय पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया ? मगर आज स्वतंत्रता दिवस के दिन त्रिवेंद्र ने गैरसैंण व आसपास के क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं व अन्य तमाम घोषणाएं कर राजनीतिक तौर पर बढ़त हासिल कर दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैण को लेकर घोषणाएं राजधानी देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में की और इसके बाद वे विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल समेत अन्य प्रमुख लोगों के साथ गैरसैंण पहुंचे। गैरसैंण में विधान सभा भवन के सम्मुख ध्वजारोहण कर उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आज ट्वीट कर इस अवसर को ऐतिहासिक बताया। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को लेकर जो प्रमुख घोषणाएं की, उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में 50 बेड्स के सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थापना, विधानसभा परिसर में मिनी सचिवालय की स्थापना, स्थानीय हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन की सुविधा, क्षेत्र में पंपिंग पेयजल पाइप लाइन का निर्माण, जियो ओएफसी नेटवर्किंग का विस्तार, कोल्ड स्टोरेज की स्थापना आदि प्रमुख हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा मंगलवार को सचिवालय की व्यवस्थाओं को लेकर की गई समीक्षा बैठक को कई मायनों में अहम जा सकता है। मुख्यमंत्री ने शासन के “पावर हाउस” की ओवरहालिंग की जो कवायद शुरू की है, उसकी जरुरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। जनाकांक्षाओं का केंद्र समझे जाने वाले सचिवालय की कार्यप्रणाली कई बार “जन” से दूर होकर अधिकारियों-कर्मचारियों की गुटबाजी, राजनीति, अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन व कई अन्य विवादों तक ही सिमट कर रह जाती है। बेवजह फाइलों को दबाए रखना और उन्हें घुमाना जैसे आरोप सचिवालय की कार्यप्रणाली के लिए सामान्य बात है।
उत्तराखंड के सचिवालय की यह कार्यप्रणाली मुख्यमंत्री को भी खटक गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय जन आकांक्षाओं का भी केन्द्र होता है। जनहित से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति में तेजी आने से उसका लाभ आम आदमी को समय पर मिल सकेगा और जन कल्याण के लिये समर्पित सरकार का सन्देश आम जनता तक पहुंचेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सचिवालय में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार के साथ ही सभी सचिवों एवं प्रभारी सचिवों के साथ सचिवालय की कार्य प्रणाली में सुधार एवं ई- फाइलिंग आदि से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की तथा इस सम्बंध में सभी से सुझाव भी प्राप्त किये।
फाइल लटकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सचिवालय के विभिन्न अनुभागों में पत्रावलियों के निस्तारण में आवश्यक विलम्ब के लिये उत्तरदायी कार्मिक के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने ऐसे प्रकरणों में मात्र स्थानान्तरण को ही पर्याप्त नहीं बताया, बल्कि कार्रवाई भी जरुरी बताई। सचिवालय में पत्रावलियों का निस्तारण समयबद्धता के साथ हो, इसके लिये मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण, सिंचाई, आवास, खनन, आबकारी एवं पेयजल जैसे मलाईदार अनुभागों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक कार्यरत कार्मिकों को एक सप्ताह के अन्दर स्थानान्तरित करने के निर्देश सचिव सचिवालय प्रशासन को दिये।
उच्च स्तर से सीधे अनुभाग में जाएगी फाइल
अनावश्यक देरी से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि फाइल अनुभाग स्तर से निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत की जाए। मगर वापसी में फाइल को उच्च स्तर से सीधे सेक्शन को सन्दर्भित कर दिया जाए। एक अनुभाग अधिकारी एवं समीक्षा अधिकारी को एक ही विभाग का कार्य सौंपा जाए। कार्मिकों को सभी विभागों की कार्य प्रणाली की जानकारी रहे। इसकी व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं।
शुरू होगी ई-फाईलिंग
