- सुयश त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार व लेखक
कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से ना केवल भारत अपितु सम्पूर्ण विश्व एक गंभीर संकट झेल रहा है। भारत में पिछली लहर के मुकाबले इस लहर से संकट कई अधिक गहरा गया है। संकट गहराने की मुख्य वजह संक्रमण का शहरों के साथ ग्रामों की ओर रुख करना है। लगातार बढ़ते मरीजों के अनुपात में बढ़ती स्वास्थ्य जरूरतों का एक बड़ा अभाव समाज में दिखता है। शासन प्रशासन की पुरजोर कोशिशों के बाद भी शहरों से लेकर ग्रामों तक नागरिकों की पीड़ा उमड़ रही है।
महामारी के प्रकोप से चरमराती व्यवस्था में भारत के अनेक ग्रामों से नागरिकों का शासन से प्रश्न उठना जायज है, पर उन उठते प्रश्नों में गांधी जी की ग्राम स्वराज की अवधारणा से फलीभूत नागरिकों से भी कुछ प्रश्नों का स्वतः समरण हो उठता है। गांधी जी का मानना था भारत का विकास यहां के ग्रामों को केंद्र में रखे बिना संभव नही। उनका चिंतन ग्रामों का भौतिक रूप से पुनर्निर्माण का नही अपितु उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था।
कोरोना संक्रमण शहरों की तरह ग्रामों में भी तेजी से पांव पसार रहा है, वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं का शहरों से मुकाबला करना ही एक बेमानी सी होगीl गांधी जी की ग्राम स्वराज के माध्यम से ग्राम में निवासरत प्रत्येक ग्रामवासी की भारत के शासन में कैसे सहभागिता हो इसकी कल्पना थी, पर वर्तमान परिदृश्य में वो कल्पना अधूरी सी प्रतीत होती है।
आज हर दूसरा व्यक्ति स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक दोषारोपण करता है। बड़े नेताओं को सड़कों पर कोसता है, किंतु स्वयं के कर्तव्यों का विश्लेषण नहीं करता। अपने दायित्व का कभी बोध नही करता। प्रश्न भी तब करता है, जब बात हाथ से निकल चुकी होती है और उसके वो प्रश्न समाज में एक तनाव, अराजक व नकारात्मक वातावरण की स्तिथि उत्पन्न करने के सिवाय कुछ बड़ा बदलाव नही कर पाते।
उसे कभी स्वयं के मूलभूत अधिकारों की भी विवेचना करनी चाहिए कि उसने अपने ग्राम में होने वाली ग्राम सभाओं में कितनी बार ग्राम के विकास की योजना में सहभागिता ली होगी? कितनी बार अपने ग्राम के सरपंचों से वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों या विद्यालयों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करवाया होगा? कितनी बार वहां पर साक्षरता, स्वच्छ्ता, कोरोना से बचने के लिए जनजागरण जैसे मुद्दों को उठाया होगा? कितनी बार वहां के विकास कार्य, निर्माण कार्य में लगी राशि का जनपद और खंड कार्यालयों में जाकर सत्यापन करवाया होगा? कितनी बार उसने ग्राम में कार्य कर रहे शासकीय कर्मचारियों से काम को गंभीरता व समय के पाबंदी से करने का आग्रह किया होगा?
