केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 8 जनवरी को शुरू हुए पिछले सप्ताह के दौरान 534 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर एक रिकॉर्ड बनाया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने सोमवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल 2020 से लेकर 15 जनवरी 2021 के दौरान 8,169 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। यानी इस अवधि में मंत्रालय द्वारा प्रति दिन लगभग 28.16 किलोमीटर की गति से राजमार्गों का निर्माण किया गया। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान 26.11 किलोमीटर प्रति दिन की गति से 7,573 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया था।
मंत्रालय के अनुसार उसे उम्मीद है कि इस गति के साथ वह 31 मार्च तक 11,000 किलोमीटर सड़क के निर्माण के लक्ष्य को पार करने में सक्षम होगा।
मंत्रालय ने अप्रैल 2020 से इस वर्ष 15 जनवरी के दौरान 7,597 किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं को मंजूरी भी दी। वर्ष 2019-20 में, इसी अवधि के दौरान 3,474 किलोमीटर की परियोजनाओं को मंजूर किया गया था। इस प्रकार, इस वित्तीय वर्ष में मंजूरी देने की गति भी दोगुनी से अधिक हो गई है।
वर्ष 2019-20 में, कुल मिलाकर 8,948 किलोमीटर सड़क की परियोजनाओं को मंजूर किया गया, जबकि 10,237 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण व संपर्क अभियान धन संग्रह का नहीं, बल्कि समर्पण का कार्यक्रम है और समाज अपनी श्रद्धा एवं इच्छा से जो सहयोग करेगा, वह सब स्वीकार्य है।
भय्याजी जोशी ने यह बात जम्मू-कश्मीर में इस अभियान का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने जम्मू शहर के गांधीनगर स्थित वाल्मीकि मोहल्ला में जाकर मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण हेतु संपर्क किया। इसके बाद डिगियाना स्थित श्री संत मेला सिंह जी दस्तकारी आश्रम के महंत मंजीत सिंह से भेंट कर मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि ली। जम्मू-कश्मीर में यह अभियान मकर संक्रांति से शुरू होकर 27 फरवरी माघ पूर्णिमा तक चलेगा।
भय्याजी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय और प्रभु श्रीराम की इच्छा अनुसार अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। भगवान के लिए समाज अपने सामर्थ्य के अनुसार स्वयं प्रेरणा से सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की प्रत्येक कारसेवा में जम्मू कश्मीर के लोगों की अविस्मरणीय भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सिक्ख समाज के बंधुओं ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर, 1858 को दर्ज एक एफआईआर की रिपोर्ट में लिखा है – निहंग सिक्ख, विवादास्पद ढांचे में घुस गए थे और राम नाम के साथ वहां हवन किया। निहंग सिक्खों ने वहां न सिर्फ हवन और पूजा की, बल्कि उस परिसर के भीतर श्रीराम का प्रतीक भी बनाया। उस समय उनके साथ 25 और सिक्ख थे, जिन्होंने वहां धार्मिक झंडे उठाए और उसकी दीवारों पर चारकोल के साथ ‘राम-राम’ लिखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में कोविड टीकाकरण के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों के साथ देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू आदि सहित आगामी त्यौहारों को देखते हुए टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने कोविड प्रबंधन की विस्तृत और व्यापक समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार टीकाकरण अभियान में लगभग 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों तथा विभिन्न बिमारियों से ग्रसित (Co-Morbidities) 50 वर्ष से कम आयु के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा, जिनकी संख्या लगभग 27 करोड़ है।
प्रधानमंत्री को टीके की डिलीवरी के लिए तैयार किये गए को-विन प्रबंधन प्रणाली के बारे में भी जानकारी दी गई। यह अनूठा डिजिटल प्लेटफॉर्म टीके के स्टॉक, उसके भंडारण का तापमान और कोविड-19 टीका के लाभार्थियों की वैयक्तिक ट्रैकिंग आदि की सूचना उपलब्ध कराएगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि टीकाकरण अभियान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2360 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था। इनमें राज्यों के टीकाकरण अधिकारी, कोल्ड चेन अधिकारी, आईईसी अधिकारी आदि सम्मिलित थे। राज्यों, जिलों और ब्लॉक स्तरों अभी तक 61,000 से अधिक कार्यक्रम प्रबंधकों, 2 लाख टीका लगाने वालों और टीकाकरण टीम के रूप में 3.7 लाख सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है।
इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश में टीकाकरण की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में आगामी 16 जनवरी से कोविड-19 को लेकर चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के खिलाफ विजय के इस अभियान में आप सभी सम्मानित नागरिकों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी इंतजाम पुख्ता कर लिए गए हैं।
