जैविक खेती में नाम कमाने वाले प्रगतिशील किसान पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि जो लोग किसानों के कथित समर्थन में अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, उन्हें खेती में ये पुरस्कार नहीं मिला है। महज़ झूठी ख्याति प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून को द्विपिक्षीय स्वरुप में समझने की ज़रूरत है। बिचौलियों की अंधेरगर्दी कृषि कानून से ही समाप्त होगी। कृषि क़ानून को लेकर सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है, बल्कि इससे खेती के नए विकल्प खुल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी अफवाह ये फैली है कि मंडियां खत्म हो जाएंगी, एमएसपी खत्म हो जाएगी और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए किसानों की ज़मीनें हड़प ली जाएंगी। ये सरासर गलत है, क्योंकि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिया है कि एमएसपी बराबर बनी रहेगी। वस्तु अधिनियम में भंडारण को संरक्षित करने की बात भी कही गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ज़मीन का कोई मुद्दा नहीं है। इसे किसानों को समझने की ज़रुरत है।
उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों से निवेदन किया कि वो बातचीत के दौरान विरोध की मानसिकता से न जाएं, क्योंकि अगर हम विरोध की मानसिकता से बातचीत करते हैं तो कभी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी और बाजारों के जरिए किसानों को फसलों की पूरी कीमत नहीं मिलती थी। इसलिए इसे लेकर सार्थक पहल की ज़रुरत थी जो इस क़ानून में रहेगा। जिन किसानों को ये भ्रम है कि इससे उनका नुकसान होगा तो वो सरासर गलत है।
देशभर में जैविक खेती में नाम कमाने वाले किसान भारत भूषण त्यागी को वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र के गांव बीहटा निवासी प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती कर और देश-प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक कर अपनी अलग छाप छोड़ी है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से कार्यबल का गठन किया है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में गठित यह कार्यबल विभिन्न हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
एक उच्च स्तरीय बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने यह निर्णय लिया। बैठक में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के निदेशक, शिक्षाविद और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ निशंक ने कहा कि आज की बैठक प्रधानमंत्री की इस सोच को हासिल करने की दिशा में विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में मेडिकल, इंजीनियरिंग और कानून आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। मगर यह प्रावधान जरूर किए जाएंगे, जिससे कोई भी होनहार विद्यार्थी इसलिए तकनीकी शिक्षा से वंचित न रह जाए कि वह अंग्रेजी भाषा नहीं जानता था।
लव जिहाद या रोमियो जिहाद अर्थात मुस्लिम पुरुषों अथवा युवकों द्वारा हिन्दू महिलाओं या युवतियों को छल-कपट और बहला-फुसलाकर प्रेम का स्वांग रचाकर इस्लाम कबूलने के लिए विवश करना है। मुस्लिम युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ हिन्दू समुदाय की लड़कियों को बहलाते फुसलाते हैं, बल्कि घर से भगा कर उनका यौन शोषण करते हैं। शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए भी बाध्य करते हैं।
पहली बार वर्ष 2009 में केरल और कर्नाटक में लव जिहाद की अवधारणा सामने आई और आज एक दशक पूरा होने के बाद पूरे देश में चिंता का बड़ा सबब बन गयी है। भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में इस्लामी जिहादी ताकतें सैकड़ों लव जिहाद के मामलों को अंजाम दे चुकी हैं।
पाकिस्तान में आए दिन अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हिन्दू, सिक्ख और ईसाई नाबालिग बच्चियां शिकार बन रही हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में 2009, 2010, 2011 और 2014 से लगातार बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों से हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संगठन बेहद चिंतित हैं। केरल हाईकोर्ट वर्षों पूर्व लव जिहाद के बढ़ते मामलों को बड़ा खतरा बता चुका है।
भारत के अन्य राज्यों के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं प्रशासन के लिए सरदर्द और सामाजिक वैमनस्यता का कारण बन गयी हैं। देश के सभी राज्यों में लव जिहाद पर नियन्त्रण के लिए ठोस क़ानून की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है।
इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।
धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को स्वीकृति देकर जबरन धर्मांतरण के मामलों में दो से सात साल तक की सजा के प्रस्ताव को सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही जिला अधिकारी की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा होगी।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चियों को बहलाने-फुसलाने वालों के खिलाफ हम लगातार सख्त हैं। लव जिहाद के सिंडीकेट का खुलासा हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने किया था। दिनेश, रमेश, सुरेश नाम रखने वालों की जब जांच हुई तो वे मुख्तार, अंसार, रईस निकले। जो इस प्रकार का षड्यंत्र कर रहे थे, उनके खिलाफ कानून लाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले दिनों अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। लव जिहाद की व्याधि से परेशान राज्य चाहे कर्नाटक हो, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार अथवा केरल या पश्चिम बंगाल हो, देर-सवेर सभी को इस्लामी जिहाद की इस घिनौनी चाल को रोकने के लिए ठोस क़ानून बनाना ही होगा।
इसमें किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने की कोई बात नहीं है। यह क़ानून व्यक्तिगत विवाह की स्वतंत्रता को भी बाधा नहीं पहुंचाएगा। बल्कि यह बेटियों को सुरक्षा और अधिकार देगा। संवैधानिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को कैसे जायज माना जाए। जब क़ानून बनेगा तो उसमें भारत के सभी नागरिक आएंगे, फिर मुस्लिम समुदाय की चिंता की बात ही क्यों?
देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 44,489 नए पुष्ट मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 60.72 प्रतिशत मामले अकेले छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरूवार को जारी आंकड़ों के अनुसार केरल में सबसे अधिक 6,491 नए मामले दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र में 6,159 व दिल्ली में 5,246 नए मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले 24 घंटों में 524 रोगियों की मृत्यु हुई है। मौत के मामलों में भी 60.50 प्रतिशत छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई हैं।
इन छह राज्यों में से महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल वे चार राज्य हैं, जहां प्रतिदिन सबसे ज्यादा नये मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

मौत के नये मामलों में सबसे ज्यादा 99 दिल्ली में, 65 महाराष्ट्र में और 51 पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए हैं।
देश में वर्तमान सक्रिय मामलों की संख्या (4,52,344) कुल सक्रिय मामलों का 4.88 प्रतिशत है और यह पांच प्रतिशत के स्तर से नीचे बना हुआ है।
भारत में ठीक होने वाले रोगियों की कुल संख्या 86,79,138 है। रोगियों के ठीक होने की दर आज 93.66 प्रतिशत पर आ गई। देश में पिछले 24 घंटों में 36,367 मामलों में रोगी ठीक हुए हैं।
वैश्विक कोरोना महामारी ने न्यायिक सेवा संस्थानों के कामकाज के तरीकों को भी बदल दिया है। कोविड-19 की परिस्थितियों के बीच न्याय तक पहुंच बनाने के लिए न्यायिक सेवा अधिकारियों ने परम्परागत पद्धति को तकनीकी के साथ जोड़ दिया।
न्यायिक सेवा प्राधिकारी नए तरीके अपनाकर लोक अदालत को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ले आए। विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार विगत जून से अक्टूबर तक 15 राज्यों में 27 ई-लोक अदालतें आयोजित की गई, जिनमें 4.83 लाख मामलों की सुनवाई हुई। इनमें 1409 करोड़ रुपये के 2.51 लाख मामलों का निराकरण किया गया।
चालू नवम्बर माह के दौरान अभी तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना में आयोजित ई-लोक अदालतों में 16,651 मामलों की सुनवाई हुई है। इनमें 107.4 करोड़ रुपये के 12,686 विवादों का निपटारा हुआ है।
ऑनलाइन लोक अदालत, यानी ई-लोक अदालत न्यायिक सेवा संस्थानों का एक नवाचार है, जिसमें अधिकतम लाभ के लिए टैक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। यह घर बैठे लोगों को न्याय देने का प्लेटफार्म बन गया है। ई-लोक अदालतों के आयोजनों से खर्च में भी कटौती हुई है।
क्या हैं लोक अदालत
लोक अदालतें विवादों के वैकल्पिक समाधान का तरीका है, जिसमें मुकदमाबाजी से पहले के और अदालतों में लंबित मामलों को मैत्रीपूर्ण आधार पर सुलझाया जाता है। इसमें मुकदमे का खर्च नहीं होता। यह नि:शुल्क है।
मुकदमे से संबंधित पक्षों में सहमति के प्रयास किए जाते हैं। इस कारण दोनों पक्षों को जटिल व खर्चीली न्यायिक प्रक्रिया के बोझ से छुटकारा मिलता है।
केंद्र सरकार ने कोविड प्रबंधन में सहयोग के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब व हिमाचल प्रदेश में उच्च स्तरीय केंद्रीय दलों की तैनाती का फैसला किया है। इन राज्यों में सक्रिय मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यानी उन लोगों की संख्या बढ़ रही है जो बीमारी की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं या जो चिकित्सा निगरानी में घर में अलग-थलग रखे गए हैं, या हर दिन कोविड संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
ये तीन सदस्यीय दल उन जिलों का दौरा करेंगे जहां कोविड के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। केंद्रीय दल महामारी की रोकथाम, निगरानी, जांच व नियंत्रण उपायों और संक्रमण के मामलों के कुशल नैदानिक प्रबंधन की दिशा में राज्य के प्रयासों में मदद करेंगे। केंद्रीय दल राज्यों का, समय पर बीमारी की पहचान और उसके बाद के इलाज से संबंधित चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने में भी मार्गदर्शन करेंगे।
इससे पहले केंद्र सरकार ने हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मणिपुर, और छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय दल भेजे थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोविड संक्रमण के 45,209 नये मामले सामने आए हैं। दिल्ली में सर्वाधिक 5,879 मामले सामने आए। इसके बाद केरल व महाराष्ट्र में क्रमशः 5,772 और 5,760 मामले दर्ज किए गए।
पिछले 24 घंटे में देश में 501 लोगों की कोविड से मौत हुई। कोविड से मौत के नए मामलों में से 22.16 प्रतिशत मामले अकेले दिल्ली के हैं, जहां बीमारी से 111 लोग मृत्यु के शिकार हुए। महाराष्ट्र में यह संख्या 62 व पश्चिम बंगाल में 53 दर्ज की गई।
सुकून की बात यह है कि देश में कोविड के कुल मामलों में सक्रिय मामलों (4,40,962) का प्रतिशत गिरकर 4.85 हो गया और यह पांच प्रतिशत के स्तर से नीचे बना हुआ है। बीमारी से उबरने की दर में भी सुधार आया है और आज यह 93.69 प्रतिशत हो गया। पिछले 24 घंटे में 43,493 लोग कोविड से उबरे हैं, जिसके साथ बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 85,21,617 हो गयी।
बीमारी से उबरने के मामलों और सक्रिय मामलों के बीच का अंतर तेजी से बढ़ रहा है और इस समय यह 80,80,655 है। 26 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में इस समय 20,000 से कम सक्रिय मामले हैं। सात राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में सक्रिय मामलों की संख्या 20,000 से 50,000 के बीच है, जबकि महाराष्ट्र व केरल में यह संख्या 50,000 से ज्यादा है।
उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भविष्य में होने वाले जल संकट के प्रति आगाह किया है। उनके अनुसार नीति आयोग ने कहा है कि वर्ष 2030 तक भारत में पीने के पानी की कमी पड़ जाएगी। उन्होंने स्थिति को चिंताजनक बताया है और कहा कि अब ‘चलता है’ वाले रवैए से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए समय है कि वे इस स्थिति की गंभीरता का एहसास करें और जल्द से जल्द पानी की बचत के उपाय अपनाएं। उन्होंने जल संरक्षण पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया और प्रत्येक नागरिक से पानी की हर बूंद को बचाने के लिए जल योद्धा बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा पानी नहीं तो जिंदगानी नहीं।
न्यूज 18 और हार्पिक द्वारा आयोजित मिशन पानी के जल प्रतिज्ञा दिवस कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने बड़े जल संकट को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध ताजा पानी के 3 प्रतिशत में से केवल 0.5 प्रतिशत पीने के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी विश्व की आबादी से 18 प्रतिशत अधिक है, लेकिन भारत में दुनिया के नवीकरणीय जल संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत है।
उप राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में लगभग 2.2 बिलियन लोगों की पहुंच सुरक्षित रूप से प्रबंधित पीने के पानी तक नहीं है। दुनिया के लगभग 4.2 बिलियन लोग या 55 प्रतिशत आबादी अभी सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता के बिना रह रही है।
महिलाओं और बच्चों पर पानी की कमी के प्रतिकूल प्रभावों की चर्चा करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं हर दिन 200 मिलियन से अधिक घंटे दूर के स्थानों से पानी लाने के लिए खर्च करती हैं। विश्व स्तर पर बच्चे अपनी माताओं के बोझ को साझा करते हुए प्रत्येक दिन 200 मिलियन घंटे खर्च करते हैं।