आखिर करे भी तो क्यों! हर कार्यरत्त व्यक्ति ग्राम स्तर पर उसका कहीं ना कहीं परिचित या रिश्तेदार ही होगा। अपने आस-पड़ोस ग्राम और शहर का हाल देख वो पीड़ित भी होता है और लोगों की जवाबदेही तय करने से भी डरता है। हालांकि गलती उसकी भी नही है, ये मानव स्वभाव होता ही ऐसा है, अपनी व समाज की गलतियों को दूसरों पर मढ़ने के लिए हमेशा व्यक्ति सॉफ्ट टारगेट ही चुना करते हैं। गांव में बैठा कोई व्यक्ति राज्य के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री को कोस कर अपनी कुंठा निकाल लेगा, जमघट लगाकर उसकी निंदा कर लेगा, किंतु स्थानीय स्तर पर जायज लोगों से कभी प्रश्न नही करेगा और ना ही कभी कोई बड़ा बदलाव ला पायेगा।
वो गांव के पंच, सरपंच, जनपद और प्रतिनिधियों से संवाद नही करेगा। उनका उपयोग शायद वो बस अपने घर में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में शोभा बढ़ाने के लिए ही करेगा। उसे अपने गांव के विकास से ज्यादा इस बात की चिंता रहेगी कि जनप्रतिनिधि सबसे पहले उसके घर पर आकर विराजमान हो, जिससे उसका व उसके परिवार का उसके गांव व आसपास के क्षेत्र में सम्मान बढ़े।
वो परिवर्तन जरूर लाना चाहता है पर उसका वो परिवर्तन सिर्फ विचारों तक ही सीमित है। जब बात वास्तविकता के धरातल पर आएगी तो प्रश्न कभी उसके परिजन पर उठेंगे तो कभी उसके परिचितों पर, जिससे उसकी क्रांति क्षणभर में शून्य होकर अधूरी रह जाएगी। उसे दूसरों राज्य में या किसी शहर में हुए चुनाव दिखेंगे। हरिद्वार में हुआ कुंभ दिखेगा, पर जब वो उनका असर अपने ग्राम पर देखेगा तो उसे दिखेगा की वहां ना अभी चुनाव थे, ना ही कुंभ और ना उन कारणों से वहां संक्रमण फैला, फिर आखिर क्यों उस ग्राम में ऐसी परिस्तिथि का निर्माण हो गया। मूल बात को छोड़कर वो हर अनर्गल बात करेगा, स्वयं तो भ्रमित बैठा ही है दूसरों को भी निरंतर भ्रमित करेगा।
अगर वास्तव में आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी ग्रामों में जमीनी स्तर पर ऐसे बड़े बदलाव आये होते तो यकीनन उनका असर आज ऊपर तक दिखता। वास्तविकता में क्क्त अभी खामियां निकालने की नहीं, ग्राम स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक एकजुट होकर इस महामारी से लड़ने का है। आज इस महामारी से पीड़ा की घड़ी में जिला अस्पताल और ब्लॉक स्तर पर बने अस्पतालों की व्यस्तता किसी से छुपी नही है। ऐसे में इस देश में कितने ऐसे गांव होंगे जिन्होंने स्वयं के क्वारंटाइन सेन्टर निर्मित किए होंगे?
प्रदेश और देश की चुनी हुई सरकार आपकी है, तो आपके ग्राम, आपके क्षेत्र का चुना हुआ सरपंच या प्रतिनिधि भी आपका ही है। वहां अनेक-अनेक दायित्वों पर बैठे विभिन्न अधिकारी भी आपके ही हैं, जिनसे सवाल जवाब करना ना सिर्फ आपका अधिकार है, अपितु गांव व क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आपका कर्तव्य भी है। बहरहाल, जिस दिन ग्रामों की सहभागिता जब कार्य योजना में बढ़ेगी तो गांधी जी की 150वी जन्मशताब्दी पार चुका भारत और उसे आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिए देश के वर्तमान प्रधानमंत्री का स्वप्न वास्तव में सच हो जाएगा।
In a meeting chaired by PM Narendra Modi, an important decision of allowing vaccination to everyone above the age of 18 from 1st May has been taken. PM said that the Government has been working hard from over a year to ensure that maximum numbers of Indians are able to get the vaccine in the shortest possible of time. He added that India is vaccinating people at world record pace& we will continue this with even greater momentum.
India’s National Covid-19 Vaccination Strategy has been built on a systematic and strategic end-to-end approach, proactively building capacity across R&D, Manufacturing and Administration since April 2020. While pushing for scale and speed, it has simultaneously been anchored in the stability necessary to sustainably execute the World’s Largest Vaccination Drive.
1 मई से कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू होगा, और इस दिन से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोग भी कोरोना का टीका लगवा सकेंगे
प्रधानमंत्री @narendramodi की अध्यक्षता में बैठक के दौरान यह फैसला किया गया।#COVID19Vaccination #LargestVaccinationDrive pic.twitter.com/YHQLkS994J
— सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (@MIB_Hindi) April 19, 2021
India’s approach has been built on scientific and epidemiological pillars, guided by Global Best Practices, SoPs of WHO as well as our India’s foremost experts in the National Expert Group on Vaccine Administration for Covid-19 (NEGVAC).
India has been following a dynamic mapping model based on availability of vaccines & coverage of vulnerable priority groups to take decisions of when to open up vaccinations to other age-groups. A good amount of coverage of vulnerable groups is expected by 30th April.
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उनके कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना पर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक समेत अनेक वरिष्ठ नेताओं ने शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी अजेय कुमार ने रविवार को खुद अपने ट्विटर हैंडल पर दी। उन्होंने लिखा- शुरुआती लक्षण दिखने पर मैंने कोविड की जांच कराई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रभु की कृपा से मैं स्वस्थ हूं तथा चिकित्सकों की देख-रेख में उपचार ले रहा हूं।
आप शीघ्रातिशीघ्र कोरोना को परास्त कर पुनः अपना कार्यभार कुशलता से संपादित करें, मैं भगवान बदरी विशाल और बाबा केदार से यह मंगलकामना करता हूं। https://t.co/h7Y1sWBKEh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) April 18, 2021
उनके कोरोना पॉजिटिव निकलने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट कर शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए अजेय कुमार से दूरभाष पर बात कर उनके स्वास्थ्य का हाल चाल भी जाना है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने ट्वीट कर प्रदेश महामंत्री (संगठन) के स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने अजेय कुमार के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए कहा कि अजेय कुमार लगातार चिकित्सकों के सम्पर्क में है और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेकर अपने कार्य में जुटेंगे।
उधर, पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि दिल्ली प्रवास के दौरान अजेय कुमार की मेडिकल रिपोर्ट पॉजिटिव आयी और उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया है। अजेय कुमार ने खुद के संपर्क में आये लोगों को अपना टेस्ट कराने को कहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए रविवार को आपात बैठक बुलाई और कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। बिना मास्क के घूमने वालों पर जुर्माने की राशि को 200 रूपए से बढ़ाकर 500 रूपए करने के निर्देश दिए। उन्होंने रात्रि कर्फ़्यू को सख्ती से लागू करने को कहा और कहा कि शादी-विवाह में लोगों की अनुमन्य संख्या को 200 से घटाकर 100 किया जाए।
बीजापुर हाउस में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति ज्यादा न बिगड़े, इसके लिए वर्तमान में लागू गाईडलाईन का अक्षरशः पालन करवाया जाना है। जो भी इसका उल्लंघन करे, उसके खिलाफ कार्यवाही में किसी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए। राज्य की सीमाओं पर आवश्यकतानुसार चेकपोस्ट स्थापित किए जाएं और बिना आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट के किसी को अनुमति न दी जाए। आगे की स्थिति का आंकलन करते हुए उसके अनुसार कोविड अस्पताल बनाए जाएं। अधिक से अधिक टेस्टिंग पर फोकस किया जाए।
कोविड की दवाओं की कालाबाजारी पर लाइसेंस निरस्त करने, टेस्टिंग बढ़ाने, फिलहाल चारधाम यात्रा और हेमकुण्ड साहिब की यात्रा पर आने वालों के लिए आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी करने के निर्देश दिए।
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) April 18, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि कोविड के ईलाज के जरूरी दवाईयों की ब्लैकमार्केटिंग न हो। यदि कोई दवा विक्रेता इसमें लिप्त पाया जाए तो तत्काल लाईसेंस निरस्त करते हुए सख्त से सख्त कार्यवही की जाए। कोविड से संबंधित सभी जरूरी उपकरण सरकारी अस्पतालों में उपलब्घ होने चाहिए। दवाईयों की कीमतों पर भी नियंत्रण रखा जाए। जिन जिलों में ज्यादा मामले आ रहे हैं, वहां नोडल अधिकारी तैनात किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल चारधाम यात्रा और हेमकुण्ड साहिब की यात्रा पर आने वालों के लिए आरटी-पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी कर दी जाए। उन्होंने कहा कि कोविड काल में प्रदेश की आर्थिकी को होने वाले नुकसान को किस प्रकार कम से कम किया जा सकता है, इसकी कार्ययोजना तत्काल बनाई जाए। उन्होंने वैक्सीनैशन अभियान में भी तेजी लाने, होम आइसोलेशन के लिए जरूरी प्रोटोकाॅल का पूरा पालन करवाने, होम आईसोलेशन वालों को जरूरी किट देने और उनसे लगातार सम्पर्क रखने को भी कहा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, शैलेश बगोली, एस.ए.मुरुगेशन, डाॅ. पंकज पाण्डेय, सूचना महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
