उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में शिक्षक,उठाए कई सवाल..
उत्तराखंड: शिक्षक उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं। शिक्षकों का कहना है कि विभाग ने अधिकरण के फैसले को लागू किया तो कुछ प्रधानाचार्य पदावनत हो जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि वरिष्ठता का यह मामला पहले से हाईकोर्ट में है। शिक्षा विभाग में 2005-06 एवं 2006-07 में उत्तराखंड लोकसेवा आयोग से चयनित प्रवक्ताओं की वरिष्ठता का विवाद बना है। कुछ शिक्षक मामले को लेकर पहले ही हाईकोर्ट जा चुके हैं। जबकि अधिकरण ने अलग-अलग भर्ती वर्ष में लोक सेवा आयोग से नियुक्त इन प्रवक्ताओं को संयुक्त वरिष्ठता देने की बात कही है। प्रवक्ता कल्याण समिति से जुड़े शिक्षकों के अनुसार अधिकरण के इस फैसले के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह है कि क्या विभाग 2006-07 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2005-06 से वरिष्ठता देगा या 2005 -06 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2006-07 से वरिष्ठता देगा।
शिक्षक यह भी उठा रहे सवाल
-वरिष्ठता सूची को एक करना कितना व्यावहारिक होगा एवं अंतिम रूप से (संशोधित) सूची 2009 में जारी हुई थी तो क्या सभी चयनित प्रवक्ताओं को 2009 से वरिष्ठता मिलेगी।
-महिला संवर्ग में नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों की संयुक्त सूची आयोग ने 2005 से अब तक जारी ही नहीं की है तो उनकी वरिष्ठता कैसे तय होगी।
-विभागीय वरिष्ठता सूची से जो प्रवक्ता एक दशक से पहले पदोन्नति पाकर प्रधानाचार्य बन चुके हैं क्या उन्हें विभाग पदावनत करेगा।
38वें राष्ट्रीय खेल- सिर्फ 77 दिन शेष, छोटा सा संशोधन, लेकिन बात नहीं रही बन..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों की तारीख तय किए पूरा एक महीना बीत गया, अब सिर्फ 77 दिन बाकी हैं, लेकिन अभी तक खिलाड़ियों के कैंप शुरू नहीं हो सके हैं। कैंप लगाने की बार-बार घोषणाएं तो हुई हैं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ है। फिलहाल देरी की वजह एक शासनादेश में संशोधन है, जिसका इंतजार पल-पल बढ़ने से मेजबानों में खींचतान के आसार बनने लगे हैं। खेल निदेशालय के अधिकारी पिछले कुछ दिन से उम्मीद जता रहे हैं कि किसी भी समय संशोधित शासनादेश आ सकता है। शुक्रवार को तय माना जा रहा था कि शाम तक आदेश जारी हो जाएंगे। शाम बीती तो शनिवार सुबह की आस और मजबूत हुई। इसके मद्देनजर खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक संघ की महत्वपूर्ण बैठक भी रख ली गई, जिसमें कैंप की तारीख तय करना महत्वपूर्ण एजेंडा था। सुबह बैठक हुई, लेकिन शासनादेश न आने से कैंप के मुद्दे पर बेनतीजा रही।
खेल कराने का दायित्व भारतीय ओलंपिक संघ, उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन और राज्य सरकार का है। एक तरफ सरकार और खेल निदेशालय बार-बार कह रहे हैं कि कैंपों का आयोजन उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन को करना है। सरकार की जिम्मेदारी उसके लिए वित्त और संसाधन उपलब्ध कराने की है।
दूसरी ओर उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन का कहना है कि जब तक कैंपों के आयोजन से संबंधित पिछले शासनादेश में संशोधन नहीं होता, तब तक कैंप लगाने की तारीख तय नहीं हो रही। इस पर खेल अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन भी तुरंत कैंप नहीं करवा सकती, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी देश से बाहर दूसरी प्रतियोगिताओं में व्यस्त हैं, कई अपने-अपने राज्यों में नौकरी कर रहे हैं। सभी को उत्तराखंड बुलाने में समय लगेगा। एसोसिएशन जब तक अपनी तैयारी पूरी करेगी, शासनादेश संशोधित होकर आ जाएगा।
राष्ट्रीय खेलों की तारीख नौ अक्टूबर को घोषित हुई थी, जिसके साथ दावा था कि तुरंत कैंप शुरू किए जाएंगे, जिसमें प्रतिभागी खिलाड़ी तैयार होंगे। इसके बाद 26 अक्तूबर से कैंप लगाने की घोषणा हुई, वह टली तो दीपावली के तुरंत बाद कैंप लगाने की अगली घोषणा हुई। बता दें कि पिछले शासनादेश के तहत कैंपों का आयोजन के लिए एक समय सीमा तय है, चूंकि राष्ट्रीय खेलों के लिए समय कम बचा है, इसलिए उसमें संशोधन किया जा रहा है।
प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन में फिल्म और संस्कृति के विकास पर चर्चा का मंच, CEO तिवारी ने बताया क्यों उत्तराखंड में हो फिल्मो की शूटिंग..
