गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसानों के अराजक प्रदर्शन के दौरान घायल हुए पुलिसकर्मियों का बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने हालचाल पूछा। अमित शाह ने दिल्ली के तीरथ राम अस्पताल और सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर जाकर घायल पुलिस जवानों से मुलाकात की। घायल जवानों से मुलाकात का ट्विटर पर वीडियो जारी करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमें उनके साहस व बहादुरी पर गर्व है।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लम्बे समय से आंदोलनरत किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ रैली को अनुमति दी थी। इन शर्तों में रैली को एक निर्धारित रुट से ले जाना भी शामिल था। मगर आयोजकों ने अनुमति की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया। उल्टा प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में तोड़फोड़, हिंसा व अराजकता का नंगा नाच किया। सरेआम तलवारें लहराई गईं। लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर एक अन्य ध्वज फहराया गया।
किसानों के नाम पर हुए इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने बेहद संयम का परिचय दिया और अराजक तत्वों के मंसूबो को कामयाब नहीं होने दिया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हैं। बुधवार को अमित शाह इन घायल जवानों को मिलने अस्पताल पहुंचे।
गृह मंत्री शाह द्वारा ट्विटर पर जारी वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि वे न केवल घायल जवानों की कुशल क्षेम पूछ रहे हैं, अपितु डॉक्टरों से भी बातचीत कर रहे हैं और जवानों के कंधों पर हाथ रख कर उन्हें ढांढस बंधाते भी दिख रहे हैं। शाह ने जवानों के फल भी वितरित किए। शाह ने घायल जवानों से मुलाकात का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर जारी करते हुए घायल पुलिस कर्मियों के लिए लिखा है कि – ”हमें उनके साहस और बहादुरी पर गर्व है”।
वित्त मंत्री ने कहा दिल्ली पुलिस का अनुकरणीय संयम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गृह मंत्री शाह के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उनके द्वारा घायल जवानों के हालचाल पूछे जाने की सराहना की। अपने ट्वीट में निर्मला ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने अनुकरणीय संयम दिखाया। वित्त मंत्री ने ड्यूटी के दौरान घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने गणतंत्र दिवस पर सुनियोजित हिंसाचार, राष्ट्रीय धरोहर लालकिला प्रांगण में हुई तोड़फोड़, पुलिस व अर्धसैनिक बलों पर तलवारों, फर्से व लाठियों से लैस भीड़ के संगठित हमले तथा राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर में सम्मिलित अपराधियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
एक बयान में ABVP ने कहा है कि कथित किसान नेताओं ने वकील प्रशांत भूषण तथा दुष्यंत दवे के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर आंदोलन के शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित होने का आश्वासन दिया था, लेकिन शुरूआती दौर से ही यह कथित किसान आंदोलन बिल्कुल भी शांतिपूर्ण नहीं रहा। ट्रैक्टरों पर तोड़फोड़ करने वाले यंत्रों को लगाने आदि से इस आंदोलन की सुनियोजित हिंसा के षड्यंत्र का अनुमान लगाया जा सकता है।
किसान आंदोलन की आड़ में जिस प्रकार से लाल किले की प्राचीर से तिरंगा का अपमान कर अन्य पताकाओं और अलगाववादी खालिस्तानी व वामपंथी पार्टियों के झंडे लहराए गए, तथा दिल्ली पुलिस व अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ भीड़ ने भीषण हिंसा की, उसके अलग-अलग वीडियो सार्वजनिक हैं। इन वीडियोज की पड़ताल कर दंगाइयों तथा देशविरोधी तत्त्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ABVP की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फेंक उसके अनादर के वीडियो लोगों के बीच सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर से देश गुस्से में है। इस पूरी हिंसा की निष्पक्ष जांच कर सरकार को अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। गणतंत्र दिवस जैसे पावन दिन पर अशांति फैलाकर आंदोलन के पीछे की ताकतों की वास्तविकता स्पष्ट है।”
दो महीनों से किसानों की खाल ओढ़कर बैठे भेड़ियों की असली शक्ल गणतंत्र दिवस पर देश के सामने आ गई। आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना बीते कई दिनों से जताई जा रही थी। दिल्ली पुलिस बताती रही कि किसानों के आंदोलन में उपद्रवी तत्व घुस चुके हैं, इंटेलीजेंस बताता रहा कि पाकिस्तान से आन्दोलन को भड़काने की कोशिश कर रही है लेकिन अपने मद में चूर किसान नेता पुलिस की बात को अनसुना करते रहे। पुलिस समझाती रही और किसान नेता कहते रहे कि हम तिरंगा लहराएंगे लेकिन 26 जनवरी को तस्वीरें तलवार लहराने की सामने आईं। मीडिया पर तैर रही तमाम तस्वीरें और वीडियो किसी को भी यह सवाल पूछने के लिए विवश कर देंगे कि क्या यह मेरे देश का किसान है?
