विगत 4 मार्च को उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने जब गैरसैंण (Gairsain) में आयोजित विधान सभा के बजट सत्र के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की, तो कई लोगों ने इसे सरसरी तौर पर उठाया गया कदम बताया। कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की घोषणा को बिना ‘सोचे- समझा’ निर्णय तक करार दिया। हालांकि, जब सदन में त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है।” त्रिवेंद्र की घोषणा के क्रम में प्रदेश सरकार ने 8 जून को ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
अधिसूचना जारी करने के साथ ही प्रदेश सरकार ने गैरसैंण को ई-राजधानी के रूप में विकसित करने का संकल्प भी व्यक्त किया, ताकि विधान सभा सत्र के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ले जाना पड़े। गैरसैण के इतिहास में एक नई तारीख तब जुड़ी, जब 15 अगस्त को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में ध्वजारोहण ही नहीं किया, अपितु ताबड़तोड़ कई घोषणाएं भी कर डालीं।
बावजूद इसके विपक्ष गाहे-बगाहे भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाता रहा है। खासकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने अंदाज में राजधानी के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। मगर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आरोपों को लेकर जुबानी जंग में अधिक नहीं पड़े। वे एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह चुपचाप अपनी रणनीति पर काम करते रहे और विरोधियों को जवाब देने के लिए उचित समय का इन्तजार करते रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए शायद उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस से बेहत्तर अवसर नहीं दिखा। उन्होंने स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर को देहरादून में आयोजित होने वाले औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल होकर सीधे गैरसैंण की राह पकड़ी। गैरसैंण में दो दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित ही नहीं हुए, अपितु गैरसैंण को लेकर विस्तृत रोडमैप घोषित कर राजनीतिक रूप से एक लंबी छलांग लगा डाली।
मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में संवारने और वहां राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई हैं। चरणबद्ध रूप में होने वाले इन कार्यों के लिए 10 वर्ष की समय सीमा तय की गई है। राज्य सरकार इस पर 25 हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक का गठन भी करने की घोषणा की है, जो गैरसैंण के सुनियोजित विकास और उसके स्वरूप को लेकर विस्तृत अध्ययन करेगी। समिति का सचिव भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पराग मधुकर धकाते को बनाया गया है। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को बतौर सदस्य शामिल किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से गैरसैंण को लेकर तमाम घोषणाएं की हैं, उससे यह स्पष्ट है की सरकार गैरसैंण और उसके आसपास के इलाकों को मिला कर एक नया परिक्षेत्र विकसित करना चाहती है। इसमें राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बहरहाल, त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को लेकर जो मास्टर स्ट्रोक चला है, उसकी काट ढूंढना विपक्ष के लिए फिलहाल टेढ़ी खीर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने चरणबद्ध रूप से गैरसैण के मुद्दे पर जो लंबी सियासी लकीर खींच दी है, वे अब उसे और आगे बढ़ाने के लिए निश्चित ही जुटेंगे।
ये भी पढ़ें- गैरसैंण के मुद्दे को लेकर फ्रंट फुट पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर आयोजित होने वाले चार दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला रविवार से शुरू हो गई। पहले दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में राज्यवासियों को कई सौगातें दी। मुख्यमंत्री ने सुबह अपने सरकारी आवास से माउंटेन टैरेन बाइकिंग रैली का फ्लैग ऑफ कर कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित इस साइकिल रैली को झंडी दिखा कर रवाना करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के 21 वें वर्ष में प्रवेश के लिए सभी को बधाई दी। यह रैली मुख्यमंत्री आवास से जॉर्ज एवरेस्ट (मसूरी) के लिए रवाना हुई। इस रैली में युवाओं के अलावा महिलाओं ने भी प्रतिभाग किया।
सरकारी डिग्री कॉलजों में फ्री इंटरनेट सुविधा
कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र डोईवाला पहुंचे, जहां उन्होंने शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के सभी महाविद्यालयों व विश्व विद्यालयों के लिए हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी व वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकारी महाविद्यालयों को यह सुविधा प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा युवाओं की पूरी दुनिया से जुड़ने की अभिलाषा होती है। इस दिशा में यह हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि इस सुविधा का लाभ राज्य के 2 लाख से अधिक छात्र- छात्राओं को मिलेगा। कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, विधायक हरबंश कपूर आदि उपस्थित थे।
देश के सबसे लंबे भारी वाहन झूला पुल का लोकार्पण
दोपहर को मुख्यमंत्री ने टिहरी पहुंच कर विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील पर निर्मित डोबरा-चांठी मोटर पुल का लोकार्पण किया। यह पुल भारी वाहनों के लिए देश का सबसे लंबा झूला पुल है। इस पुल के निर्माण से क्षेत्र की जनता का लगभग डेढ़ दशक का इंतजार खत्म हुआ। 725 मीटर लंबा यह पुल लगभग 3 अरब की लागत से तैयार हुआ है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल के निर्माण से क्षेत्र के विकास में नए आयाम जुड़ेंगे। यह क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि टिहरी झील साहसिक पर्यटन का केंद्र बनेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लगभग पौने 5 अरब की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवान, विधायक विजय सिंह पंवार, धन सिंह नेगी, शक्ति लाल शाह आदि उपस्थित थे।
यहां बता दें कि 9 नवम्बर को उत्तराखंड अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर रहा है। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सरकार ने चार दिन तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष स्थापना दिवस की खास बात यह है कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र दो दिन तक वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कुछ बड़ी घोषणाएं भी कर सकते हैं।
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भी कार्यक्रमों की धूम
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में भी कार्यक्रमों की धूम रहेगी। स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दो दिन तक गैरसैंण में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। विगत 4 मार्च को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद से त्रिवेंद्र सरकार लगातार गैरसैंण को तवज्जो देने में लगी हुई है। त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत रुप रेखा तय की गई। मुख्यमंत्री ने स्थापना दिवस के कार्यक्रमों को राज्य मुख्यालय के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों में भी सादगी के साथ गरिमामय ढंग से आयोजित किए जाने पर बल दिया। बैठक में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा एवं अपर सचिव मुख्यमंत्री तथा महानिदेशक सूचना डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट उपस्थित थे।
बैठक में तय किया गया कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 8 से 11 नवम्बर तक
राजधानी देहरादून समेत सभी जनपदों के मुख्य राजकीय भवनों को प्रकाशमान किया जाएगा। स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत 8 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र द्वारा माउण्टेन बाईक रैली के शुभारंभ के साथ होगी। इसी दिन राज्य के समस्त महाविद्यालयों में फ्री वाई-फाई कनेक्टिविटी से जोड़ने की शुरुआत मुख्यमंत्री द्वारा डोईवाला से की जाएगी। यहीं पर आयोजित कार्यक्रम से मुख्यमंत्री टिहरी झील पर निर्मित प्रसिद्ध डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण भी करेंगे।
राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर को सबसे पहले उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके लिए देहरादून स्थित शहीद स्मारक में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शहीदों को श्रद्धांजलि के बाद देहरादून पुलिस लाईन में राज्य स्थापना परेड आयोजित होगी। इसमें उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों द्वारा प्रतिभाग किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका का भी विमोचन करेंगे।
राजधानी देहरादून में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री 9 नवम्बर को ही अपराह्न में गैरसैंण (भराड़ीसैंण) पहुंचेंगे। गैरसैंण में आईटीबीपी एवं पुलिस बल की परेड आयोजित होगी। तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों होंगे। 10 नवम्बर को मुख्यमंत्री गैरसैंण के निकट दूधातोली जाएंगे। वहां वे पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की समाधि में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री गैरसैंण में विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी करेंगे।
बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य स्थापना पर समस्त जिला मुख्यालयों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए सभी कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य बचाव सम्बन्धी दिशा-निर्देश का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा। राज्य स्थापना समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों हेतु सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इस हेतु महानिदेशक सूचना डॉ0 मेहरबान सिंह बिष्ट को नामित किया गया है।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर ऐतिहासिक पहल कर चुके उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलते दिखाई दे रहे हैं। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम कर ली। त्रिवेंद्र ने आज गैरसैंण को लेकर की गईं घोषणाओं और वहां ध्वजारोहण कर राजधानी के मुद्दे को लेकर अपने इरादों को भी साफ़ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पहले से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग उठती रही है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के समय भी गैरसैंण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधानी माना गया। गैरसैंण को तब अधिक महत्व मिला, जब वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार गठित हुई और कल्याण सरकार ने गैरसैंण में अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय का उद्घाटन किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह सरकार ने ही उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा में संकल्प प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।
