लोक सभा सचिवालय और उत्तराखंड के पंचायती राज विभाग के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को राजधानी देहरादून में पंचायतीराज व्यवस्था – विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था का सशक्तीकरण विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायत प्रतिनिधियों को संसद की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक सिद्धांतों व लोकाचार के बारे में परिचित कराना था।
कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि देश में पंचायतीराज व्यवस्था एवं विकेन्द्रीकृत शासन के माध्यम से ग्राम पंचायतों से लेकर संसद तक किस तरह लोकतंत्र को और अधिक से अधिक मजबूत बनाया जा सकता है, इस पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से हम देश की जनता की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। लोकतंत्र की शुरूआत गांवों से होती है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कार्यक्रम में वर्चुअल प्रतिभाग करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया के मजबूत लोकतंत्र के रूप में खड़ा है। इस मजबूती के लिए पंचायतों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। गांवों के विकास के बगैर शहरों का विकास नहीं हो सकता है। विकास के लिए गांव और शहर एक दूसरे से पारस्परिक रूप से जुड़े हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए विकास का मॉडल भ्रष्टाचार मुक्त होना जरूरी है।
उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल व प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर सांसद अजय टम्टा, लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह अन्य जन प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जनप्रतिनिधियों को अधिक सक्रियता और चेतन्यता से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने स्थानीय प्रतिनिधियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि हमें अपने गांव, समाज और भारत को श्रेष्ठ बनाना है तो हमें बड़ी सोच रखनी पड़ेगी। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों को प्रधानमंत्री द्वारा सुझाये गए आत्मनिर्भर भारत, समृद्ध भारत, एक भारत और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए ईमानदारी, पारदर्शिता और जज्बे के साथ पूरा करने का आग्रह किया।
इस सत्र को प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक मुन्ना सिंह चौहान आदि ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान गांव बचाओ आंदोलन के सूत्रधार पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी तथा मैती आंदोलन के प्रवर्तक कल्याण सिंह रावत आदि उपस्थित थे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ही नहीं है, अपितु भाजपा ने विश्व को सबसे लोकप्रिय व यशस्वी नेतृत्व के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिए हैं।
डॉ निशंक शुक्रवार को राजधानी देहरादून की धर्मपुर विधान सभा अंतर्गत त्यागी रोड पर भाजपा के शक्ति केंद्र की कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बूथ का कार्यकर्ता हमारी असली ताकत है। बूथ के कार्यकर्ता के बल पर ही सरकार बनती है।
उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी जो मार्ग खोज लेता है और प्रकृति को अपने अनुरूप ढाल देता है, वही योद्धा होता है। उन्होंने कहा कि सही मायनों में बूथ के कार्यकर्ता योद्धा हैं। उन्होंने कहा कि बूथ जीता तो चुनाव जीता और बूथ जीता तो देश जीता।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए यह गौरव की बात है कि वह विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के सदस्य हैं। इसके साथ ही यह भी सम्मान की बात है कि विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रभावी नेताओं में शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी के नेता हैं।
केंद्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने की अपील करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि आजादी के बाद देश को मोदी के रूप में पहले प्रधानमंत्री मिले, जिन्होंने शौचालय जैसे छोटी मगर महत्वपूर्ण मुद्दे की चर्चा की। प्रधानमंत्री की इस सोच के चलते करोड़ों मां-बहनों को शौचालय की सुविधा मिली।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की समस्याओं को देखते हुए निःशुल्क गैस कनेक्शन वितरित किए गए। मजदूरों व किसानों के लिए पेंशन जैसी योजनाएं संचालित की गईं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने समाज के हर वर्ग के कल्याण के तमाम योजनाएं तैयार की है ।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। कांग्रेस इतने वर्षों तक सत्ता में रही। मगर उसने किसानों के हित में कभी कुछ नहीं किया। मोदी सरकार किसानों के लिए काम कर रही है तो कांग्रेस क्षुद्र राजनीति पर उतर आई है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे विपक्षियों के दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब दें। उन्होंने केंद्र व प्रदेश की सरकार की उपलब्धियों की चर्चा पूरी ताकत के साथ करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि प्रदेश में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। इन्हें आमजन तक पहुंचाएं।
कार्यक्रम में उत्तराखंड रेशम फेडरेशन के अध्यक्ष अजीत चौधरी, भाजपा महानगर अध्यक्ष सीता राम भट्ट, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर चौहान, मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश संयोजक राजीव तलवार, पूर्व दायित्वधारी अजेंद्र अजय, संदीप मुखर्जी, दिनेश सती, गोपाल पुरी, मुकेश सिंघल, जयंती प्रसाद कुर्मांचली आदि उपस्थित थे।
डोबराचांटी पुल के बाद त्रिवेन्द्र सरकार ने एक और ऐसे प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया है जो बीते ढाई दशकों से अटका हुआ था। बद्रीनाथ धाम की यात्रा में नासूर बने ‘लामबगड़ स्लाइड जोन’ का स्थायी ट्रीटमेंट कर लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति और सख्ती की बदौलत यह प्रोजेक्ट महज दो वर्ष में ही पूरा हो गया। तकरीबन 500 मीटर लम्बे स्लाइड जोन का ट्रीटमेंट 107 करोड़ की लागत से किया गया। अब बद्रीनाथ धाम की यात्रा निर्बाध हो सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों से निजात मिलेगी।
सीमांत जनपद चमोली में 26 साल पहले ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर पाण्डुकेश्वर के पास लामबगड़ में पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बद्रीनाथ धाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
हमारी सरकार चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए तत्पर है। लामबगड़ स्लाइड जोन बद्रीनाथ यात्रा में बड़ी बाधा थी। हमने इसके ट्रीटमेंट को ईमानदारी से पूरी कोशिश की। इसका परिणाम सभी के सामने हैं। लगातार प्रभावी मानिटरिंग से वर्षों से अटकी परियोजना को पूरा किया है।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत
करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। पूर्व मे जब लामबगड़ में बैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निर्माण का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस वक्त यह सड़क सीमा सड़क संगठन (BRO) के अधीन थी। बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनों के एस्टीमेट कास्ट मे बड़ा अंतर होने के कारण मामला अधर मे लटक गया था।
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में लामबगड स्लाइड जोन में हाईवे का नामोनिशां मिट गया। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच से विदेशी कम्पनी मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस समेत तमाम अड़चनों की वजह से ट्रीटमेंट का यह काम धीमा पड़ता गया।
वर्ष 2017 में त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आते ही ये तमाम अड़चनें मिशन मोड में दूर की गईं और दिसम्बर 2018 में प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। महज दो वर्ष में अब यह ट्रीटमेंट पूरा हो चुका है। अगले 10 दिन के भीतर इसे जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। इसे त्रिवेन्द्र सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।
उत्तराखंड सचिवालय की कार्यप्रणाली अक्सर चर्चाओं में रहती है। जन आकांक्षाओं का सर्वोच्च केंद्र माने जाने वाले सचिवालय में कई बार आम आदमी तो दूर, सरकारी तंत्र से जुड़े लोगों की उम्मीदें भी टूटने लगती हैं। ऐसा ही प्रकरण एक अधिकारी की पदोन्नति से जुड़ा हुआ सामने आया है। अधिकारी का पदोन्नति का आदेश 10 माह तक अनुभाग में ही दबा रह गया और अधिकारी को सूचना के अधिकार (RTI) का सहारा लेना पड़ा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑडिट विभाग में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर प्रमोशन के लिए नवंबर, 2019 को चयन समिति की बैठक सम्पन्न हुई थी। बैठक में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद के लिए बलबीर सिंह का चयन किया गया था। फरवरी, 2020 में इस सम्बन्ध में आदेश भी तैयार कर दिया गया था। मगर प्रोन्नत अधिकारी को यह आदेश नहीं मिला और आदेश सचिवालय के संबंधित अनुभाग में ही दबा रह गया।
थक-हार कर बलबीर सिंह ने RTI का सहारा लिया। उन्होंने RTI में अपनी पदोन्नति को लेकर जानकारी मांगी। RTI लगने के बाद संबंधित अनुभाग ने किसी प्रकार का जवाब देने के बजाय अधिकारी को पदोन्नति का आदेश ही थमा दिया। आदेश मिलने के बाद अब जाकर अधिकारी ने पदोन्नत पद पर कार्यभार ग्रहण किया है।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल विपिन रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके दिल्ली स्थित आवास पर भेंट की। जनरल रावत ने मुख्यमंत्री की कुशल क्षेम पूछी और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मुख्यमंत्री के परिवार जनों के भी अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे और उनके परिवारजन पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की सराहना की है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा स्वस्थ होते ही नर्सिंग भर्ती में अहर्ताओं में बदलाव और दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवासों के वितरण में आरक्षण बढ़ाए जाने संबंधी निर्णयों के लिए उनका धन्यवाद दिया है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड में इस वर्ष केदारनाथ मंदिर की झांकी भी देखने को मिलेगी। भारत सरकार ने केदारखंड थीम पर आधारित उत्तराखंड राज्य की झांकी का अंतिम रूप से चयन कर लिया है।
उत्तराखंड के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में विभिन्न स्तरों पर आयोजित बैठकों के पश्चात उत्तराखण्ड राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में स्थान मिला है। इस वर्ष राज्य की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय केदारखण्ड रखा गया है।
झांकी के अग्र भाग में राज्य पशु कस्तूरी मृग, राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल तथा पार्श्व भाग में केदारनाथ मन्दिर परिसर और ऋद्धालुओं को दर्शाया गया है। झांकी के चयन हेतु रक्षा मंत्रालय में सूचना विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान ने थीम, डिजाइन, मॉडल तथा संगीत आदि का प्रस्तुतिकरण किया, जिसके फलस्वरुप राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड-2021 में अन्तिम रुप से चयनित किया गया है।
सूचना विभाग के अनुसार झांकी डिजाइन के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस वर्ष प्रारम्भ में 32 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों ने प्रतिभाग किया था, जिसमें से अंतिम रुप से केवल 17 राज्यों का चयन किया गया है।
इससे पूर्व उत्तराखण्ड राज्य द्वारा वर्ष 2003 में फुलदेई, वर्ष 2005 में नंदाराजजात, वर्ष 2006 में फूलों की घाटी, वर्ष 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, वर्ष 2009 में साहसिक पर्यटन, वर्ष 2010 में कुम्भ मेला हरिद्वार, वर्ष 2014 में जड़ी बूटी, वर्ष 2015 में केदारनाथ, वर्ष 2016 में रम्माण, वर्ष 2018 में ग्रामीण पर्यटन तथा वर्ष 2019 में अनाशक्ति आश्रम (कौसानी प्रवास एवं अनाशक्ति) विषयों पर आधारित झांकियों का सफल प्रदर्शन राजपथ पर किया जा चुका है।
कोरोना को मात देकर मंगलवार को सरकारी कामकाज संभालते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पहला, उन्होंने नर्सिंग की भर्ती में मानकों में संशोधन के निर्देश दिए। दूसरा, राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवासों के आवंटन में मिलने वाला आरक्षण तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने नर्सिंग प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के ज्ञापन का संज्ञान लेकर सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र आगामी कैबिनेट में लाया जाए।
वर्तमान में प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ के 1200 से ज्यादा पदों पर भर्ती की प्रक्रिया संचालित की जा रही है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से 30 बेड के अस्पताल में एक साल का अनुभव मांगा गया है। इसके साथ ही कुछ अन्य अहर्ताएं भी रखी गई हैं। इन अहर्ताओं के कारण बड़ी संख्या में प्रशिक्षित युवक नर्सिंग भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार नर्सिंग भर्ती के लिए अब 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के सम्मुख रखेंगे। इस संशोधन के बाद फार्म 16 की अनिवार्यता भी स्वत ही खत्म हो जाएगी।
इसके साथ ही, त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कार्मिकों को मिलने वाला आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से जाहिर तौर पर दिव्यांग कार्मिकों को अब पहले से ज्यादा संख्या में सरकारी आवास मिल सकेंगे।
दीगर है कि पूर्व में दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवास पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई बार पात्र दिव्यांग कार्मिक सरकारी आवास पाने से वंचित रह जाते थे क्योंकि उस समय दिव्यांग कार्मिकों को केवल 3 प्रतिशत आरक्षण ही सरकारी आवासों के आवंटन में मिल पा रहा था लेकिन अब राज्य सरकार ने उनकी इस पीड़ा को समझते हुए इसे दूर करने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार से कामकाज शुरू कर दिया है। आइसोलेशन पीरियड पूरा करने के बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर फाइलों का निस्तारण किया।
त्रिवेंद्र को 28 दिसंबर को डॉक्टरी जांच के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था, जहां से उन्हें 2 जनवरी को डिस्चार्ज किया गया। तब से वे दिल्ली आवास पर होम आइसोलेशन में थे।
