एक ही या मिश्रित टीकों की तीन खुराक महामारी से बचाव में समान रूप से कारगर..
देश-विदेश: कोरोना महामारी से निपटने के लिए विकसित टीकों के असर को लेकर अब तक के सबसे बड़े अध्ययन की रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें दावा किया गया है कि एक ही तरह के कोविड टीके की तीन खुराक या मिश्रित टीकों की एक खुराक महामारी से बचाव में समान रूप से कारगर है। ये खुराक कोरोना के विभिन्न वैरिएंट्स से भी बचाव में प्रभावी हैं। अध्ययन के नतीजों में कहा गया है कि खुराक की संख्या इम्युनिटी बढ़ाने में निर्णायक भूमिका अदा करती है, बजाए अलग अलग वैक्सीनों की मिश्रित खुराक के। इस अध्ययन से स्वास्थ्य एजेंसियों को भविष्य में निर्णय लेने में सुविधा होगी।
शोधकर्ताओं का कहना हैं कि कोविड-19 के लिए एक ही टीके की प्रभावशीलता सबको स्पष्ट है, जबकि मिश्रित टीकों के असर को लेकर स्पष्टता कम है, खासकर बुजुर्गों और प्रतिरक्षा में अक्षम लोगों के मद्देनजर। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड संक्रमण और इससे मौतों में तीव्र गिरावट के बावजूद टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम होने और नए वैरिएंट की आशंका को देखते हुए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन से वैक्सीन कॉम्बिनेशन सबसे प्रभावी हैं।
चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 38 कोविड-19 डाटाबेस का विश्लेषण किया। इसमें कोविड वैक्सीन के स्वीकृत 24 मिश्रित टीकों और सात अलग-अलग वैक्सीन लेने वाले 10 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों को शामिल करते हुए 53 परीक्षण किए।
शोधकर्ताओं के अनुसार एमआरएनए वैक्सीन की तीन खुराक कोविड संक्रमण रोकने में सबसे प्रभावी पाई गई। इसी तरह कोई भी समान या अलग अलग तीन खुराकें भी संक्रमण रोकने में तुलनात्मक रूप से अच्छी तरह से काम करती हैं। इतना ही नहीं ये कोरोना के विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी हैं। एक ही वैक्सीन की तीन खुराक को सजातीय खुराक माना जाता है, जबकि तीसरी खुराक यदि पहले ली गई दो खुराकों से अलग हो तो उसे विषम खुराक कहा जाता है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि किसी भी एमआरएनए वैक्सीन की तीन खुराक कम गंभीर संक्रमण से बचाव में सबसे ज्यादा यानी 96 फीसदी प्रभावी है। यह अस्पताल में भर्ती होने की जोखिम 95 फीसदी तक कम करने में सबसे ज्यादा असरकारी है।
कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को मिलेगा पांच लाख का मुफ्त इलाज, हर महीने मिलेंगे 4000..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना की शुरुआत की हैं। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सशक्त बनाने के लिए इस योजना का आंरभ किया गया हैं। इसमें अनाथ बच्चों के बैंक खातों में पीएम केयर्स फंड से छात्रवृत्ति भेजी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सरकार अनाथ बच्चों के साथ है। हम बच्चों की हर तरह से मदद करेंगे। पीएम मोदी का कहना हैं कि मैं आपसे परिवार के सदस्य के तौर पर बात कर रहा हूं। मैं जानता हूं कोरोना की वजह से जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके जीवन में आया ये बदलाव कितना कठिन है। जो चला जाता है, उसकी हमारे पास सिर्फ चंद यादें ही रह जाती हैं, लेकिन जो रह जाता है उसके सामने चुनौतियां का अंबार लग जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन्स, कोरोना प्रभावित बच्चों की मुश्किलें कम करने का एक छोटा सा प्रयास है। यह इस बात का भी प्रतिबिंब है कि हर देशवासी पूरी संवेदनशीलता से आपके साथ है। बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए उनके घर के पास ही सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में उनका दाखिला कराया जा चुका है। अगर किसी को प्रॉफेशनल कोर्स के लिए, हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन चाहिए होगा तो पीएम केयर्स उसमें भी मदद करेगा। रोजमर्रा की दूसरी जरूरतों के लिए अन्य योजनाओं के माध्यम से ऐसे बच्चों के लिए 4 हजार रुपए हर महीने की व्यवस्था भी की गई है। ऐसे बच्चे जब अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करेंगे, तो आगे भविष्य के लिए और भी पैसों की जरूरत होगी। इसके लिए 18-23 साल के युवाओं को हर महीने स्टाइपेंड मिलेगा और जब आप 23 साल के होंगे तब 10 लाख रुपये आपको एक साथ मिलेंगे। साथ ही अगर कोई बच्चा बीमार पड़ता है तो उसे इलाज के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन के माध्यम से आपको आयुष्मान हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है, इससे पांच लाख तक इलाज की मुफ्त सुविधा रहेगी।
उत्तराखंड में 24 घंटे में मिले आठ नए कोरोना संक्रमित..
उत्तराखंड: प्रदेश में बीते 24 घंटे के भीतर पांच जिलों में आठ नए कोरोना संक्रमित मिले हैं, जबकि 14 मरीज ठीक हुए हैं। इसके साथ ही 70 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है। तीसरी लहर में कुल संक्रमितों की संख्या 92747 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बुधवार को 1450 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है।
जिन पांच जिलों में आठ लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसमें देहरादून जिले में तीन, हरिद्वार में दो, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, टिहरी जिले में एक-एक संक्रमित मिले हैं। 14 मरीज स्वस्थ हुए हैं। संक्रमितों की तुलना में अधिक मरीज ठीक हो रहे हैं। जिससे सक्रिय मामले कम हो रहे हैं। 12 जिलों में 70 मरीजों का इलाज चल रहा है। इसमें अधिकतर संक्रमित होम आइसोलेशन में हैं। प्रदेश की रिकवरी दर 96.11 प्रतिशत और संक्रमण दर 0.55 प्रतिशत रही।
जून से सभी ट्रेनों में रेलवे मुहैया करवाएगा कंबल, चादर और तकिया..
देश-विदेश: ट्रेनों में एसी कोच में यात्रा करने वाले लोगों को अब अपने साथ चादर ले जाने की जरुरत नहीं होगी। रेलवे जून माह से सभी ट्रेनों में कंबल, चादर और तकिया मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए रेलवे ने सभी जोनों को जल्द से जल्द यह सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। बता दे कि इस समय में 529 जोड़ी ट्रेनों में यह सुविधा शुरू हो चुकी है। जबकि कुल 1114 जोड़ी ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जानी है। भारतीय रेलवे ने कोरोना के चलते ट्रेनों में तकिया, चादर, कंबल की सुविधा देनी बंद कर दी थी। लेकिन अब संक्रमण कम होने के बाद रेलवे यह सुविधा दोबारा से शुरू कर चुका है।
रेल मंत्रालय का कहना हैं कि कोरोना से पहले प्रीमियम ट्रेनों के अलावा मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनें मिलाकर 1700 जोड़ी से अधिक ट्रेनें चलती थीं। इन ट्रेनों में से 1114 जोड़ी ट्रेनों में तकिया, चादर, कंबल आदि की सुविधा उपलब्ध करानी है। मौजूदा समय 529 जोड़ी ट्रेनों में यह सुविधा चालू हो चुकी है और बची हुई 585 ट्रेनों में यह सुविधा अगले माह उपलब्ध करा दी जाएगी। रेलवे मंत्रालय का कहना हैं कि रोजाना करीब 7.5 लाख तकिया, चादर, कंबल आदि की जरूरत पड़ती है।
अब तक चल रही थी यह व्यवस्था.
रेलवे ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए यात्रियों को कई ट्रेनों में डिस्पोजेबल बेड रोल देने की सुविधा शुरू की थी। कई स्टेशनों पर भी यात्रियों के लिए बेड रोल लेने के लिए स्टॉल लगाए गए थे। इसके लिए यात्रियों को 150 से 300 रुपये तक चुकाना पडते थे। रेलवे ने यह किट यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए तैयार की थी। इसमें कंबल के साथ टूथपेस्ट, मास्क और हैंड सैनिटाइजर जैसी चीजें भी शामिल थीं।
24 घंटे में मिले कोरोना के 2,364 नए मामले, 10 की मौत..
देश-विदेश: देश में कोरोना के नए मामलों में फिर से बढ़ोतरी होने लगी है। गुरुवार यानि आज कोरोना के 2364 नए मामले सामने आये हैं। जबकि बुधवार को 1829 नए केस मिले थे। वहीं, मंगलवार को 1569 नए मामले सामने आए थे। गुरुवार सुबह 8 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार बीते दो दिनों से नए संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, नए संक्रमितों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या ज्यादा है। बीते 24 घंटे में 2582 लोगों ने कोरोना को मात दी तो 10 लोगों की मौत हो गयी।
देश में सक्रिय केस में 228 की कमी आई है और इनकी संख्या ये 15,419 हैं। देश में महामारी से 10 और मौतों के साथ कुल मौतें 5,24,303 हो गई है। गुरुवार को 2364 नए संक्रमित मिले, इन्हें मिलाकर देश में कोविड मरीजों की कुल संख्या 4,31,29,563 हो गई है।
बीते तीन दिनों के मौत के आंकड़ों को देखें तो इनमें भी तेज घट-बढ़ हो रही है। बुधवार को कोरोना से 33 लोगों की मौत हुई थी, जबकि मंगलवार को 19 की तो गुरुवार को 10 लोगों की मौत हुई।मंत्रालय के अनुसार दैनिक संक्रमण दर 0.50 फीसदी और साप्ताहिक दर 0.55 फीसदी दर्ज की गई। देश में बीमारी से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 4,25,89,841 हो गई, जबकि मृत्यु दर 1.22 फीसदी दर्ज की गई। कोरोना के खिलाफ देशव्यापी टीकाकरण जारी है। अब तक 191.79 करोड़ से अधिक कोविड खुराक दी जा चुकी है।
चीन ने कोविड से पहले ही आधी दुनिया को गुलाम बनाने की रची थी यह साजिश..
देश-विदेश: चीन ने कोविड से पहले ही आधी दुनिया को गुलाम बनाने की बड़ी साजिश रच ली थी। ताकि गरीब और विकासशील देश आर्थिक रूप से टूट जाएं और उसके गुलाम हो जाएं। आपको बता दे कि चीन ने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ से दुनिया के सभी छोटे और कुछ बड़े देशों को अपने चंगुल में फंसा लिया है। इन देशों को कोविड से पहले चीन ने निवेश के नाम पर इतना कर्ज दिया कि वहां की अब अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। कोविड ने अर्थव्यवस्था चौपट की तो ये कर्जदार देश चीन की ग़ुलामी को बढ़ चले। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश तो चीन किसी कुटिल चाल में फंस कर राजनीतक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि अब चीनी कर्ज से लदे देशों को उसकी कुटिल चाल से बचने के लिए सोचना होगा।
बीआरआई को बनाया हथियार
एशिया की राजनीति को बहुत करीब से समझने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभिषेक सिंह का कहना हैं कि चीन ने कोविड के पहले दुनिया के अलग-अलग छोटे बड़े और विकासशील समेत गरीब मुल्कों मे ऐसी साजिश रची कि आधी दुनिया उसके झांसे में आ गई। वे कहते हैं कि दरअसल चीन में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के माध्यम से ऐसा जाल फेंका। प्रोफेसर अभिषेक के अनुसार चीन ने 2013-14 में पूरी दुनिया में व्यापार को सड़कों और समुद्री मार्गों से सुगम बनाने का खाका तैयार किया। जिसका नाम बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव रखा। इस रोडमैप के के लिए चीन ने जो मॉडल प्रस्तुत किया, उसमें पूरी दुनिया के देशों को एक रास्ते से जोड़ने का पूरा प्लान था। यह बिजनेस कॉरिडोर दुनिया के उन सभी देशों के बीच से होकर गुजरना था, जो इस प्रोग्राम के हिस्सेदार होंगे। छोटे देश और गरीब देश समेत कई विकासशील देश इस योजना के भागीदार बनने को राजी हो गए।
यूरेशियन इकोनॉमिक ट्रेड चेंबर के सलील अरोड़ा कहते हैं कि चीन ने इसी योजना के तहत ऐसे देशों में जमकर निवेश किया। यह निवेश चीन ने इन देशों में बराबर की भागीदारी के तहत क़िया। चीन की इस बराबर भागीदारी का मतलब यह था कि जितना निवेश चीन उस देश में कर रहा है, वह उसे कर्ज के तौर पर माना जाए। जिसे एक तय सीमा के भीतर उस देश को चीन को वापस करना होगा। विदेशी मामलों के जानकार और पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे एसपी सिन्हा कहते हैं कि चीन ने यही दांव खेलकर दुनिया के कई देशों को अपने रोड जाल में फंसा लिया। इसमें फंसने वाले देशों में सबसे बुरा हाल श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ। जबकि एशिया के कई मुल्क अभी भी चीन की इस खतरनाक साजिश के शिकार होने की कगार पर हैं। दरअसल चीन ने एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के माध्यम से दुनिया के कई मुल्कों को इस रोड जाल के माध्यम से कर्ज दिलवाया। इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से संबंधित दस्तावेजों पर दस्तखत भी करवाए। इसमें श्रीलंका, मालदीव, मलेशिया, सिंगापुर समेत दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के देशों समेत अफ्रीकी महाद्वीप के कई देश शामिल हैं।
भारत में 12 से 18 वर्ष के किशोरों को लगेगा नोवोवैक्स वैक्सीन का टीका..
देश-विदेश: नोवोवैक्स और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मंगलवार को भारत में 12-18 साल की उम्र के किशोरों के लिए अपने कोविड-19 वैक्सीन के पहले आपातकालीन उपयोग की मंजूरी की घोषणा की। नोवोवैक्स द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, वैक्सीन को NVX-CoV2373 के रूप में भी जाना जाता है। वहीं भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा इसे ‘कोवोवैक्स’ नाम के तहत निर्मित किया जा रहा है। यह पहला प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जो भारत में इस आयु वर्ग में उपयोग के लिए अधिकृत किया गया है।
आपको बता दे कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के कारण होने वाले कोविड-19 बीमारी को रोकने के लिए सक्रिय टीकाकरण के लिए ‘कोवोवैक्स’ के आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति दी है। नोवावैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेनली सी एर्क का कहना हैं कि “हमें किशोरों के लिए इस वैक्सीन की पहली मंजूरी मिलने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि इस वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए एक वैकल्पिक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन का विकल्प प्रदान करेगी।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला का कहना हैं कि भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के किशोरों के लिए कोवोवैक्स की मंजूरी भारत और निम्न एवं मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) में हमारे टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा, “हमें अपने देश के किशोरों के लिए एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफ़ाइल के साथ प्रोटीन-आधारित कोविड-19 वैक्सीन देने पर गर्व है।
आपको बता दें कि डीसीजीआई ने पहले ही 28 दिसंबर को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए ‘कोवोवैक्स’ के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल वैक्सीन में भी ‘कोवोवैक्स’ का नाम शामिल है।
कैसे काम करती है यह वैक्सीन?
नोवोवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है और इसलिए मॉडर्ना और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाई गई वायरल-वेक्टर वैक्सीन और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाई गई निष्क्रिय-वायरस वैक्सीन से अलग है। प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है। जब भविष्य में वास्तविक वायरस का सामना होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बचाव होते हैं जो वायरस के इन बाहरी हिस्सों पर हमला करने और इसे जल्दी से नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। वहीं स्पाइक प्रोटीन अपने आप में हानिरहित, कोविड संक्रमण पैदा करने में असमर्थ होते हैं। यह कीट कोशिकाओं के भीतर, पेचीदा रूप से बनते हैं। फिर प्रोटीन को शुद्ध किया जाता है और एक सहायक घटक में जोड़ा जाता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है।
तेजी से बढ़ रहा हैं ओमिक्रॉन का स्टील्थ वैरिएंट..
देश-विदेश: भारत समेत दुनिया भर में कोरोना वायरस के नए केसों में लगातार गिरावट का दौर जारी है। इसके चलते उम्मीद की जा रही थी कि जल्दी ही देश को कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन अब यह उम्मीद कमजोर पड़ती दिख रही है। इसकी वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट का एक नया सब वैरिएंट डिवेलप होना है, जिसका नाम स्टील्थ रखा गया है। चीन में इसके मामले तेजी से मिल रहे हैं। इसके अलावा इजरायल ने भी इसके दो मामले मिलने की पुष्टि की है। इस नए वैरिएंट के चलते दुनिया में कोरोना वायरस की चौथी लहर आने का डर सताने लगा है।
आपको बता दे कि स्टील्थ सब वैरिएंट इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसे डिटेक्ट करना मुश्किल है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट से काफी अलग है। यह ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स से मिलकर बना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह सब-वैरिएंट भी ओमिक्रॉन के ही जितना खतरनाक है। वही WHO का कहना कि इस वैरिएंट पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि यह टेस्टिंग में कम मिलता है। इसके अलावा दुनिया भर में घटते केसों को लेकर भी संस्था ने कहा कि टेस्टिंग कम हुई है और इसके चलते भी मामले कम देखने को मिल रहे हैं।
क्या हैं कोरोना वायरस के स्टील्थ वैरिएंट के लक्षण..
आपको बता दे कि स्टील्थ वैरिएंट से संक्रमित लोगों में चक्कर आने, कमजोरी और थकान के लक्षण देखने को मिलते हैं। वायरस से संक्रमित होने के दो से तीन दिन बाद ये लक्षण पाए जाते हैं। इसके अलावा बुखार, खांसी, गला में खिंचाव होना, मांसपेशियों में दर्द, सर्दी लगना और दिल की धड़कनें तेज होना भी इसके लक्षण हैं। चीन में इस वैरिएंट के चलते तेजी से केसों में इजाफा हुआ है। वुहान में ही तीसरी बार कोरोना के केस 5,000 के पार पहुंच गए हैं। इसके अलावा इजरायल ने भी दो केसों की पुष्टि की है। भारत में 22 जून तक कोरोना की चौथी लहर शुरू हो सकती है, जो अगस्त के मध्य तक पीक पर होगी।
साल 2008-10 के बीच जन्मे बच्चे को आज से लग रही वैक्सीन..
देश-विदेश: 12 से 14 साल तक के बच्चों के लिए आज से कोरोना टीकाकरण शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के मौके पर की गई। बता दे कि 12 से 14 आयु वर्ग के लाभार्थियों को केवल हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल-ई द्वारा विकसित कोर्बेवैक्स का टीका ही लगाया जाएगा। लाभार्थी ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा सीधे टीकाकरण केंद्र पर जाकर भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। देश में इस आयु वर्ग के 4,74,73,000 बच्चों को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण में शामिल नहीं किया जा सकता है। टीका देने से पहले उक्त केंद्र के मुख्य अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि उम्र संबंधी दस्तावेज की जांच करने के बाद ही बच्चे का टीकाकरण किया जाए। मार्च 2022 तक इनकी आयु 12 से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यानि, 2008 से 2010 के बीच जन्मे बच्चों को ही यह वैक्सीन लगाई जाएगी।
28 दिन के अंतराल पर लेनी होंगी दो खुराक..
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों के साथ एक सूची भी साझा की है जिसके अनुसार देश में 12 से 13 साल के बीच 1,21,43,000 लड़के और 1,13,27,000 लड़कियां हैं। इसी तरह 13 से 14 साल के 1,22,50,000 लड़के और 1,14,23,000 लड़कियां हैं जिन्हें कोर्बेवैक्स की दो खुराक 28 दिन के अंतराल में देनी अनिवार्य है।
स्वास्थ्य सचिव का कहना हैं कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को एहतियाती डोज लगाए जा रहे हैं। इसमें उन लोगों को प्राथमिकता दी जाए, जिन्हें दूसरी खुराक लिए नौ माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है। अब तक करीब एक करोड़ 87 लाख लोगों को पहली और करीब डेढ़ करोड़ को दूसरी डोज दी जा चुकी है। ऐसे में जिन लोगों के दूसरी डोज का समय नौ माह हो चुका है उन्हें एहतियाती डोज दी जाएगी। एहतियाती डोज उसी कंपनी की दी जाएगी, जिसके दोनों डोज पहले दिए जा चुके हैं।
उत्तराखंड में कोविड को लेकर नई गाइडलाइन जारी..
उत्तराखंड: प्रदेश में कोविड केसों के बीच सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। बता दे कि कोरोना केसों में कमी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने नाइट कर्फ्यू हटा दिया है। नई गाइडलाइन के तहत, विवाह, सांस्कृतिक समारोह भी अब पूरी क्षमता के साथ हो सकेंगे। इसके साथ ही जिम, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हाल, सैलून को पूरी क्षमता के साथ संचालन करने की अनुमति दे दी गई है। मुख्य सचिव एसएस संधू की ओर से बुधवार को नई गाइडलाइन जारी की है।
उत्तराखंड में कोरोनो केसों की रफ्तार में कमी जरूर हुई है, लेकिन सरकार अभी कोई ज्यादा ढिलाई देने के मूड में नहीं दिख रही है। चुनावी प्रचार खत्म होने के बावजूद भी सरकार ने सख्ती बनाई रखी है। प्रदेश में राजनैतिक रैलियों सहित धरना प्रदर्शन पर फिलहाल अभी 28 फरवरी तक रोक जारी रहेगी। सरकार की नई एसओपी के अनुसार, प्रदेशभर में आंगनबाड़ी केंद्र एक मार्च से खुल सकेंगे।
आपको बता दे कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को सचिवालय में अधिकारियों के साथ कोविड की वर्तमान स्थिति की समीक्षा बैठक की। धामी का कहना हैं कि राज्य में कोविड माहमारी की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन इसके वाबजूद संक्रमण को हल्के में न लिया जाए।