16 सितंबर को होगी चारधाम यात्रा को लेकर सुनवाई..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटवाने के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में प्रार्थना की है। सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने के बाद सरकार अब यात्रा शुरू करने पर लगी रोक हटवाने के लिए प्रयासरत है। शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत ने इस मामले को उठाया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि तय की है। जून 2021 में हाईकोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अधूरी तैयारियों, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी, कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के आधार पर चारधाम यात्रा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को एसएलपी के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई नहीं हुई थी।
इधर, चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों और व्यवसायियों ने भी आंदोलन शुरू कर दिया था। बीते दिनों महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए प्रार्थना की थी। इस पर हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन होने का हवाला देते हुए इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी एसएलपी वापस ले ली थी।
यात्रा का सिर्फ एक महीना शेष..
चारधाम यात्रा का मुश्किल से एक महीना शेष बचा है। अक्तूबर-नवंबर में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा छह माह के लिए स्थगित हो जाएगी। इस साल अप्रैल व मई में चारों धामों के कपाट विधि विधान से खुल गए थे, लेकिन तीर्थ यात्रियों को दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई।
प्रदेश सरकार ने जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन जून में हाईकोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अधूरी तैयारियों, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी, कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के आधार पर चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी
केदारनाथ के लिए पुराने मार्ग से भी शुरू होगी आवाजाही..
उत्तराखंड: वर्ष 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक आठ किमी पैदल मार्ग नेस्तनाबूद हो गया था। इसके बाद रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर नए मार्ग का निर्माण हुआ और अब पुराने मार्ग के पुनर्निर्माण की योजना है। इसका प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। मार्ग बनने के बाद धाम के लिए रामबाड़ा से केदारनाथ तक वन-वे व्यवस्था लागू करने का विकल्प भी खुल जाएगा। यह पैदल मार्ग पुराने पैदल मार्ग से लगभग एक किमी अधिक लंबा होगा।
आपको बता दे कि जून 2013 की केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग मंदाकिनी नदी के सैलाब में समा गया था। जिस पहाड़ी से यह मार्ग गुजरता था, उस पर भूस्खलन जोन भी विकसित हो गए थे। ऐसे में प्रशासन ने दायीं ओर की पहाड़ी पर रामबाड़ा से केदारनाथ तक नौ किमी नए पैदल मार्ग का निर्माण कराया। वर्तमान में इसी मार्ग से आवाजाही होती है। लेकिन, इस मार्ग पर हिमखंड सक्रिय रहते हैं और यात्राकाल में उनके टूटकर मार्ग पर आने का खतरा बना रहता है। साथ ही इस मार्ग पर चढ़ाई भी काफी तीखी है, जिससे आवाजाही में यात्रियों को खासी दिक्कतें होती हैं।
यही वजह है कि आपदा में बहे मार्ग के पुनर्निर्माण की मांग समय-समय पर उठती रही है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इस मार्ग का पुनर्निर्माण भी शामिल है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, लोनिवि शाखा केदारनाथ के सहायक अभियंता राजवेंद्र सिंह का कहना हैं कि इसके तहत केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक 3.5 किमी मार्ग बन चुका है।
अब रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.3 किमी मार्ग निर्माण का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है। अब यह मार्ग लगभग नौ किमी लंबा होगा, जबकि पूर्व में इसकी लंबाई आठ किमी थी। बताया कि इस पहाड़ी पर मंदाकिनी नदी से लगभग 1.5 किमी ऊपर तक भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। इसे देखते हुए कार्यदायी संस्था ने पैदल मार्ग को भूस्खलन जोन के ऊपर से बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
रामबाड़ा से केदारनाथ तक पुराने पैदल मार्ग के निर्माण से यात्रियों को काफी फायदा होगा। घोड़ा-खच्चर और पैदल यात्रियों के एक साथ गुजरने के कारण मार्ग पर काफी भीड़ हो जाती है। ऐसे में घोड़ा-खच्चर की टक्कर से हादसे भी होते रहते हैं। साथ ही पैदल यात्रियों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। घोड़ा-खच्चर की लीद से मार्ग पर गंदगी व कीचड़ भी होता है, ऐसे में नया मार्ग यात्रा को सुलभ बनाने का कार्य करेगा।
बद्रीनाथ हाईवे पर मची तबाही, खाई में लटका ट्रक..