पीएम मोदी ने जाना संतों के स्वास्थ्य का हाल, कोरोना संकट के चलते कुंभ को प्रतीकात्मक रखने की अपील की
हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से फोन पर बातचीत की और सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। उन्होंने प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करने के लिए संत समाज के प्रति आभार जताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। ट्वीट में मोदी ने अनुरोध किया कि दो शाही स्नान संपन्न हो चुके हैं इसलिए आगे कुंभ को अब प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे महामारी के खिलाफ लड़ाई में ताकत मिलेगी।
मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी। @AvdheshanandG
— Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2021
मोदी के ट्वीट के जवाब में स्वामी अवधेशानंद गिरि ने प्रधानमंत्री के आह्वान का सम्मान करते हुए प्रतिक्रिया दी और श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएं और कोविड नियमों का अवश्य पालन करें।
यहां यह बता दें, कि हरिद्वार में कुंभ के दौरान अब तक कई प्रमुख संत कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। कोरोना संकट को देखते हुए कुछ संतों ने कुंभ को सांकेतिक रखने की बात भी कही है।
रेल मंत्रालय ने मीडिया में चल रही उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें आगामी अप्रैल माह से सभी रेल गाड़ियों को फिर से शुरू किए जाने की बात कही गई है।
मंत्रालय ने फिर से दोहराया है कि सभी रेल गाड़ियों को फिर से शुरू किए जाने के संबंध में ऐसी कोई तिथि अभी निर्धारित नहीं की गई है।
एक आधिकारिक बयान में मंत्रालय ने कहा है कि रेलवे अपनी रेलगाड़ियों की संख्या वृद्धि अवश्य कर रहा है लेकिन यह वृद्धि चरणबद्ध ढंग से की जा रही है।
वर्तमान समय में 65% रेलगाड़ियां चल रही हैं। जनवरी महीने में 250 रेल गाड़ियों को शुरू किया गया। इसी तरह से आने वाले समय में भी क्रमशः रेल गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
गाड़ियों की संख्या बढ़ाए जाने के निर्णय में सभी आवश्यक एहतियाती उपायों को ध्यान में रखा जा रहा है और सभी पक्षों की राय ली जा रही है।
मंत्रालय ने इस संबंध में किसी तरह की अटकलबाज़ी को नजरअंदाज करने की अपील की है और कहा है कि जब भी ऐसे निर्णय लिए जाएंगे मीडिया के माध्यम से जनता को विधिवत सूचित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में कोविड टीकाकरण के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों के साथ देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू आदि सहित आगामी त्यौहारों को देखते हुए टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने कोविड प्रबंधन की विस्तृत और व्यापक समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार टीकाकरण अभियान में लगभग 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों तथा विभिन्न बिमारियों से ग्रसित (Co-Morbidities) 50 वर्ष से कम आयु के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा, जिनकी संख्या लगभग 27 करोड़ है।
प्रधानमंत्री को टीके की डिलीवरी के लिए तैयार किये गए को-विन प्रबंधन प्रणाली के बारे में भी जानकारी दी गई। यह अनूठा डिजिटल प्लेटफॉर्म टीके के स्टॉक, उसके भंडारण का तापमान और कोविड-19 टीका के लाभार्थियों की वैयक्तिक ट्रैकिंग आदि की सूचना उपलब्ध कराएगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि टीकाकरण अभियान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2360 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था। इनमें राज्यों के टीकाकरण अधिकारी, कोल्ड चेन अधिकारी, आईईसी अधिकारी आदि सम्मिलित थे। राज्यों, जिलों और ब्लॉक स्तरों अभी तक 61,000 से अधिक कार्यक्रम प्रबंधकों, 2 लाख टीका लगाने वालों और टीकाकरण टीम के रूप में 3.7 लाख सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है।
इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश में टीकाकरण की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में आगामी 16 जनवरी से कोविड-19 को लेकर चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के खिलाफ विजय के इस अभियान में आप सभी सम्मानित नागरिकों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी इंतजाम पुख्ता कर लिए गए हैं।
देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट का रुख जारी है। शुक्रवार को कुल सक्रिय मामलों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से घटकर 3,63,749 हो गई। 146 दिनों के बाद यह सबसे कम संख्या है। 18 जुलाई को कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,58,692 थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