उप राष्ट्रपति ने जल संकट के कुछ कारणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि तेजी से शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक और कृषि गतिविधियों का विस्तार, बोरवेल की अंधाधुंध ड्रिलिंग, जलवायु परिवर्तन और पानी के लापरवाह उपयोग से पानी की कमी हो रही है। उन्होंने प्लास्टिक की थैलियों, डिटर्जेंट, मानव अपशिष्ट, कचरा और औद्योगिक अपशिष्टों से तालाबों, नदियों आदि की रक्षा करने का संकल्प लेने की अपील की।
जल संरक्षण पर जल आंदोलन के लिए हाल के आह्वान की चर्चा करते हुए उप राष्ट्रपति ने पानी बचाने की दिशा में कई पहल करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना, अटल भू-जल योजना, जल जीवन मिशन और जल शक्ति अभियान (जेएसए) प्रशंसनीय कदम हैं।
न्यूज 18 की पहल को बधाई देते हुए नायडू ने आशा व्यक्त की कि प्रत्येक समाचार चैनल, अखबार और मीडिया संगठन ऐसी पहल करें ताकि यह संदेश लोगों तक आसानी से पहुंचे। उन्होंने कहा कि सिनेमा, खेल, राजनीतिक, सामाजिक या अन्य क्षेत्रों की हस्तियां भी जल संरक्षण आंदोलन में हाथ बढ़ाएं।
नायडू ने पानी गान (Paani Anthem) रचना के लिए संगीतकार ए.आर. रहमान और गीत लिखने के लिए गीतकार व भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी की प्रशंसा की। यहां बता दें कि हार्पिक-न्यूज़ 18 के मिशन पानी के तहत पानी गान तैयार किया गया है। इसे सुर दिया है अंतरा नंदी ने। यहां देखिए वीडियो –
कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, न्यूज़ 18 के प्रबंध संपादक किशोर अजवानी अधिकारी, शिक्षक और स्कूली बच्चे वर्चुअली शामिल हुए।
दो दिन तक गिरावट के बाद देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर बढ़ें हैं। हालांकि, नए मामलों की तुलना में प्रतिदिन ठीक होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने का ट्रेंड जारी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कोविड-19 के 38,617 नए मामले सामने आए हैं। इससे पूर्व लगातार दो दिन तक नए मामलों की संख्या प्रतिदिन 30 हजार से नीचे थी।

पिछले 24 घंटों के दौरान 44,739 मरीज ठीक हुए हैं। इससे सक्रिय मामलों की संख्या में 6,122 कमी आ गई, जिससे अब देश में सक्रिय मामले 4,46,805 रह गए हैं। यानी सक्रिय मामलों का प्रतिशत 5.01 रह गया है।
कोरोना से ठीक होने वाले कुल मामले 83,35,109 हैं। इससे रिकवरी दर 93.52 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

रिकवरी के नए मामलों में से 74.98 प्रतिशत मामले दस राज्यों के हैं। केरल में कोविड से सबसे अधिक 6,620 व्यक्ति ठीक हुए हैं। महाराष्ट्र ने 5,123, दिल्ली ने 4,421 व पश्चिम बंगाल ने 4388 नई रिकवरी दर्ज की गई है।
नए मामलों में दिल्ली में पिछले 24 घंटों में 6,396 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। केरल में 5,792, पश्चिम बंगाल में 3,654, महाराष्ट्र में 2732, हरियाणा में 2450, राजस्थान में 2194 नए मामले दर्ज किए गए।

पिछले 24 घंटों में 474 मौतें हुई हैं। इनमें 20.89 प्रतिशत मौतें दिल्ली से हुई हैं। यहां 99 मौतें हुई हैं। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 68 और 52 नई मौतें हुई हैं। पंजाब में 30, केरल में 27 व हरियाणा में 25 कोरोना पॉजिटिव को जान से हाथ धोना पड़ा।
देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। लगातार दूसरे दिन कोरोना के नये मामले 30,000 के आस-पास दर्ज किए गए हैं। पिछले 24 घंटों की बात करें तो देश में कोरोना के 29,163 मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह आंकड़ें जारी किए हैं।