मुख्यमंत्री ई- फाईलिंग को सीएम डैशबोर्ड से लिंक किये जाने, लम्बित प्रकरणों का निर्धारित समय सीमा के अन्दर निस्तारण करने के निर्देश देते हुए एक लक्ष्य लेकर पहले लो.नि.वि, सिंचाई, ऊर्जा, कार्मिक एवं गृह विभाग की ई- फाइलिंग तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिवालय मैनुअल के पुनर्मूल्यांकन के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि सचिवालय मैनुअल परिणामकारी हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में मैनुअल रिफॉर्म हेतु गठित समिति से शीघ्र अपनी अनुशंसा उपलब्ध कराने को कहा।
अनुभागों में लगेंगे CCTV कैमरे
मुख्यमंत्री ने सचिवालय के अनुभागों के पर्यवेक्षण की कारगर व्यवस्था बनाने और सचिव स्तर के अधिकारियों को माह में एक दिन अनुभागों का निरीक्षण करने को कहा। उन्होंने कार्मिकों की उपस्थिति की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही अनुभागों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने और उच्चाधिकारियों के स्तर पर इसकी निगरानी करने को कहा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग पर जोर
मुख्यमंत्री ने विभागीय/निदेशालय स्तर के अधिकारियों को अनावश्यक सचिवालय न आना पड़े, इसके लिये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था अमल में लाने को कहा है। जनहित में कोई नीति बनायी जाती है तो उसकी ड्राफ्ट पॉलिसी को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए। पब्लिक प्लेटफार्म में जाने पर इसमें जनता के सुझाव भी प्राप्त हो सकेंगे तथा एक व्यावहारिक नीति बनाने में मदद मिलेगी।
अच्छे कार्मिक होंगे पुरुष्कृत
मुख्यमंत्री ने कार्मिकों के हित तथा विभागीय कार्यों में गति लाने के लिये विभागों में समय पर डीपीसी करने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रत्येक माह के अन्तिम दिवस को डीपीसी के लिये निर्धारित करने के निर्देश दिये। कार्मिकों का वार्षिक मूल्यांकन जरूरी किये जाने और बेहतर कार्य करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किये जाने की व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदेश की 21 महिलाओं व किशोरियों को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरुस्कार तथा 22 आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को सम्मानित किया।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देहरादून जनपद के पुरस्कार पाने वाले को मुख्यमंत्री ने स्वयं सम्मानित किया। जबकि अन्य को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों में विधायक गणों एवं जिलाधिकारियों की उपस्थिति में यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस मोके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि के साथ ही वीर भूमि भी है। देश की आजादी के पहले और बाद में देश की सुरक्षा एवं अखण्डता लिये बलिदान देने वाला हर छठा बलिदानी उत्तराखण्ड का है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड में चार धामों के अतिरिक्त पाँचवां धाम सैन्य धाम भी बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। महिलाओं को घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारीरियों का निर्वहन करना पड़ता है। महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन के लिये केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनायें संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अगले वर्ष से राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार की धनराशि 21 हजार से बढ़ाकर 31 हजार तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार की धनराशि 11 हजार से बढ़ाकर 21 हजार की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिये महिला किसानों एवं स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खेती की बेहतरी के लिये पहले महिलाओं को 2 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा था। इस क्षेत्र में उनके बेहतर कार्य को देखते हुए अब 3 लाख की धनराशि उन्हें बिना ब्याज के उपलब्ध करायी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ व निराश्रित बेटियों के लिये राज्य सरकार द्वारा देश में अपनी तरह की पहल कर सरकारी सेवाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने वीरांगना तीलू रौतेली की वीरगाथा का परिचय देते हुए कहा कि प्रदेश के गढ़वाल क्षेत्र की तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना थी जो मात्र 15 साल की उम्र में ही रणभूमि में कूद गई थी। उन्होंने सात साल तक दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। मात्र 15 से 20 साल की उम्र में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली की जयंती पर प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को हर साल पुरस्कृत किया जाता है। इसमें वे महिला शामिल हैं जिन्होंने शिक्षण, समाज सेवा, साहसिक कार्य, खेल, कला, क्राफ्ट, संस्कृति, पर्यावरण एवं कृषि आदि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हो। इसके साथ ही कोरोना वारियर के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को भी सम्मानित किया जा रहा है।
इन्हें मिला राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
उन्नति बिष्ट, संगीता थपलियाल, गीता मार्य, प्रीती भण्डारी, शिवानी आर्या, गुंजन बाला, जानकी चन्द, शशि देवली, डॉ. पुष्पांजलि अग्रवाल, कंचन भण्डारी, मालविका माया उपाध्याय, सुमन वर्मा, शीतल, मधु खुगशाल, कीर्ति कुमारी, बबीता रावत, ज्योति उप्रेति, मीनू लता गुप्ता, हर्षा रावत, सुमति थपलियाल, चन्द्रकला राय
इन्हें मिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार
सुधा, सीमा, फातिमा, नीता गोस्वामी, गीता देवी, पुष्पा हरड़िया, हेमा बोरा, अंजना रावत, पूनम, आसमा, सुमनलता यादव, गंगा बिष्ट, समारोज, निर्मला पाण्डेय, चन्द्रकला चन्द्र, अर्चना देवी, रोशनी, सुशीला देवी, लक्ष्मी देवी, ललिता देवी, कुसुम मेहर, बीना चौहान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए अधिकारियों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कोविड से बचाव के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं मास्क के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाय। यह सुनिश्चित किया जाय गाईडलाईन का पूर्णतया अनुपालन हो। नियमों का उल्लंघन करने वालो पर कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण तथा बचाव हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मास्क का प्रयोग न करने वालों पर जुर्माना तो लगाया जाय। इसके अलावा जुर्माने के साथ ही उन्हें 4-4 वाॅशेबल मास्क भी उपलब्ध कराये जाए। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग न करने एवं नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में 200 एवं दूसरी बार में 500 रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा। हाई रिस्क ऐरिया से या अन्य राज्यों से जो लोग आ रहे हैं, उनमें से यदि कोई व्यक्ति ट्रेवल हिस्ट्री की गलत जानकारी दे रहा है, या कोई तथ्य छुपा रहा है, उन पर सख्त कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने घोषणा की कि आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भांति आशा फेसिलिटेटर को भी दो-दो हजार रूपये सम्मान निधि के रूप में दी जायेगी। आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मुख्यमंत्री ने रक्षा बंधन के अवसर पर एक-एक हजार एवं उससे पूर्व भी सम्मान राशि के रूप में एक-एक हजार रूपये देने की घोषणा की थी। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सम्मान राशि लाभार्थियों के खाते में जल्द डाली जाय। कोविड-वारियर्स की मृत्यु पर भी मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रूपये देने की घोषणा की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में होम-आइसोलेशन हेतु निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर की टीम की जांच एवं मानकों के हिसाब से ही होम-आइसोलेशन की व्यवस्था की जाय। होम-आइसोलेशन के बजाय अस्पताल एवं कोविड केयर सेंटर को प्राथमिकता दी जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोरोना की सैंपल टेस्टिंग और अधिक बढ़ाई जाय। सर्विलांस सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है। बुजुर्ग, बच्चे एवं को-माॅर्बिड लोग अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। कोविड रिकवरी रेट में सुधार एवं मृत्युदर को कम करने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जाय। सीनियर डाॅक्टर अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की पर्सनल केयर करें। जिलाधिकारी, सीडीओ एवं सीएमओ भी इसकी माॅनेटरिंग करें। यह सुनिश्चित किया जाय कि आक्सीजन सपोर्ट सिस्टम ही प्रत्येक जनपद में पर्याप्त व्यवस्था हो। सतर्कता के साथ और कैपिसिटी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जो लोग प्राइवेट लैब में कोविड सैंपल टेस्टिंग करा रहे हैं, यह सुनिश्चित करा लें कि प्रत्येक व्यक्ति का पता एवं मोबाईल नम्बर सही हो।