देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक में जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि इसके लिए मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं, अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकास खण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने, दुग्ध उत्पादन और उससे जुड़े व्यवसायों का प्रशिक्षण, होम स्टे, इकोटूरिज्म, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात कही है। इसके साथ ही मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए बन्दरबाड़ों/सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराए जाने, औषधीय, सुगंधित पौंधों व जड़ी-बूटी की खेती और बागवानी पर जोर देने की सिफारिश की गई है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही व रंजना रावत ने भी अपने सुझाव रखे।
नई दिल्ली। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने राष्ट्रीय आयुष मिशन (National AYUSH Mission, NAM)) योजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 200 आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों (AYUSH Health & Wellness Centres, HWC) को मंजूरी दी है। ये केंद्र अल्मोड़ा जिले में स्थापित होंगे।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इन केन्द्रों के परिचालन में नई दिल्ली स्थित अरविंद लाल वन्दना लाल (ALVL) फाउंडेशन उत्तराखण्ड के आयुष विभाग को सहायता प्रदान करेगा। इस संबंध में संबद्ध पक्षों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस वर्चुअल कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष सचिव, संयुक्त सचिव (आयुष), उत्तराखण्ड के आयुर्वेद निदेशक और ALVL फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ.अरविन्द लाल मौजूद थे।
इन केन्द्रों पर निर्धारित गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए योजना बनाने, कार्यान्वयन और संस्था को सभी जरुरी मदद मुहैया कराने की पूरी ज़िम्मेदारी उत्तराखण्ड सरकार की होगी। केन्द्र सरकार इस संबंध में आवश्यक तकनीकी मदद प्रदान करेगी। ALVL फाउंडेशन केन्द्र में आने वाले लोगों की सूची बनाने, लोगों के स्वास्थ्य कार्ड बनाने और आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र से जुड़े कर्मियों को प्रशिक्षण देने और उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।
आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों के परिचालन संबंधी दिशा-निर्देशों में सरकार अथवा गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहभागिता करने का प्रावधान है ताकि समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को बेहतर बनाया जा सके। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2023-24 तक देशभर में विभिन्न चरणों में 12,500 आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों को परिचालित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने की स्मार्ट सिटी परियोजना की समीक्षा, कार्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने के निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में देहरादून स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत कराये जा रहे सभी कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के तहत हो रहे सभी कार्यों में समयबद्धता के साथ ही गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने माॅडर्न दून लाईब्रेरी की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसे शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों से आम जनता को कोई परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए समय-समय पर ठेकेदारों आदि के साथ भी बैठक आयोजित की जानी चाहिए, ताकि उन्हें आ रही समस्याओं का भी निराकरण किया जा सके। उन्होंने देहरादून में वर्षा जल के संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर अधिक फोकस करने की जरुरत पर जोर दिया।
समार्ट सिटी के मुख्य कार्याधिकारी व जिला मजिस्ट्रेट आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत रू0 1407 करोड़ है, जिसमें 100 प्रतिशत कार्यों की निविदाएं आमंत्रित कर ली गयी हैं और इनसे सम्बन्धित कार्यादेश भी जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
देहरादून। सुरक्षा को लेकर जागरूक करने के लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस कार्पोरेशन सुरक्षा जागरूकता सप्ताह मनाएगी। सप्ताह भर तक आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों की शुरुआत बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक (नगर) श्वेता चौबे ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के हर पहलू में सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
श्वेता ने कहा कि जीवन‚ समय और आर्थिक सुरक्षा हर इंसान के लिए जरूरी है। जीवन में सुरक्षा बुनियादी जरूरत के रूप में शामिल है। यदि हम नियमों का पालन करें तो हम दुर्घटनाओं‚ धोखाधड़़ी और अपराधों से बच सकते हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। सुरक्षा एजेंसियां जरूरत के मुताबिक खुद को अपडेट करती रहती हैं। मगर साइबर अपराधी एक कदम आगे हैं। आज हमारे पास साइबर शिकायतें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सेमिनार व वेबिनार आयोजित किए जाने चाहिए।
ONGC के महाप्रबंधक (प्रमुख कारपोरेट प्रशासन) विपुल कुमार जैन ने कहा कि सुरक्षा का अपना महत्व है। मगर हमें यह याद रखना चाहिए कि इसे केवल इस सप्ताह के लिए नहीं, अपितु पूरे वर्ष किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (प्रभारी वित्त) पीपी रुस्तगी‚ जनरल मैनेजर (एचआर) अजय कलसी‚ जीएम प्रभारी सीएसआर और राजभाषा रामराज द्विवेदी व जीएम एमके गर्ग, रजनीश त्रिवेदी, बी. सेंथिल, सुधीर कुमार, रमेश कुमार पुंडीर आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी की आठवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राजधानी देहरादून के अखिल भारतीय महिला आश्रम में पं.दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के तत्वाधान में हवन व कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि नित्यानंद स्वामी ने प्रदेश के विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया l उनके विचार आज भी प्रदेश के विकास के लिए प्रसांगिक है l
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के साथ बिताए गए दिनों को याद करते हुए कहा है कि स्वामी जी का उद्देश्य प्रदेश का विकास करना था l उन्होंने कहा है कि स्वामी जी ने अपने जीवन काल मे उपेक्षित, वंचित समाज को आगे लाकर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया l
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक हरबंस कपूर, विधायक खजान दास , विधायक विनोद चमोली, भारत विकास परिषद की सविता कपूर, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, शुभम वर्मा, स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी की सुपुत्री ज्योत्सना शर्मा, सरस्वती सिंह, आरके बक्शी, गीतिका, विनायक शर्मा आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे l
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगामी कुम्भ मेले को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को प्रभावी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले के कार्यों के संबंध में सभी आवश्यक स्वीकृतियों, कार्यों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता आदि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कुंभ मेले के संपन्न होने के पश्चात इस संबंध में कोई अनावश्यक विवाद की स्थिति ना उत्पन्न हो।
शनिवार को राजधानी देहरादून में कुम्भ कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत कुंभ मेले के लिए स्पेशल कोविड ऑफिसर तैनात किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यो के लिये मेला अधिकारी को 2 करोड़ तथा आयुक्त गढ़वाल मंडल को 5 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति के अधिकार प्रदान करते हुए आयुक्त के स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों के लिए अनुभवी अभियंताओं एवं वरिष्ठ वित्त अधिकारी की समिति गठित करने को कहा, जो स्वीकृति जारी करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सभी स्थाई निर्माण कार्यों को 31 जनवरी से पूर्व पूर्ण करने तथा अस्थाई निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने को कहा है।उन्होंने कहा कि कुम्भ के दृष्टिगत विभागीय स्तर पर सम्पादित होने वाली व्यवस्थाओं की एसओपी जारी करने के साथ ही डाक्यूमेन्टेशन पर ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को भी शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये।
बैठक में सचिव लोनिवि आर.के.सुधांशु ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य 31 जनवरी से पूर्व कर लिया जायेगा। इसके लिये कार्यदायी संस्थाओं को तेजी से कार्य सम्पन्न करने के निर्देश देने के साथ ही निर्माण कार्यों की निरन्तर निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले में कार्य करने वाले कार्मिकों के वेक्सिनेशन की रूप रेखा भी तय करने की अपेक्षा मेलाधिकारी से की। सचिव नगर विकास शैलेश बगोली ने बताया कि कुम्भ मेले के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के स्तर पर 473 करोड़ लागत के 124 निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जिनका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, कुम्भ मेला श्री संजय गुंज्याल ने बताया कि मेले के लिये सुरक्षा की दृष्टि से 6 जोन, 24 सेक्टर, 21 थाने, 9 पुलिस लाइन, 23 पुलिस चौकी, 25 चैक पोस्ट के साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य व केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती की व्यवस्था की जा रही है।
बैठक में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त सौजन्या, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के साथ ही सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
अब राजधानी देहरादून में भी इलेक्ट्रिक बस दौड़ेंगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा देहरादून शहर में इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल रन का फ्लैग ऑफ़ कर शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजधानी की जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत हुई है, और पर्यावरण की दृष्टि से यह उत्तराखण्ड के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत इस वित्तीय वर्ष में 30 बसें चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा यह भी प्रयास रहेगा कि धीरे-धीरे मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार तक इन इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का भी प्रयास है कि वर्ष 2030 तक पूरे देश को इलेक्ट्रिक बसों की ओर लाया जाए।
कार्यक्रम में मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी एवं स्मार्ट सिटी देहरादून के सीईओ आशीष श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में 1580 करोड़ की सौंग बांध पेयजल योजना के सम्बन्ध में उच्च अधिकार प्राप्त समिति की बैठक आयोजित हुई । बैठक के दौरान इस परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु नीति का ड्राफ्ट भी प्रस्तुत किया गया।
बैठक में बताया गया कि सौंग बांध पेयजल परियोजना, सौंग नदी पर मालदेवता से 10 किमी अपस्ट्रीम में सौंदणा गांव में प्रस्तावित है। परियोजना की प्रस्तावित लागत 1580 करोड़ है। बांध की ऊँचाई 130.60 मी. एवं लम्बाई 225 मी. होगी। इससे निर्मित होने वाली झील की लम्बाई 3.5 कि.मी. तथा धारण क्षमता 264 लाख घनमीटर होगी।