मंत्रालय के अनुसार कोरोना के मामलों में यह गिरावट इस बात को दर्शाती है कि देश के लोगों ने कोरोना से बचने के लिए उपयुक्त व्यवहार को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। इसके विपरीत यूरोप व अमेरिकी देशों में प्रतिदिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

देश में कोरोना से प्रतिदिन ठीक होने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पिछले 24 घंटों में जहां, 29,163 नये मामले दर्ज किए गए, वहीं इसी अवधि में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 40,791 दर्ज की गई।
सरकार ने पूरे देश में कोरोना जांच का उच्च स्तर लगातार बरकरार रखा है। मंगलवार तक कोरोना के कुल 12,65,42,907 परीक्षण किए जा चुके हैं। इसे मिलाकर कोरोना मामलों की कुल समग्र पॉजिटिविटी दर घटकर 7.01 प्रतिशत हो गई है।

देश में कोरोना के सक्रिय मामले (एक्टिव केस लोड) इस समय 4,53,401 है, जो कुल मामलों का मात्र 5.11 प्रतिशत है। अब तक कोरोना से 82,90,370 मरीज ठीक हो चुके हैं। रिकवरी दर बढ़कर 93.42 प्रतिशत हो गई है।
पिछले 24 घंटों में कोरोना से जितने मरीज ठीक हुए हैं, उनमें से 72.87 प्रतिशत मरीज दस प्रदेशों से हैं। केरल में सबसे अधिक लोग ठीक हुए हैं, जहां 6,567 पुष्ट मामले अब निगेटिव पाए गए हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 4376 मरीज प्रतिदिन ठीक हुए हैं और दिल्ली में यह आंकड़ा 3560 है।
कोरोना के नये मामलों में से 75.14 प्रतिशत भी दस राज्यों से हैं। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी, लेकिन कल केवल 3,797 नये मामले दर्ज किए गए और पश्चिम बंगाल में 3012 मामले सामने आए थे। केरल में कोरोना के 2,710 नये मामले दर्ज किए गए।

कोरोना से पिछले 24 घंटों में 449 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 78.40 प्रतिशत मामले दस राज्यों और संघशासित प्रदेशों से हैं। मौतों के नये मामलों में दिल्ली में यह आंकड़ा 22.76 प्रतिशत है, जहां 99 मरीजों की मृत्यु हुई है। महाराष्ट्र में 60 तथा पश्चिम बंगाल में 53 मरीजों की मृत्यु हुई है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ने अपनी टीम का विस्तार करते हुए विभिन्न प्रदेशों के प्रभारी का सह प्रभारियों की नियुक्ति की है। उत्तराखंड का प्रभार राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम को सौंपी गई है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा को उत्तराखंड का सह प्रभारी नियुक्त किया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम को उत्तराखंड के अलावा पंजाब व चंडीगढ़ का प्रभार भी सौंपा गया है। गौतम ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। भाजपा में लम्बे समय तक विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। वे भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्तमान में वे हरियाणा से राज्यसभा सदस्य हैं।
उत्तराखंड की सह प्रभारी बनाई गईं रेखा वर्मा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ- साथ उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। वर्ष 2014 में रेखा वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को हराकर लोकसभा पहुंचीं। 2019 के चुनाव में भी रेखा ने वहीं इतिहास दोहराया। इस बार उनकी जीत का अंतर और बढ़ गया।
इसके साथ भूपेंद्र यादव को किसान मोर्चा, अरुण सिंह को अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा, दुष्यंत कुमार गौतम को महिला मोर्चा, तरुण चुग को युवा मोर्चा, डी. पुरंदेश्वरी को अल्पसंख्यक मोर्चा, सीटी रवि को अनुसूचित जाति मोर्चा और दिलीप सैकिया को अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रभारी बनाया गया है।