कोरोना काल में कई बार रोगियों को अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री के आपात स्थिति नागरिक सहायता और राहत (PM CARES) फंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कुल 154.19 मीट्रिक टन क्षमता वाले इन सयंत्रों को 32 राज्यों में लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार इस धनराशि में से 137.33 करोड़ रुपये ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की आपूर्ति व कमीशनिंग आदि और 64.25 करोड़ रुपये वार्षिक रखरखाव की मद में खर्च किये जाएंगे। उपकरणों की खरीद का काम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) द्वारा की जाएगी। जिन सरकारी अस्पतालों में ये संयंत्र स्थापित किए जाने हैं, उनका चयन संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बातचीत के बाद कर ली गई है।
इन सयंत्रों की स्थापना से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी और किफायती तरीके से मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। कोविड-19 के औसत और गंभीर मामलों में रोगियों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति आवश्यक है। इसके अलावा कई अन्य रोगियों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर संयंत्रों की स्थापना से न केवल राज्यों के कुल ऑक्सीजन उपलब्धता पूल में वृद्धि होगी, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में रोगियों को समय पर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी।
उत्तराखंड में 7 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा असम 6, मिजोरम 1, मेघालय 3, मणिपुर 3, नागालैंड 3, सिक्किम 1, त्रिपुरा 2, हिमांचल प्रदेश 7, लक्षद्वीप 2, चंडीगढ़ 3, पुदुच्चेरी 6, दिल्ली 8, लद्दाख 3, जम्मू और कश्मीर 6, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 4, मध्य प्रदेश 8, महाराष्ट्र 10, ओडिशा 7, उत्तर प्रदेश 14, पश्चिम बंगाल 5, आंध्र प्रदेश 5, हरियाणा 6, गोवा 2, पंजाब 3, राजस्थान 4, झारखंड 4, गुजरात 8, तेलंगाना 5, केरल 5 व कर्नाटक में 6 सयंत्र स्थापित होंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 5 जनवरी से गुजरात के कर्णावती में आयोजित होगी। संघ की दृष्टि से महत्वपूर्ण समझी जाने वाली यह बैठक वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है।
कर्णावती डेंटल कॉलेज, उवारसद में 5 से 7 जनवरी तक आयोजित होने वाली बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी सहित संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि जैसे आनुषांगिक संगठनों के चुनिंदा केंद्रीय पदाधिकारी भी भाग लेंगे।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष की अन्य पार्टियां कृषि कानून पर भ्रम फैलाने में जुटी हैं लेकिन सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच देश के जिस भी हिस्से में चुनाव हुए हैं, वहां भाजपा को बड़ी जीत मिली है। उन्होंने कहा कि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास करती है।
सोमवार को दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्मृति ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों में भाजपा को मिली शानदार सफलता को प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों में विश्वास बताया।
उन्होंने कहा कि इन सभी चुनावों में पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक समग्र राष्ट्र की जनता का आशीर्वाद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को मिला है। इन चुनावों में भाजपा को मिली ऐतिहासिक विजय यह दर्शाती है कि देश को माननीय प्रधानमंत्री में एवं उनकी नीतियों में अटूट विश्वास है। देश की जनता ने कांग्रेस सहित विपक्ष की नकारात्मक और समाज को बांटने वाली राजनीति को सिरे से खारिज किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी को देश के ग्रामीण इलाकों में व्यापक समर्थन मिल रहा है और वह भी तब, जब किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहा है। जब से कृषि सुधार बिल देश की संसद ने पारित किए, तब से विपक्षी दल एक भ्रांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आरोप रहा है कि देश की ग्रामीण जनता भारत सरकार के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही है लेकिन आज हम उन राज्यों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर रहे हैं, जहां कांग्रेस की सत्ता थी तो ये कई मायनों में खास है। उन्होंने कहा कि केरल में भी भारतीय जनता पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है जबकि वहां हमारे कार्यकर्ताओं को लगातार मौत के घाट उतारा जा रहा है।
यदि आपके ड्राइविंग लाइसेंस अथवा वाहन की आरसी, परमिट आदि दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो चुकी है तो यह खबर राहत देने वाली है। कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने डीएल, आरसी, परमिट आदि जैसे वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैधता अगले वर्ष 31 मार्च तक बढ़ा दी है। यानी इस बीच किसी के कोई दस्तावेज की वैधता समाप्त हो रही है तो उन्हें अमान्य नहीं माना जाएगा।