तोड़े सारे नियम
पहले तो किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अड़ गए। सरकार ने नरम रुख अपनाया। मगर फिर भी उनकी जिद में कहीं से कोई कमी नहीं आई। फिर किसानों ने जिद पकड़ी कि उन्हें 26 जनवरी को परेड निकालनी है। पहले तो पुलिस ने समझाया। बाद में पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें रैली की इजाजत भी दे दी, लेकिन जब रैली का दिन आया तो उन्होंने सारी शर्तों को धता बता दिया। सारे नियम तोड़ डाले गए। पुलिस के बैरिकेड माचिस की तीलियों की तरह तोड़ दिए गए और देश की राजधानी पर इस तरह से हमला किया गया है मान लो मुगलों की फौज दिल्ली लूटने आई हो।
जगह-जगह हिंसा
मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से इन कथित किसानों की अराजक तस्वीरें व वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में एक निहंग सिख खुलेआम पुलिस वाले पर तलवार भांजता दिखाई दे रहा है। कहीं पुलिस वालों के सर से बहता हुआ खून है तो कहीं खिलौने की तरह नाचती हुई बस। पुलिस के ऊपर लाठियां चलाई जा रही है। साथ हीं जगह-जगह पत्थर भी बरसाए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अराजकता की सारी सीमाओं को पार किया। महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की गई।
मोदी विरोधी ताकतों की मंशा पर फिरा पानी
जिस तरह तलवारें लहराई गयी, ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, पुलिस ने तब भी संयम बरतते हुए अपनी जान बचाई, यह पूरे देश ने देखा है। मोदी विरोधी ताकतें पूरी उम्मीद में थीं कि मोदी के सब्र का बांध कभी तो टूटेगा और सरकार और उत्पाती आमने-सामने होंगे। लाशें गिरेंगी और इन्हें लोकतंत्र के नाम पर बकैती का अवसर हाथ आएगा। लेकिन सरकार के संयम ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।
कथित किसानों का दांव उल्टा पड़ा
किसान आंदोलन के नाम पर कुछ लोग केंद्र सरकार को तानाशाह साबित करने पर तुले थे। मगर केंद्र सरकार ने संयमित रुख अपनाते किसानों की खाल में छिपे असामाजिक तत्वों की अराजकता को पूरी दुनिया के सामने नुमाया कर दिया और सिद्ध कर दिया कि यह पूरा आंदोलन एक बड़े षड्यन्त्र का हिस्सा था और इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का दिमाग और पैसा था।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 8 जनवरी को शुरू हुए पिछले सप्ताह के दौरान 534 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर एक रिकॉर्ड बनाया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने सोमवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल 2020 से लेकर 15 जनवरी 2021 के दौरान 8,169 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। यानी इस अवधि में मंत्रालय द्वारा प्रति दिन लगभग 28.16 किलोमीटर की गति से राजमार्गों का निर्माण किया गया। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान 26.11 किलोमीटर प्रति दिन की गति से 7,573 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया था।
मंत्रालय के अनुसार उसे उम्मीद है कि इस गति के साथ वह 31 मार्च तक 11,000 किलोमीटर सड़क के निर्माण के लक्ष्य को पार करने में सक्षम होगा।
मंत्रालय ने अप्रैल 2020 से इस वर्ष 15 जनवरी के दौरान 7,597 किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं को मंजूरी भी दी। वर्ष 2019-20 में, इसी अवधि के दौरान 3,474 किलोमीटर की परियोजनाओं को मंजूर किया गया था। इस प्रकार, इस वित्तीय वर्ष में मंजूरी देने की गति भी दोगुनी से अधिक हो गई है।
वर्ष 2019-20 में, कुल मिलाकर 8,948 किलोमीटर सड़क की परियोजनाओं को मंजूर किया गया, जबकि 10,237 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण व संपर्क अभियान धन संग्रह का नहीं, बल्कि समर्पण का कार्यक्रम है और समाज अपनी श्रद्धा एवं इच्छा से जो सहयोग करेगा, वह सब स्वीकार्य है।
भय्याजी जोशी ने यह बात जम्मू-कश्मीर में इस अभियान का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने जम्मू शहर के गांधीनगर स्थित वाल्मीकि मोहल्ला में जाकर मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण हेतु संपर्क किया। इसके बाद डिगियाना स्थित श्री संत मेला सिंह जी दस्तकारी आश्रम के महंत मंजीत सिंह से भेंट कर मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि ली। जम्मू-कश्मीर में यह अभियान मकर संक्रांति से शुरू होकर 27 फरवरी माघ पूर्णिमा तक चलेगा।
