चारधाम यात्रा में पहली बार तैनात होंगे पीजी डॉक्टर, तीर्थयात्रियों को मिलेगा मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा कवच..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा को लेकर इस बार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की अनुमति के बाद यात्रा मार्गों पर पहली बार पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। इस कदम से यात्रा में शामिल लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर और विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। NMC की घोषणा के बाद देशभर के मेडिकल कॉलेजों से पीजी डॉक्टर यात्रा में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए संपर्क कर रहे हैं। उत्तराखंड शासन ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बता दे कि अब तक चारधाम यात्रा के दौरान अधिकतर जगहों पर प्राथमिक उपचार या सामान्य चिकित्सा सेवा ही उपलब्ध होती थी। लेकिन इस बार विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी से जटिल और आकस्मिक स्थितियों से भी प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा। राज्य सरकार की मंशा है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं पहले से कहीं अधिक सशक्त और भरोसेमंद हों। देश के अलग-अलग राज्यों से पीजी डॉक्टर इस सेवा के लिए आगे आ रहे हैं। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए लाभदायक होगा, बल्कि पीजी डॉक्टरों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य अनुभव भी मिलेगा। यह व्यवस्था मेडिकल शिक्षा और सामाजिक सेवा दोनों के लिहाज़ से एक मिसाल बनने जा रही है।
एमडी, एमएस व डीएनबी पीजी डॉक्टर चारधाम यात्रा में सेवा देकर डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम (डीआरपी) प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि यात्रा के दौरान दी गई सेवाएं क्लीनिकल रोटेशन या डीआरपी के तहत मान्य होंगी। डॉक्टरों को इसके लिए अलग से तीन माह की ट्रेनिंग नहीं करनी पड़ेगी।
तीर्थयात्रियों को विशेषज्ञ सेवाएं मिलेगी..
प्रदेश सरकार ने चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए एनएमसी से पीजी डॉक्टरों की स्वैच्छिक तैनाती की अनुमति मांगी थी। एनएमसी की मंजूरी के बाद अब देश भर के मेडिकल कॉलेजों से पीजी कर रहे डॉक्टरों से यात्रा में सेवाएं देने के लिए सकारात्मक प्रक्रिया मिल रही है।स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का कहना हैं कि पीजी डॉक्टरों की यात्रा में तैनाती के निर्णय से तीर्थयात्रियों को विशेषज्ञ सेवाएं मिलेगी। इसके साथ ही प्रशिक्षु डॉक्टरों को उच्च हिमालयी चिकित्सा और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा।