आशा कार्यकर्ता वेतन बढ़ोत्तरी मामला, राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने संसद में उठाया मुद्दा
उत्तराखंड: राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने सोमवार को संसद में आशा कार्यकर्ताओं की वेतन वृद्धि का मुद्दा उठाया। बजट सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद ने लोकसभा में शून्यकाल चर्चा के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संचालन से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया।महेंद्र भट्ट ने केंद्र सरकार से आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की। उनका कहना हैं कि आशा कार्यकर्ता ग्रामीण और शहरी आबादी के स्वास्थ्य और सामाजिक निर्धारकों के बारे में एनएचएम द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान में माँ और बच्चे को स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने सहित कई प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में शामिल करने की मांग..
महेंद्र भट्ट ने संसद में अपने संबोधन में कहा कि जब से यह मिशन शुरू हुआ है, तब से ग्रामीणों को इनके माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मिल रही है। साथ ही, ये आशा कार्यकर्ता कोरोना काल से लेकर आज तक लगातार स्वास्थ्य जागरूकता का काम कर रही हैं। भट्ट ने कहा कि अपने महत्वपूर्ण काम के बावजूद उन्हें आज भी न्यूनतम मजदूरी से वंचित रखा गया है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ताओं को मात्र 4500 रुपए मासिक प्रोत्साहन राशि ही दी जाती है, जो उनके काम को देखते हुए बहुत कम हैं । कई राज्य सरकारें उन्हें वार्षिक प्रोत्साहन राशि दी जा रही हैं, जिसमें उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उन्हें 5000 रुपए वार्षिक प्रोत्साहन राशि दी जाती हैं। राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग की कि स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके योगदान का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें राज्य सरकार का हिस्सा भी शामिल होना चाहिए।