उत्तराखंड के सिलाई बैंड क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते सड़क पूरी तरह बह चुकी है। सड़क के टूटने से जहां राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में विभाग को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं सात लापता मजदूरों की खोज में भी खराब मौसम लगातार बाधा बन रहा है।
बारिश के चलते मलबा और पानी लगातार सिलाई बैंड क्षेत्र में जमा हो रहा है, जिससे सड़क निर्माण का कार्य बार-बार रुक जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, ओजरी के समीप सड़क बहने के कारण गीठ पट्टी क्षेत्र के कई गांव लगातार दूसरे दिन भी जनपद और तहसील मुख्यालय से कटे हुए हैं। इससे न केवल आवागमन बाधित हुआ है, बल्कि ग्रामीणों को आवश्यक सुविधाएं और राहत सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है।
प्रशासन की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन मौसम की मार के चलते राहत कार्यों में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर या वैकल्पिक रास्तों से राहत सामग्री पहुंचाई जाए और लापता मजदूरों की तलाश तेज की जाए।
देहरादून- गर्मियों की छुट्टियों के बाद मंगलवार से स्कूल दोबारा खुल गए हैं, लेकिन राज्य के 942 स्कूल भवनों की जर्जर हालत बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है। कहीं छतें टपक रही हैं तो कहीं पानी भरने से फर्श फिसलन भरा हो गया है। कई स्कूलों में सुरक्षा दीवारें न होने के कारण भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है।
बारिश में खतरे के साए में शिक्षा
देहरादून जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता और कालसी क्षेत्रों में कई स्कूल बेहद जर्जर स्थिति में हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत के अनुसार, शहरी क्षेत्र के कई स्कूल परिसरों में भी जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बताया कि बरसात के मौसम में जलभराव और भूस्खलन से बच्चों की जान को खतरा रहता है। उन्होंने मांग की कि खराब हालत वाले स्कूलों की मरम्मत जल्द की जाए और जून की छुट्टियों को जुलाई में स्थानांतरित किया जाए, जिससे बरसात में छात्रों और शिक्षकों को परेशानी न हो।
भवन ध्वस्तीकरण और निर्देश जारी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि माध्यमिक स्तर पर 19 स्कूल भवनों की स्थिति बेहद खराब थी, जिनमें से कुछ को तोड़कर नए भवन बनाए जा चुके हैं। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे भवनों में बच्चों को न बैठाया जाए।
जिलावार आंकड़े
राज्य के विभिन्न जिलों में जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति इस प्रकार है:
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पिथौरागढ़ – 163
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अल्मोड़ा – 135
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टिहरी – 133
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नैनीताल – 125
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पौड़ी – 107
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देहरादून – 84
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ऊधमसिंहनगर – 55
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हरिद्वार – 35
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रुद्रप्रयाग – 34
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चमोली – 18
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चंपावत – 16
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बागेश्वर – 06
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उत्तरकाशी – 12
सुरक्षा के विशेष निर्देश
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छात्रों को किसी भी हालत में खस्ताहाल भवन, कक्ष या दीवार के पास न बैठाया जाए। बरसात के दौरान विद्यालय के आसपास यदि नाला हो, तो छात्रों के आवागमन में विशेष सावधानी बरती जाए। साथ ही, स्कूल परिसरों में जलभराव रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं।
उत्तराखंड में अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 का आयोजन, मुख्यमंत्री धामी और इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन रहे मौजूद
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में विकसित भारत 2047 के निर्माण के लिए हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अन्तरिक्ष सम्मेलन 2025 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश भर से आए वैज्ञानिकों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान तक सीमित न रहकर संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला द्वारा तिरंगा फहराने पर इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को बधाई दी और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुभांशु शुक्ला का मिशन गगनयान व भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया तथा इसरो द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार विज्ञान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है और प्रदेश में साइंस सिटी, साइंस एवं इनोवेशन सेंटर, एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन व अन्य अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर कार्य तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और प्रदेश के सतत विकास में सहयोगी सिद्ध होगा।
इसरो चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने कहा कि 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था। 1963 से अब तक भारत ने 100 से अधिक रॉकेट लॉन्च किए हैं। 1975 तक हमारे पास अपने कोई सेटेलाइट नहीं थे, लेकिन अब भारत के पास अपने 131 सैटेलाइट हैं। टीवी ब्रॉडकास्ट से लेकर हर जगह सैटेलाइट बड़े पैमाने पर मददगार साबित हो रहे हैं। इसरो द्वारा ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम पर कार्य किया जा रहा है। उस रॉकेट पर कार्य किये जा रहे हैं, जो पृथ्वी की लोवर ऑर्बिट पर 75 हजार किलो तक के सेटेलाइट को लॉन्च करेगा, जिसे करीब 27 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
इसरो चेयरमैन ने कहा कि एक समय था जब हमारे रॉकेट साइकिल से ले जाए करते थे, पर आज भारत ने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमने दुनिया में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणु की मौजूदगी का पता से लगाया है। भारत पहला देश है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहली बार लैंड किया है। भारत, आदित्य एल-1 मिशन के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया है। भारत ने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था और मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने वाला चौथा देश है। हमारा लक्ष्य 2030 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने एवं 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित भारत अवश्य बनेगा।
निदेशक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष में सेटेलाइट हमें जीपीएस नेविगेशन के साथ कई तरह के अपडेट देते हैं। उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था। ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान हमने सेटेलाइट के माध्यम से मेपिंग की और डेटा तैयार किया, जिसका प्रयोग बाद में राष्ट्रीय नीति में भी किया गया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट में इस डाटा का इस्तेमाल किया गया। अर्थ ऑब्जर्वेशन, सेटेलाइट संवाद एवं सेटेलाइट नेविगेशन ने पूरी तरह से हमारे जीवन को बदलने का काम किया है। उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान मैपिंग, वन संरक्षण एवं वनाग्नि की मैपिंग के क्षेत्र में सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ग्लेशियर लेक की मॉनिटरिंग, बाढ़, बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान का भी काम किया जा रहा है।
मुख्य सचिव आंनद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को अपनाने और इसके लिए स्थाई वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने तथा से कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्सयूशन की उपलब्ध इमेजरी को रिलय टाईम व गैर व्यावसायिक आाधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं वैज्ञानिक मौजूद थे।
पांच जिलों में मॉक ड्रिल कर आपात तैयारियों का किया गया परीक्षण
देहरादून। उत्तराखंड में बाढ़ आपदा से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए राज्य के पांच जिलों — हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत और देहरादून — में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, लोक निर्माण विभाग (PWD) सहित कई संबंधित एजेंसियों ने सक्रिय भागीदारी की।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने ड्रिल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। देहरादून में मॉक ड्रिल के दौरान बाढ़ की स्थिति में एक मकान गिरने की काल्पनिक घटना के आधार पर राहत और बचाव कार्यों का परीक्षण किया गया।
देहरादून के एसडीएम हरि गिरि ने बताया कि जिला प्रशासन आपदा के हर संभावित खतरे के लिए तैयार है, खासकर बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
आपातकालीन और सुरक्षा बलों के वाहनों को ही मिलेगी छूट
देहरादून। चारधाम यात्रा और मानसून के चलते उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर खतरा बढ़ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से रात्री समय में वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
मानसून के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जनपद के सभी पुलिस बैरियरों पर रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक सामान्य वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इस दौरान केवल एंबुलेंस, आपातकालीन सेवाएं, और सैन्य या अर्द्धसैनिक बलों के वाहन ही चल सकेंगे।
गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे समेत अन्य राज्य और संपर्क मार्गों पर लगातार भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। साथ ही वर्तमान में चारधाम यात्रा भी जारी है, जिससे यातायात का दबाव काफी अधिक है। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने यह आदेश जारी किया है।
जनपद में कुल 6 पुलिस बैरियर स्थापित हैं। आदेश के तहत रात 9 बजे के बाद आने वाले वाहनों को इन बैरियरों के पास सुरक्षित स्थानों पर रोका जाएगा। प्रशासन का कहना है कि पिछले वर्षों में रात के समय भूस्खलन के कारण कई हादसे हुए हैं, जिन्हें देखते हुए यह कदम जरूरी है।
जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस अवधि में स्थानीय निवासियों के निजी वाहनों को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। आदेश की सख्ती से पालना सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया दो राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिताओं का समापन
पदक विजेताओं को मेडल पहनाकर किया सम्मानित
हरिद्वार। खेल मंत्री रेखा आर्या ने रविवार को 42वी नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप और 28वीं नेशनल पूमसे ताइक्वांडो चैंपियनशिप का समापन किया। रोशनाबाद के वंदना कटारिया स्टेडियम में उन्होंने पदक विजेताओं को पदक पहनकर सम्मानित किया। इन प्रतियोगिताओं में 18 राज्यों से आए कुल 700 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि धार्मिक पर्यटन के बाद अब उत्तराखंड खेल पर्यटन का भी तीर्थ बन गया है। उन्होंने कहा कि बीते तीन दिनों में चार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का उद्घाटन और समापन उन्होंने किया है। इससे स्पष्ट है कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ अब खेल भूमि बन रहा है।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि खेल अनुशासन, प्रतिबद्धता, ईमानदारी और समर्पण जैसे जीवन मूल्य भी सिखाता हैं। उन्होंने कहा कि जिन खिलाड़ियों ने इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं आगे चलकर वही देश के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतेंगे।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से बहुत संभव है कि 2036 ओलंपिक का आयोजन भारत में हो, खिलाड़ियों को इसके लिए अभी से लक्ष्य बनाकर तैयारी में जुट जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जिस तरह हर घर से एक सैनिक निकलता रहा है ठीक वैसे ही भविष्य में यहां हर घर से एक खिलाड़ी पैदा होना चाहिए।
इस अवसर पर फादर ऑफ ताइक्वांडो इन इंडिया डा. जिमी आर जगत्यानी, निदेशक ताइक्वांडो फेडरेशन आफ इंडिया पीटर जगत्यानी, जिला खेल अधिकारी शबाली गुरुंग, देवभूमि उत्तराखंड ताइक्वांडो एसोसिएशन अध्यक्ष अवधेश कुमार, महासचिव राहुल धीमान, तकनीकी निदेशक मनोज त्यागी, आनंद भारती, जितेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
मानसून के दृष्टिगत दो माह तक 24 घण्टे अलर्ट मोड पर रहने के अधिकारियों को दिये निर्देश
नियमित रूप से ग्राउंड पर रहकर सभी व्यवस्थाएं देखेंगे अधिकारी
श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ठहराने, भोजन, दवा और बच्चों को दूध की पर्याप्त् उपलब्धता सुनिश्चित करने के दिये निर्देश
गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व अस्पतालों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए-सीएम
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को आईटी पार्क, स्थित उत्तराखण्ड राज्य आपतकालीन परिचालन केन्द्र पहुंचकर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही वर्षा की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने मानसून के दृष्टिगत आगामी दो माह तक शासन और प्रशासन के अधिकारियों को 24 घण्टे अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिये हैं। मानसून अवधि के दौरान अधिकारियों को नियमित रूप से ग्राउंड पर रहकर सभी व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा पर आये सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा की दृष्टि सबंधित जिलाधिकारियों को आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए भोजन, दवाइयों और बच्चों के लिए दूध और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि अत्यधिक बारिश की सम्भावनाओं के दृष्टिगत और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए अगले 24 घण्टे के लिए चारधाम यात्रा को रोका गया है।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि नदियों और गदेरे के आस-पास रह रहे और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थलों पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जिन क्षेत्रों में निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां पर लोग सुरक्षित स्थानों पर हों। मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के तहसील बड़कोट क्षेत्र में बादल फटने की वजह से मिसिंग मजदूरों के सर्च और रेस्क्यू अभियान में और तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं। 29 मजदूरों में से 20 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन का सर्च अभियान जारी है, दो शवों को निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि रूद्रप्रयाग में हुए वाहन दुर्घटना में जो लोग अभी लापता हैं, उनकी खोजबीन कार्यों में और तेजी लाई जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी जनपदों में गर्भवती महिलाओं की डाटा बेस बनाया जाए। सितम्बर माह तक जिन महिलाओं का डिलीवरी होनी है, उनका नियमित अपडेट रखा जाए। प्रसव पूर्व उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। जच्चा और बच्चा की सुरक्षा की दृष्टि से सभी प्रभावी कदम उठाये जाए।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान जिलाधिकारियों से विभिन्न जनपदों में हो रही बारिश, सड़कों की स्थिति एवं अन्य मूलभत सुविधाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश के कारण जो सड़के क्षतिग्रस्त हो रही हैं, उनको जल्द खुलवाने की व्यवस्था की जाए। संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी और अन्य आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जिन क्षेत्रों में नदी, नाले, गदेरे रास्ते बदल सकते हैं, ऐसे क्षेत्रों में आश्यकता पड़ने पर चैनलाइजेशन और अन्य प्रबंधन जो सुरक्षात्मक दृष्टि से हो सकते हैं, किये जाएं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, विनोद कुमार सुमन, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, अपर सचिव बंशीधर तिवारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप, राजकुमार नेगी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुड़े थे।
मुख्यमंत्री ने जिलों को आपदा से निपटने के लिए पूर्ण सतर्कता बरतने को कहा
देहरादून। उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के कारण उत्पन्न आपदा के मद्देनज़र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं मोर्चा संभालते हुए हालात का जायज़ा लिया। मुख्यमंत्री राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) पहुंचे, जहां उन्होंने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली समेत प्रभावित जिलों के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया और नुकसान की स्थिति की विस्तृत जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा करते हुए प्रशासन को तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए। उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना के बाद जारी राहत अभियानों की जानकारी लेते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए भोजन, चिकित्सा और आवश्यक सुविधाएं तत्काल मुहैया कराने को कहा। साथ ही बंद सड़कों को शीघ्र खोलने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन को पूर्ण सतर्कता में रहने के निर्देश दिए।
“देश के लिए बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता” — गणेश जोशी
देहरादून। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने देहरादून के हाथीबड़कला में अमर शहीद मेजर भूपेन्द्र कण्डारी की पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। इस दौरान उन्होंने शहीद के पिता गजेंद्र कंडारी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया।
शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड वीरों और देशभक्तों की भूमि है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शहीदों को सामाजिक सम्मान दिलाने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के इतिहास में पहली बार 1734 शहीदों के आंगन से पवित्र माटी एकत्र कर सैन्यधाम में लाई गई, साथ ही 28 पवित्र नदियों का जल भी एकत्र किया गया। उन्होंने कहा कि सैन्यधाम का निर्माण अंतिम चरण में है और जल्द ही इसका लोकार्पण किया जाएगा।
मंत्री जोशी ने यह भी कहा कि अब शहीदों की स्मृति में स्मारक और द्वारों का निर्माण सैनिक कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने क्षेत्र में अपने निजी मद से अमर शहीद मेजर भूपेन्द्र कण्डारी की मूर्ति स्थापित करने की घोषणा करते हुए इसके लिए उपयुक्त स्थान चिह्नित कर निर्माण का भरोसा दिलाया।
शहीद के पिता गजेंद्र सिंह कंडारी ने बताया कि शहीद मेजर कण्डारी राजपूताना राईफल्स में थे और वर्ष 2003 में राजौरी में आंतवादियों से एक मुठभेड़ के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद को भारत सरकार द्वारा मरणोपरंत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
इस दौरान मेजर जनरल (सेनि) सम्मी सभरवाल, पार्षद भूपेंद्र कठेत, शहीद के पिता गजेंद्र कंडारी, शहीद के भाई शैलेंद्र सिंह कंडारी, राहुल राणा, अशोक गुप्ता सहित कई क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।
सीएम धामी ने लिया संज्ञान, राहत-बचाव कार्य तेज करने के निर्देश
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में शनिवार देर रात कुदरत का कहर देखने को मिला। यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़-ओजरी डाबरकोट के बीच सिलाई बैंड के पास बादल फटने से भारी तबाही मची। एक निर्माणाधीन होटल स्थल पर तेज सैलाब के चलते मजदूरों के टेंट बह गए, जिससे कई श्रमिक लापता हो गए हैं।
प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमों ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत-बचाव अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से तत्काल रिपोर्ट लेते हुए राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
घटना की जानकारी
यह हादसा रात करीब 12 बजे हुआ। बड़कोट थानाध्यक्ष दीपक कठेत ने बताया कि हाईवे पर निर्माण कार्य में लगे मजदूर टेंटों में सो रहे थे, जब अचानक पानी और मलबे का तेज बहाव आया। शुरुआती सूचना के मुताबिक 19 मजदूरों में से 9 लापता हैं, जिनमें 5 नेपाली मूल के, 3 देहरादून और 1 उत्तर प्रदेश से हैं। 10 मजदूरों को रेस्क्यू कर सुरक्षित पालीगाड़ लाया गया।
मुख्यमंत्री धामी की निगरानी में राहत कार्य
सीएम धामी ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि सभी संबंधित एजेंसियां राहत कार्य में लगी हैं और वे खुद लगातार निगरानी कर रहे हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि पुलिस और सेना के जवान भी राहत कार्य में जुटे हैं। फिलहाल लगभग 45 लोग राहत टीम के साथ रास्ते में हैं और घटनास्थल पर पहुंचने का प्रयास जारी है।
यमुनोत्री हाईवे पर कई स्थानों पर यातायात अवरुद्ध
बादल फटने की वजह से यमुनोत्री हाईवे सिलाई बैंड समेत कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गया है। ओजरी क्षेत्र में सड़क पूरी तरह बह गई है, वहीं खेतों में मलबा भर गया है। स्यानाचट्टी में कुपड़ा-कुंशाला पुल को भी खतरा बना हुआ है। यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं।
यमुना नदी का बहाव थमा, बनी झील
स्याना चट्टी के पास कुपड़ा कुनसाला मोटर मार्ग पर भारी मलबा और बोल्डर गिरने से यमुना नदी का बहाव रुक गया है, जिससे वहां झील बनने लगी है। स्थानीय निवासी जयपाल सिंह रावत ने बताया कि होटल की सीढ़ियों तक पानी पहुंच गया है और हालात भयावह बने हुए हैं।