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि सभी जिलाधिकारी कोविड से निपटने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्ण रखें। इंडस्ट्रियल ऐरिया वाले जनपदों में इंडस्ट्री में सैंपल टेस्टिंग में और तेजी लाई जाय। उधमसिंह नगर, नैनिताल एवं हरिद्वार जनपद में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि जिन जनपदों में 05 प्रतिशत से अधिक पाॅजिटिव रेट हैं, उनमें सैंपलिंग और अधिक बढ़ायी जाय। हाई रिस्क ऐरिया से आने वाले सभी लोगों के सैंपल लिये जाय। उन्होंने कहा कि कोविड केयर सेंटर की व्यवस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण किया जाय। व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे। कोविड केयर सेंटर में समय-समय पर चेकअप हेतु डाॅक्टर भेजे जाय।
बैठक में डीजी लाॅ एण्ड आर्डर अशोक कुमार, सचिव शैलेष बगोली, पंकज पाण्डेय, एस.ए. मुरूगेशन, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी संजय गुंज्याल, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन युगल किशोर पंत, अपर सचिव सोनिका, डीजी स्वास्थ्य डाॅ. अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
दुर्गम व दूरस्थ क्षेत्रों में पोस्टिंग की डर से प्रमोशन छोड़ने वाले राज्य कर्मचारियों पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। प्रदेश सरकार ने पदोन्नति के परित्याग की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने और कार्मिकों को अनुशासित बनाए रखने के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य अधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग (Forgo) नियमावली 2020 तैयार की है। इस संबंध में आज अधिसूचना जारी कर दी गई है।
गौरतलब है कि राज्य में सुविधाजनक व शहरी क्षेत्रों में तैनात कार्मिक पहाड़ी क्षेत्रों अथवा दूरस्थ इलाकों में जाने से बचने के लिए अपनी पदोन्नति त्याग देते थे। पदोन्नति त्यागने के लेकर कोई स्पष्ट नियम ना होने के कारण अगर यदि कोई कार्मिक प्रमोशन पर नहीं जाता था, तो वह पद रिक्त ही रह जाता था। इससे कार्मिक की वरिष्ठता भी बनी रहती थी और कनिष्ठ कार्मिकों के लिए पदोन्नति के अवसर कम मिलते थे।
प्रदेश सरकार ने इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए नई नियमावली तैयार की है। नियमावली के अनुसार पदोन्नति का त्याग करने वाले कार्मिक के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं। पदोन्नत कार्मिक को कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम 15 दिन की अवधि निर्धारित की गई है। मगर संबंधित कार्मिक के लिखित अनुरोध पर अपरिहार्य परिस्थितियों में नियुक्त प्राधिकारी उसे 15 दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है।
यदि कोई कार्मिक निर्धारित समय के भीतर पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण न कर पहली बार Forgo करता है तो नियुक्ति प्राधिकारी गुण दोष के आधार व निर्णय ले सकेंगे। यदि उसी चयन वर्ष में विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक आहूत की जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस विषय की जानकारी समिति के सम्मुख रखी जाएगी और Forgo करने वाले से कनिष्ठ कार्मिक की पदोन्नति की संस्तुति की जाएगी। प्रमोशन को Forgo करने वाला कार्मिक नोशनल प्रमोशन के दावे से वंचित हो जाएगा।
यदि कोई कार्मिक DPC की प्रक्रिया शुरू होने से पहले चयन अथवा पदोन्नति को Forgo करने का लिखित अनुरोध करता है, तो इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। ऐसे कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इन कार्मिकों के खिलाफ उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें कार्मिकों का संभावित ट्रांसफर से बचने के प्रयास और कार्य के प्रति रुचि न लेने आदि को आधार बनाते हुए उसी पद पर प्रशासनिक कारण से ट्रांसफर किया जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार यदि कोई कार्मिक दो या उससे अधिक बार प्रमोशन को Forgo करता है तो वो अपनी वरिष्ठता खो देगा। इसके बाद उसे खोई हुई वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलेगा। नियमावली में प्राविधान किया गया है कि यदि इसे लागू करने में में किसी प्रकार की शिथिलता बरती जाती है तो उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखंड सरकारी सेवक ( अनुशासन एवं अपील ) नियमावली, 2003 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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उत्तराखंड सरकार ने महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को अमली जामा पहनाने के लिए कमर कस ली है। योजना के तहत संचालित होने वाली गतिविधियों का बेहतर क्रियान्वयन कैसे किया जाए, इसके उपाय सुझाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही प्रकोष्ठ में दो सदस्यों के तौर पर मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट व स्वयंसेवी संस्था हार्क के प्रमुख महेन्द्र सिंह कुँवर को नियुक्त किया गया है।
यहां बता दें, कि प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने खासकर लॉकडाउन के चलते घर लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसमें निर्माण व सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए इच्छुक बेरोजगारों को ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एमएसएमई के तहत बनाई गई है। योजना में विनिर्माण में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक की लागत की परियोजना हेतु स्वरोजगार के लिए ऋण लिया जा सकता है। योजना में 25 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था है। मार्जिन मनी को अनुदान के रूप में समायोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत इससे सम्बन्धित लगभग सभी विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है। राज्य स्तर पर सभी विभागों के समन्वय के लिए यह प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है। अन्य विभागों में संचालित स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लाते हुए उद्यान, कृषि, माइक्रो फूड प्रोसेसिंग, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, पोल्ट्री, जैविक कृषि आदि पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। योजना में 150 से अधिक कार्य शामिल किए गए हैं।
प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में स्वरोजगार को आगे बढ़ाने के लिये प्रयास किये जायेंगे, ताकि युवा स्वरोजगार अपनाने के साथ ही अन्य के लिये भी रोजगार देने वाले बन सकें। विभिन्न विभागों के स्तर पर स्वरोजगार के जो कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, उनसे भी समन्वय किया जायेगा। इससे अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार का लाभ मिल सकेगा।
उत्तराखंड सरकार ने रक्षा बंधन के अवसर को देखते हुए बहनों के लिए विशेष प्राविधान किए हैं। सरकार ने रक्षा बंधन के अवसर पर यात्रा करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही प्रत्येक आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्री के खाते में एक-एक हजार रूपए की सम्मान राशि दिये जाने की घोषणा की। इससे लगभग 50 हजार आंगनबाङी और आशा कार्यकत्री लाभान्वित होंगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए ये घोषणाएं की। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन हमारी भावनाओं से जुड़ा हुआ त्यौहार है। हम प्रतिवर्ष इस त्यौहार को बड़ी खुशी व आत्मीयता के साथ मनाते आ रहे हैं। इस दिन सभी को अपनी बहनों का इंतजार रहता है।
मगर कोरोना महामारी के कारण हम इकट्ठा नहीं हो पा रहे हैं। सामूहिक रूप से अपने त्यौहार नहीं मना पा रहे हैं। ऐसे में भी, हमारी हजारों आंगनवाड़ी व आशा बहनें फ्रंट लाइन में रह कर हमें कोरोना से बचने व बचाने के लिए अपने आप को जोखिम में डालकर काम में जुटी हुई हैं। हमें सतर्क करने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरी उन सभी बहनों के लिए बहुत ही शुभकामनाएं हैं। वो सब स्वंय भी स्वस्थ रहें तभी वे औरों के स्वास्थ्य का ख्याल रख सकती हैं। मुख्यमंत्री ने आज आंगनवाड़ी व आशा कार्यकत्रियों को 1-1 हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की। इससे पूर्व भी प्रदेश सरकार द्वारा कोविड -19 में उनकी भूमिका देखते हुए 1-1 हजार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निवास पर विगत वर्षों तक बड़ी संख्या में बहनें रक्षासूत्र बांधने आती थीं और अपना आशीर्वाद व अपनी शुभकामनाएं मुझे प्रदान करती