मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। उन्होंने ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और कालाबाजारी करने वालों पर जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए।
मैंने निर्देशित किया हैं कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। pic.twitter.com/0pC3FyvTfh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 22, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। ऑक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो।
बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड सरकार ने विदेशों से वैक्सीन का आयात करने का लिया निर्णय लिया है। इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। राज्य सरकार अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेगी।
राजधानी में आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बुधवार को मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि भारत सरकार से हम लगातार वार्ता कर रहे हैं। जितनी वैक्सीन अभी मिली है, वे अपेक्षाकृत कम है। केंद्र सरकार से इस महीने हमें 8 लाख और अगले महीने 9 लाख वैक्सीन मिल पाएगी, उसमें भी यह शर्त है कि जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, उन्हें सेकंड डोज दी जाए।
जो हॉस्पिटल या दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग और दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं या नकली दवाओं को बेच रहे हैं, उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। : मुख्य सचिव, श्री ओम प्रकाश#UttarakhandFightsCorona pic.twitter.com/DUxU4MhD9L
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 12, 2021
उन्होंने बताया कि देश की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों से भी हमारी बातचीत चल रही है कि वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त हमें भी वैक्सीन दे। कुछ वैक्सीन हमें मिल भी चुकी है और कुछ मिलनी बाकी है। राज्य की जरूरतों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने विदेश से भी वैक्सीन आयात करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हम अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेंगे। इसके लिए समिति गठित हो गई है और धनराशि की भी व्यवस्था हो गई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जो हाॅस्पिटल एवं दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग कर रहे हैं या दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं या वास्तविक दवा न देकर नकली दवाइयां दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्ती से प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व दायित्वधारी व भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से दूरभाष पर बात कर रुद्रप्रयाग जिले की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की और उन्हें एक पत्र भी प्रेषित किया।
दूरभाष पर बातचीत में अजेंद्र ने स्वास्थ्य सचिव को बताया कि जनपद रुद्रप्रयाग में कोविड रोगियों के लिए कोटेश्वर में कोविड हेल्थ केयर सेंटर स्थापित किया गया है। कोविड सेंटर में रोगियों के लिए भोजन, पानी आदि की समुचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कोविड रोगियों को समय पर समुचित पौष्टिक भोजन इत्यादि की तत्काल स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। स्वास्थ्य सचिव ने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से बातचीत कर तत्काल भोजन आदि की व्यवस्था शुरू करने का आश्वासन दिया।
भाजपा नेता ने स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया कि कहा कि मौसम में लगातार भारी बदलाव और शादी-विवाह समारोह के चलते पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बुखार -जुखाम आदि की शिकायत से पीड़ित हैं। मगर कई लोग कोरोना बीमारी के भय से अथवा टेस्टिंग सेंटर दूर होने के कारण जांच कराने में हिचकिचा रहे हैं। इससे संक्रमण के अधिक फैलाव की आशंका है। लिहाजा, ग्राम प्रधानों आदि के माध्यम से उनके गांवों में बुखार आदि से पीड़ित लोगों की जानकारी जुटा कर टेस्ट अथवा उपचार की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी चाहिए।
इसके साथ ही अजेंद्र ने होम आइसोलेशन में रह रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम 2 -3 ऑक्सीमीटर और 2-3 थर्मामीटर की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग भी रखी। उन्होंने कई निजी एम्बुलेंस मालिकों द्वारा मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रख कर लोगों से मनमाने रूपये वसूले जाने के मामले की चर्चा करते हुए का एम्बुलेंस किराया निश्चित करने और उल्लंघन करने की दशा में कठोर कार्रवाई का प्रावधान करने की मांग भी उठाई।
