मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा से लगे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कोपांग कैंप और हर्षिल में 9वीं बिहार रेजिमेंट के जवानों के साथ दीपावली मनाई। मुख्यमंत्री ने जवानों का हौंसला बढ़ाया और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सेना और अर्द्ध सैनिक बलों के जवान सीमान्त एवं दुर्गम क्षेत्रों में देश की रक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं। इन सैनिकों की वजह से पूरा देश चैन की नींद सोता है। हमारे जवान अपने परिवारों से दूर रहकर देश की रक्षा के लिए जिस वीरता एवं साहस से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते है। इसके लिए वे निश्चित रूप से बधाई के पात्र है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सेना एवं आईटीबीपी के जवानों के साथ मुझे कुछ समय बिताने का मौका मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उत्तराखण्ड का सेना एवं अर्द्धसैन्य बलों से गहरा नाता रहा है। उत्तराखण्ड के अनेक जवान इन सैन्य बलों में सेवाएं दे चुके हैं एवं दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिताजी भी सेना में रहे हैं। एक सैनिक परिवार से होने के नाते उनका सैनिकों से व्यक्तिगत लगाव भी है।
उन्होंने कहा कि सेना व अर्द्ध सैन्यबलों के प्रति देश के हर नागरिक का सम्मान, श्रद्धा एवं विश्वास का भाव रहता है। हमारे सैन्य बल की दुनिया के सर्वोत्कृष्ट सैन्य बल में गिनती होती है।
मुख्यमंत्री ने इस दुर्गम एवं सीमान्त क्षेत्र में महिला अधिकारियों की तैनाती को भी अनुकरणीय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों की साल में एक बार सीमांत क्षेत्रों में कैम्पिंग कराई जाएगी।
इस अवसर पर गंगोत्री के विधायक गोपाल सिंह रावत, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के.एस.पंवार, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड (Uttarakhand) भाजपा (BJP) के तेज-तर्रार विधायकों (MLA) में शामिल सुरेंद्र सिंह जीना (Surendra Singh Jeena) का गुरूवार तड़के दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। पचास वर्षीय जीना को कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जाने के बाद पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके निधन पर तमाम वरिष्ठ नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
विधायक जीना की गंगाराम अस्पताल में उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विगत दिवस अस्पताल के निदेशक को फोन कर विधायक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी और उचित देखभाल के निर्देश दिए थे। मगर गुरूवार तड़के लगभग 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अभी लगभग दो सप्ताह पूर्व उनकी पत्नी नेहा जीना का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। बताया जाता है की पत्नी के निधन से उनको गहरा सदमा पहुंचा था।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की भिक्यासैंण तहसील के सदीगांव निवासी सुरेंद्र सिंह जीना का जन्म 8 दिसंबर 1969 को हुआ था। दिल्ली में उनका अपना स्वतंत्र व्यवसाय था। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की तत्कालीन भिक्यासैंण सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद वे लगातार 2012 व 2017 में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधान सभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वे कुमायु मंडल विकास निगम (KMVN) के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जीना को प्रदेश के बेहद प्रतिभाशाली व ऊर्जावान नेताओं में गिना जाता था। अपनी विधान सभा में वे खासे लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने पिता प्रताप सिंह जीना के नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया था। इसके माध्यम से वे गरीबों व जरूरतमंदों की हर तरह से सहायता करते थे। जीना बहुत बड़ी संख्या में अपने क्षेत्र के बेरोजगारों को दिल्ली आदि में रोजगार उपलब्ध कराते रहते थे।
उनके निधन पर प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद अजय भट्ट, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत आदि ने शोक व्यक्त किया है।
विगत 4 मार्च को उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने जब गैरसैंण (Gairsain) में आयोजित विधान सभा के बजट सत्र के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की, तो कई लोगों ने इसे सरसरी तौर पर उठाया गया कदम बताया। कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की घोषणा को बिना ‘सोचे- समझा’ निर्णय तक करार दिया। हालांकि, जब सदन में त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है।” त्रिवेंद्र की घोषणा के क्रम में प्रदेश सरकार ने 8 जून को ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