केन्द्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने रविवार को इस संबंध में राज्य सरकारों को एक परामर्शी जारी की है। मंत्रालय के अनुसार इससे पूर्व मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तथा केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता के विस्तार के संबंध में 30 मार्च, 2020, 9 जून, 2020 तथा 24 अगस्त, 2020 को परामर्शी जारी की गई थी। इनमें राज्यों को सुझाव दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकारों के), लाइसेंस, पंजीकरण या किसी और संबंधित दस्तावेज की प्रमाणिकता 31 दिसम्बर, 2020 तक वैध समझी जाए।
मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी परामर्शी में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के प्रसार को रोकने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परामर्श दिया जाता है कि उपरोक्त उल्लेखित सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता 31 मार्च, 2021 तक वैध समझी जाए। इसमें वे सभी दस्तावेज शामिल हैं जिनकी वैधता 1 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गई है या 31 मार्च, 2021 तक समाप्त हो जाएगी।’’
केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से इस परामर्शी को मूल भावना के साथ कार्यान्वित करने का आग्रह किया गया है जिससे कि नागरिक, ट्रांसपोर्टर तथा विभिन्न अन्य संगठन, जो कोविड महामारी के दौरान इस कठिन समय में प्रचालन कर रहे हैं, को कोई परेशानी न हो और उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुशासन दिवस के अवसर पर शुक्रवार को किसान सम्मान निधि का ऑनलाईन ट्रांसफर किया गया। देश के 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रूपये की धनराशि हस्तांतरित की गई। उत्तराखण्ड के 8 लाख 27 हजार किसान परिवारों के खातों में 165 करोड़ की धनराशि डाली गई।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के किसानों से बातचीत कर पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से जनता को संबोधित किया। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अटल जी ने सुशासन को भारत के राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श का हिस्सा बनाया।
उन्होंने कहा कि आज जो नये कृषि सुधारों को सरकार ने जमीन पर उतारा है, उनके सूत्रधार अटल जी भी थे। मोदी ने कहा कि पीएम सम्मान किसान निधि योजना जब से शुरू हुई है तब से 01 लाख 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि किसानों के खातों में पहुंच चुकी है। तकनीक के इस्तेमाल से किसानों के खाते में ऑनलाईन माध्यम से धनराशि दी गई है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने देश के किसानों की छोटी-छोटी परेशानियों एवं कृषि के आधुनिकीकरण की ओर ध्यान दिया। 60 वर्ष की आयु के बाद 03 हजार रूपये मासिक पेंशन का सुरक्षा कवच भी आज किसान के पास है।
देहरादून से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की पारदर्शी सोच से किसान तरक्की की ओर बढ़ रहा है। सरकार जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान में विश्वास रखती है। प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास का मंत्र दिया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में वर्ष 2019-20 में 02 लाख 12 हजार 621 कृषकों द्वारा फसल बीमा कराया गया। जिसमें 96 हजार 770 किसानों को 103.55 करोड़ की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने से अब तक राज्य में 3 लाख 15 हजार 67 किसानों को 282.82 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति प्राप्त हुई है।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, देहरादून के पवेलियन मैदान में आयोजित कार्यक्रम में सांसद एवं उत्तराखण्ड भाजपा की सह प्रभारी रेखा वर्मा, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, विधायक हरबंस कपूर, गणेश जोशी, खजान दास, मुन्नी देवी शाह, मेयर सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं कृषक उपस्थित थे।
नए साल में यानी पहली जनवरी से आप सड़क पर गाड़ी चलाएंगे तो आपके वाहन पर फास्टैग (FASTag) लगा होना चाहिए। केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने सभी वाहनों के लिए 1 जनवरी से फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। फास्टैग की शुरुआत 2016 में की गयी थी।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल नवंबर में एक अधिसूचना जारी कर केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 में संशोधन किया था। इस संशोधन में 1 दिसम्बर, 2017 से पहले बेचे गये वाहनों में भी, 1 जनवरी, 2021 से फास्टैग को अनिवार्य बनाया गया है।