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से रुद्रप्रयाग जिले में पर्याप्त चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति और वैक्सीनेशन सेंटर जनता की सहूलियतों को ध्यान में रख कर निर्धारित करने की मांग भी उठाई। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सभी मुद्दों पर समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
कोरोना से बढ़ती मौतों को देखते हुए राज्य सरकार ने जनता से कोविड के लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करने की अपील की है। साथ ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे। रिजल्ट का इंतजार नहीं किया जाएगा। सरकार के अनुसार यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और कोविड किट बंटना शुरू हो गई है।
प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जनता से अपील की कि जब भी लक्षण दिखना शुरू हो, तो तत्काल उपचार करवाएं। उन्होंने कहा कि तत्काल उपचार शुरू होने से कोविड के मामलों और मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आईसीयू की जरूरत नहीं है और अगर वे इसका उपयोग कर रहे हैं, उनकी निगरानी के लिए एक समिति गठित की गई है, जो हाॅस्पिटल्स की मॉनिटरिंग करेगी।
सोमवार को सचिवालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश को एक लाख वैक्सीनेशन प्रतिदिन के हिसाब से आवश्यकता है। हमने भारत सरकार को लिखा है कि राज्य सरकार अगर बाहर से सीधे वैक्सीन आयात कर सकती है तो उसके लिए हमें अनुज्ञा दी जाए। बहुत जल्द हम मोबाइल टेस्टिंग वैन भी शुरू करेंगे, जो दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जाकर मरीजों की पहचान करेगी और वहीं उनकी जांच करेगी। इससे उन्हें उपचार के लिए शहर आने की आवश्यकता नहीं होगी।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एक साल में लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। राज्य में मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स 673 थे जो कि वर्तमान में 5500 से अधिक हैं। इसी प्रकार आईसीयू 216 के मुकाबले, अब 1390 है। वेंटिलेटर्स 116 से बढ़ कर अब 876 हो गये हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर्स 1193 थे जो कि वर्तमान में 9900 हो गये हैं। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स 275 के मुकाबले अब 1293 हैं। वर्तमान में एंबुलेंस 307 और 64 टूनाड मशीन हैं। वहीं मार्च 2020 में केवल एक टेस्टिंग लैब थी, वर्तमान मे 10 सरकारी लैब और 26 प्राइवेट लैब हैं।
उन्होंने बताया कि हाॅस्पिटल्स को निर्देश दिए हैं कि ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता की स्थिति को लगातार अपडेट करते रहें। पब्लिक को परेशानी न हो, इसके लिए अस्पतालों की वेबसाइट पर लिखे गए सभी पीआरओ के नंबर भी अपडेट किए जाने चाहिए। हमने एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है, जिसमें डीएम, पुलिस, मेडिकल डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट होंगे, जो सभी शिकायतों पर संज्ञान लेकर आगे कार्रवाई करेंगे।
प्रभारी सचिव पंकज पांडे ने बताया कि टेस्टिंग और रिजल्ट में अंतर आने को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे, उसके लिए रिजल्ट का इंतजार नहीं करेंगे। यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और किट बंटना शुरू हो गई है। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य मौत के आंकड़ों को कम करना है।
उन्होंने बताया कि रेमडिसिविर के भाव भारत सरकार ने तय किए हैं। जितने रूपए में सरकार को यह उपलब्ध हो रहा है, उतने ही रूपयों में निजी अस्पतालों को भी ट्रांसफर हो रहा है। हमने निजी अस्पतालों को भी निर्देश दिए हैं कि जनता को भी उतने ही रूपए में रेमडिसिविर उपलब्ध करवाए जाएं, जितने में हमने उन्हें दिया है।
उत्तराखंड सरकार 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए 10 मई से टीकाकरण का कार्य शुरू करेगी। टीकाकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा कोविड वैक्सीन खरीदी जा रही है। वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा वैक्सीन की आंशिक आपूर्ति कर दी गई है।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि शनिवार को कोविशील्ड वैक्सीन की 1 लाख डोज इंडिगो एयरलाईन की उड़ान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची, जहां से उसे राजधानी के चंद्रनगर स्थित राज्य औषधि भंडार केंद्र के कोल्ड स्टोर/वॉक इन कूलर में रख दिया गया है। वहां से सभी जनपदों को आपूर्ति की जा रही है।
