पुलिस व्यवस्था को मिला नया आकार, 58 थानों को मिली कोतवाली की मान्यता..
उत्तराखंड: उत्तराखंड की कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश सरकार ने 58 थानों को कोतवाली में अपग्रेड करने का आदेश जारी कर दिया है। इससे अब इन स्थानों पर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार अब प्रदेश में कोतवाली यानी एसएचओ स्तर की पुलिस इकाइयों की संख्या 112 हो गई है। राजधानी देहरादून के सात थाने भी इस बदलाव का हिस्सा हैं। इन थानों में अब इंस्पेक्टर स्तर के अनुभवी अधिकारी प्रभारी होंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर शिकायतों का निस्तारण तेज और प्रभावी होगा। साथ ही, क्राइम इन्वेस्टिगेशन और संसाधनों के उपयोग में भी सुधार की उम्मीद है। सरकार के इस कदम को सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के रूप में देखा जा रहा है। उम्मीद है कि इससे न केवल पुलिस की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि आम जनता को भी त्वरित और प्रभावशाली सेवा मिलेगी।
बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने पिछले साल फरवरी में ही थानों के उच्चीकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इस प्रस्ताव पर गहन विचार-विमर्श हुआ और फिर इसे कैबिनेट के पटल पर रखा गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद इस प्रस्ताव पर गृह विभाग और पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। सरकार की मंशा साफ थी राज्य में कानून व्यवस्था को आधुनिक और जवाबदेह बनाना। हाल ही में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही, राज्य में अब कोतवाली स्तर की पुलिस इकाइयों की संख्या 112 हो गई है। देहरादून के सात प्रमुख थानों को भी इस बदलाव में शामिल किया गया है, जिससे शहरी क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण और नागरिक सेवाएं और बेहतर होंगी।
पुलिस की ओर से इन थानों के उच्चीकरण करने के लिए चारधाम यात्रा, कानून व्यवस्था, अपराध और धरना प्रदर्शन का हवाला दिया था। अब गुरुवार को शासन ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही अब इन नए इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इससे प्रदेश के कई उन दरोगाओं को लाभ होगा जो लंबे समय से इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं।
ये थाने बने कोतवाली..
जनपद देहरादून – नेहरू कॉलोनी, रायपुर, राजपुर, रायवाला, सहसपुर, कालसी, प्रेमनगर, चकराता
जनपद हरिद्वार – श्यामपुर, कनखल, पथरी, बहादराबाद, भगवानपुर, झबरेड़ा, खानपुर, कलियर, सिडकुल
जनपद उत्तरकाशी – उत्तरकाशी कोतवाली, धरासू, बड़कोट, हर्षिल
जनपद टिहरी – चम्बा, नरेंद्रनगर, देवप्रयाग, घनसाली, कैम्पटी
जनपद चमोली – गोपेश्वर, गोविंदघाट, गैरसैंण
जनपद रुद्रप्रयाग – उखीमठ, गुप्तकाशी, अगस्तमुनि
जनपद पौड़ी – श्रीनगर (महिला थाना), लक्ष्मणझूला
जनपद नैनीताल – काठगोदाम, कालाढूंगी, तल्लीताल, भीमताल, मुक्तेश्वर, मुखानी, वनभूलपूरा
जनपद उधमसिंहनगर – कुंडा, गदरपुर, पंतनगर, नानकमत्ता, ट्रांजिट कैम्प, आईटीआई
जनपद अल्मोड़ा – द्वाराहाट, सोमेश्वर, चौखुटिया, महिला थाना
जनपद बागेश्वर – बैजनाथ, कौसानी
जनपद पिथौरागढ़ – बेरीनाग, झूलाघाट, मुनस्यारी, गंगोलीहाट
जनपद चंपावत – टनकपुर
चारधाम यात्रा के साथ बढ़ेगी बिजली की खपत, यूपीसीएल ने कसी कमर, 24×7 सप्लाई की तैयारी..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा शुरू होते ही उत्तराखंड में बिजली की मांग में 8 से 10 मेगावाट तक की बढ़ोतरी संभावित है। इस बढ़ी हुई मांग को देखते हुए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की तैयारियों को तेज कर दिया है। जैसे ही यात्रा शुरू होती है, प्रदेश के यात्रा मार्ग, होटल, रेस्त्रां और धार्मिक स्थलों के आसपास का पूरा क्षेत्र बिजली की रोशनी से जगमगा उठता है। इससे यात्रियों को न सिर्फ सुविधा मिलती है, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी यह अहम भूमिका निभाता है। UPCL ने स्पष्ट किया है कि चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी तरह की बिजली कटौती से बचने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। विद्युत निगम के अधिकारी लगातार यात्रा मार्गों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। बिजली विभाग ने यात्रा मार्गों पर लगे ट्रांसफॉर्मरों, लाइन नेटवर्क और उपकेंद्रों की जांच और आवश्यक मरम्मत पहले ही शुरू कर दी है। फील्ड टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है, ताकि किसी भी फॉल्ट या रुकावट की स्थिति में तुरंत समाधान किया जा सके।
सामान्य दिनों के मुकाबले यूपीसीएल के लिए बिजली की मांग का आंकड़ा भी बढ़ जाता है। बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद बिजली की मांग में 2.5 मेगावाट, केदारनाथ में 2 मेगावाट, गंगोत्री में 1.5 मेगावाट, यमुनोत्री में 2 मेगावाट, हेमकुंड साहिब में करीब 2 मेगावाट बढ़ जाती है। बद्रीनाथ और केदारनाथ में आपूर्ति की लाइनें 21-21 किलोमीटर लंबी है।
ये हैं तैयारियां
केदारनाथ धाम में 200 किलोवाट की लघु जल विद्युत परियोजना की मरम्मत का काम पूरा करके 25 अप्रैल तक उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। 33 केवी गुप्तकाशी से सोनप्रयाग तक 33 केवी, 11 केवी लाइन की लॉपिंग चौपिंग पूरी।
गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक क्षतिग्रस्त 11 केवी लाइन, एलटी लाइन, स्ट्रीट लाइट लाइन की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है। गुप्तकाशी-सोनप्रयाग लाइन और 33 केवी सब स्टेशन की क्षमता में वृद्धि का काम पूरा। धाम में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गौरीकुंड से केदारनाथ तक विभिन्न स्थानों पर दो सहायक अभियंता, पांच अवर अभियंता तैनात किए जा रहे हैं। विभिन्न स्थानों पर 26 मजूदरों को भी तैनात किया गया है।
केदारनाथ धाम के लिए रुद्रप्रयाग में तीन अतिरिक्त स्त्रोतों से बिजली की आपूर्ति दी जाएगी। ताकि एक जगह बाधा आने पर दूसरी लाइन से आपूर्ति की जा सके।
बद्रीनाथ धाम में 1300 किलोवाट की लघु जल विद्युत परियोजना है, जिससे धाम में बिजली दी जाती है। धाम की आंतरिक प्रकाश व्यवस्था 25 केवीए के जेनरेटर से की जाती है। यहां भी लाइनों की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है। अत्यधिक लोड बढ़ने पर लो वोल्टेज की स्थिति से निपटने के लिए बदरीनाथ में 33 केवी का नया सब स्टेशन बनेगा, जिसके लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। पांडुकेश्वर सब स्टेशन की क्षमता वृद्धि का काम 25 अप्रैल तक पूरा कर लिया जाएगा।
गंगोत्री और यमुनोत्री में भी यूपीसीएल ने लाइनों की मरम्मत का काम पूरा कर लिया है। यमुनोत्री में दो ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। पहले यहां पांच किमी दूर से एलटी लाइन आती थी। अब 24 घंटे आपूर्ति के लिए योजना पर काम किया जा रहा है।
चारों धाम में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्थाएं चौबंद की जा रही हैं। चारों धाम में इंजीनियरों की ड्यूटी लगाने के साथ ही आकस्मिकता की स्थिति के लिए ट्रांसफार्मर, पोल व अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
वर्ष 2030 तक 3.3 गीगा टन कार्बन उत्सर्जन में आएगी भारी कमी: डॉ. केके पंत..