यहां बता दें कि विगत 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आ गई थी। तब से वे देहरादून में होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
इसके बाद हल्के बुखार की शिकायत के चलते वे एक दिन के लिए राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। वहां डॉक्टरों ने उन्हें जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया था।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सुनिश्चित करने के लिए माह अक्टूबर में शुरू किया गया मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम यानी सीएम क्यूआरटी(क्विक रेस्पॉन्स टीम) तेजी से अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर है। बीते तीन माह में इस सेवा के जरिए 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की समस्याओं का निराकरण किया गया। जबकि शेष शिकायतों पर भी कार्यवाही गतिमान है।
उत्तराखंड सरकार की दूरगामी नीति के अंतर्गत जरूरतमंदों की बुनियादी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार आदि शामिल हैं। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलें और कोशिश है कि सबकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर सुनिश्चित हो सके। यदि कहीं पर किसी की कोई शिकायत हो तो उसका तत्काल निदान किया जाए।
इसी उद्देश्य के साथ अक्टूबर माह में प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिला स्तर पर शिविरों का आयोजन जिलाधिकारी-सीडीओ के स्तर से किया जा रहा है। यूं तो 21 सितंबर को इस सेवा को शुरू किया गया लेकिन आधिकारिक रूप से जिलों में इस सेवा ने 1 अक्टूबर 2020 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक इस शिविरों के जरिए प्रदेशभर में लोगों की कुल 4025 शिकायतें विभिन्न विभागों को प्राप्त हुई जिनमें से 2904 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। यानि अब तक 70 प्रतिशत शिकायतों का निस्तरण किया जा चुका है।
इन विभागों की शिकायतों का हो रहा निदान
बिजली, सड़क, सिंचाई, वन, जल संस्थान, पेयजल निगम, जल संस्थान, स्वजल, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, समाज कल्याण, उरेडा, जिला पंचायत, दूरसंचार, मंडी समिति, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं भूमि संरक्षण, पर्यटन विभाग, पुलिस, पीएमजीएवाई, नलकूप विभाग, खाद्य आपूर्ति, उपकोषागार, ग्रामीण निर्माण विभाग, नगर पालिका आदि।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने निर्देश दिए हैं कि लिंगानुपात में कमी वाले जनपदों को फोकस करते हुए गहन माॅनिटरिंग की जाए। साथ ही उन्होंने गर्भवती महिला की द्वितीय तिमाही जांच को जरुरी बताया। यह निर्देश उन्होंने सोमवार को सचिवालय में महिला सशक्त्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में दिए।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने अधिकारियों को कहा कि मदर चाईल्ड ट्रेकिंग सिस्टम (MCTS) में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए, गर्भवती महिला की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय तिमाही की जांच अवश्य करायी जाए। उन्होंने कहा कि द्वितीय तिमाही जाँच बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है। ऐसे समयावधि में गर्भपात होना अथवा जांच न कराया जाना संदिग्ध होता है। यदि गर्भपात हुआ है तो इसके कारणों की भी जांच की जानी चाहिए।उन्होंने महिलाओं में आयरन की कमी एवं कुपोषण के साथ ही, मातृ मृत्यु दर को कम किए जाने हेतु लगातार प्रयास किए जाने की बात कही।
उन्होंने वन स्टाॅप सेंटर को और अधिक सक्रिय किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन स्टाॅप सेंटर में पंजीकृत केसों में से कितनों में चार्जशीट दाखिल हुई , कितनों में सजा हुयी इसका भी ब्यौरा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्राॅप आउट बालिकाओं के ड्राॅप आउट करने के कारणों को जानकर उनके निराकरण के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्राॅप आउट करने वाले बच्चों में अधिकतर प्रवासी और मजदूरों के बच्चे होते हैं, ऐसे में उनके लिए नोन-फार्मल एजुकेशन पर विचार किया जा सकता है।
बैठक में जानकारी दी गई कि वर्ष 2018-19 में राज्य में जन्म के समय लिंगानुपात 938 बालिका प्रति हजार बालक था, जो अब बढ़कर 949 बालिका प्रति हजार बालक हो गया है। जन्म के समय लिंगानुपात की दृष्टि से उत्तराखण्ड, देश के टाॅप 10 राज्यों में शामिल है और राज्य के 05 जनपद बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत, देहरादून एवं उत्तरकाशी देश के टाॅप 50 जनपदों में शामिल हैं। बताया गया कि चमोली, नैनीताल एवं पिथौरागढ़ में लिंगानुपात में गिरावट आई है।
इस अवसर पर सचिव एल. फैनई, एच.सी. सेमवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।