नई टिहरी। टिहरी बांध से प्रभावित रौलाकोट गांव के निवासियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अब टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) प्रतीतनगर, देहराखास और केदारपुरम में आवंटित आवासीय और कृषि भूखंडों का विकास करेगा। इससे 113 प्रभावित परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त प्लॉट मिलेंगे, जिससे वे अपने घरों का निर्माण और कृषि कार्य आसानी से शुरू कर सकेंगे।
पहले यह कार्य पुनर्वास विभाग के जिम्मे था, लेकिन अविकसित भूखंडों के कारण प्रभावित परिवारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। अब टीएचडीसी सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता देते हुए विकास कार्य शुरू करेगा।
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने कहा कि जल्द ही प्रतीतनगर में भूखंडों का विकास कार्य शुरू होगा। पुनर्वास विभाग को पहले ही पांच करोड़ रुपये दिए गए थे, और अब यह कार्य पूरी तरह से टीएचडीसी के अधीन रहेगा, ताकि पुनर्वास कार्य तेजी से और प्रभावी ढंग से पूरा हो सके।
प्रभावित परिवारों को जल्द मिलेगी राहत, टीएचडीसी अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर रहा है, जो सुनिश्चित करेंगे कि पुनर्वास प्रक्रिया तेजी से पूरी हो और प्रभावितों को सुरक्षित और विकसित भूखंड उपलब्ध हो सकें।
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में औद्योगिक वातावरण विकसित करने और युवाओं के स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस वेंचर फंड के लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का शुरुआती प्रावधान भी किया गया है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट प्रस्तुति के दौरान कहा कि राज्य के युवा सिर्फ शिक्षा में डिग्री ही नहीं बल्कि कौशल भी विकसित करेंगे। स्टार्टअप्स के माध्यम से नए प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें सरकार युवाओं का पूरा समर्थन करेगी।
स्टार्टअप्स के लिए प्रमुख कदम:
. वेंचर फंड: स्टार्टअप्स को आर्थिक सहायता देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड।
. प्रारंभिक प्रावधान: बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन।
. युवाओं को प्रोत्साहन: स्टार्टअप्स में नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
महिला सशक्तीकरण को मिलेगा बूस्ट: जेंडर बजट में 16.66% की बढ़ोतरी
धामी सरकार ने राज्य के विकसित उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करने में महिलाओं की भूमिका को अहम मानते हुए जेंडर बजट में 16.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस बार जेंडर बजट को बढ़ाकर 16,961 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
महिला सशक्तीकरण के लिए विशेष योजनाएं:
योजना का नाम बजट (करोड़ में)
नंदा गौरा योजना – 157.84
मातृत्व वंदन योजना – 21.74
सीएम बाल पोषण योजना – 29.9
महालक्ष्मी किट – 22.62
सीएम वात्सल्य योजना – 18.88
ईजा बोई शगुन योजना – 14.13
सीएम महिला पोषण योजना – 13.96
सीएम आंचल अमृत योजना – 14.00
महिला बहुमुखी विकास निधि – 08.00
विधवा की पुत्री का विवाह – 05.00
महिला एसएसजी सशक्तीकरण – 05.00
महिला उद्यमी विशेष सहायता – 05.00
अल्पसंख्यक मेधावी बालिका – 03.76
सतत आजीविका योजना – 02.00
सरकार की प्रतिबद्धता:
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और प्रदेश के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है। सशक्त महिलाएं परिवार, समाज, प्रदेश और देश की समृद्धि का आधार बनेंगी। धामी सरकार के इन प्रयासों से राज्य में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
नैनीताल: जिला विकास प्राधिकरण ने भीमताल और नौकुचियाताल झीलों के सौंदर्यीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। इन झीलों के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के लिए 64 करोड़ रुपये से अधिक की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर शासन को भेजी गई है।
पर्यटन सीजन से पहले दोनों झीलों का कायाकल्प करने की योजना है, ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
प्रमुख प्रावधान:
. भीमताल झील के लिए 35 करोड़ और नौकुचियाताल झील के लिए 29 करोड़ का प्रस्ताव तैयार।
. शासन से बजट अवमुक्त होते ही दोनों झीलों का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू होगा।
. साथ ही झीलों के आसपास आधारभूत सुविधाओं का विकास भी होगा।
ये कार्य होंगे पूरे:
1. झीलों की सफाई: झीलों के पानी की गुणवत्ता सुधारने और जल जीवन को संरक्षित रखने के लिए।
2. आकर्षक रेलिंग: झीलों के किनारों पर सुरक्षा और सौंदर्य दोनों के लिए।
3. प्रकाश व्यवस्था: झील किनारे पथ प्रकाश की बेहतर व्यवस्था।
4. सैलानियों के लिए बेंच: विभिन्न स्थानों पर आकर्षक बेंच लगाई जाएंगी।
5. सेल्फी प्वाइंट: पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए फोटो स्पॉट विकसित किए जाएंगे।
6. पैदल रास्तों का सुधार: झीलों के चारों ओर वॉकवे को सुधारने का कार्य किया जाएगा।
स्थानीय मांग को मिला समर्थन:
जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ल ने बताया कि स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग थी कि इन झीलों का सौंदर्यीकरण किया जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रस्ताव का उद्देश्य न केवल झीलों की सुंदरता को बढ़ाना है बल्कि क्षेत्र में सुविधाओं का विकास कर पर्यटन को भी नई ऊंचाइयां देना है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा:
झीलों का कायाकल्प होने से नैनीताल के इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही स्थानीय व्यवसाय और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
सरकार से बजट मिलने के बाद जल्द ही कार्यों की शुरुआत होगी, जिससे भीमताल और नौकुचियाताल का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखरेगा।
उत्तराखंड में मौसम ने अचानक करवट ली है। ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी हो रही है, जिससे पहाड़ियां सफेद चादर में लिपट गई हैं। प्रदेशभर में झमाझम बारिश, कड़ाके की ठंड, और बर्फबारी का खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा है। आज सुबह से ही कई जिलों में हल्की बूंदाबांदी से लेकर तेज बारिश तक जारी है। उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी और आस-पास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी बर्फबारी का दौर जारी है, जिससे निचले इलाकों में घने बादल छाए हुए हैं।
मुखबा में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास का बर्फीला नजारा बेहद मनमोहक है। वहीं, खरसाली गांव, यमुनोत्री धाम, और आस-पास के क्षेत्रों में भी सुबह चार बजे से बर्फबारी हो रही है। बड़कोट तहसील जैसे निचले इलाकों में रिमझिम बारिश हो रही है।
धामों में सर्दी का प्रकोप, यात्रा तैयारियां प्रभावित
लगातार बर्फबारी के चलते बदरीनाथ धाम में करीब छह इंच तक ताजा बर्फ जम गई है। ठंड के बढ़ते असर को देखते हुए जिलाधिकारी ने अपने अधिकारियों के साथ धाम का दौरा रद्द कर दिया है। इस साल चारधाम यात्रा चार मई से शुरू होनी है, लेकिन मौसम की वजह से प्रशासनिक टीम अब तक धाम नहीं पहुंच पाई है। यात्रा के लिए पेयजल, बिजली, सीवर, और सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को तैयार करना बाकी है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान:
मौसम विभाग के अनुसार, आज प्रदेश के कुछ हिस्सों में मौसम खराब रहेगा। हालांकि, 21 फरवरी से प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।
बर्फबारी और ठंड के बीच उत्तराखंड की पहाड़ियां आज किसी जन्नत की तरह नजर आ रही हैं, लेकिन यात्रा तैयारियों और प्रशासनिक गतिविधियों पर इसका प्रभाव साफ दिख रहा है।
उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने राज्य में सशक्त भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण कदम से राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक संसाधनों, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांगों और भावनाओं का सम्मान करते हुए, हमारी सरकार ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य की मूल पहचान बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा।”
नए भू-कानून के प्रमुख प्रावधान:
1. 2018 के सभी प्रावधान निरस्त:
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा लागू सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
2. बाहरी व्यक्तियों पर भूमि खरीद प्रतिबंध:
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, शेष 11 जिलों में बाहरी व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती:
पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के सही उपयोग और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित:
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी प्रक्रियाएं सरकारी पोर्टल के माध्यम से होंगी।
5. ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी:
राज्य में भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां बाहरी व्यक्तियों द्वारा की गई सभी खरीद दर्ज होगी।
6. शपथ पत्र अनिवार्य:
राज्य के बाहर के लोगों को भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
7. नियमित भूमि खरीद रिपोर्टिंग:
जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी।
8. नगर निकाय सीमा में भू उपयोग:
नगर निकाय क्षेत्र में भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार होगा। नियमों के विरुद्ध उपयोग की गई भूमि सरकार में निहित हो जाएगी।
कानून का संभावित प्रभाव:
. बाहरी व्यक्तियों की अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
. भूमि का बेहतर प्रबंधन, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में।
. भूमि की कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी पर नियंत्रण।
. राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत।
. सरकार का अधिक नियंत्रण, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
नया भू-कानून उत्तराखंड की संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय नागरिकों के हकों की रक्षा करेगा, साथ ही राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक और जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण फॉर्म में पूछे गए सवालों को लेकर है, जिन पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है और जवाब देने के लिए 21 फरवरी तक का समय दिया है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म में अनावश्यक और निजता से जुड़े सवाल पूछे जा रहे हैं, जिनका उत्तर देना अनिवार्य किया गया है। इनमें आवेदक के विधवा, शादीशुदा या पूर्व संबंधों से जुड़ी जानकारियों को प्रस्तुत करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन आपत्तियों पर अपना रुख स्पष्ट करे। अदालत ने अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामा चंद्रन और रोहित अरोड़ा ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि ऐसे सवालों का कोई कानूनी औचित्य नहीं है और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के समान है।
इससे पहले भी UCC को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर लगातार सुनवाई हो रही है। अब सभी की निगाहें सरकार के जवाब पर टिकी हैं।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज भू-कानून संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में प्रस्तुत किए जा सकते हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य रिपोर्टों को भी सदन पटल पर रखने के प्रस्ताव आने की संभावना है।
बजट सत्र के दौरान बुधवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें भू-कानून में संशोधन सहित अन्य अहम प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है। राज्य सरकार भू-कानून को और सख्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस सत्र में इससे जुड़ा विधेयक लाए जाने की संभावना है।
जनभावनाओं के अनुरूप फैसले का संकल्प
भू-कानून संशोधन को लेकर बनी अटकलों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जनभावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि चाहे भू-कानून हो या अन्य कोई कानून या संकल्प, भाजपा सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विपक्ष पर मुख्यमंत्री का तंज
मुख्यमंत्री धामी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ओर विपक्ष सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग करता है, लेकिन जब सदन चलता है, तब सार्थक चर्चा से बचता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सदन के समय का उत्पादक तरीके से उपयोग करना चाहिए, न कि हंगामे में बर्बाद करना चाहिए।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड को खुलने में अब और देरी होगी। डाटकाली मंदिर क्षेत्र में नए क्रॉस फ्लाईओवर के निर्माण के कारण, इस सड़क को मार्च-अप्रैल तक वाहनों के लिए खोला जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस फ्लाईओवर को तेजी से तैयार करने में जुटा है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी।
तेजी से जारी है निर्माण कार्य
डाटकाली मंदिर क्षेत्र में बन रहे 70 मीटर लंबे फ्लाईओवर पर 34 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसका लगभग 40% कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। गणेशपुर से डाटकाली के बीच 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण अक्टूबर में पूरा हो चुका था, लेकिन फ्लाईओवर निर्माण के चलते इसके उद्घाटन में देरी हुई। अब इसके मार्च से अप्रैल के बीच पूरा होने की उम्मीद है।