वर्तमान सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों के केवल 3.71 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 37,528 मरीज ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या में 8,544 की गिरावट आई है।

पिछले 24 घंटों के दौरान 30,000 से भी कम दैनिक नये मामले सामने आए हैं। यानी दैनिक नये मामलों की संख्या 29,398 रही है।
कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या अब लगभग 93 लाख (92,90,834) हो गई है। ठीक हुए रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है। आज यह बढ़कर 89 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में यह संख्या 89,27,085 हो गई है। नये मामलों की तुलना में नई रिकवरी अधिक होने से रिकवरी दर बढ़कर 94.84 प्रतिशत हो गई है।

72.39 प्रतिशत नये मामले दस राज्यों के हैं। केरल में सबसे अधिक दैनिक नये मामले दर्ज हुए हैं। यहां 4,470 दैनिक नये मामलों का पता चला है। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,824 नये मामले सामने आए।

पिछले 24 घंटों में 414 मरीजों की मौत होने का पता चला है। 79.95 प्रतिशत मौत के नये मामले दस राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 70 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 61 और 49 दैनिक मौत मामले दर्ज हुए हैं।
Union Minister for Finance & Corporate Affairs Nirmala Sitharaman today held Video Conference with Secretaries of the Ministries of Power, Mines and Department of Atomic Energy and the CMDs of 10 CPSEs belonging to these Ministries, to review the capital expenditure (CAPEX) in this financial year.
This was 5th in the ongoing series of meetings that the Finance Minister is having with various stakeholders to accelerate the economic growth in the background of COVID–19 pandemic.
The overall achievement as on 23rd November is Rs.24227 crore (39.4%) against the CAPEX target for 2020-21 i.e. Rs.61483 crore.
While reviewing the performance of CPSEs, Sitharaman said that CAPEX by CPSEs is a critical driver of economic growth and need to be scaled up for the FYs 2020-21 & 2021-22.

The Finance Minister appreciated the efforts of the Ministries and CPSEs for making visible efforts to meet out the CAPEX targets. However, Sitharaman said that more efforts are still required to achieve the target of 75% CAPEX by Q3 and more than 100% by Q4 of the FY 21.
The Finance Minister encouraged the CPSEs to perform better to achieve targets and to ensure that the capital outlay provided to them for the year 2020-21 is spent properly and within time.
Sitharaman asked the Secretaries to closely monitor the performance of CPSEs in order to ensure to achieve the target of CAPEX and make plan for it. She also asked the Secretaries to proactively sort out the unresolved issues of the CPSEs.
देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 44,489 नए पुष्ट मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 60.72 प्रतिशत मामले अकेले छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरूवार को जारी आंकड़ों के अनुसार केरल में सबसे अधिक 6,491 नए मामले दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र में 6,159 व दिल्ली में 5,246 नए मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले 24 घंटों में 524 रोगियों की मृत्यु हुई है। मौत के मामलों में भी 60.50 प्रतिशत छह राज्यों केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई हैं।
इन छह राज्यों में से महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल वे चार राज्य हैं, जहां प्रतिदिन सबसे ज्यादा नये मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

मौत के नये मामलों में सबसे ज्यादा 99 दिल्ली में, 65 महाराष्ट्र में और 51 पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए हैं।
देश में वर्तमान सक्रिय मामलों की संख्या (4,52,344) कुल सक्रिय मामलों का 4.88 प्रतिशत है और यह पांच प्रतिशत के स्तर से नीचे बना हुआ है।
भारत में ठीक होने वाले रोगियों की कुल संख्या 86,79,138 है। रोगियों के ठीक होने की दर आज 93.66 प्रतिशत पर आ गई। देश में पिछले 24 घंटों में 36,367 मामलों में रोगी ठीक हुए हैं।