अधिसूचना जारी करने के साथ ही प्रदेश सरकार ने गैरसैंण को ई-राजधानी के रूप में विकसित करने का संकल्प भी व्यक्त किया, ताकि विधान सभा सत्र के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ले जाना पड़े। गैरसैण के इतिहास में एक नई तारीख तब जुड़ी, जब 15 अगस्त को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में ध्वजारोहण ही नहीं किया, अपितु ताबड़तोड़ कई घोषणाएं भी कर डालीं।
बावजूद इसके विपक्ष गाहे-बगाहे भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाता रहा है। खासकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने अंदाज में राजधानी के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। मगर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आरोपों को लेकर जुबानी जंग में अधिक नहीं पड़े। वे एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह चुपचाप अपनी रणनीति पर काम करते रहे और विरोधियों को जवाब देने के लिए उचित समय का इन्तजार करते रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए शायद उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस से बेहत्तर अवसर नहीं दिखा। उन्होंने स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर को देहरादून में आयोजित होने वाले औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल होकर सीधे गैरसैंण की राह पकड़ी। गैरसैंण में दो दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित ही नहीं हुए, अपितु गैरसैंण को लेकर विस्तृत रोडमैप घोषित कर राजनीतिक रूप से एक लंबी छलांग लगा डाली।
मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में संवारने और वहां राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई हैं। चरणबद्ध रूप में होने वाले इन कार्यों के लिए 10 वर्ष की समय सीमा तय की गई है। राज्य सरकार इस पर 25 हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक का गठन भी करने की घोषणा की है, जो गैरसैंण के सुनियोजित विकास और उसके स्वरूप को लेकर विस्तृत अध्ययन करेगी। समिति का सचिव भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पराग मधुकर धकाते को बनाया गया है। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को बतौर सदस्य शामिल किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से गैरसैंण को लेकर तमाम घोषणाएं की हैं, उससे यह स्पष्ट है की सरकार गैरसैंण और उसके आसपास के इलाकों को मिला कर एक नया परिक्षेत्र विकसित करना चाहती है। इसमें राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बहरहाल, त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को लेकर जो मास्टर स्ट्रोक चला है, उसकी काट ढूंढना विपक्ष के लिए फिलहाल टेढ़ी खीर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने चरणबद्ध रूप से गैरसैण के मुद्दे पर जो लंबी सियासी लकीर खींच दी है, वे अब उसे और आगे बढ़ाने के लिए निश्चित ही जुटेंगे।
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उत्तराखंड के 21 वें स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत तमाम नेताओं ने राज्यवासियों को बधाई दी है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को याद करते हुए राजधानी देहरादून के शहीद स्मारक में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विटर पर अपना सन्देश जारी करते हुए कहा कि – ‘देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। राज्य का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य और समृद्ध संस्कृति देश के लिए गौरव का विषय है। मैं राज्य के समग्र विकास और प्रगति के साथ उत्तराखंड के सभी निवासियों के उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की कामना करता हूँ।’
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा – ‘राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड के लोगों को बधाई। देव भूमि के रूप में विख्यात – ‘देवताओं की भूमि’, उत्तराखंड अपनी सुरम्य सुंदरता और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। राज्य और इसके मेहनती लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए मेरी शुभकामनाएं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि – ‘उत्तराखंड के निवासियों को राज्य के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई। प्रगति के पथ पर अग्रसर, प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर यह प्रदेश ऐसे ही विकास की नित नई ऊंचाइयों को छूता रहे।’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया – ‘उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी बहनों व भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं। देवभूमि उत्तराखंड की निरंतर प्रगति और समृद्धि व प्रदेशवासियों की ख़ुशहाली की कामना करता हूँ।’
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपने सन्देश में कहा – ‘अध्यात्म के लिए विश्व विख्यात, भारतीय सभ्यता व संस्कृति की पावन संगम स्थली देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।’