भय्याजी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय और प्रभु श्रीराम की इच्छा अनुसार अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। भगवान के लिए समाज अपने सामर्थ्य के अनुसार स्वयं प्रेरणा से सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की प्रत्येक कारसेवा में जम्मू कश्मीर के लोगों की अविस्मरणीय भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सिक्ख समाज के बंधुओं ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर, 1858 को दर्ज एक एफआईआर की रिपोर्ट में लिखा है – निहंग सिक्ख, विवादास्पद ढांचे में घुस गए थे और राम नाम के साथ वहां हवन किया। निहंग सिक्खों ने वहां न सिर्फ हवन और पूजा की, बल्कि उस परिसर के भीतर श्रीराम का प्रतीक भी बनाया। उस समय उनके साथ 25 और सिक्ख थे, जिन्होंने वहां धार्मिक झंडे उठाए और उसकी दीवारों पर चारकोल के साथ ‘राम-राम’ लिखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में कोविड टीकाकरण के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों के साथ देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू आदि सहित आगामी त्यौहारों को देखते हुए टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने कोविड प्रबंधन की विस्तृत और व्यापक समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार टीकाकरण अभियान में लगभग 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों तथा विभिन्न बिमारियों से ग्रसित (Co-Morbidities) 50 वर्ष से कम आयु के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा, जिनकी संख्या लगभग 27 करोड़ है।
प्रधानमंत्री को टीके की डिलीवरी के लिए तैयार किये गए को-विन प्रबंधन प्रणाली के बारे में भी जानकारी दी गई। यह अनूठा डिजिटल प्लेटफॉर्म टीके के स्टॉक, उसके भंडारण का तापमान और कोविड-19 टीका के लाभार्थियों की वैयक्तिक ट्रैकिंग आदि की सूचना उपलब्ध कराएगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि टीकाकरण अभियान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2360 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था। इनमें राज्यों के टीकाकरण अधिकारी, कोल्ड चेन अधिकारी, आईईसी अधिकारी आदि सम्मिलित थे। राज्यों, जिलों और ब्लॉक स्तरों अभी तक 61,000 से अधिक कार्यक्रम प्रबंधकों, 2 लाख टीका लगाने वालों और टीकाकरण टीम के रूप में 3.7 लाख सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है।
इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश में टीकाकरण की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में आगामी 16 जनवरी से कोविड-19 को लेकर चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है। वैश्विक महामारी के खिलाफ विजय के इस अभियान में आप सभी सम्मानित नागरिकों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी इंतजाम पुख्ता कर लिए गए हैं।
कोरोना काल में कई बार रोगियों को अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री के आपात स्थिति नागरिक सहायता और राहत (PM CARES) फंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कुल 154.19 मीट्रिक टन क्षमता वाले इन सयंत्रों को 32 राज्यों में लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार इस धनराशि में से 137.33 करोड़ रुपये ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की आपूर्ति व कमीशनिंग आदि और 64.25 करोड़ रुपये वार्षिक रखरखाव की मद में खर्च किये जाएंगे। उपकरणों की खरीद का काम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) द्वारा की जाएगी। जिन सरकारी अस्पतालों में ये संयंत्र स्थापित किए जाने हैं, उनका चयन संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बातचीत के बाद कर ली गई है।
इन सयंत्रों की स्थापना से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी और किफायती तरीके से मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। कोविड-19 के औसत और गंभीर मामलों में रोगियों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति आवश्यक है। इसके अलावा कई अन्य रोगियों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर संयंत्रों की स्थापना से न केवल राज्यों के कुल ऑक्सीजन उपलब्धता पूल में वृद्धि होगी, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में रोगियों को समय पर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी।
उत्तराखंड में 7 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा असम 6, मिजोरम 1, मेघालय 3, मणिपुर 3, नागालैंड 3, सिक्किम 1, त्रिपुरा 2, हिमांचल प्रदेश 7, लक्षद्वीप 2, चंडीगढ़ 3, पुदुच्चेरी 6, दिल्ली 8, लद्दाख 3, जम्मू और कश्मीर 6, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 4, मध्य प्रदेश 8, महाराष्ट्र 10, ओडिशा 7, उत्तर प्रदेश 14, पश्चिम बंगाल 5, आंध्र प्रदेश 5, हरियाणा 6, गोवा 2, पंजाब 3, राजस्थान 4, झारखंड 4, गुजरात 8, तेलंगाना 5, केरल 5 व कर्नाटक में 6 सयंत्र स्थापित होंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 5 जनवरी से गुजरात के कर्णावती में आयोजित होगी। संघ की दृष्टि से महत्वपूर्ण समझी जाने वाली यह बैठक वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है।
कर्णावती डेंटल कॉलेज, उवारसद में 5 से 7 जनवरी तक आयोजित होने वाली बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी सहित संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि जैसे आनुषांगिक संगठनों के चुनिंदा केंद्रीय पदाधिकारी भी भाग लेंगे।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष की अन्य पार्टियां कृषि कानून पर भ्रम फैलाने में जुटी हैं लेकिन सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच देश के जिस भी हिस्से में चुनाव हुए हैं, वहां भाजपा को बड़ी जीत मिली है। उन्होंने कहा कि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास करती है।
सोमवार को दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्मृति ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों में भाजपा को मिली शानदार सफलता को प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों में विश्वास बताया।
उन्होंने कहा कि इन सभी चुनावों में पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक समग्र राष्ट्र की जनता का आशीर्वाद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को मिला है। इन चुनावों में भाजपा को मिली ऐतिहासिक विजय यह दर्शाती है कि देश को माननीय प्रधानमंत्री में एवं उनकी नीतियों में अटूट विश्वास है। देश की जनता ने कांग्रेस सहित विपक्ष की नकारात्मक और समाज को बांटने वाली राजनीति को सिरे से खारिज किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी को देश के ग्रामीण इलाकों में व्यापक समर्थन मिल रहा है और वह भी तब, जब किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहा है। जब से कृषि सुधार बिल देश की संसद ने पारित किए, तब से विपक्षी दल एक भ्रांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आरोप रहा है कि देश की ग्रामीण जनता भारत सरकार के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही है लेकिन आज हम उन राज्यों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर रहे हैं, जहां कांग्रेस की सत्ता थी तो ये कई मायनों में खास है। उन्होंने कहा कि केरल में भी भारतीय जनता पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है जबकि वहां हमारे कार्यकर्ताओं को लगातार मौत के घाट उतारा जा रहा है।
यदि आपके ड्राइविंग लाइसेंस अथवा वाहन की आरसी, परमिट आदि दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो चुकी है तो यह खबर राहत देने वाली है। कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने डीएल, आरसी, परमिट आदि जैसे वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैधता अगले वर्ष 31 मार्च तक बढ़ा दी है। यानी इस बीच किसी के कोई दस्तावेज की वैधता समाप्त हो रही है तो उन्हें अमान्य नहीं माना जाएगा।
केन्द्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने रविवार को इस संबंध में राज्य सरकारों को एक परामर्शी जारी की है। मंत्रालय के अनुसार इससे पूर्व मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तथा केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता के विस्तार के संबंध में 30 मार्च, 2020, 9 जून, 2020 तथा 24 अगस्त, 2020 को परामर्शी जारी की गई थी। इनमें राज्यों को सुझाव दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकारों के), लाइसेंस, पंजीकरण या किसी और संबंधित दस्तावेज की प्रमाणिकता 31 दिसम्बर, 2020 तक वैध समझी जाए।
मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी परामर्शी में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के प्रसार को रोकने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परामर्श दिया जाता है कि उपरोक्त उल्लेखित सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता 31 मार्च, 2021 तक वैध समझी जाए। इसमें वे सभी दस्तावेज शामिल हैं जिनकी वैधता 1 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गई है या 31 मार्च, 2021 तक समाप्त हो जाएगी।’’
केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से इस परामर्शी को मूल भावना के साथ कार्यान्वित करने का आग्रह किया गया है जिससे कि नागरिक, ट्रांसपोर्टर तथा विभिन्न अन्य संगठन, जो कोविड महामारी के दौरान इस कठिन समय में प्रचालन कर रहे हैं, को कोई परेशानी न हो और उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।