डाटकाली मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को राहत
एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड डाटकाली मंदिर चौक तक फैली है, जहां पहले से एक टनल और आशारोड़ी तक फ्लाईओवर तैयार किया जा चुका है। मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक नया फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है, जो सीधे मंदिर को जोड़ेगा और एक्सप्रेसवे के ट्रैफिक को बाधित नहीं करेगा।
मार्च-अप्रैल के बीच इस एलिवेटेड रोड के चालू होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे दिल्ली-देहरादून यात्रा और सुगम हो जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर की समीक्षा बैठक में रिस्पना और बिंदाल कॉरिडोर के निर्माण में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
यातायात सुधार की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने और जाम की समस्या से राहत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस परियोजना के तहत, रिस्पना नदी पर 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी पर 15 किलोमीटर लंबे चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण प्रस्तावित है।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा कॉरिडोर
सीएम धामी ने केंद्र सरकार से अनुरोध करने के निर्देश दिए कि देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाए। इसके अलावा, उन्होंने बढ़ती आबादी और यातायात के मद्देनजर अन्य शहरों के लिए भी योजनाबद्ध विकास पर कार्य करने पर जोर दिया।
बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर में जल्द ही हेली सेवा शुरू होगी. बागेश्वर के लोगों को भी हेली सेवा का इंतजार है. कई सालों से लोग हेली सुविधा का इंतजार कर रहे हैं. बागेश्वर के लोगों का वो सपना जल्द साकार होने जा रहा है. उत्तराखंड सरकार राज्य के जिलों को हेली सेवा से जोड़ने का हरसंभव प्रयास कर रही है. ताकि राज्य के लोगों समेत पर्यटक हेली का लाभ उठा सकें. हेली सेवा शुरू होने से उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए सरकार की ओर से पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. यूकाडा ने बागेश्वर में हेली सेवा शुरू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जल्द ही हेली सेवा का शुभारंभ देहरादून में होगा.
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) की ओर से बागेश्वर, मसूरी और नैनीताल में जल्द हेली सेवा शुरू की जाएगी. तीनों जिलों में हेली सेवा शुरू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इधर बागेश्वर जिला प्रशासन ने भी हेली सेवा शुरू करने को लेकर सभी तैयारियां और औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं. जल्द ही हेली सेवा का देहरादून से शुभारंभ होगा. देहरादून से बागेश्वर के गरुड़ स्थित मेलाडुगरी मैदान तक हेली सेवा शुरू होगी. बागेश्वर के मेलाडुगरी मैदान से बागेश्वर से हल्द्वानी और बागेश्वर से देहरादून के लिए हेली सुविधा प्रदान की जाएगी. हेली सेवा हफ्ते में छह दिन सुचारू रहेगी. सोमवार से लेकर शनिवार तक आप हेली सेवा का लाभ उठा पाएंगे. बागेश्वर से हल्द्वानी हेली सेवा का अनुमानित किराया 2500 से लेकर 3000 रुपये तक रहेगा. वहीं बागेश्वर से देहरादून के लिए हेली सेवा का अनुमानित किराया 4500 से लेकर 5000 रुपये तक रहेगा. बागेश्वर के स्थानीय लोगों को भी हेली सेवा का बेसब्री से इंतजार है.
बागेश्वर जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने लोकल 18 को बताया कि जिले में हेली सेवा शुरू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जल्द ही तिथि निर्धारित होने के बाद सुविधा का शुभारंभ किया जाएगा. जिले में हेली सेवा शुरू होने से बागेश्वर के पर्यटन और धार्मिक स्थानों को बढ़ावा मिलेगा. जिला प्रशासन को उम्मीद है कि जिले में हेली सेवा शुरू होने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगा. पर्यटकों और यात्रियों को आधुनिक लैस सुविधाएं प्रदान की जाएगी. हेली सेवा से आप बागेश्वर में देहरादून और बागेश्वर से हल्द्वानी तक का सफर तय कर सकेंगे. देहरादून से बागेश्वर और बागेश्वर से हल्द्वानी के लिए हेरिटेज एविएशन कंपनी का चयन किया गया है. यह कंपनी बागेश्वर के लोगों को हेली सेवा प्रदान करेगी.