अलग राज्य निर्माण को लेकर उत्तराखंड के साथ कई अजीब विडंबना भी जुड़ी रही हैं। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार ने प्रस्तावित राज्य की राजधानी निर्माण के मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। इस समिति ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में अपनी संस्तुति दी। मुलायम सरकार ने एक ओर जहां राज्य निर्माण के बिना ही राजधानी मामले में अपनी सक्रियता प्रदर्शित की, वहीं दूसरी तरफ राज्य निर्माण की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों के साथ मुजफरनगर में जघन्य व घृणित कांड को अंजाम दिया।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद उत्तराखंड राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। 9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली। केंद्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे पर जन भावनाओं और आधारभूत ढांचे को ध्यान में रखकर देहरादून को अस्थाई राजधानी के रूप में घोषित किया। मगर राज्य निर्माण के बाद गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग विभिन्न स्तरों पर उठती रही।
वर्ष 2001 में उत्तराखंड की नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के मुद्दे को लेकर एक आयोग का गठन किया। अगले वर्ष प्रदेश में पहली बार विधान सभा चुनाव हुए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार गठित हुई। कांग्रेस सरकार के पूरे पांच साल के दौरान आयोग विस्तार पाता रहा और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। एक सदस्यीय दीक्षित आयोग ने राजधानी पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी, जिसे 17 अगस्त 2008 को विधानसभा में पेश किया गया। दीक्षित आयोग ने देहरादून तथा काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया था।
मगर जन भावनाओं के चलते दीक्षित आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्षधर यह मानते हैं कि पहाड़ी राज्य की राजधानी अगर पहाड़ में स्थित होगी तो वहां के विकास को नयी गति मिलेगी। गैरसैंण भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही राजनीतिक रंग भी लेता रहा। वर्ष 2012 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में एक कैबिनेट बैठक का आयोजन किया। इसके बाद बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण से लगभग 12 किमी दूर स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यास किया। विधान सभा आदि के निर्माण के बावजूद गैरसैंण को लेकर असमंजस बरक़रार रहा। इस बीच वहां विधान सभा के सत्र भी आयोजित होते रहे।
गैरसैंण के इतिहास में इस वर्ष 4 मार्च का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उसे राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित कर दिया। गैरसैंण में ही आयोजित हुए बजट सत्र में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है”। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप विगत 8 जून को प्रदेश सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के साथ- साथ इसे ई-राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई है, ताकि गैरसैंण में विधान सभा सत्र के आयोजन के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ढोना पढ़े।
इस बीच कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों के चलते प्रदेश सरकार गैरसैंण को लेकर अपनी योजनाओं को गति नहीं दे सकी, तो कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए मुद्दे को लपकने की कोशिश की। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण की यात्रा कर भाजपा सरकार पर सवाल दागे। मगर तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने अंदाज में उनसे यही सवाल किया कि जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजधानी के विषय पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया ? मगर आज स्वतंत्रता दिवस के दिन त्रिवेंद्र ने गैरसैंण व आसपास के क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं व अन्य तमाम घोषणाएं कर राजनीतिक तौर पर बढ़त हासिल कर दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैण को लेकर घोषणाएं राजधानी देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में की और इसके बाद वे विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल समेत अन्य प्रमुख लोगों के साथ गैरसैंण पहुंचे। गैरसैंण में विधान सभा भवन के सम्मुख ध्वजारोहण कर उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आज ट्वीट कर इस अवसर को ऐतिहासिक बताया। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को लेकर जो प्रमुख घोषणाएं की, उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में 50 बेड्स के सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थापना, विधानसभा परिसर में मिनी सचिवालय की स्थापना, स्थानीय हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन की सुविधा, क्षेत्र में पंपिंग पेयजल पाइप लाइन का निर्माण, जियो ओएफसी नेटवर्किंग का विस्तार, कोल्ड स्टोरेज की स्थापना आदि प्रमुख हैं।