थीं। मगर इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण परिस्थितियां बदली हैं। सैकड़ों बहनों की राखियां मुझे पहुंची हैं। निश्चित रूप से उनका आशीर्वाद राखियों के साथ मुझे प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सभी बहनों का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और इस अवसर पर उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करता हूं। उन्होंने कहा कि सभी बहनों की सुविधा के लिये रक्षाबंधन के अवसर पर उन्हें उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी अनेक बहनें बद्रीनाथ, केदारनाथ, जागेश्वर धाम, गर्जिया मन्दिर, चंडी देवी मंदिर के साथ ही अन्य तमाम मंदिरों में प्रसाद बनाकर अपनी आजीविका चला रही हैं। सरकार ने उन्हें मौका दिया है कि हमारे स्थानीय उत्पादों से तैयार प्रसाद का श्रद्धालु भगवान को भोग चढ़ाएं। सरकार उन्हें हर संभव मदद कर रही है। इसके साथ ही राज्य की महिलाओं और महिला समूहों के लिए 05 लाख रूपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है, ताकि बहनें अपने पैरों में खड़ी हो सकें और छोटी-मोटी मदद के लिए उनको किसी की आवश्यकता ना पड़े।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि जब हम महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो बहुत जरूरी है, कि हमारी बहनें व बेटियां शिक्षित हों और वह आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि सरकार की नीतियों में इसकी छाप दिखे।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने कोरोना के दृष्टिगत सभी से आवश्यक सावधानियाँ बरतते हुए रक्षाबंधन त्यौहार मनाने की अपील की है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मों की शूटिंग के लिए पूरी तरह से अनुकूल है और फिल्म क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने दून विश्वविद्यालय को फिल्म क्षेत्र के विभिन्न आयामों पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
आज प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज की उपस्थित में आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री ने दून विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ सिनेमेटिक स्टडिज की स्थापना करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि इस फैकल्टी की स्थापना के लिए विशेषज्ञों का एक वर्किंग ग्रुप गठित किया जाय। वर्किंग ग्रुप में फिल्म जगत व फिल्म शिक्षा के अनुभवी लोगों को नामित करें। यह ग्रुप प्रसिद्ध राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षण संस्थाओं द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर कोर्स डिजाइन करेगा। पाठ्यक्रम फिल्म उद्योग के आने वाले समय की मांग के अनुरूप हो और सिनेमा के विविध आयामों को समावेशित करने वाला हो। इसमें स्नातक डिग्री व लाॅजिस्टिक प्रोडक्शन के सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। युवाओं की प्रतिभा को कैसे उजागर किया जाय, इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिल्म एजुकेशन से फिल्म जगत में रोजगार के अवसर तलाशने वाले युवाओं को सहूलियत मिलेगी।
बैठक में महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने राज्य की फिल्म नीति के सबंध में प्रस्तुतिकरण दिया। इस मौके पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंदबर्द्धन, सचिव सूचना दिलीप जावलकर, दून विवि के कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, उप निदेशक सूचना केएस चौहान आदि उपस्थित थे।
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‘देहरादून सिनेमाॅज’ पुस्तक का विमोचन
इधर, शुक्रवार को ही सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लेखक एवं समीक्षक गोपाल सिंह थापा की पुस्तक देहरादून सिनेमाॅज का विमोचन किया। इस पुस्तक में देहरादून में सिनेमाघरों की पूर्व की और वर्तमान की स्थिति का शोध कर विवरण प्रस्तुत किया है। साथ ही मनोरंजन के क्षेत्र में तकनीकि के विकास के साथ सिनेमाघरों की स्थिति में आये परिवर्तन के बारे में जानकारी दी गई है। इस मौके पर त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह पुस्तक दशकों से मनोरंजन के साधन रहे सिनेमाघरों के प्रति लोगों की रूचि एवं तकनीक के विकास के साथ हुए परिवर्तन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगी।