उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में अलकनंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे निचले इलाकों में स्थित छोटे मंदिर और शिव प्रतिमाएं जलमग्न हो गई हैं। इससे क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों के साथ-साथ यात्रियों की चिंता भी बढ़ गई है।
इधर, मौसम की अनिश्चितता के बावजूद केदारनाथ यात्रा सोमवार सुबह से पुनः शुरू की गई। अपराह्न 3 बजे तक कुल 7936 श्रद्धालुओं ने सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया, जिनमें से अधिकांश देर शाम तक धाम पहुंच गए। वहीं, 8400 श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकुशल सोनप्रयाग लौटे।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर शासन ने सोमवार सुबह चारधाम यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया था, लेकिन सुबह 8 बजे गढ़वाल कमिश्नर द्वारा इस आदेश को निरस्त कर दिया गया। उन्होंने जिलाधिकारियों को स्थानीय मौसम की स्थिति के अनुसार यात्रा संचालन के निर्देश दिए।
भूस्खलन और बारिश बनी चुनौती
जिलाधिकारी प्रतीक जैन के निर्देश पर सुबह 9 बजे से यात्रा को दोबारा शुरू किया गया। हालांकि, गौरीकुंड हाईवे पर मुनकटिया और शटल पार्किंग क्षेत्र में सक्रिय भूस्खलन जोन के कारण यात्रियों को पुलिस सुरक्षा के बीच सावधानीपूर्वक रास्ता पार कराया गया।
सोनप्रयाग चौकी प्रभारी निरीक्षक राकेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि रुक-रुककर हो रही बारिश से हाईवे और पैदल मार्ग कई स्थानों पर अति संवेदनशील हो गए हैं। इससे यात्रा संचालन में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश और तेज गर्जन की चेतावनी जारी की है। अन्य जिलों में भी तेज बारिश और बिजली गिरने का येलो अलर्ट है। अगले कुछ दिनों तक—विशेषकर 6 जुलाई तक—प्रदेश भर में भारी बारिश के आसार जताए गए हैं।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
उत्तराखंड को फार्मास्युटिकल सेक्टर का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत देहरादून स्थित खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन मुख्यालय में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह बैठक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने की।
बैठक में प्रदेश की 30 से अधिक फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधि, औषधि विनिर्माण संघ और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। मुख्य एजेंडा था — अधोमानक दवाओं की घटनाओं की समीक्षा, औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और राज्य की औद्योगिक साख को सुरक्षित रखना।
उद्योग की चिंता: ड्रग अलर्ट से छवि पर असर
फार्मा प्रतिनिधियों ने चिंता जताई कि कई बार बिना पूरी जांच प्रक्रिया के ड्रग अलर्ट जारी कर दिए जाते हैं, जिससे कंपनियों की छवि और राज्य की विश्वसनीयता पर नकारात्मक असर पड़ता है। उदाहरणस्वरूप, हाल ही में Buprenorphine Injection को अधोमानक घोषित किया गया, जबकि वह दवा उत्तराखंड में बनी ही नहीं थी।
निर्माताओं ने स्पष्ट किया कि कानून के तहत धारा 18(A) में पुष्टि अनिवार्य है और 25(3) के अंतर्गत उन्हें रिपोर्ट को चुनौती देने का अधिकार है, लेकिन समय पर रिपोर्ट न मिलने से यह अधिकार निष्प्रभावी हो जाता है।
सरकार का रुख: गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि सरकार उद्योगों के साथ खड़ी है, लेकिन दवा की गुणवत्ता को लेकर कोई ढील नहीं दी जाएगी। सभी इकाइयों को GMP मानकों का पालन करने, हर चरण में दस्तावेज़ीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
कड़ी कार्रवाई के निर्देश
बैठक में निर्णय लिया गया कि अधोमानक औषधियों का निर्माण करने वाली इकाइयों या व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाएगा।
गुणवत्ता की ओर मजबूत कदम
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में वर्तमान में 285 फार्मा यूनिट्स सक्रिय हैं, जिनमें से 242 WHO सर्टिफाइड हैं। ये इकाइयाँ देश की 20% दवाओं का निर्माण करती हैं और 20 से अधिक देशों को निर्यात कर रही हैं।
देहरादून में अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है जहाँ दवाओं के साथ मेडिकल डिवाइसेज़ और कॉस्मेटिक्स की भी जांच होगी। इसे शीघ्र ही NABL से मान्यता मिलने की उम्मीद है।
विश्वस्तरीय फार्मा केंद्र की दिशा में राज्य
सरकार का लक्ष्य केवल उद्योग को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि गुणवत्ता की ऐसी मिसाल कायम करना है जिससे उत्तराखंड, भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण औषधियों का भरोसेमंद केंद्र बन सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास से भीमगोडा, हरिद्वार में जगदीश स्वरूप विद्यानन्द आश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ-श्रीमद् भागवत कथा को वर्चुअली सम्बोधित किया।
भागवत कथा में उपस्थित परमपूज्य जगद्गुरु आचार्य गरीबदास जी महाराज, ब्रह्मसागर महाराज भूरी वाले, परमपूज्य स्वामी अमृतानन्द जी महाराज, युवा संत स्वामी पूज्य राम महाराज एवं कथा व्यास पूज्य इन्द्रेश उपाध्याय और सभी संतगणों, श्रद्धालुओं का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संतों का समागम और हरि कथा, दोनों ही दुर्लभ हैं और ये दोनों सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण कोई सामान्य ग्रंथ नहीं, अपितु स्वयं श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी का साकार रूप है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और धर्म इन चारों पुरुषार्थों का उत्कृष्ट वर्णन मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दौर में जब मनुष्य भौतिकता की दौड़ में मानसिक और आत्मिक रूप से अशांत है, तो ऐसे समय में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण हमें आंतरिक शांति, समाधान और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है। आज आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सनातन संस्कृति की पताका संपूर्ण विश्व में लहरा रही है। आज चाहे अयोध्या जी में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, बद्रीनाथ और केदारनाथ धामों का पुनर्निर्माण हो, बाबा विश्वनाथ के गलियारे का विस्तार हो या महाकाल लोक का निर्माण हो | हमारी धार्मिक धरोहरों को संजोया और संवारा जा रहा है वो न भूतो न भविष्यति है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमारी सरकार भी देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। हम जहां एक ओर केदारखंड और मानसखंड के मंदिर क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण के लिए अनेकों कार्य कर रहे हैं। वहीं हरिपुर कालसी में यमुनातीर्थ स्थल के पुनरुद्धार की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर के साथ-साथ शारदा कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। हमने भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज’ की स्थापना भी की है। हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित मानसिकताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, साथ ही, हमने प्रदेश में एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून भी लागू किया है। समाज में व्याप्त असमानताओं को समाप्त करने तथा सभी के लिए समान अधिकार एवं न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने देश में सबसे पहले “समान नागरिक संहिता” कानून को लागू करने साहसिक कार्य भी किया है
हरिद्वार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास-पूज्य इन्द्रेश उपाध्याय, स्वामी श्री राम जी महाराज, स्वामी भूपेन्द्र गिरी महाराज,स्वामी सतदेव महाराज, महामण्डलेश्वर निर्मला बा , गुजरात, स्वामी ऋषेश्वरानन्द महाराज, स्वामी हीरा योगी महाराज,आचार्य विशोकानन्द महाराज,आचार्य रामचन्द्र दास महाराज, योगी आशुतोष महाराज,सुप्रसिद्ध गायक बी०प्राक मौजूद रहे |
उत्तराखंड के सिलाई बैंड क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते सड़क पूरी तरह बह चुकी है। सड़क के टूटने से जहां राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में विभाग को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं सात लापता मजदूरों की खोज में भी खराब मौसम लगातार बाधा बन रहा है।
बारिश के चलते मलबा और पानी लगातार सिलाई बैंड क्षेत्र में जमा हो रहा है, जिससे सड़क निर्माण का कार्य बार-बार रुक जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, ओजरी के समीप सड़क बहने के कारण गीठ पट्टी क्षेत्र के कई गांव लगातार दूसरे दिन भी जनपद और तहसील मुख्यालय से कटे हुए हैं। इससे न केवल आवागमन बाधित हुआ है, बल्कि ग्रामीणों को आवश्यक सुविधाएं और राहत सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है।
प्रशासन की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन मौसम की मार के चलते राहत कार्यों में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर या वैकल्पिक रास्तों से राहत सामग्री पहुंचाई जाए और लापता मजदूरों की तलाश तेज की जाए।
देहरादून- गर्मियों की छुट्टियों के बाद मंगलवार से स्कूल दोबारा खुल गए हैं, लेकिन राज्य के 942 स्कूल भवनों की जर्जर हालत बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है। कहीं छतें टपक रही हैं तो कहीं पानी भरने से फर्श फिसलन भरा हो गया है। कई स्कूलों में सुरक्षा दीवारें न होने के कारण भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है।
बारिश में खतरे के साए में शिक्षा
देहरादून जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता और कालसी क्षेत्रों में कई स्कूल बेहद जर्जर स्थिति में हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत के अनुसार, शहरी क्षेत्र के कई स्कूल परिसरों में भी जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बताया कि बरसात के मौसम में जलभराव और भूस्खलन से बच्चों की जान को खतरा रहता है। उन्होंने मांग की कि खराब हालत वाले स्कूलों की मरम्मत जल्द की जाए और जून की छुट्टियों को जुलाई में स्थानांतरित किया जाए, जिससे बरसात में छात्रों और शिक्षकों को परेशानी न हो।
भवन ध्वस्तीकरण और निर्देश जारी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि माध्यमिक स्तर पर 19 स्कूल भवनों की स्थिति बेहद खराब थी, जिनमें से कुछ को तोड़कर नए भवन बनाए जा चुके हैं। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे भवनों में बच्चों को न बैठाया जाए।
जिलावार आंकड़े
राज्य के विभिन्न जिलों में जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति इस प्रकार है:
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पिथौरागढ़ – 163
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अल्मोड़ा – 135
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टिहरी – 133
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नैनीताल – 125
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पौड़ी – 107
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देहरादून – 84
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ऊधमसिंहनगर – 55
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हरिद्वार – 35
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रुद्रप्रयाग – 34
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चमोली – 18
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चंपावत – 16
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बागेश्वर – 06
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उत्तरकाशी – 12
सुरक्षा के विशेष निर्देश
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छात्रों को किसी भी हालत में खस्ताहाल भवन, कक्ष या दीवार के पास न बैठाया जाए। बरसात के दौरान विद्यालय के आसपास यदि नाला हो, तो छात्रों के आवागमन में विशेष सावधानी बरती जाए। साथ ही, स्कूल परिसरों में जलभराव रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं।
उत्तराखंड में अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 का आयोजन, मुख्यमंत्री धामी और इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन रहे मौजूद
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में विकसित भारत 2047 के निर्माण के लिए हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अन्तरिक्ष सम्मेलन 2025 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश भर से आए वैज्ञानिकों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान तक सीमित न रहकर संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला द्वारा तिरंगा फहराने पर इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को बधाई दी और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुभांशु शुक्ला का मिशन गगनयान व भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया तथा इसरो द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार विज्ञान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है और प्रदेश में साइंस सिटी, साइंस एवं इनोवेशन सेंटर, एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन व अन्य अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर कार्य तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और प्रदेश के सतत विकास में सहयोगी सिद्ध होगा।
इसरो चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने कहा कि 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था। 1963 से अब तक भारत ने 100 से अधिक रॉकेट लॉन्च किए हैं। 1975 तक हमारे पास अपने कोई सेटेलाइट नहीं थे, लेकिन अब भारत के पास अपने 131 सैटेलाइट हैं। टीवी ब्रॉडकास्ट से लेकर हर जगह सैटेलाइट बड़े पैमाने पर मददगार साबित हो रहे हैं। इसरो द्वारा ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम पर कार्य किया जा रहा है। उस रॉकेट पर कार्य किये जा रहे हैं, जो पृथ्वी की लोवर ऑर्बिट पर 75 हजार किलो तक के सेटेलाइट को लॉन्च करेगा, जिसे करीब 27 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
इसरो चेयरमैन ने कहा कि एक समय था जब हमारे रॉकेट साइकिल से ले जाए करते थे, पर आज भारत ने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमने दुनिया में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणु की मौजूदगी का पता से लगाया है। भारत पहला देश है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहली बार लैंड किया है। भारत, आदित्य एल-1 मिशन के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया है। भारत ने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था और मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने वाला चौथा देश है। हमारा लक्ष्य 2030 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने एवं 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित भारत अवश्य बनेगा।
निदेशक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष में सेटेलाइट हमें जीपीएस नेविगेशन के साथ कई तरह के अपडेट देते हैं। उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था। ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान हमने सेटेलाइट के माध्यम से मेपिंग की और डेटा तैयार किया, जिसका प्रयोग बाद में राष्ट्रीय नीति में भी किया गया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट में इस डाटा का इस्तेमाल किया गया। अर्थ ऑब्जर्वेशन, सेटेलाइट संवाद एवं सेटेलाइट नेविगेशन ने पूरी तरह से हमारे जीवन को बदलने का काम किया है। उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान मैपिंग, वन संरक्षण एवं वनाग्नि की मैपिंग के क्षेत्र में सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ग्लेशियर लेक की मॉनिटरिंग, बाढ़, बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान का भी काम किया जा रहा है।
मुख्य सचिव आंनद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को अपनाने और इसके लिए स्थाई वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने तथा से कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्सयूशन की उपलब्ध इमेजरी को रिलय टाईम व गैर व्यावसायिक आाधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं वैज्ञानिक मौजूद थे।
पांच जिलों में मॉक ड्रिल कर आपात तैयारियों का किया गया परीक्षण
देहरादून। उत्तराखंड में बाढ़ आपदा से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए राज्य के पांच जिलों — हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत और देहरादून — में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, लोक निर्माण विभाग (PWD) सहित कई संबंधित एजेंसियों ने सक्रिय भागीदारी की।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने ड्रिल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। देहरादून में मॉक ड्रिल के दौरान बाढ़ की स्थिति में एक मकान गिरने की काल्पनिक घटना के आधार पर राहत और बचाव कार्यों का परीक्षण किया गया।
देहरादून के एसडीएम हरि गिरि ने बताया कि जिला प्रशासन आपदा के हर संभावित खतरे के लिए तैयार है, खासकर बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
आपातकालीन और सुरक्षा बलों के वाहनों को ही मिलेगी छूट
देहरादून। चारधाम यात्रा और मानसून के चलते उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर खतरा बढ़ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से रात्री समय में वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
मानसून के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जनपद के सभी पुलिस बैरियरों पर रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक सामान्य वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इस दौरान केवल एंबुलेंस, आपातकालीन सेवाएं, और सैन्य या अर्द्धसैनिक बलों के वाहन ही चल सकेंगे।
गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे समेत अन्य राज्य और संपर्क मार्गों पर लगातार भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। साथ ही वर्तमान में चारधाम यात्रा भी जारी है, जिससे यातायात का दबाव काफी अधिक है। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने यह आदेश जारी किया है।
जनपद में कुल 6 पुलिस बैरियर स्थापित हैं। आदेश के तहत रात 9 बजे के बाद आने वाले वाहनों को इन बैरियरों के पास सुरक्षित स्थानों पर रोका जाएगा। प्रशासन का कहना है कि पिछले वर्षों में रात के समय भूस्खलन के कारण कई हादसे हुए हैं, जिन्हें देखते हुए यह कदम जरूरी है।
जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस अवधि में स्थानीय निवासियों के निजी वाहनों को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। आदेश की सख्ती से पालना सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया दो राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिताओं का समापन
पदक विजेताओं को मेडल पहनाकर किया सम्मानित