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने देहरादून के शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और राज्य निर्माण में शहीदों के बलिदान का स्मरण किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस ने भी अपने ट्विटर हैंडल से प्रदेशवासियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। मगर कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने कोई ट्वीट नहीं किया। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा – ‘समस्त प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।’
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर आयोजित होने वाले चार दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला रविवार से शुरू हो गई। पहले दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में राज्यवासियों को कई सौगातें दी। मुख्यमंत्री ने सुबह अपने सरकारी आवास से माउंटेन टैरेन बाइकिंग रैली का फ्लैग ऑफ कर कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित इस साइकिल रैली को झंडी दिखा कर रवाना करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के 21 वें वर्ष में प्रवेश के लिए सभी को बधाई दी। यह रैली मुख्यमंत्री आवास से जॉर्ज एवरेस्ट (मसूरी) के लिए रवाना हुई। इस रैली में युवाओं के अलावा महिलाओं ने भी प्रतिभाग किया।
सरकारी डिग्री कॉलजों में फ्री इंटरनेट सुविधा
कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र डोईवाला पहुंचे, जहां उन्होंने शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के सभी महाविद्यालयों व विश्व विद्यालयों के लिए हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी व वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकारी महाविद्यालयों को यह सुविधा प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा युवाओं की पूरी दुनिया से जुड़ने की अभिलाषा होती है। इस दिशा में यह हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि इस सुविधा का लाभ राज्य के 2 लाख से अधिक छात्र- छात्राओं को मिलेगा। कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, विधायक हरबंश कपूर आदि उपस्थित थे।
देश के सबसे लंबे भारी वाहन झूला पुल का लोकार्पण
दोपहर को मुख्यमंत्री ने टिहरी पहुंच कर विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील पर निर्मित डोबरा-चांठी मोटर पुल का लोकार्पण किया। यह पुल भारी वाहनों के लिए देश का सबसे लंबा झूला पुल है। इस पुल के निर्माण से क्षेत्र की जनता का लगभग डेढ़ दशक का इंतजार खत्म हुआ। 725 मीटर लंबा यह पुल लगभग 3 अरब की लागत से तैयार हुआ है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल के निर्माण से क्षेत्र के विकास में नए आयाम जुड़ेंगे। यह क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि टिहरी झील साहसिक पर्यटन का केंद्र बनेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लगभग पौने 5 अरब की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवान, विधायक विजय सिंह पंवार, धन सिंह नेगी, शक्ति लाल शाह आदि उपस्थित थे।
यहां बता दें कि 9 नवम्बर को उत्तराखंड अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर रहा है। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सरकार ने चार दिन तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष स्थापना दिवस की खास बात यह है कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र दो दिन तक वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कुछ बड़ी घोषणाएं भी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को चम्पावत जिले के लोहाघाट पहुंचे। मुख्यमंत्री ने वहां ग्रोथ सेंटर का निरीक्षण किया। ग्रोथ सेंटर के भवन के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ लौह बर्तन एवं कृषि यंत्र उत्पादन मशीनों का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने चंपावत के लिए लगभग 11 करोड़ 93 लाख की सात विभिन्न विकास योजनाओं के लोकार्पण के अलावा ही लगभग 18 करोड़ 65 लाख लागत की 12 योजनाओं का शिलान्यास भी किया।