उत्तराखंड: बृहस्पतिवार की रात उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुई मूसलाधार बारिश ने बद्रीनाथ हाईवे पर तबाही मचा दी। यहां सिरोहबगड़ में भारी मलबा आने से हाईवे बंद हो गया और उक्त मलबे में कई वाहन फंस गए हैं। वहीं एक ट्रक खाई की ओर लटक गया है। आपको बता दें कि मौसम विभाग ने शुक्रवार और शनिवार को राज्य में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। रुद्रप्रयाग जिले में भी रातभर मूसलाधार बारिश हुई। यहां कई कस्बों के गांवों में जन-जीवन प्रभावित हुआ है।
ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग सिरोहबगड़ में मलबा आने से अवरूद्ध हो गया है। सिरोहबगड़ में मलबे की चपेट में आकर एक जेसीबी नदी में गिर गई और ट्रक सहित कई वाहन मलबे में फंस गए। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे भी मेदनपुर में मलबा आने से बंद है। कुंड-ऊखीमठ-चोपता-मंडल-चमोली राजमार्ग पर यातायात सुचारू है। बद्रीनाथ हाईवे चमधार, लामबगड़ और पगलनाला में बंद है। चमोली जनपद में भी गुरुवार रात को भारी बारिश हुई है।
वहीं अगर मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में बारिश का सिलसिला कुछ और दिन चलता रहेगा। आज शुक्रवार और कल शनिवार को राज्य में भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए प्रदेश में ऑरेज अलर्ट जारी किया है। हालांकि राजधानी देहरादून में शुक्रवार की सुबह मौसम साफ रहा।
मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को राज्य के सभी मैदानी जिलों हरिद्वार, नैनीताल, पंतनगर, ऊधमसिंहनगर सहित और पर्वतीय क्षेत्रों पौड़ी, पिथौरागढ़, मुक्तेश्वर, न्यू टिहरी आदि सभी जिलों में तेज बौछार के साथ भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।वहीं बद्रीनाथ हाईवे पर लामबगड़ नाले में गुरुवार को करीब 18 घंटे बाद वाहनों की आवाजाही सुचारु हो पाई। बुधवार को देर शाम करीब आठ बजे यहां हाईवे बाधित हो गया था।
गुरमीत सिंह बने उत्तराखंड के राज्यपाल..
उत्तराखंड: लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया है। आपको बता दे कि उत्तराखंड के राज्यपाल का पद बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हो गया था। गुरमीत सिंह सेना के उप प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
कई पदकों से सम्मानिक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह अपने कार्यकाल में सैन्य अभियानों के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में सैन्य रणनीतिक मुद्दों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। सेना में अपने कार्यकाल के दौरान वह एक दशक से अधिक समय तक कई विशेषज्ञ समूहों, संयुक्त कार्य समूहों और चीन अध्ययन समूह की बैठकों का हिस्सा रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण सैन्य राजनयिक और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर आयोजित होने वाली बैठकों के लिए सात बार चीन का दौरा भी कर चुके हैं। लगभग चार दशकों की सेवा के बाद लेफ्टिनेंट जनरल सिंह फरवरी 2016 में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने सेना में अपनी सेवा के दौरान सेना के उप प्रमुख, सहायक जनरल और कश्मीर में नियंत्रण रेखा की निगरानी करने वाली 15वीं कोर के कोर कमांडर के पद पर काम किया है।
बता दे कि उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया था। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बेबी रानी मौर्य का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है। जानकारी के अनुसार बेबी रानी मौर्य ने व्यक्तिगत कारणों के चलते अपना इस्तीफा दिया था।
बिग ब्रेकिंग- युवक ने मैठाणा पुल से अलकनंदा नदी में लगाई छलांग..
उत्तराखंड: चमोली जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ मैठाणा झूला पुल से एक युवक ने अलकनंदा नदी में छलांग लगा दी मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत ही इस बात की खबर पुलिस को दी। इसके बाद सूचना पाकर मौके पर पुलिस और एसडीआरएफ की टीम पहुंची और युवक की तलाश में सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है युवक सैकोट गांव गांव का रहने वाला था, जिसने अज्ञात कारणों के चलते बुधवार को मैठाणा पुल से अलकनंदा नदी में छलांग लगा दी। ये नजारा देखकर वहां पर मौजूद लोगों के होश उड़ गए। उन्होंने तुरंत ही सारी घटना की जानकारी पुलिस को दी घटना की सूचना मिलने पर एसडीआरएफ और पुलिस की टीम ने मौके पर सर्च एवं रेसक्यू अभियान शुरू कर दिया। अभी तक युवक का कोई सुराग नहीं लग पाया हैं।
सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद को आमजन को किया जाएगा प्रेरित..
