दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड को खुलने में अब और देरी होगी। डाटकाली मंदिर क्षेत्र में नए क्रॉस फ्लाईओवर के निर्माण के कारण, इस सड़क को मार्च-अप्रैल तक वाहनों के लिए खोला जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस फ्लाईओवर को तेजी से तैयार करने में जुटा है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी।
तेजी से जारी है निर्माण कार्य
डाटकाली मंदिर क्षेत्र में बन रहे 70 मीटर लंबे फ्लाईओवर पर 34 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसका लगभग 40% कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। गणेशपुर से डाटकाली के बीच 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण अक्टूबर में पूरा हो चुका था, लेकिन फ्लाईओवर निर्माण के चलते इसके उद्घाटन में देरी हुई। अब इसके मार्च से अप्रैल के बीच पूरा होने की उम्मीद है।
डाटकाली मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को राहत
एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड डाटकाली मंदिर चौक तक फैली है, जहां पहले से एक टनल और आशारोड़ी तक फ्लाईओवर तैयार किया जा चुका है। मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक नया फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है, जो सीधे मंदिर को जोड़ेगा और एक्सप्रेसवे के ट्रैफिक को बाधित नहीं करेगा।
मार्च-अप्रैल के बीच इस एलिवेटेड रोड के चालू होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे दिल्ली-देहरादून यात्रा और सुगम हो जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर की समीक्षा बैठक में रिस्पना और बिंदाल कॉरिडोर के निर्माण में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
यातायात सुधार की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने और जाम की समस्या से राहत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस परियोजना के तहत, रिस्पना नदी पर 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी पर 15 किलोमीटर लंबे चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण प्रस्तावित है।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा कॉरिडोर
सीएम धामी ने केंद्र सरकार से अनुरोध करने के निर्देश दिए कि देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाए। इसके अलावा, उन्होंने बढ़ती आबादी और यातायात के मद्देनजर अन्य शहरों के लिए भी योजनाबद्ध विकास पर कार्य करने पर जोर दिया।
राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों को 12 लाख तक मिलेंगे..
उत्तराखंड: राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने पहली बार 101 पदक जीतने का कीर्तिमान बनाया है। वुशु में राज्य की बेटी ज्योति ने पहला पदक दिलाया। जिसके बाद बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, मॉडर्न पेंटाथलाॅन, जूडो, कैनोइंग और कयाकिंग, योगासन, लाॅनबाल और कुश्ती में खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर धमाल मचाया। पदक विजेताओं को सरकार अब पुरस्कार के रूप में तय धनराशि और नौकरी देगी। राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड का सबसे शानदार प्रदर्शन मॉडर्न पेंटाथलाॅन में रहा। जिसमें ममता खत्री, मोनिका, मंजू गोस्वामी, सक्षम सिंह, नीरज नेगी, लाल सिंह ने स्वर्ण पदक जीता। इसमें राज्य को छह स्वर्ण सहित सबसे अधिक 14 पदक मिले। कैनोइंग और कयाकिंग में पांच, बॉक्सिंग में तीन, एथलेटिक्स, ताइक्वांडो और जूड़ो में दो-दो स्वर्ण पदक मिले।
बॉक्सिंग में राज्य के कपिल पोखरिया, निवेदिता कार्की और नरेंद्र सिंह ने अपने पंच से सोना जीता। वहीं, एथलेटिक्स में अंकिता का सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा। इस स्पर्धा में राज्य को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली अंकिता ध्यानी ने महिला वर्ग की 3000 और 5000 मीटर रेस में एक-एक स्वर्ण पदक जीता। जबकि 10 हजार मीटर रेस में रजत पदक दिलाया। कुश्ती में उत्तम राणा, महिला कयाकिंग में सोनिया व रोजी देवी, मीरा दास, प्रभात कुमार, जूड़ाें में सिद्धार्थ रावत, ताइक्वांडों में पूजा, लाॅनबाल में उतत्कृष्ट द्विवेदी, योगासन में रोहित यादव, शशांक शर्मा, प्रियांशु, अजय वर्मा, कैनोइंग व कयाकिंग में रीना सैन और वुशु में अचोम तपस सहित कई खिलाड़ियों ने राज्य के लिए सोने, चांदी की चमक बिखेरी। जानकारों का कहना है कि राज्य के खिलाड़ियों ने उम्मीद से भी शानदार प्रदर्शन किया है।
राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों को तय धनराशि के रूप में छह से लेकर 32 लाख रुपये तक मिलेंगे। कांस्य पदक विजेता को छह लाख रुपये की धनराशि पुरस्कार के रूप में दी जाएगी। जबकि स्वर्ण पदक विजेता को प्रति स्वर्ण पदक 12 लाख रुपये मिलेंगे।सबसे शानदार प्रदर्शन एथलेटिक्स में अंकिता ध्यानी कर रहा है। जिसने दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है। जिसे तय पुरस्कार की धनराशि के रूप में 32 लाख रुपये मिलेंगे।सबसे शानदार प्रदर्शन एथलेटिक्स में अंकिता ध्यानी कर रहा है। जिसने दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है। जिसे तय पुरस्कार की धनराशि के रूप में 32 लाख रुपये मिलेंगे।
शहरवासियों को मिलेगा प्रधानमंत्री पीएम आवास योजना 2.0 का मिलेगा लाभ..
उत्तराखंड: प्रदेश के नगर निकायों, शहरी क्षेत्रों, नए शहरों की बसावट से लेकर अवस्थापना संबंधी कार्यों के लिए इस बार शहरी विकास और आवास विभाग को बजट बढ़ने की उम्मीद है। दोनों विभागों को पीएम आवास योजना 2.0 पर तो काम करना ही है, शहरी निकायों में सुख-सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी काम करना है। पिछले बजट पर नजर डालें तो शहरी विकास विभाग को 2565 करोड़ मिले थे। इसमें एडीबी के सहयोग से नगरों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर 150 करोड़, हल्द्वानी व अन्य शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर 109 करोड़, पेयजल व सीवर लाइनों के लिए 100 करोड़, पेयजल विभाग की केएफडब्ल्यू परियोजना के लिए 100 करोड़, ऋषिकेश नगर एकीकृत शहरी अवस्थापना विकास परियोजना पर 27 करोड़, ग्रीन फील्ड या ब्राउन फील्ड निर्माण के लिए 20 करोड़, नगर पालिकाओं में पार्क या ओपन जिम बनाने पर पांच करोड़ का प्रावधान शामिल है। गैरसैंण के लिए 20 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इस बार शहरी विकास के पास ऋषिकेश परियोजना के साथ ही बढ़े हुए नगर निकायों में भी विकास कार्यों का जिम्मा है। लिहाजा, इस बार शहरी विकास का बजट 3000 करोड़ से ऊपर जाने का अनुमान है।
उत्तराखंड में क्रिटिकल मिनरल की खोज को दी जाए प्राथमिकता, मुख्य सचिव ने दिए निर्देश..
उत्तराखंड: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में क्रिटिकल मिनरल की खोज के लिए वर्किंग प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं. बता दें दुर्लभ खनिजों के मिलने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में बैठक के दौरान खनन विभाग, आईआईटी रुड़की, मोनाश यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस विषय पर चर्चा की. इस दौरान सीएस रतूड़ी ने राज्य में क्रिटिकल मिनरल की खोज के लिए वर्किंग प्लान बनाने के निर्देश दिए.
आत्मनिर्भरता पर देना होगा जोर- CS..
सीएस का कहना हैं कि खनिज संपदा में आत्मनिर्भरता के लिए शोध, निष्कर्षण और रिसाइक्लिंग पर जोर देना होगा. सीएस ने निर्देश दिए कि राज्य सरकार, शिक्षा क्षेत्र और उद्योग जगत के बीच एक साझा मंच विकसित किया जाए. ताकि सभी मिलकर दुर्लभ खनिजों के मूल्यांकन, खनन स्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला पर काम कर सकें. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आईआईटी रुड़की को इस परियोजना में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए कहा, साथ ही विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और व्यावहारिक अनुसंधान को मजबूत करने पर भी बल दिया.
सरकार की योजनाओं का हो व्यापक प्रचार-प्रसार- तिवारी..
उत्तराखंड: देहरादून स्थित सूचना निदेशालय में रिंग रोड सूचना अधिकारी के पद पर चयनित 11 नए सूचना अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के अंत में सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने नए सूचना अधिकारियों को संबोधित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना हैं कि सरकार और आम लोगों के बीच संवाद के माध्यम से समन्वय स्थापित करने में सूचना अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आम लोगों के लिए बनाई गई राज्य सरकार की महत्वपूर्ण और प्रभावी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करने और योजना को सही लाभार्थियों तक पहुंचाने में भी सूचना अधिकारी अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सभी सूचना अधिकारियों को मीडिया से समन्वय स्थापित कर व्यापक प्रचार-प्रसार कर प्रदेश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
मीडिया के प्रतिनिधियों से संवाद करने के दिए निर्देश..
सूचना महानिदेशक ने कहा कि सभी सूचना अधिकारी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और नए जमाने के डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधियों से संवाद करते रहें। सभी सूचना अधिकारी मीडिया और पत्रकारों से बेहतर संबंध बनाए रखें। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बेहतर तरीके से सीखने के लिए हमेशा नई तकनीक से खुद को अपडेट रखें। सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी इन डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करें। तिवारी ने कहा कि सभी सूचना अधिकारियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रदेश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना है।
आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए अधिकारी स्वयं उड़ाएंगे ड्रोन..
उत्तराखंड: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अधिकारी अब आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए स्वयं ड्रोन उड़ाएंगे। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी के ड्रोन एप्लीकेशन एवं अनुसंधान केंद्र की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू किया गया। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूएसएसी) के सभागार में 14 फरवरी तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनडीआरएफ के 25 एसी और इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इसमें ड्रोन तकनीक के विभिन्न पहलुओं और आपदा प्रबंधन में इसके उपयोग पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यूसैक में स्थापित आईटीडीए के ड्रोन एप्लीकेशन और रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों ने ड्रोन और उनके घटकों के बारे में जानकारी दी। इसका उद्देश्य अधिकारियों के बीच आपदा प्रबंधन, खोज और बचाव कार्यों, निगरानी और राहत वितरण में ड्रोन तकनीक के प्रभावी उपयोग की समझ विकसित करना है।
महाकुंभ में आगामी दो स्नान पर्वों के लिए चलेंगी 29 स्पेशल ट्रेनें..
उत्तराखंड: प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले दो स्नान पर्वों के लिए रेलवे 29 स्पेशल ट्रेनों का संचालन करेगा। ये ट्रेनें मुरादाबाद मंडल के रेलवे स्टेशनों से होकर गुजरेंगी। इनमें एक स्पेशल ट्रेन देहरादून से हरिद्वार होते हुए प्रयागराज के फाफामऊ स्टेशन तक चलेगी। 8 से 25 फरवरी के बीच दोनों रेलवे स्टेशनों के बीच स्पेशल ट्रेन के चार फेरे लगाए जाएंगे। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दो प्रमुख स्नान पर्व शेष हैं। इनमें 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान पर्व शामिल हैं। रेलवे इन दोनों स्नान पर्वों से पहले स्पेशल ट्रेनों का संचालन करेगा। रेलवे की ओर से कुंभ स्पेशल ट्रेन का संचालन देहरादून से फाफामऊ रेलवे स्टेशन के बीच किया जाएगा।
04316 देहरादून- फाफामऊ स्पेशल ट्रेन देहरादून से 9, 15, 16 और 23 फरवरी तक चलेंगी। 04315 ट्रेन 10, 16, 17 और 24 फरवरी को फाफामऊ से देहरादून के लिए चलेगी। यह ट्रेन हरिद्वार, नजीबाबाद, मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ से होकर गुजरेगी। इसके साथ ही 04526 बठिंडा- फाफामऊ स्पेशल ट्रेन 8, 18 और 22 फरवरी व 04525 फाफामऊ- बठिंडा स्पेशल ट्रेन 9, 19 और 23 फरवरी को संचालित होगी।
इन स्टेशनों से होकर गुजरेंगी..
यह ट्रेन बठिंडा, अंबाला, सहारनपुर, रुड़की, लक्सर, नजीबाबाद और मुरादाबाद आदि स्टेशनों से होकर गुजरेगी। इसके अलावा अंबअडौरा से फाफामऊ के बीच 9, 15 और 23 फरवरी, फामामऊ से अंबअडौरा के बीच 10, 16 और 24 फरवरी को स्पेशल ट्रेन संचालित होगी। यह ट्रेन नागल डेम, चंडीगढ़, अंबाला, सहारनपुर, रुड़की, नजीबाबाद, मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ आदि स्टेशनों से गुजरेगी। साथ ही दिल्ली- फाफामऊ, अमृतसर- फाफामऊ, फिरोजपुर फाफामऊ, श्री माता वैष्णो देवी कटरा-फाफामऊ के बीच दो दर्जन कुंभ मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन 8 से 28 फरवरी के मध्य रेलवे विभाग करने जा रहा है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक आदित्य गुप्ता ने बताया कि महाकुंभ पर यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे विभाग की ओर से लगातार कुंभ स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है।
मोबाइल एप से फॉरेस्ट फायर पर लगेगा ‘ब्रेक’,जानिये वन विभाग की प्लानिंग..
उत्तराखंड: पौड़ी के वन विभाग ने जंगलों को आग से बचाने के लिए तकनीक आधारित समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके तहत एक मोबाइल ऐप फॉरेस्ट फायर ऐप विकसित किया गया है। इसे लोग अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते हैं। इस ऐप के जरिए जंगल में आग लगने की घटनाओं की तुरंत जानकारी मिल सकेगी। इससे आग को फैलने से पहले ही नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
वन विभाग की यह पहल जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को एप डाउनलोड करने और पोर्टल पर पंजीकरण के लिए प्रेरित करने पर भी केंद्रित है। इससे वन विभाग को आग की घटनाओं की छोटी से छोटी जानकारी भी समय रहते मिल सकेगी। इस पर काबू पाने में वे तेजी से कार्रवाई कर सकेंगे। पिछले साल गढ़वाल वन प्रभाग में वनाग्नि की 258 घटनाओं के कारण 310.29 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ गए थे। इनमें से 111 घटनाएं आरक्षित वन प्रभाग में हुईं, जिसके कारण 198.83 हेक्टेयर जंगल जल गए, जबकि सिविल वन प्रभाग में 147 घटनाओं के कारण 111.46 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ। इन घटनाओं में मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में आग लगी, जहां मानव संसाधन समय पर नहीं पहुंच पाए, जिसके परिणामस्वरूप स्थिति इतनी भयावह हो गई कि वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी।
वनाग्नि के इन अनुभवों से सीख लेते हुए इस बार वन विभाग ने तकनीक और जनसहभागिता पर फोकस करते हुए वनाग्नि से निपटने की योजना बनाई है। इसके तहत विभाग ने फॉरेस्ट फायर एप विकसित किया है, ताकि आग लगने की घटनाओं की त्वरित जानकारी मिल सके। समय रहते इन पर काबू पाया जा सके। साथ ही वन विभाग ने जंगलों में आग लगाने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। विभाग ने ऐसे लोगों पर निगरानी बढ़ाने और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की योजना बनाई है। इसके तहत वन विभाग जंगलों में आग लगाने वालों की पहचान के लिए आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, कैमरे और फॉरेस्ट फायर एप के जरिए मिलने वाली सूचनाओं का इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा स्थानीय समुदायों को भी जागरूक किया जा रहा है।
प्रदेश में होंगे फुटबाल के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट, खिलाड़ी रच रहे इतिहास..
उत्तराखंड: एक तरफ उत्तराखंड के खिलाड़ी 38वें राष्ट्रीय खेलों में अपने प्रदर्शन से इतिहास रच रहे हैं। वही इसके लिए राज्य में विकसित बुनियादी ढांचा देवभूमि में खेलों के लिए नई संभावनाएं पैदा कर रहा है। यही वजह है कि आने वाले समय में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) हल्द्वानी के गौलापार में बने फुटबॉल मैदान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। यह बात दून पहुंचे एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कही। एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे का कहना हैं कि उत्तराखंड में बना फुटबाल के मैदान अंतरराष्ट्रीय स्तरों के मानकों को ध्यान में रख तैयार किया गया है। इसका फायदा प्रदेश के साथ देश के खिलाड़ियों को मिले इसके लिए जल्द बड़े टूर्नामेंट का आयोजन किया जाएगा।
इस संबंध में एआईएफएफ के पदाधिकारियों व अधिकारियों से भी चर्चा की जाएगी। उनका कहना हैं कि फुटबाल विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल होने के साथ सबसे अधिक खेला जाने वाला खेल है। उत्तराखंड फुटबाल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड फुटबाल के क्षेत्र में उभरता राज्य है। एआईएफएफ के सहयोग से प्रदेश में फुटबाल का भविष्य तो संवरेगा ही, साथ ही खिलाड़ियों को मौका भी मिलेगा।
फुटबाल खेलने वाला देश है भारत
भारत को क्रिकेट देखने वाला देश माना जाता है। लेकिन, सच्चाई यह है कि भारत फुटबाल खेलने वाला देश है। कम से कम संसाधनों के साथ गली-चौराहों, गांव, स्कूल और विश्वविद्यालय के मैदान से लेकर स्टेडियम तक फुटबाल खेला जाता है। यही वजह है कि उत्तराखंड ने इसका पूरी तरह से लाभ उठाया और राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग कर न सिर्फ नया कीर्तिमान रचा बल्कि प्रदेश को देश के उन राज्यों में शामिल किया, जहां सबसे अधिक फुटबाल खेली जाती है। उत्तराखंड से आने वाले दिनों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकलेंगे। फुटबाल के खिताबी मुकाबले में आई दर्शकों की भीड़ देख साफ अंदाजा लगाया जा रहा था कि उत्तराखंड का हर एक बच्चा खेल के मैदान में अपने हीरो को देख ऐसे हर हीरो बनना चाहता है। प्रदेश सरकार ने शानदार स्टेडियम तैयार किया है। अब जरूरत है तो इसको संभालकर रखने की ताकि प्रदेश के साथ देश के हर बच्चे के लिए इस मैदान का प्रयोग किया जा सके। बालकों के साथ बालिकाओं के लिए भी टूर्नामेंट का आयोजन किया जाए।