उत्तराखंड: आईआईटी रुड़की के निदेशक डॉ. केके पंत ने कहा है कि 2030 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के करीब एक तिहाई हिस्से को कम करने की दिशा में वैज्ञानिक संस्थान गंभीरता से काम कर रहे हैं। वह भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) में भविष्य की ऊर्जा जरूरतों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले माध्यमों से निकलने वाले कार्बन को उपयोगी बनाने की दिशा में नवाचार आवश्यक हैं। साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना समय की जरूरत है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक डॉ. केके पंत ने ऊर्जा क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों पर चिंता जताते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक देश में प्रतिवर्ष होने वाला 3.3 गीगा टन कार्बन उत्सर्जन का एक तिहाई कम कर दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यह लक्ष्य समय से पहले भी हासिल हो सकता है। आईआईपी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम) में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 2030 तक देश को 1000 गीगावाट ऊर्जा की आवश्यकता होगी, जिसमें से 500 गीगावाट ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से और शेष कोयले जैसे पारंपरिक माध्यमों से प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती इस दौरान उत्पन्न होने वाले कार्बन को साफ और उपयोगी बनाना होगा। इस दिशा में वैज्ञानिक संस्थान कार्बन कैप्चर और लो कार्बन उत्पादों पर तेजी से काम कर रहे हैं।
इंडस्ट्री और यूनिवर्सिटी को मिलकर काम करना होगा..
डॉ. केके पंत ने कहा कि क्रूड ऑयल या अन्य ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वाले क्षेत्रों में भारी मात्रा में कार्बन निकलता है। यहां की कार्बन डाई ऑक्साइड को एकत्र करने, पुन: उपयोग करने की बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व से तुलना करनी है। चीन तकनीकी में आगे बढ़ रहा है तो हम भी अब पीछे नहीं रहेंगे। हरित और सतत ऊर्जा उत्पादन के लिए इंडस्ट्री और यूनिवर्सिटी को मिलकर काम करना होगा।
आईआईटी रुड़की कई स्तर पर कर रहा काम..
आईआईटी रुड़की भी इस दिशा में कई स्तर पर काम कर रहा है। डॉ. पंत ने बताया कि कार्बन डाई ऑक्साइड से मेथेनॉल, डाईमिथाइल बनाने का काम शुरू हो चुका है। बायोमास से बायो ऑयल और इससे जेट फ्यूल बनाने, बायोमास जैसे पिरूल से बायो ऑयल, बायोमास से बैटरी में इस्तेमाल होने वाली ग्रेफाइट आदि बनाने का काम प्रयोगशाला स्तर पर चल रहा है। कहा, अगर 12 से 15 किलो बायोमास से 150 से 180 रुपये कीमत का एक किलो हाइड्रोजन बनता है तो यह फायदे का सौदा हो सकता है।
चारधाम यात्रा से पहले अलर्ट मोड पर उत्तराखंड, सोशल मीडिया इनपुट से लेकर सीमावर्ती राज्यों से समन्वय तक सुरक्षा पुख्ता..
उत्तराखंड: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उत्तराखंड में भी सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। पुलिस ने रातभर चेकिंग अभियान चलाया और अब दिन में भी बॉर्डर क्षेत्रों के साथ-साथ पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर सघन चेकिंग की जा रही है। सरकार की ओर से सभी संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने और अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा से पहले सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। यात्रा मार्गों पर विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही खुफिया तंत्र को भी अति सक्रिय करते हुए हर छोटी-बड़ी सूचना को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए गए हैं। चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हो रही है और प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है।
हर साल चारधाम यात्रा और प्रमुख धार्मिक आयोजनों के दौरान धमकी जैसे इनपुट्स सामने आते हैं, जिससे पुलिस और खुफिया एजेंसियां पहले से ही अलर्ट रहती हैं। लेकिन हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्तराखंड में सुरक्षा और अधिक कड़ी कर दी गई है। इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार चारधाम यात्रा के साथ ही राज्य के सभी प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और सतर्कता बढ़ा दी गई है। पुलिस और खुफिया तंत्र को किसी भी इनपुट को नजरअंदाज न करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात..
चारधाम यात्रा के मद्देनज़र सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मिलने वाली जानकारियों को गंभीरता से लेते हुए इंटेलिजेंस और पुलिस विभाग को इनपुट जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। बॉर्डर क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। साथ ही सीमावर्ती राज्यों के साथ सूचना आदान-प्रदान को लेकर समन्वय बढ़ाया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार की आशंका को समय रहते रोका जा सके। बता दें कि चारधाम के अलावा देहरादून, मसूरी, टिहरी, नैनीताल आदि जगहों पर लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। इनकी सुरक्षा में भी कोई चूक न हो इसके लिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। इंटेलीजेंस को राष्ट्रीय एजेंसियों के लगातार संपर्क में रहने के लिए भी कहा गया है। ताकि, हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान हो सके। इसी के मद्देनजर राज्य में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता की जाएगी। समय-समय पर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देहरादून के विभिन्न सैन्य संस्थान, टिहरी बांध आदि पर हमले की धमकियां मिलती हैं। इन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई भी करती है। इनमें कुछ असामाजिक तत्वों की संलिप्तता की बात भी सामने आती है।
कक्षा 11 में छात्रों को अनुत्तीर्ण करने पर बाल आयोग सख्त, सभी छात्रों को 12वीं में प्रोन्नत करने के निर्देश..
उत्तराखंड: बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार को एक निजी विद्यालय में बड़ी संख्या में कक्षा 11 के छात्रों को अनुत्तीर्ण किए जाने की शिकायत पर सख्त रुख अपनाया है। आयोग के अनुसार छात्रों को फेल करने का यह निर्णय न केवल बच्चों के भविष्य पर प्रभाव डालता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल सकता है। डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को प्रोत्साहित करना है, न कि उन्हें हतोत्साहित करना। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत किसी भी बच्चे को बिना उचित कारण के फेल नहीं किया जा सकता। सभी छात्रों को तत्काल प्रभाव से कक्षा 12 में प्रोन्नत किया जाए, साथ ही उनकी वास्तविक शैक्षणिक योग्यता और मानसिक स्थिति का आकलन किया जाएगा। आयोग ने स्कूल से पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है और चेतावनी दी है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आयोग ने पूरे प्रकरण पर गंभीर चिंता जताई। यह भी निर्देश दिया कि छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक योग्यता और मानसिक स्थिति का आकलन करने के लिए आयोग की निगरानी में योग्यता परीक्षण आयोजित किया जाएगा। इसमें यदि कोई छात्र उपयुक्त नहीं पाया जाता है, तो उस पर विचार के बाद निर्णय लिया जाएगा। आयोग के सामने अभिभावकों ने शिकायत दर्ज करवाई है कि विद्यालय ने छात्रों के गिरते शैक्षणिक स्तर के कारणों पर ध्यान नहीं दिया। न ही उन्हें मानसिक, भावनात्मक या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए पेशेवर परामर्शदाता उपलब्ध कराए गए। यह भी आरोप लगाया कि विद्यालय के शिक्षक निजी ट्यूशन दे रहे हैं, जिसकी जानकारी स्कूल प्रशासन को पहले से है। इस कारण एक शिक्षक को पूर्व में बर्खास्त भी किया जा चुका है।
अन्य मामलों में भी हुई सुनवाई..
इस दौरान एक सोसाइटी से संबंधित मामला भी आयोग के संज्ञान में आया है, जिसमें संस्था की ओर से निशुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने के बावजूद परिवार के व्यवहार को देखते हुए संस्था ने छात्रवृत्ति बंद करने की बात कही है। आयोग इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोनों पक्षों के तथ्य जानकर उचित निर्णय लेगा। इसके अतिरिक्त विकासनगर क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ कथित मारपीट के मामले में भी आयोग ने पुलिस विभाग से आख्या तलब की है।
घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में अनियमितताओं की होगी जांच, CM धामी ने SIT के गठन के दिए निर्देश..