उत्तराखंड: प्रदेश में हो रहे सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर रोज कही न कहीं से सड़क हादसे की खबर सामने आ रही हैं। जिसमे लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कभी तेज रफ्तार तो कभी खराब सड़कें लोगों के लिए मौत का सबब बानी हुई हैं। सड़क दुर्घटनाओं और इसमें होने वाली मौत की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब आमजन को दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए प्रेरित करने की तैयारी है।
इस कड़ी में शासन ने पुलिस को किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित को मदद देने वालों को पुरस्कृत करने को कहा है। इसके लिए पुलिस को सड़क सुरक्षा राहत कोष से एक लाख रुपये भी जारी किए जाएंगे।
प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में इस वर्ष जुलाई अंत तक 773 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 468 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। दुर्घटनाओं में हुई मौत में यह जानकारी सामने आई कि इनमें से तकरीबन 70 फीसद व्यक्तियों की मृत्यु अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई थी। यह बताया गया कि समय से अस्पताल पहुंचाने पर मौत का यह आंकड़ा थोड़ा कम हो सकता था।
यह बात भी सामने आई कि दुर्घटना के दौरान घायलों की मदद के लिए आमजन के हाथ जल्दी आगे नहीं आए। पुलिस के आने के बाद ही अधिकांश दुर्घटनाओं में घायलों को अस्पताल तक पहुंचाया गया। दुर्घटना में घायलों की मदद करने से आमजन के पीछे हटने का कारण कानूनी झमेलों में फंसने की आशंका भी रहा, जबकि यह नियम बन चुका है कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराने वाले से पुलिस अनावश्यक पूछताछ नहीं करेगी। राज्य सड़क सुरक्षा समिति ने इन सब मामलों को देखते हुए आमजन को इसके प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया है।
इसी कडी में घायलों की मदद करने वालों को पुरस्कृत करने का भी निर्णय लिया गया है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा के दौरान घायलों की मदद करने वालों को पुलिस के जरिये पुरस्कृत कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को सार्वजनिक समारोह में पुरस्कृत व सम्मानित किया जाए ताकि अन्य भी दुर्घटना में घायलों के सहयोग को आगे आएं। उन्होंने इसके लिए सड़क सुरक्षा कोष से पुलिस को एक लाख रुपये जारी करने के भी निर्देश दिए हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले BJP के लिए रेड सिग्नल, शुरू हुई गुटबाज़ी..
उत्तराखंड: देहरादून जिले में रायपुर के भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के मामले के बहाने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री और विधायक बने नेताओं ने ठीक विधानसभा चुनाव के वक्त एकजुटता का सूत्र तलाश लिया है। काऊ के समर्थन में खड़े होने वाले नेताओं में अब एक नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का भी जुड़ गया है।
सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं पर पार्टी कार्यकर्ताओं की घेराबंदी बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए अब ये मंत्री और विधायक कड़ियों की तरह जुड़ रहे हैं ताकि पार्टी में अपने प्रभाव को बनाए रख सकें। पिछले करीब साढ़े चार साल में महाराज पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में आए विधायकों से फासला बनाकर चलते रहे हैं। लेकिन बुधवार को विधायक काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दिया।
काऊ प्रकरण पर महाराज ने बेशक यह कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं काऊ के साथ हूं और उनकी बात पार्टी फोरम पर रखूंगा।उन्होंने कहा कि हम सब में समन्वय की भावना है। बातचीत से हर समस्या का हल है। पिछले दिनों ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भी काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दागे थे।
भाजपा में अब गुटबाजी सतह पर दिखने लगी है। रायपुर में भाजपा विधायक काऊ के साथ पार्टी के नेता की तकरार के बाद दोनों ओर से केंद्रीय नेतृत्व को एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें की गईं। दिल्ली से लौटकर काऊ ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी कि उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ तो वह पार्टी से बाहर बने संगठन में ये बात रखेंगे।
आपको बता दे कि काऊ का इशारा उनके साथ भाजपा में आए सभी विधायकों व पूर्व विधायकों की ओर है जो अब पार्टी नेतृत्व को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अच्छे व बुरे वक्त में वे एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े हैं। उनकी यह एकजुटता पार्टी नेताओं को असहज कर रही है।
उत्तराखंड के इस डीएम ने राजकीय कर्मचारियों के जींस, टी-शर्ट पहनने पर लगाया प्रतिबंध..
उत्तराखंड: बागेश्वर के जिला मजिस्ट्रेट विनीत कुमार ने राजकीय कर्मचारियों के जींस, टी-शर्ट पहनकर कार्यालय आने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों को उचित ड्रेस कोड में कार्यालय आने के निर्देश दिए हैं। जींस, टी-शर्ट पहनकर कार्यालय आने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।
जिला मजिस्ट्रेट विनीत कुमार का कहना है कि जिला स्तरीय अधिकारी और कर्मचारी ड्रेस कोड का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। अधिकतर लोग जींस, टी-शर्ट में अपने उच्च अधिकारियों के समक्ष बैठकों में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजकीय कर्मचारी होने के नाते यह शोभा नहीं देता है।
कार्यालय प्रबंधन की छवि हो रही खराब..
इससे कार्यालय प्रबंधन की छवि खराब हो रही है। समाज में इसका गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने जिले के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय अवधि के दौरान पूर्ण गणवेश में कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आदेश का पालन न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
BJP ने पांच राज्यों में नियुक्त किए प्रभारी..
उत्तराखंड: भारतीय जनता पार्टी अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है। बुधवार को बीजेपी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया। पार्टी ने केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को आगामी चुनाव के लिए उत्तराखंड का प्रभारी नियुक्त किया है वहीं, लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी और सरदार आरपी सिंह को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी है। उत्तराखंड के अलावा भाजपा ने अन्य चार चुनावी राज्यों के लिए भी अपने प्रभारियों के नाम का ऐलान कर दिया है।
देश की राजनीति में सबसे अहम रोल निभाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी बनाया गया है जबकि सह प्रभारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर होंगे। बीजेपी ने पंजाब विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ-साथ हरदीप पुरी, मीनाक्षी लेखी, विनोद चावड़ा के हाथों सौंपी है। पार्टी ने इस सभी को पंजाब चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है।
इसके अलावा गोवा में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए बीजेपी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कंधों पर पार्टी के जीत की जिम्मेदारी रखी है। वहीं, मणिपुर के विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को प्रभारी बनाया गया है।
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने पांचों राज्यों में अपने प्रभारी नियुक्त कर चुनावी बिगुल बजा दिया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगल साल मार्च से अप्रैल के बीच में इन राज्यों में मतदान की तारीख का ऐलान हो सकता है।
चुनाव के मद्देनजर बीजेपी-कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों ने भी कमर कस ली है, दिलचस्प बात ये है कि इनमें से चार राज्यों में भाजपा की सरकार है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह चुनाव मिशन 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार भाजपा में शामिल..
उत्तराखंड: धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह ने भाजपा का हाथ थाम लिया है। आपको बता दें पहले यूकेडी औऱ इस बार निर्दलीय चुनाव जीते विधायक प्रीतम सिंह को राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी भाजपा में इंट्री करवा रहे हैं। प्रीतम सिंह पूर्व में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं ।चुनाव शुरू होने से ऐन वक्त पहले लगातार सियासी हलचले तेज हैं । क़ई पार्टीयो के नेता इधर से उधर हो रहे हैं।
आपको बता दें कि प्रीतम पंवार धनोल्टी के निर्दलीय विधायक रहे हैं। उन्होंने साल 2002 में उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2012 में वो चुनाव जीते। इसके अलावा प्रतीम पंवार विजय बहुगुणा और बाद में हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। प्रीतम पंवार को अपने खेमे में लाने की कांग्रेस भी कोशिश कर रही थी। इस खेल में बीजेपी बाज़ी मार गई। प्रीतम के बीजेपी में शामिल होनी की जानकारी खुद राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी पहले ही साझा कर चुके हैं। अनिल बलूनी ने बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में किसी वरिष्ठ नेता के बीजेपी में शामिल होने की सूचना दी थी।