उत्तराखंड: दून विश्वविद्यालय में प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के दौरान उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, कला, एवं फिल्मों को बढ़ावा देने पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड को फिल्म शूटिंग के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन में फिल्म व संस्कृति के विकास पर चर्चा हुई। उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद के CEO और महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने इस दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य में कई आकर्षक फिल्म शूटिंग स्थल हैं। जो देश और दुनिया के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित कर सकते हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों को मिलेगी 50% तक सब्सिडी..
बंशीधर तिवारी का कहना हैं कि हाल ही में जारी की गई उत्तराखंड फ़िल्म नीति 2024 के अंतर्गत क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के प्रोडक्शन में किए गए व्यय का 50% तक या अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। जबकि हिंदी और अन्य 8वीं अनुसूची की भाषाओं के लिए ये अनुदान 30% या अधिकतम 3 करोड़ रुपए तक का होगा। इस नई नीति के तहत अब शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, ओटीटी और वेब सीरीज़ को भी सब्सिडी की श्रेणी में शामिल किया गया है। साथ ही, राज्य में फिल्म सिटी और फिल्म संस्थान स्थापित करने के लिए भी अनुदान की व्यवस्था की गई है। तिवारी का कहना हैं कि फिल्में हमारे इतिहास, सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में संजोए रखने का कार्य करती हैं। फूलदेई जैसे त्यौहार, पौराणिक मेले और स्थानीय भाषाएं फिल्मों के माध्यम से सुरक्षित और प्रसारित की जा सकती हैं। सम्मेलन में आदि कैलाश, चकराता, माणा जैसे स्थानों का भी उल्लेख किया गया जो फिल्मों के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं। प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, फिल्म अभिनेता सुधीर पाण्डेय, हेमन्त पाण्डेय, वरूण बडोला और फिल्म निर्माता सन्तोष सिंह रावत ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उत्तराखंड में फिल्म निर्माण के संभावनाओं पर चर्चा की गई।
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर सीएम धामी ने कई घोषणाएं..
उत्तराखंड: सीएम धामी ने उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के लिए कई घोषणाएं की हैं। सीएम ने घामी ने घोषणा की है कि साल 2030 तक 50 से अधिक आबादी वाले गांवों में सड़क पहुंचेगी। इसके साथ ही सीएम ने कहा है कि आगामी राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के जो खिलाड़ी मेडल जीतेंगे उनकों पुरस्कार के लिए नियत धनराशि के बराबर की धनराशि राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त रूप से प्रदान की जाएगी। शनिवार को पुलिस लाइन में आयोजित राज्य स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में संबोधित करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कई अहम घोषणाएं की। सीएम धामी ने अपने संबोधन की शुरुआत राज्य स्थापना दिवस शुभकामनाएं देने के साथ ही गत दिनों अल्मोड़ा जिले में हुई बस दुर्घटना में दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ की। सीएम ने कहा है कि राज्य में 50 और उससे अधिक जनसंख्या वाले सभी गांवों को 2030 तक सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही सड़क दुर्घटनाओं की प्रभावी रोकथाम के लिए विभिन्न विभागों को साथ लेकर एक समग्र नीति बनायी जाएगी।
सीएम ने कहा कि राज्य में आपदा के कारण मार्ग और पुलों के बह जाने की दशा में यातायात को तुरन्त सुचारू करने के लिए वैलीब्रिज स्थापित किए जाएंगे। उत्तराखंड राज्य में महिलाओं का समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए महिला नीति को यथाशीघ्र अधिसूचित किए जाने के साथ ही युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए एक विशिष्ट ’’युवा नीति’’ भी बनाई जाएगी। इसी तरह आगामी राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखण्ड के जो खिलाड़ी मेडल जीतेंगे, उनकों पुरस्कार हेतु नियत धनराशि के बराबर की धनराशि राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त रूप से प्रदान की जाएगी।
हर साल मनाया जाएगा राष्ट्रीय उत्तराखंडी प्रवासी दिवस..