अमित नेगी ने बताया कि यह वैक्सीन 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए है और अब राज्य में 10 मई से टीकाकरण का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। नेगी के अनुसार कोविड-19 टीकाकरण अभियान के इस आयु वर्ग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के लगभग 50 लाख लोगों को निःशुल्क वैक्सीन दी जाएगी। यह टीकाकरण केन्द्रों पर होगा जिसकी जानकारी कोविन पोर्टल पर लाभार्थियों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री @TIRATHSRAWAT जी ने आज डिजिटल माध्यम से प्रदेश में #COVID19 की स्थिति और वैक्सीनेशन की समीक्षा की तथा अधिकारियों को #Vaccination में और तेजी लाने व 18 से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों हेतु कोविड वैक्सीन की पहली खेप आते ही वैक्सीनेशन शुरू करने के निर्देश दिए। pic.twitter.com/s2iaoainNI
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 8, 2021
ज्ञातव्य है कि टीकाकरण के लिए 18 से 44 आयु वर्ग के लाभार्थियों हेतु विगत माह 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतू एप पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हो गई थी। रजिस्ट्रेशन कराने वाले साभार्थियों को टीकाकरण कराने से पूर्व ऑनलाईन अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य है। लाभार्थियों को अपॉइंटमेंट प्राप्त होने के पश्चात् ही टीकाकरण केन्द्रों पर वैक्सीनेशन के लिए जाना होगा।
वैक्सीन केवल कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु के माध्यम से स्व पंजीकरण एवं अग्रिम अपॉइंटमेंट के बाद दी जाएगी। पंजीकरण के लिए selfregistration.cowin.gov.in पर लॉगइन करना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है।
कोरोना महामारी के भीषण दौर में कई प्राइवेट अस्पतालों की लूट-खसोट और संवेदनहीनता के किस्से लगातार सुनाई दे रहे हैं। ये अस्पताल डॉक्टर को भगवान मानने के सिद्धांत के विपरीत मरीजों को हलाल का बकरा समझ रहे हैं। चिकित्सा को सेवा का माध्यम मानने के बजाय इन अस्पतालों में अक्सर मरीजों के साथ अमानवीय व संवेदनाओं को ताक पर रख कर व्यवहार किया जाता है। कई निजी अस्पताल मरीजों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना व स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत निःशुल्क इलाज तक नहीं दे रहे हैं।
ताजा प्रकरण राजधानी देहरादून स्थित अरिहंत एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर से जुड़ा है। विगत दिवस यह अस्पताल तब चर्चाओं में आया था, जब राजधानी पुलिस ने ऑक्सीजन की अवैध रिफिलिंग का भंडाफोड़ करते हुए अरिहंत अस्पताल के मैनेजर इंद्रवीर सिंह राणा की इसमें संलिप्तता पाते हुए मुकदमा दर्ज किया। अब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस अस्पताल के मालिक डॉ.अभिषेक जैन को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना (एएयूवाई) और स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (एसजीएचएस) के अन्तर्गत सूचीबद्ध होने के बावजूद कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने के मामले में नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (हास्पिटल मैंनेजमेंट) डा.एके गोयल की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि कई लोगों की ओर से शिकायत मिली है कि अरिहन्त एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर सरकार की विभिन्न योजनाओं पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस में सूचीबद्ध् होने के बावजूद कोरोना के मरीजों को निशुल्क कैशलेस उपचार मुहैया नहीं करवा रहा है, जबकि राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश हैं कि इन योजनाओं के सूचीबद्ध अस्पतालों में कोरोना मरीजों का उपचार निःशुल्क किया जाना है।
नोटिस में कहा गया है कि जब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन से मोबाइल फोन पर सम्पर्क करते हैं तो कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया जाता। पत्र में कहा गया है कि यदि अस्पताल ने आगे पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस योजनाओं के तहत कोरोना मरीजों को उपचार निशुल्क नहीं किया तो अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने के साथ ही अस्पताल के खिलाफ क्लीनिकल इस्टेबलिश्मेंट एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होगी।
- सुभाष चमोली
उत्तराखंड की सल्ट विधानसभा के प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बाजी मार ली। रविवार को हुई मतगणना में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को 4697 मतों से पराजित किया।
चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीना को 21,874 जबकि कांग्रेस की गंगा को 17,177 मत प्राप्त हुए। उप चुनाव में भाजपा, कांग्रेस समेत कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर मतदान 17 अप्रैल को हुआ था। चुनाव में कुल 43.28 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

महेश जीना
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के मृत्यु के बाद खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे चुकीं गंगा पंचोली को फिर से मैदान में उतारा था।
उत्तराखंड में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सल्ट विधानसभा उपचुनाव दोनों ही पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उपचुनाव प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए इम्तिहान भी था। उनके नेतृत्व में यह कोई भी पहला चुनाव था। सल्ट के परिणामों ने उनके नेतृत्व पर मोहर मार दी और कोरोना काल में उन्हें घेर रहे विपक्ष को भी बड़ा झटका दे दिया है।

गंगा पंचोली
उधर, सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही कांग्रेस के लिए सल्ट उपचुनाव के परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है। सल्ट में कांग्रेस ही नहीं, अपितु पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की साख भी दांव पर लगी थी। कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को हरीश रावत के गुट का माना जाता है। इन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की राजनीति में नेतृत्व की लड़ाई के और तेज होने के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि हरीश रावत अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात उठा चुके हैं। इसके बाद हरीश रावत के समर्थकों द्वारा लगातार उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ाई जाने की मांग की जा रही थी। मगर सल्ट उपचुनावों से उनकी इस मुहिम को निश्चित ही धक्का पहुंचा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सीएम राहत कोष से आशा कार्यकत्रियों को एक-एक हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही शादियों में 25 लोगों से अधिक को अनुमति नहीं होगी।
यह निर्देश मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड -19 को लेकर एक बैठक में दिए। बैठक में शासन के उच्च अधिकारियों के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार खुलने के समय को जिलाधिकारी अपने अनुसार घटा सकते हैं। उन्होंने डोर-टू-डोर सर्वे के भी निर्देश दिए।
इसके साथ ही 104, सीएम हेल्पलाइन व पुलिस विभाग के कॉल सेंटर में फोन लाईनों की संख्या बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर और हेल्पलाईन पूरी तरह से सक्रिय रहें और बेड, इंजेक्शन सम्बंधी जानकारी भी अपडेट रखें।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने के लिये हर सम्भव कोशिश की जाए। इसमें विभिन्न संगठनों, उद्योगों की सहायता भी ली जा सकती है। कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भोजन, पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई ढिलाई न हो। इसके साथ ही छोटे- छोटे स्थानों में भी सेनेटाइजेशन का काम किया जाए, जहां संक्रमण की अधिक सम्भावनाएं हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड टेस्ट की रिपोर्ट में समय न लगे। टेस्ट होते ही तुरंत सभी को कोविड किट दिया जाए। ई-संजीवनी पोर्टल को और प्रभावी बनाते हुए प्रचारित किया जाए ताकि जन सामान्य उसका अधिक लाभ उठा सके। होम आइसोलेशन में रहने वालों को मालूम होना चाहिए कि उन्हें किन बातों का ध्यान रखना है।
सीएम ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों की व्यवस्था को लगातार क्रास चैक करवाया जाए। संबंधित मरीजों और उनके परिजनों से इसका फीड बैक लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कोविड मरीज़ों हेतु एम्बुलेंस की दरें निर्धारित करने और ओवररेटिंग जैसी शिकायतों को दूर करने के लिए कहा। दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए 147 एसटीएफ टीमें बनाई गई हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, डाॅ पंकज कुमार पाण्डेय, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को गढ़ी कैंट स्थित कैम्प कार्यालय से 108 सेवा के 132 वाहनों को विभिन्न जिलों के लिए रवाना किया।
प्रदेश सरकार द्वारा यूडीआरपी-एफ के माध्यम से 132 एम्बुलेन्स को स्वास्थ्य महानिदेशालय को फरवरी एवं मार्च माह में उपलब्ध कराया गया था। सरकार द्वारा इन 132 नवीन एम्बुलेंस को 108 के बेड़े में शामिल कर कुंभ मेला 2021 में संचालित किया जा रहा था।