हरिद्वार। खेल मंत्री रेखा आर्या ने रविवार को 42वी नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप और 28वीं नेशनल पूमसे ताइक्वांडो चैंपियनशिप का समापन किया। रोशनाबाद के वंदना कटारिया स्टेडियम में उन्होंने पदक विजेताओं को पदक पहनकर सम्मानित किया। इन प्रतियोगिताओं में 18 राज्यों से आए कुल 700 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि धार्मिक पर्यटन के बाद अब उत्तराखंड खेल पर्यटन का भी तीर्थ बन गया है। उन्होंने कहा कि बीते तीन दिनों में चार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का उद्घाटन और समापन उन्होंने किया है। इससे स्पष्ट है कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ अब खेल भूमि बन रहा है।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि खेल अनुशासन, प्रतिबद्धता, ईमानदारी और समर्पण जैसे जीवन मूल्य भी सिखाता हैं। उन्होंने कहा कि जिन खिलाड़ियों ने इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं आगे चलकर वही देश के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतेंगे।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से बहुत संभव है कि 2036 ओलंपिक का आयोजन भारत में हो, खिलाड़ियों को इसके लिए अभी से लक्ष्य बनाकर तैयारी में जुट जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जिस तरह हर घर से एक सैनिक निकलता रहा है ठीक वैसे ही भविष्य में यहां हर घर से एक खिलाड़ी पैदा होना चाहिए।
इस अवसर पर फादर ऑफ ताइक्वांडो इन इंडिया डा. जिमी आर जगत्यानी, निदेशक ताइक्वांडो फेडरेशन आफ इंडिया पीटर जगत्यानी, जिला खेल अधिकारी शबाली गुरुंग, देवभूमि उत्तराखंड ताइक्वांडो एसोसिएशन अध्यक्ष अवधेश कुमार, महासचिव राहुल धीमान, तकनीकी निदेशक मनोज त्यागी, आनंद भारती, जितेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
मानसून के दृष्टिगत दो माह तक 24 घण्टे अलर्ट मोड पर रहने के अधिकारियों को दिये निर्देश
नियमित रूप से ग्राउंड पर रहकर सभी व्यवस्थाएं देखेंगे अधिकारी
श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ठहराने, भोजन, दवा और बच्चों को दूध की पर्याप्त् उपलब्धता सुनिश्चित करने के दिये निर्देश
गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व अस्पतालों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए-सीएम
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को आईटी पार्क, स्थित उत्तराखण्ड राज्य आपतकालीन परिचालन केन्द्र पहुंचकर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही वर्षा की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने मानसून के दृष्टिगत आगामी दो माह तक शासन और प्रशासन के अधिकारियों को 24 घण्टे अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिये हैं। मानसून अवधि के दौरान अधिकारियों को नियमित रूप से ग्राउंड पर रहकर सभी व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा पर आये सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा की दृष्टि सबंधित जिलाधिकारियों को आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए भोजन, दवाइयों और बच्चों के लिए दूध और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि अत्यधिक बारिश की सम्भावनाओं के दृष्टिगत और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए अगले 24 घण्टे के लिए चारधाम यात्रा को रोका गया है।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि नदियों और गदेरे के आस-पास रह रहे और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थलों पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जिन क्षेत्रों में निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां पर लोग सुरक्षित स्थानों पर हों। मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के तहसील बड़कोट क्षेत्र में बादल फटने की वजह से मिसिंग मजदूरों के सर्च और रेस्क्यू अभियान में और तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं। 29 मजदूरों में से 20 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन का सर्च अभियान जारी है, दो शवों को निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि रूद्रप्रयाग में हुए वाहन दुर्घटना में जो लोग अभी लापता हैं, उनकी खोजबीन कार्यों में और तेजी लाई जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी जनपदों में गर्भवती महिलाओं की डाटा बेस बनाया जाए। सितम्बर माह तक जिन महिलाओं का डिलीवरी होनी है, उनका नियमित अपडेट रखा जाए। प्रसव पूर्व उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। जच्चा और बच्चा की सुरक्षा की दृष्टि से सभी प्रभावी कदम उठाये जाए।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान जिलाधिकारियों से विभिन्न जनपदों में हो रही बारिश, सड़कों की स्थिति एवं अन्य मूलभत सुविधाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश के कारण जो सड़के क्षतिग्रस्त हो रही हैं, उनको जल्द खुलवाने की व्यवस्था की जाए। संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी और अन्य आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जिन क्षेत्रों में नदी, नाले, गदेरे रास्ते बदल सकते हैं, ऐसे क्षेत्रों में आश्यकता पड़ने पर चैनलाइजेशन और अन्य प्रबंधन जो सुरक्षात्मक दृष्टि से हो सकते हैं, किये जाएं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, विनोद कुमार सुमन, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, अपर सचिव बंशीधर तिवारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप, राजकुमार नेगी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुड़े थे।