उत्तराखंड: सीएम धामी ने पौड़ी जिले के घुड़दौड़ी स्थित गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में नियुक्तियों, पदोन्नतियों और अन्य प्रशासनिक मामलों में अनियमितताओं को लेकर विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। सीएम का कहना है कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए नए सिरे से एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए। SIT पूरे मामले की गहराई से जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। सरकार का उद्देश्य है कि शैक्षिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाए। जल्द ही SIT का गठन कर जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सीएम धामी ने मंगलवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में राज्य के इंजीनियरिंग संस्थानों की समीक्षा के दौरान पिथौरागढ़ के मड़धूरा में बने नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान को लेकर गंभीर नाराजगी जताई। सीएम ने सवाल उठाया कि जब संस्थान के भवन में आज तक कक्षाएं शुरू नहीं हुईं, तो फिर इस स्थान का चयन किस आधार पर किया गया? उनका कहना हैं कि क्या मड़धूरा का स्थान इंजीनियरिंग संस्थान के लिए उपयुक्त था? अगर नहीं, तो इस स्थान पर संस्थान बनाने का निर्णय क्यों और किसने लिया? सीएम धामी ने पूरे मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग की किसी भी स्थिति में अनदेखी नहीं की जाएगी।
सीएम धामी ने मंगलवार को सचिवालय में इंजीनियरिंग संस्थानों की समीक्षा बैठक के दौरान पिथौरागढ़ के मड़धूरा में बने सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल किया कि जब भवन पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, तो अब तक कक्षाओं का संचालन वहां क्यों शुरू नहीं हुआ है? बैठक में जानकारी दी गई कि कॉलेज फिलहाल जीआईसी (राजकीय इंटर कॉलेज) के भवन से संचालित हो रहा है, जबकि मड़धूरा में बने भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा। इस पर मुख्यमंत्री ने जवाबदेही तय करने और विस्तृत जांच कराने के निर्देश दिए।
तय मानकों के अनुसार फैकल्टी की तैनाती हो..
सीएम ने कहा कि इंजीनियरिंग संस्थानों को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने के लिए योग्य फैकल्टी, अवस्थापना, आधुनिक लैब और अन्य सुविधाएं जुटाएं। युवाओं को उद्योग जगत की मांग के अनुसार दक्ष बनाएं। राज्य के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए बेहतर सड़क कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित करें। तय मानकों के अनुसार फैकल्टी की तैनाती की जाए।
भर्ती प्रक्रिया और छात्रों के कम पंजीकरण पर नाराजगी जताई..
सीएम ने इंजीनियरिंग कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया के लिए बनाई गई व्यवस्था के अनुसार भर्तियां न होने पर नाराजगी व्यक्त की। वह छात्र पंजीकरण की कमी से नाराज थे। कहा कि बच्चों को कैंपस से ही प्लेसमेंट के लिए भी अच्छी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
चारधाम यात्रा के लिए हर उम्र के श्रद्धालु उत्साहित, 28 अप्रैल से शुरू होगा ऑफलाइन पंजीकरण..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। ऑनलाइन पंजीकरण के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। एक माह की अवधि में 0 से 15 वर्ष की आयु वर्ग में 1,11,298 बच्चों ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। वहीं, 60 वर्ष से अधिक आयु वाले 2.58 लाख से अधिक श्रद्धालु भी यात्रा के लिए पंजीकृत हो चुके हैं। युवाओं में भी चारधाम यात्रा को लेकर खासा जोश है, जिससे स्पष्ट है कि इस बार की यात्रा में हर उम्र वर्ग की भागीदारी देखने को मिलेगी। सरकार और प्रशासन द्वारा यात्रा मार्गों और सुविधाओं को लेकर तैयारियां भी तेजी से की जा रही हैं, जिससे सभी यात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा अनुभव मिल सके।
चारधाम यात्रा में हर साल तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ रही है। समय के साथ यात्रा का स्वरूप भी बदल रहा है। अब यात्रा में आने के लिए बच्चे, बूढ़े और जवान सब आतुर हैं। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर एक माह में हुए ऑनलाइन पंजीकरण के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। ऑनलाइन पंजीकरण का आंकड़ा 19 लाख पार कर चुका है। इसमें सबसे अधिक संख्या 20 से 70 वर्ष आयु वर्ग के यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इसके अलावा 0 से 5 साल आयु वर्ग में 14256 और 90 वर्ष ऊपर के 62 यात्री भी यात्रा करने को तैयार हैं।
यात्रा पंजीकरण के नोडल अधिकारी योगेंद्र गंगवार ने जानकारी दी कि ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया सुचारु रूप से जारी है और सभी आयु वर्ग के लोग इसमें भाग ले रहे हैं। अब तक लाखों श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं। उनका कहना हैं कि 28 अप्रैल से ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करवा पा रहे हैं। प्रशासन यात्रा की तैयारियों में लगातार जुटा हुआ है ताकि श्रद्धालुओं को सुगम और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिल सके।
उत्तराखंड के सभी उद्योगों में अगस्त तक लगेंगे स्मार्ट मीटर, URC ने दिए निर्देश..