मुख्यमंत्री ने अपने कैम्प कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में इन वाहनों को झंडी दिखाकर 13 जनपदों के लिए रवाना किया। 132 एम्बुलेंस में 36 एडवांस लाइफ सपोर्ट एवं 96 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं।
इनमें अल्मोड़ा को 10, बागेश्वर को 5, चमोली को 9, चंपावत को 5, देहरादून को 13, हरिद्वार को 20, नैनीताल को 10, पौड़ी को 11, पिथौरागढ़ को 9, रुद्रप्रयाग को 5, टिहरी को 9, उधमसिंहनगर को 17 व उत्तरकाशी को 9 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को चाहिए कि वे कोविड गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करें। मास्क लगाने के साथ ही दो गज की दूरी का पालन करें और समय-समय पर हाथों को साबुन से धोते रहें। उन्होंने कहा कि बीमारी के लक्षण आते ही सजग रहने की जरूरत है और कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाकर अपना इलाज कराएं।
तीरथ ने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। जिस किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की आवश्यकता हो रही है वहां तत्काल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नोडल अधिकारी भी नामित कर दिए गए हैं। जनता को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को दो दिन पहले 7500 रेमिडीसीवीर इंजेक्शन की आपूर्ति हो चुकी है और इससे पहले भी 3500 रेमिडीसीवीर इंजेक्शन की आपूर्ति हुई थी। सरकार पूरी तरह से हालातों पर नजर बनाए हुए है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी मौजूद रहे।
कोविड-19 संक्रमण की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंगलवार को विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से लगभग 25 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री ने राजधानी देहरादून के निकट सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया स्थित लिंडे ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण भी किया। उन्होंने इंडस्ट्रियल एरिया में ऑक्सीजन उत्पादन में आ रही हो दिक्कतों के समाधान का भी भरोसा दिया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के राजकीय मेडिकल काॅलेजों के चिकित्सालयों की क्षमता में वृद्धि और सुदृढ़ीकरण से संबंधित कार्यों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी है। कोविड महामारी में राज्य में मास्क न पहनने वालों से जुर्माना वसूली के बाद उन्हें चार मास्क निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए पुलिस विभाग को एक करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है।
इसके अलावा हौम्योपैथिक चिकित्सा सेवाओं के लिए 1 करोड़ 18 लाख 80 हजार रूपए व आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं विभाग को 4 करोड़ 64 लाख 23 हजार 500 रूपए स्वीकृत किये गए हैं। कोविड के संक्रमण से बचाव व राहत से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए जिलाधिकारी बागेश्वर और जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को 2-2 करोड़ रूपए, जबकि जिलाधिकारी चमोली व जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर को 1-1 करोड़ रूपए उनकी मांग के अनुरूप मुख्यमंत्री राहत कोष से स्वीकृत किए गए हैं।
उधर, सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया स्थित लिंडे ऑक्सीजन प्लांट के निरीक्षण के दौरान प्लांट के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि इंडस्ट्रियल एरिया में विद्युत आपूर्ति नियमित ना होने के कारण कई बार उनका उत्पादन प्रभावित हो जाता है। इस समस्या के निदान के लिए प्रयास भी किए गए, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। इसके अलावा उन्होंने इंडस्ट्रियल एरिया में सड़क के सुधारीकरण की भी मांग उठाई। इस मौके पर लिंडे के पदाधिकारियों ने पहाड़ी क्षेत्रों में मिनी ऑक्सीजन प्लांट लगाने का भी सुझाव दिया।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति की समस्या जल्द हल करा दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने मौके से ही शासन के उच्च अधिकारियों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट की हर समस्या का निदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की बहुत आवश्यकता है, ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट कंपनियों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन कंपनी में काम कर रहे मजदूरों को भी उनके सहयोग के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा की प्राण वायु का उत्पादन करने वाले मजदूर किसी की जिंदगी बचाने का काम करते हैं। मुख्यमंत्री ने सेलाकुई मैं प्रस्तावित कोविड केयर सेंटर का भी निरीक्षण किया और व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।