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड से बाहर देश के दूसरे राज्यों में रहने वाले प्रवासियों के लिए प्रतिवर्ष नवंबर माह में ’’राष्ट्रीय उत्तराखंडी प्रवासी दिवस’’ आयोजित किया जाएगा। इसी तरह प्रतिवर्ष जनवरी माह में विदेशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखण्डियों के लिए ’’अन्तराष्ट्रीय उत्तराखण्डी प्रवासी दिवस’’ का आयोजन किया जाएगा। सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कान्ट्रैक्टर और अभियन्ताओं का उत्तरदायित्व निर्धारित करने के लिए विशेष प्रक्रिया बनाई जएयेगी। महिलाओं को प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की देखभाल हेतु ’’मुख्यमंत्री जच्चा-बच्चा प्रोत्साहन सहायता’’ प्रदान करने के लिए कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
पहाड़ में रेल पहुंचने का सपना होने वाला है साकार..
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद करते हुए कहा कि अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही उत्तराखंड राज्य की स्थापना का सपना साकार हुआ। अब उत्तराखंड राज्य आज प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का एक अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर है। पीएम मोदी के मार्गदर्शन के चलते सभी क्षेत्रों में उत्तराखंड का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो रहा है। शहर से लेकर सुदूर पर्वतीय गांवों तक सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, विभिन्न जनपदों के लिए हेली सेवाएँ प्रारंभ करने के साथ ही विभिन्न एयरपोर्ट्स और हेलीपोर्टस को विकसित किया जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के जरिए शीघ्र ही पहाड़ में रेल पहुंचने का सपना साकार होने जा रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करने के साथ ही एम्स ऋषिकेश के सैटेलाइट सेंटर का निर्माण भी किया जा रहा है। उत्तराखंड पर्यटन, कृषि, बागवानी और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसकी वजह से राज्य में वृहद स्तर पर व्यवसाय, स्वरोजगार और नौकरियों के अवसर सृजित हो रहे हैं।
सरकार ने औद्योगिक नीति, लॉजिस्टिक नीति, स्टार्टअप नीति सहित अनेकों नई नीतियां बनाकर राज्य में पूंजी निवेश के अवसरों को बढ़ाने का कार्य किया है। इसी प्रकार ऊधमसिंह नगर के खुरपिया में शीघ्र ही एक ’’इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी’’ स्थापित होने जा रही है। इसलिए वो दिन दूर नहीं जब हम प्रदेश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर राज्य से पलायन की समस्या को भी जड़ से खत्म कर सकेंगे।
उत्तरकाशी बवाल मामले में ADM और सीओ हटाए, सीएम के निर्देश पर कार्रवाई..
उत्तराखंड: उत्तरकाशी बवाल मामले में एडीएम रजा अब्बास और सीओ प्रशांत कुमार पर गाज गिरी है। दोनों को शासन ने देहरादून संबद्ध करने के आदेश जारी किए हैं। जनाक्रोश रैली आयोजक संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संगठन की ओर उक्त दोनों अधिकारियों के तबादले की मांग की जा रही थी। बता दें कि बीते 24 अक्टूबर को मस्जिद के खिलाफ जनाक्रोश रैली के दौरान स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई थी, जब प्रदर्शनकारी तय मार्ग से जाने की बजाए दूसरे मार्ग से जाने पर अड़ गए थे। इस दौरान ढाई घंटे तक गतिरोध के बाद पथराव और लाठीचार्ज की घटना हुई, जिसमें 9 पुलिसकर्मी सहित कुल 27 घायल हुए। कई घायलों का आज भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
बुधवार को घटना के बाद पहली बार सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी पहुंचे थे और शाम को लौट गए थे। इसके बाद देर शाम को एडीएम और सीओ को देहरादून संबद्ध किए जाने के आदेश जारी हो गए। अपर जिलाधिकारी रजा अब्बास को जहां कार्मिक एवं सतर्कता विभाग में संबद्ध किया गया। वहीं सीओ प्रशांत कुमार को पुलिस मुख्यालय संबद्ध किया गया है। हालांकि जनाक्रोश रैली के दौरान एडीएम रजा अब्बास मौके पर भी नहीं थे, लेकिन आयोजक संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संगठन ने उनके दूसरे समुदाय का होने पर अन्य अधिकारियों को भ्रमित करने का आरोप लगाया। वहीं सीओ प्रशांत कुमार रैली के दौरान उसी बेरिकेडिंग पर तैनात थे, जहां पथराव और लाठीचार्ज की घटना हुई थी।
गाैचर और कर्णप्रयाग में लगी धारा 163 हटाई गयी, दोनों जगह अब स्थिति सामान्य..
उत्तराखंड: हाल ही में गौचर में हुए सांप्रदायिक बवाल के बाद प्रशासन ने लगाई धारा 163 को गुरुवार देर शाम हटा दिया है। प्रशासन ने 10 नवंबर तक धारा 163 लगाई थी। 15 अक्टूबर को गौचर में दो अलग-अलग समुदाय के व्यापारियों के बीच विवाद हो गया था। जो बाद में मारपीट में बदल गया। जिसमे एक समुदाय के कई लोगों ने दूसरे समुदाय एक युवक की पिटाई करने का आरोप लगाया। जिससे नाराज स्थानीय लोगों और हिन्दू संगठनों ने बाजार में प्रदर्शन किया और विरोध जताया। मामला बिगड़ता देख प्रशासन ने यहां धारा 163 लगा दी थी। एसडीएम संतोष कुमार पांडेय का कहना हैं कि गौचर और कर्णप्रयाग में 10 नवंबर तक 163 लगाई थी। जिसे पुलिस रिपोर्ट के बाद गुरुवार को हटा दिया गया है। एसडीएम ने कहा कि गौचर और कर्णप्रयाग में अब माहौल सौहार्द पूर्ण है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शीतकाल के लिए होंगे बंद,13 नवंबर से शुरू होंगी पंच पूजाएं..
उत्तराखंड: विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल शीतकाल के लिए 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत बुधवार 13 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू होगी। पंच पूजाओं के अंतर्गत पहले दिन भगवान गणेश की पूजा होगी। शाम को इसी दिन भगवान गणेश के कपाट बंद होंगे। दूसरे दिन 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। तीसरे दिन 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जाएगा। चौथे दिन 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा। 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे।
सोमवार 18 नवंबर को कुबेर और उद्धव सहित रावल, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ को प्रस्थान करेगी। उद्धव और भगवान कुबेर शीतकाल में पांडुकेश्वर प्रवास करेंगे। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को समारोह पूर्वक गद्दीस्थल नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। इसी के साथ शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं आयोजित होंगी। आपको बता दें कि उत्तराखंड के चार धाम में से केदारनाथ धाम, यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम के कपाट नवंबर के पहले सप्ताह में बंद हो चुके हैं।इसके साथ ही रुद्रनाथ और तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी बंद हो चुके हैं। वहीं मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
सीएम धामी ने प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का किया उदघाटन..
उत्तराखंड: उत्तराखंड राज्य अपना 24 वां स्थापना दिवस मना रहा है। दशकों से देश के कई हिस्सों में निवास कर रहे उत्तराखंड के प्रवासी भी अपनी मातृभूमि से जुड़ रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी योग्यता और कौशल से राष्ट्र और उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले राज्य के प्रवासियों को धामी सरकार सम्मानित करेगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी की पहल पर पहली बार प्रदेश सरकार प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन कर रही है। दून विश्वविद्यालय में प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस दौरान पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, अभिनेता हेमंत पांडे, विधायक विनोद चमोली सहित कई अतिथि मौजूद रहे।प्रवासी सम्मेलन में तीन सत्र आयोजित होने हैं, जिनमें अलग-अलग विषयों पर चर्चा होगी। धामी सरकार अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी योग्यता और कौशल से राष्ट्र और उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले राज्य के प्रवासियों को धामी सरकार सम्मानित करेगी।
टिहरी हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग कालेज बनेगा आईआईटी रूड़की का कैंपस..
उत्तराखंड: टिहरी हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग कालेज को आईआईटी रूड़की का पर्वतीय परिसर बनाए जाने की तैयारी है। इसके लिए यहां शोध परिसर भी बनाया जाएगा। परिसर में पीएचडी और एमटेक पाठ्यक्रम शुरू हो सकेंगे। टिहरी जिले के भागीरथीपुरम में वर्ष 2011 में हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई थी। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसे आईआईटी रुड़की का पर्वतीय परिसर बनाने की घोषणा की थी। सीएम की घोषणा के बाद तकनीकी शिक्षा सचिव डाॅ. रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में सात सितंबर 2024 को आईआईटी रूड़की में बैठक हुई। शासन ने इस बैठक का कार्यवृत्त जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि आईआईटी रूड़की टीएचडीसी का मार्गदर्शन करेगा। इसके काम के लिए एक मुख्य समिति बनेगी। जिसमें आईआईटी रूड़की, टीएचडीसी-आईएचईटी टिहरी, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड राज्य सरकार एवं इंडस्ट्री के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
पीएचडी एवं एम टेक पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार..
यह समिति टीएचडीसी में एक शोध परिसर स्थापित करने के लिए अध्ययन कर अपनी सिफारिश देगी। भविष्य में इस शोध परिसर में आईआईटी रूड़की की ओर से पीएचडी एवं एम टेक पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार किया जाएगा। भविष्य का रोड मैप तैयार करने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक, टीएचडीसी एवं सीएमडी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की एक समिति भी बनाई जाएगी। तय रोड मैप के अनुसार काम के लिए कोई भी प्रशासनिक निर्णय तकनीकी शिक्षा विभाग लेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्तमान में टीएचडीसी में चल रहा यूजी पाठ्यक्रम संचालित होता रहेगा। वहीं शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी अपनी सेवाएं देते रहेंगे। इन सभी कार्यों के लिए आईआईटी रूड़की से मार्गदर्शन लिया जाता रहेगा। आईआईटी रूड़की के जो मानक हैं उस स्तर पर टीएचडीसी को लाने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसके लिए एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को मिले तीन और फैकल्टी..
वॉक इन इंटरव्यू से हुआ चयन..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान में फैकल्टी की कमी को दूर करने के उद्देश्य से विभिन्न संकायों में तीन नई फैकल्टी नियुक्त करने की स्वीकृति दी है। इन नई नियुक्तियों से मेडिकल कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को एक बेहतर शैक्षणिक वातावरण प्राप्त होगा और बेस चिकित्सालय में मरीजों को भी उचित और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
आपको बता दें कि वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से फैकल्टी नियुक्ति की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। इसी क्रम में सरकार ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में तीन और फैकल्टी नियुक्त करने की मंजूरी दी है, जिसमें नेत्र रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर डॉ. दिनेश सिंह, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डॉ. नेहा काकरान, और माइक्रोबायोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डॉ. अनिल कुमार को नियुक्ति प्रदान की गई है। इन सभी नियुक्तियों का चयन हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में आयोजित वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से किया गया है। यह सभी नियुक्तियां संविदा के आधार पर आगामी तीन वर्षों या फिर नियमित नियुक्ति होने तक के लिए की गई हैं। विगत समय में भी वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के विभिन्न संकायों में रिक्त पदों पर फैकल्टी की नियुक्तियां की गई हैं।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना हैं कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में तीन और फैकल्टी की नियुक्ति को सरकार ने मंजूरी दी है।सरकार का उद्देश्य राज्य के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शत-प्रतिशत फैकल्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि शिक्षण कार्य और अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं बिना बाधाओं के संचालित हो सकें। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सभी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी पदों को भरा जाएगा।