केदारनाथ यात्रा में गैर हिंदुओं की नो एंट्री का ऐलान, ट्रेड यूनियन के फैसले पर प्रशासन सख्त..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थल केदारनाथ धाम के कपाट आगामी दो मई को खुलने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले यात्रा को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है। एक स्थानीय ट्रेड यूनियन ने यह कहकर विवाद को जन्म दे दिया है कि इस बार की यात्रा को विशेष समुदाय से मुक्त रखा जाएगा। साथ ही उन्होंने यात्रियों से गैर-हिंदू दुकानदारों से सामान न खरीदने की अपील की है। यह बयान सोशल मीडिया व स्थानीय स्तर पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए संविधान विरोधी करार दिया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक यात्रा को किसी भी धर्म या समुदाय से जोड़कर भेदभाव नहीं किया जा सकता। साथ ही चेतावनी दी गई है कि अगर ऐसा कोई कार्य हुआ तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति व भाईचारे के साथ यात्रा करें।
ट्रेड यूनियन का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से स्थानीय लोगों के हक और रोजगार की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन हर बार बाहरी व्यापारियों को ही प्राथमिकता दी जाती है। यही कारण है कि इस बार यात्रा से पहले ही उन्होंने विशेष समुदाय और बाहरी राज्यों से आए व्यापारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। ट्रेड यूनियन ने कहा कि बाहरी प्रदेशों से आए लोग केदारनाथ की यात्रा में घोड़े-खच्चर से लेकर सब्जी, राशन, कपड़े और रेस्टोरेंट का व्यापार कर रहे हैं, जिस कारण स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता हैं।
वहीं इस बार ट्रेड यूनियन ने पुनर्निर्माण कार्यों से लेकर राशन, सब्जी ढुलान को लेकर 18 लोगों को अधिकृत किया है। अगर वो सामान ढुलान में कोई दिक्कतें करते हैं तो उन पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा। ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष गोविंद सिंह रावत एवं संरक्षक अवतार सिंह नेगी ने कहा कि केदारनाथ धाम की यात्रा में विशेष समुदाय के लोग हर प्रकार का व्यवसाय कर रहे हैं। राशन, घोड़े-खच्चर, सब्जी और पुनर्निर्माण सामग्री का ढुलान किया जा रहा है।
उनका कहना है कि उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों की पशु गणना करीब 23 हजार से ज्यादा है। ऐसे में इन्हीं जिलों के घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जाए। बाहरी प्रदेशों से आने वाले घोड़े-खच्चर गर्मी से होकर आ रहे हैं, जिससे उनमें हॉर्स फ्लू (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) बीमारी होने खतरा बना हुआ है, जिससे वो यहां के पशुओं को भी बीमार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था के केंद्र केदारनाथ धाम में विशेष समुदाय की नो इंट्री होनी जरूरी है। साथ कहा कि साल 2008-09 में भी बाहरी प्रदेशों से आए घोड़े-खच्चरों के कारण इक्वाइन इन्फ्लूएंजा फैला था। इसीलिए बाहरी प्रदेशों से आने वाले घोड़े-खच्चरों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए, नहीं तो बाबा केदार की यात्रा चरमरा जाएगी।
केदारनाथ यात्रा से पहले स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने और बाहरी लोगों की भागीदारी पर अंकुश लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इसके तहत ट्रेड यूनियन ने ‘सामग्री ढुलान समिति’ का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता अनूप गोस्वामी को सौंपी गई है। यह समिति केदारनाथ यात्रा के दौरान पूजा सामग्री, तीर्थ पुरोहित समाज से जुड़ी वस्तुएं, व्यापार संघ से संबंधित सामान और पुनर्निर्माण सामग्री की ढुलाई की पूरी व्यवस्था देखेगी। इस समिति के जरिए केवल स्थानीय युवाओं को ही इस कार्य में शामिल किया जाएगा, जिनकी संख्या 18 बताई गई है, और इन्हें ट्रेड यूनियन की ओर से अधिकृत किया गया है। इन अधिकृत युवाओं के साइन बोर्ड भी केदारनाथ मार्ग के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए हैं, ताकि यात्रियों और व्यापारियों को स्पष्ट जानकारी मिल सके कि केवल इन्हीं के जरिए सामग्री ढुलान किया जा सकता है। ट्रेड यूनियन के इस निर्णय को क्षेत्रीय विधायक, पर्यटन मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री की सहमति भी प्राप्त हो चुकी है। यह कदम जहां एक ओर स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की पहल के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बाहरी प्रदेशों और विशेष समुदाय से आने वाले लोगों की भागीदारी पर रोक को लेकर विवाद भी खड़ा हो सकता है।