चंपावत भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ विभिन्न विकास योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा की और योजनाओं की अद्यतन प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए विकास कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 से निपटने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इसमें किसी भी प्रकार का शिथिलता न बरती जाए। उन्होंने पशुपालन विभाग को पोल्ट्री के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य परिणात्मक होना चाहिए। मनरेगा की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिक से अधिक व्यक्तियों का पंजीकरण कराने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जल जीवन मिशन की समीक्षा करते हुए कहा कि इस योजना के तहत एक रूपये में पानी के कनेक्शन दिये जा रहे हैं। इसलिए विभाग प्रत्येक दिन का लक्ष्य निर्धारित कर धरातलीय कार्य करें। इसके लिए उन्होंने ग्राम व न्यायपंचायत स्तर पर कार्य योजना तैयार करने निर्देश दिए। जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी प्राप्त होगा। जिला योजना की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि धनराशि का व्यय रोजगारपरक योजनाओं पर अनिवार्य रूप से किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा प्रत्येक व्यक्ति को रोजगारपरक योजनाओं से लाभान्वित करना है।
इस अवसर पर जनपद के प्रभारी मंत्री अरविंद पांडेय, विधायक पुरन सिंह फर्त्याल, कैलाश चन्द गहतोड़ी, जिला पंचायत अध्यक्षा ज्योति राय, दायित्वधारी हयात सिंह मेहरा, मंडलायुक्त अरविंद सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी सुरेंद्र नारायण पांडेय आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड हाईकोर्ट (High Court of Uttarakhand) ने उत्तरकाशी में तैनात मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate, CJM) नीरज कुमार को नशे की हालत में परिजनों से मारपीट और उत्पात मचाने के आरोप में निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान नीरज कुमार जिला न्यायाधीश बागेश्वर के साथ संबद्ध रहेंगे और उन्हें वेतन-भत्ते आधे ही मिलेंगे। हाईकोर्ट ने उन्हें बिना अनुमति के जिला मुख्यालय छोड़कर न जाने का आदेश भी दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दो जजों के स्थानांतरण भी किए हैं।
हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ की संस्तुति के बाद रजिस्ट्रार जनरल हीरा सिंह बोनाल ने कार्यालय ज्ञाप जारी कर CJM के तत्काल प्रभाव से निलंबन के आदेश दिए हैं। कार्यालय ज्ञाप के अनुसार CJM नीरज कुमार उत्तरकाशी की कलेक्ट्रेट कॉलोनी में रहते हैं। 30 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट कॉलोनी के लोगों ने हाई कोर्ट को एक शिकायत भेजी। CJM पर आरोप है कि उन्होंने 29 अक्टूबर को रात 8 बजे से 12 बजे तक नशे में अपने परिजनों के साथ मारपीट की, गालियां दीं और सड़क में उत्पात मचाया।
CJM ने कॉलोनी में खड़ी एक उप जिला मजिस्ट्रेट व तहसीलदार के वाहनों के शीशे भी तोड़ दिए। जब आसपास के लोगों ने CJM को रोकने की कोशिश की तो उन्होंने लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया। CJM की इन हरकतों के कारण आसपास रहने वाले परिवारों में बहुत रोष और भय था। CJM के पुत्र ने उन्हें घर ले जाने की कोशिश की तो उन्होंने बेटे के साथ भी अभद्र व्यवहार किया। इसके बाद CJM अपने सरकारी वाहन को बीच सड़क में ले जाकर लगातार हूटर बजाने लगे। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली – 2002 के विभिन्न प्रावधानों के तहत CJM को निलंबित किया है।
इधर, हाई कोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) विकासनगर (देहरादून) के पद पर तैनात मदन राम को नीरज कुमार के स्थान पर उत्तरकाशी का CJM तैनात किया है। देहरादून के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रमेश सिंह (I st) को मदन राम की जगह विकासनगर भेजा गया है।
प्रदेश के मंत्रियों के विभागों की समीक्षा के क्रम में बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग को लेकर बैठक की। समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए।
वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुकिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया जाए। वन विभाग द्वारा जहां भी वृक्षारोपण करवाया जा रहा है, उन वृक्षों की सुरक्षा के लिए सुनियोजित कार्ययोजना तैयार हो। वृक्षारोपण करने तक का ही उद्देश्य न हो, बल्कि इनकी सुरक्षा के लिए भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। इस कार्य में जन सहयोग सुनिश्चित हो। वन विभाग राजस्व वृद्धि पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने वनाग्नि को रोकने के लिए समुचित प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया।
आयुष विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पौड़ी (गढ़वाल) के चरक डांडा में अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना के लिए जल्द डीपीआर बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने सेवायोजन एवं कौशल विकास को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में जिन 25 आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है, उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी हो। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के औद्योगिक संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेन्टर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा की प्रदेश में पिछले तीन सालों में प्रतिवर्ष औसतन 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। प्रदेश में 14.77 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है। राज्य में 2006 में बाघों की संख्या 178 थी, जो 2018 तक बढ़कर 442 हो गई है। हाथियों की संख्या 2017 तक 1839 थी, जो अब बढ़कर 2026 हो गई है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में 02 वर्षों में लगभग 68.37 करोड़ ली0 वर्षा जलसंचय की संरचनाओं का निर्माण किया गया। वन विभाग द्वारा पिछले तीन सालों में विभिन्न योजनाओं के तहत 1 लाख 20 हजार लोगों को रोजगार दिया गया।