उत्तराखंड: एलटी और एचटी श्रेणी के सभी उद्योगों में इसी वर्ष अगस्त तक स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (URC) ने इस संबंध में ऊर्जा निगम को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। स्मार्ट मीटर लगने से बिजली की वास्तविक खपत का मासिक आकलन आसानी से हो सकेगा, जिससे बिलिंग में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को सटीक जानकारी मिल सकेगी। यह कदम राज्य में बिजली व्यवस्था को और अधिक आधुनिक और कुशल बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल को निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी एचटी उपभोक्ताओं के लिए 30 जून तक स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य पूरा किया जाए। वहीं यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के आवासों पर भी इसी तारीख तक मीटर लगाने होंगे।आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और विधि सदस्य अनुराग शर्मा ने यह जानकारी टैरिफ आदेश के माध्यम से दी। एलटी उपभोक्ताओं को 31 अगस्त तक और सभी सरकारी कार्यालयों व आवासों को 30 सितंबर तक स्मार्ट मीटर से लैस करने की समय सीमा तय की गई है। स्मार्ट मीटर से बिजली की खपत का वास्तविक आंकड़ा हर माह मिल सकेगा, जिससे पारदर्शिता और कुशलता बढ़ेगी।
समय के हिसाब से खपत का डाटा दें..
नियामक आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि यूपीसीएल टाइम ब्लॉक के हिसाब से स्मार्ट मीटर से बिजली खपत का डाटा उपलब्ध कराएं। ताकि ये देखा जा सके कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली खपत और राजस्व पर इसका क्या असर पड़ा।
बिजली बिल माफ करेगा यूपीसीएल..
वर्षों से लंबित बिजली बिलों को यूपीसीएल माफ करेगा। नियामक आयोग ने इसके लिए यूपीसीएल को इस वित्तीय वर्ष तक का समय दिया है। अब यूपीसीएल प्रबंधन को ऐसे सभी बिलों की छंटनी करनी होगी, जिनका बिल माफ किया जाएगा। ऐसे तमाम उपभोक्ता हैं, जो कि लंबे समय से गायब हैं। खासतौर से ऐसे उपभोक्ता हैं जो कि यूपी से बंटवारे से हिस्से में आए थे लेकिन यूपीसीएल उन्हें तलाश करने में विफल रहा है।
चारधाम यात्रा में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी, धूप-प्रसाद से होगी आत्मनिर्भरता की नई शुरुआत..
उत्तराखंड: 30 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा इस बार कई मायनों में खास रहने वाली है। श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या की उम्मीद के साथ-साथ राज्य सरकार ने महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को भी सशक्त बनाने का फैसला लिया है। विशेष रूप से यमुनोत्री धाम, खरसाली (शीतकालीन प्रवास) और अन्य यात्रा पड़ावों पर स्थानीय महिला समूहों द्वारा तैयार किए गए धूप, अगरबत्ती और प्रसाद को श्रद्धालुओं तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए जगह-जगह आउटलेट बनाए जाएंगे, जिससे महिलाओं को बाजार उपलब्ध हो सके और उन्हें स्वरोजगार का अवसर मिल सके। इस पहल का मकसद न केवल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना भी है। यह कदम चारधाम यात्रा को सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
चारधाम यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने ग्रामोत्थान परियोजना के तहत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई पहल शुरू की है। खरसाली में “मां यमुना ग्राम संगठन” की महिलाओं के लिए 12 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें उन्हें घरेलू धूप, अगरबत्ती और पारंपरिक प्रसाद बनाने का हुनर सिखाया जा रहा है। इस प्रशिक्षण की खास बात यह है कि इसमें स्थानीय स्तर पर उत्पादित सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है. जैसे चौलाई के लड्डू, केदार पाती, जटामांसी, गूगल, बुरांश, गेंदा फूल और गाय का गोबर। ये न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी हैं। योजना के तहत तैयार उत्पादों को चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्गों पर स्थापित विशेष बिक्री केंद्रों पर श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जाएगा। इससे महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता का रास्ता मिलेगा और यात्रियों को शुद्ध, स्थानीय उत्पादों का लाभ भी। यह पहल नारी शक्ति को धर्म, संस्कृति और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का एक सराहनीय प्रयास है।
यमुनोत्री धाम और आस-पास के क्षेत्रों में महिलाएं न केवल धूप, अगरबत्ती और प्रसाद तैयार कर रही हैं, बल्कि अब उन्होंने गेंदा फूल की खेती भी शुरू कर दी है। करीब 10 नाली भूमि पर की जा रही यह खेती यात्रा के दौरान मंदिरों में चढ़ावे और प्रसाद सामग्री के लिए इस्तेमाल की जाएगी। जिला परियोजना प्रबंधक कपिल उपाध्याय का कहना हैं कि इस साल जिला प्रशासन की ओर से महिला समूहों को अलग-अलग जगहों पर आउटलेट के लिए स्थान भी मुहैया कराया गया है। इन आउटलेट्स के ज़रिए स्थानीय महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद श्रद्धालुओं तक पहुंचाए जाएंगे। इस पहल का मकसद न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि श्रद्धालुओं को भी शुद्ध, पारंपरिक और स्थानीय उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। धार्मिक यात्रा को स्थानीय अर्थव्यवस्था और महिला सशक्तिकरण से जोड़ने की यह कोशिश वाकई सराहनीय है।
देवबंद-रुड़की नई रेल लाइन को मिली मंजूरी, सीएम धामी बोले- उत्तराखंड में विकास की रफ्तार को मिलेगी नई गति..
उत्तराखंड: दिल्ली-देहरादून के बीच यात्रा करने वालों यात्रियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। देवबंद से रुड़की के बीच प्रस्तावित नई रेलवे लाइन परियोजना को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) से मंजूरी मिल गई है। इस 29.55 किलोमीटर लंबे रेल खंड के शुरू होने से दिल्ली से देहरादून की दूरी करीब 40 किलोमीटर घट जाएगी, जिससे सफर और तेज़ व सुविधाजनक हो जाएगा। इस रेल मार्ग पर हाल ही में 122 किमी प्रति घंटे की स्पीड से सफल ट्रायल भी किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि जल्द ही इस रूट पर तेज रफ्तार ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी।
देवबंद-रुड़की नई रेल लाइन परियोजना को मिली मंजूरी पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसे उत्तराखंड के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है। सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त किया। सीएम का कहना हैं कि यह परियोजना न केवल उत्तराखंड के लोगों के लिए आवागमन को सरल बनाएगी, बल्कि यह राज्य में पर्यटन, रोजगार और व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। इस परियोजना से राज्य में विकास के नए रास्ते खुलेंगे। साथ ही देहरादून से दिल्ली की दूरी घटेगी, जिससे आमजन को लाभ होगा। रेलवे कनेक्टिविटी से स्थानीय व्यापार और टूरिज्म सेक्टर को भी बूस्ट मिलेगा। इस रेल परियोजना को मंजूरी मिलना एक संकेत है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड को तेज़ी से विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में इसका असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली दोनों पर देखने को मिलेगा। सीएम ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व विकास हो रहा है। उत्तराखंड में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता रही है और देवबंद-रुड़की रेल लाइन उसी दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।