परियोजना से देहरादून नगर की 10 लाख की जनसंख्या को वर्ष 2051 तक 150 एमएलडी पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। परियोजना से पेयजल आपूर्ति के बाद भूजल दोहन में कमी आएगी, जिसके फलस्वरूप नलकूपों के निर्माण, अनुरक्षण एवं संचालन में कमी के साथ ही इनके संचालन में विद्युत व्यय में भी कमी आएगी। बताया गया कि परियोजना के निर्माण से कुल 275 परिवार एवं 10.641 हैक्टेयर भूमि प्रभावित होगी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पुनर्वास नीति में परियोजना से प्रभावित परिवारों को बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि देहरादूनवासियों को इस योजना का लाभ समय पर मिल सके, इसके लिए परियोजना को धरातल पर लाने हेतु शीघ्रअतिशीघ्र प्रयास किए जाएं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
बैठक में सचिव नितेश झा, सौजन्या, सुशील कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में यू.एन.डी.पी तथा एवं सेंटर फाॅर पब्लिक पाॅलिसी एण्ड गुड गवर्नेंस, नियोजन विभाग के सहयोग से तैयार सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) मोनिटरिंग हेतु तैयार डैश बोर्ड का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 2030 तक सतत विकास का जो लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए और तेजी से प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुपोषण से मुक्ति के लिए चलाये गए अभियान, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना, जल संचय, संरक्षण तथा नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी अनेक प्रयास किये गए हैं। लोगों को स्वच्छ एवं उच्च गुणवत्तायुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में भी जल्द ही पानी का कनेक्शन सस्ती दरों पर दिया जाएगा।
त्रिवेंद्र ने कहा कि जिला योजना का 40 प्रतिशत बजट स्वरोजगार के लिए खर्च किया जा रहा है। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। भारत नेट 2 से नेटवर्किंग और कनेक्टिविटी बढ़ेगी, इसका भी लोगों की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि लक्ष्यों के आधार पर जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, उनको पूरा करने के लिए नियमित माॅनिटरिंग भी की जाए।
उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि सतत विकास लक्ष्य के लिए जो 17 क्षेत्र चुने गए हैं, उनमें दिये गए सभी इन्डीकेटर पर किए जा रहे कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि डैशबोर्ड में सभी जनपद समय-समय पर अपनी उपलबिधयां अपलोड करेंगे तथा रैंकिंग के आधार पर जिन योजनाओं/ इंडीकेटरों में कमी प्रदर्शित होती है उनको प्राथमिकता में लेते हुए सतत विकास का लक्ष्य कार्यान्वयन में सुधार करने के हर संभव प्रयास करेंगे।
अपर मुख्य सचिव नियोजन, मनीषा पंवार ने कहा कि राज्य में सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन हेतु 2018 में उत्तराखण्ड विजन 2030 बनाया गया। जो 17 क्षेत्रों में वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु रौडमेप प्रदान कर रहा है। भारत सरकार के नीति आयोग के दिशा-निर्देशों पर 371 संकेतक चयनित किये गए हैं।
इस अवसर पर यूएनडीपी की राष्ट्रीय प्रमुख शोको नोडा, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, डाॅ. पंकज पाण्डेय, सुशील कुमार, यूएनडीपी की स्टेट हैड रश्मि बजाज उपस्थित थे। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी तथा सीडीओ कार्यक्रम से जुड़े थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित गैरसैंण में स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण का अवलोकन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह सेंटर स्थानीय स्तर पर लोगों की आर्थिकी में सुधार एवं कौशल विकास की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को लेकर अधिकारियों ने प्रस्तुतिकरण दिया। यह सेंटर यूएनडीपी के सहयोग से संचालित किया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवा परिश्रमी एवं ईमानदार हैं। उनके हुनर को कौशल विकास से और अधिक निखारा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनानी होगी। कृषि में मंडूआ, झंगोरा, मसूर, चौलाई के साथ ही अन्य क्षेत्रीय उत्पादों को ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के माध्यम से राजस्व सृजन का बेहतर श्रोत बनाना होगा। स्थानीय उत्पादों को और अधिक डिजीटल प्लेटफार्म उपलब्ध कराना होगा।
सीएम ने कहा कृषि, बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, भेड़-बकरी पालन के साथ ही स्थानीय उत्पादों की बेहतर प्रोसेसिंग आदि की आधुनिक तकनीकि दक्षता के साथ प्रशिक्षण प्राप्त होने से लोगों को इन व्यवसायों से जुड़ने में मदद मिलेगी तथा अधिक से अधिक लोग इन क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिये आगे आएंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं लोगों की आर्थिकी में सुधार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में स्थापित किए जा रहे विभिन्न रूरल ग्रोथ सेंटर भी लोगों की आर्थिकी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि सेंटर की स्थापना के संबंध में विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं योजनाओं के विषयगत प्रशिक्षण आदि की रूप रेखा निर्धारित करने हेतु गठित समिति के सदस्यों ने जनपद चमोली के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से सम्पर्क कर उनके सुझाव व विचार जाने। इसके साथ ही चमोली के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से डेयरी विकास, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, हेल्थ एण्ड वेलनेस, पर्यटन व हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर में सामने आ रही चुनौतियों के सम्बन्ध में भी चर्चा की।
प्रस्तुतीकरण में निदेशक कौशल विकास डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि इस सेंटर में लोगों को उद्यमिता विकास एवं आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जायेंगे। यूएनडीपी द्वारा सेंटर के संचालन हेतु तकनीकी, परामर्शीय एवं कॉरपोरेट स्पान्सर्स के माध्यम से वित्तीय सहयोग दिया जायेगा। आरंभ में सेंटर राजकीय पॉलिटेक्नीक, गैरसैंण से संचालित किया जायेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर सचिव झरना कमठान सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।