CMVR अनुसार, 1 दिसंबर 2017 से, नए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया था और इसकी आपूर्ति वाहन निर्माताओं या उनके डीलरों द्वारा की जा रही है। इसके अलावा, यह भी अनिवार्य किया गया था कि फास्टैग के लिए फिट होने के बाद ही परिवहन वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा। राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए 1 अक्टूबर 2019 से फास्टैग मानकों पर फिट होना अनिवार्य किया गया था।
टोल प्लाज़ा पर केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से शुल्क का भुगतान 100 प्रतिशत होना और वाहनों का शुल्क प्लाज़ा के माध्यम से निर्बाध रूप से गुजरना सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। प्लाज़ा में प्रतीक्षा करते हुए कोई समय जाया नहीं करना होगा और इससे ईंधन की बचत होगी।
राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार विविध चैनलों पर फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि नागरिक अपनी सुविधा के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर उन्हें अपने वाहनों पर फास्टैग चिपका सकें।
केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को एक समारोह को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि फास्टैग को 1 जनवरी से लागू किया जाएगा। इस कदम से मिलने वाले लाभों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह यात्रियों के लिए उपयोगी है क्योंकि उन्हें नकद भुगतान के लिए टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।
केन्द्र सरकार ने देश में विद्युत उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर नए प्रावधान तय कर दिए हैं। इन प्रावधानों के बाद उपभोक्ता को विश्वसनीय सेवाएं और गुणवत्ता सम्पन्न बिजली पाने का अधिकार मिल गया है। नए नियमों के लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को नए बिजली कनेक्शन, रिफंड तथा अन्य सेवाएं समयबद्ध तरीके से मिलेंगी। जानबूझकर उपभोक्ताओं के अधिकारों की अनदेखी करने पर सेवा प्रदाता को दंड का प्रावधान रखा गया है।
केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर.के. सिंह ने नए नियमों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि देश में वितरण कंपनियों का, चाहे सरकारी या निजी हो, एकाधिकार हो गया है और उपभोक्ताओं के पास कोई विकल्प नहीं है। इसलिए नए नियमों में उपभोक्ताओं के अधिकारों को तय करना और इन अधिकारों को लागू करने के लिए प्रणाली बनाना आवश्यक हो गया था। इन नियमों से लगभग 30 करोड़ वर्तमान तथा संभावित उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।
नए प्रावधानों के अनुसार नए कनेक्शन देने और वर्तमान कनेक्शन में संशोधन के लिए मेट्रो शहर में अधिकतम समय-सीमा सात दिन, अन्य पालिका क्षेत्रों में 15 दिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिन होगी। मीटर के बिना कोई कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। मीटर स्मार्ट प्री-पेमेंट या प्री-पेमेंट मीटर होंगे। उपभोक्ता को ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान का विकल्प मिलेगा। उपभोक्ता डिस्कनेक्शन तथा रिकनेक्शन करवा सकता है। वितरक कम्पनी सभी उपभोक्ताओं को 24×7 बिजली सप्लाई करेगी, लेकिन कृषि जैसे कुछ श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति के कम घंटे निर्दिष्ट किए जा सकते हैं। निगरानी तथा बिजली बहाल करने के लिए वितरण लाइसेंसी, जहां तक संभव हो, ऑटोमेटेड टूल्स के साथ एक व्यवस्था बनाएंगे।
विद्युत वितरण कंपनियों के प्रदर्शन मानकों के आधार पर उपभोक्ता मुआवजे का भी हकदार होगा। निर्दिष्ट सीमा से अधिक सप्लाई में बाधा संख्या, कनेक्शन, डिस्कनेक्शन, रिकनेक्शन, शिफ्टिंग में लगने वाला समय, उपभोक्ता श्रेणी, लोड परिवर्तन में लगने वाला समय, खराब मीटरों को बदलने में लगने वाला समय, वोल्टेज से संबंधी शिकायतों के समाधान की अवधि तथा बिल संबंधी शिकायतों के आधार पर उपभोक्ता को मुआवजे का अधिकार होगा।
उपभोक्ता सेवा के लिए एक केन्द्रीकृत 24×7 टोल फ्री कॉल सेन्टर स्थापित होगा। उपभोक्ता शिकायत समाधान फोरम में व्यवस्था को बहुस्तरीय बनाकर आसान बनाया गया है और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों की संख्या एक से बढ़ाकर चार कर दी गई है। शिकायत समाधान के लिए अधिकतम समय-सीमा 45 दिन है।
अपनी वेबसाइट, वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप तथा अपने क्षेत्रवार कार्यालयों द्वारा आवेदन प्रस्तुति, आवेदन की स्थिति की निगरानी, बिलों का भुगतान, शिकायतों की स्थिति आदि के लिए उपभोक्ताओं को ऑनलाइन एक्सेस होगा। वितरण लाइसेंसी वरिष्ठ नागरिकों को उनके घर पर आवेदन प्रस्तुतीकरण, बिलों का भुगतान जैसी सभी सेवाएं प्रदान करेंगे। उपभोक्ताओं को बिजली कटौती के समय की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। अनियोजित कटौती या खराबी की सूचना उपभोक्ताओं को एसएमएस द्वारा या अन्य इलैक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा दी जाएगी और बिजली बहाली का अनुमानित समय बताया जाएगा।
विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के लिए यहां क्लिक करें-