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भी कार्यक्रमों की धूम
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में भी कार्यक्रमों की धूम रहेगी। स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दो दिन तक गैरसैंण में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। विगत 4 मार्च को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद से त्रिवेंद्र सरकार लगातार गैरसैंण को तवज्जो देने में लगी हुई है। त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत रुप रेखा तय की गई। मुख्यमंत्री ने स्थापना दिवस के कार्यक्रमों को राज्य मुख्यालय के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों में भी सादगी के साथ गरिमामय ढंग से आयोजित किए जाने पर बल दिया। बैठक में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा एवं अपर सचिव मुख्यमंत्री तथा महानिदेशक सूचना डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट उपस्थित थे।
बैठक में तय किया गया कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 8 से 11 नवम्बर तक
राजधानी देहरादून समेत सभी जनपदों के मुख्य राजकीय भवनों को प्रकाशमान किया जाएगा। स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत 8 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र द्वारा माउण्टेन बाईक रैली के शुभारंभ के साथ होगी। इसी दिन राज्य के समस्त महाविद्यालयों में फ्री वाई-फाई कनेक्टिविटी से जोड़ने की शुरुआत मुख्यमंत्री द्वारा डोईवाला से की जाएगी। यहीं पर आयोजित कार्यक्रम से मुख्यमंत्री टिहरी झील पर निर्मित प्रसिद्ध डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण भी करेंगे।
राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर को सबसे पहले उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके लिए देहरादून स्थित शहीद स्मारक में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शहीदों को श्रद्धांजलि के बाद देहरादून पुलिस लाईन में राज्य स्थापना परेड आयोजित होगी। इसमें उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों द्वारा प्रतिभाग किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका का भी विमोचन करेंगे।
राजधानी देहरादून में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री 9 नवम्बर को ही अपराह्न में गैरसैंण (भराड़ीसैंण) पहुंचेंगे। गैरसैंण में आईटीबीपी एवं पुलिस बल की परेड आयोजित होगी। तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों होंगे। 10 नवम्बर को मुख्यमंत्री गैरसैंण के निकट दूधातोली जाएंगे। वहां वे पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की समाधि में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री गैरसैंण में विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी करेंगे।
बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य स्थापना पर समस्त जिला मुख्यालयों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए सभी कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य बचाव सम्बन्धी दिशा-निर्देश का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा। राज्य स्थापना समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों हेतु सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इस हेतु महानिदेशक सूचना डॉ0 मेहरबान सिंह बिष्ट को नामित किया गया है।
मंत्रियों के विभागों की समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान, रेशम विकास विभागों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही किसानों के स्किल डेवलपमेंट की योजना बनाने को कहा। उन्होंने सूअर, बंदर आदि जंगली जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का सर्वे करते हुए अधिक प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए तार-बाड़, दीवार बनाने का काम प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए।
आधुनिकतम तकनीक से फलों की खेती को लाभप्रद बनाया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में सेब व अन्य फलों की खेती को आधुनिकतम तकनीक के उपयोग द्वारा लाभप्रद बनाया जाए। आवश्यकता होने पर दूसरी किस्मों से बदला भी जा सकता है। इसके लिए औद्यानिकी विभाग ठोस काम करे।
फार्म मशीनरी बैंक से जुड़ें अधिकाधिक गांव
मुख्यमंत्री ने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक किसानों के लिए काफी लाभप्रद हो रहे हैं। प्रयास किए जाएं कि अधिक से अधिक गांव इसके अंतर्गत आ सकें। माइक्रो इरीगेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। विभाग इसके लिए कार्ययोजना बनाए।
जंगली जानवरों से नुकसान का हो सर्वे
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में एक बड़ी समस्या जंगली जानवरों के कारण आ रही है। सूअर, बंदर आदि जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का व्यापक सर्वे किया जाए। जिन क्षेत्रों में समस्या ज्यादा गंभीर है, वहां प्राथमिकता के आधार पर तार-बाड़, दीवार आदि बनाने का काम किया जाए।
किसान सम्मान निधि में सावधानी से हो डाटा फीडिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती का और विस्तार किए जाने की जरूरत है। जैविक उत्पादों के विपणन के लिए ग्रोथ सेंटरों का उपयोग किया जाए। नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे जैविक कृषि के लिए चयनित गांवों में मानिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। किसान सम्मान निधि में किसी तरह की शिकायत न आए। इसके लिए डाटा फीडिंग सावधानीपूर्वक की जाए।
कृषि से जुड़ी शिक्षण संस्थान निकटवर्ती गांवों में काम करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि कीड़ा जड़ी, मशरूम आदि उत्पादों पर रिसर्च की जाए। कृषि व औद्यानिकी से जुड़ी शिक्षण संस्थानों के छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के लिए निकटवर्ती गांवों में भेजा जाए। अधिकारी फील्ड में जाएं और वहां किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को दूर करें।
3 K आर्गेनिक उत्तराखण्ड आउटलेट
कृषि मंत्री सुबोध उनियांल ने कहा कि प्रदेश के आर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए ‘3 K आर्गेनिक उत्तराखण्ड आउटलेट’ स्थापित किए जाएंगे। यहां 3 K यानी कृषि एवं कृषक कल्याण। अगले 2 वर्ष में 1300 आउटलेट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में किसानों को लाभकारी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हरिद्वार में बहुत से किसानों ने गन्ने की खेती के स्थान लेमनग्रास की खेती शुरू की है। उन्हें इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। एकीकृत फार्मिंग के कन्सेप्ट पर भी काम किया जा रहा है।
किसान सम्मान निधि में 8.57 लाख किसान लाभान्वित
बैठक में बताया गया कि किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत पात्र 8.74 लाख कृषकों मे से 8.57 लाख कृषको को 852.04 करोड का भुगतान किया गया है। वर्ष 2017-18 से अब तक 230 कस्टम हायरिंग सेन्टर, 1444 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित हुए हैं।
8.82 लाख कृषको को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध
वर्ष 2017-18 से वर्तमान तक जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा हेतु 94 गांव लाभान्वित हुये, जिनमें 101 किमी घेर बाड़ की गई। प्रदेश के 8.82 लाख कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए।इससे उत्पादकता वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरकता में भी सुधार हो रहा है।
प्रदेश में 3900 जैविक क्लस्टर चयनित
प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने हेतु संचालित योजना में वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक के लिए 3900 कलस्टरों का चयन किया गया। नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे बसे ग्राम पंचायतों में जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोका जा सके। गंगा बेसिन पर बसे 5 जनपदों के 42 ग्रामों को चयनित किया गया। इससे लगभग 1,25,000 कृषक लाभान्वित होंगें।
बैठक में सचिव हरबंस सिंह चुघ, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डा. पराग मधुकर धकाते, जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डा. तेज प्रताप, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
माई रिफिल स्टोर का उद्घाटन
राजधानी देहरादून स्थित एक होटल में आयोजित अन्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबन्धन परियोजना के तत्वाधान में वन पंचायतों में गठित महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गये कृषि तथा अन्य उत्पादों के विक्रय केन्द्र ‘‘माई रिफिल स्टोर’’ का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी विभागों को राज्य में लोगों के लिए स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए टारगेट दिये हुए हैं। किस तरह से लोगों की आजीविका में वृद्धि की जा सकती है और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी कैसे और बढ़ाई जा सकती है। इस दिशा में अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत, विधायक गणेश जोशी, मेयर सुनील उनियाल गामा, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला आदि उपस्थित थे।